राज कपूर ने 1930 के दशक में एक बाल कलाकार के रूप में सिनेमा में कदम रखा और 1948 में मात्र 24 वर्ष की आयु में आरके स्टूडियो की स्थापना की। यह वही स्टूडियो था, जहां से उन्होंने कई फिल्में बनाई, जिनमें ‘आवारा’ (1951) ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर धूम मचाई।
उन्होंने अपनी फिल्मों में चार्ली चैपलिन के ‘द ट्रैम्प’ के किरदार को निभाकर एक अलग ही छाप छोड़ी। राज कपूर ने सिनेमा में अपनी कड़ी मेहनत, अनोखी दिशा और नायक के रूप में जो स्थान बनाया, उसे आज भी याद किया जाता है।
राज कपूर की सबसे बड़ी पहचान उनके अवार्ड्स और सम्मान से भी है। उन्हें तीन राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और 11 फिल्मफेयर पुरस्कार मिल चुके हैं। साथ ही, भारत सरकार ने 1971 में उन्हें पद्म भूषण और 1987 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया।
राज कपूर के बारे में कुछ दिलचस्प बातें:
उनका असली नाम रणबीर राज कपूर था, लेकिन उन्होंने अपने करियर की शुरुआत ‘क्लैप बॉय’ के रूप में की थी।
1951 में आई फिल्म ‘आवारा’ में कपूरों की तीन पीढ़ियों ने काम किया, जो एक अद्वितीय पहल थी।
उन्होंने 1948 में अपनी उम्र के महज 24 साल में आरके फिल्म्स की स्थापना की, जो भारतीय सिनेमा की एक अहम हिस्सा बन गया।
राज कपूर ने फिल्म ‘मेरा नाम जोकर’ को 244 मिनट लंबा बनाया, जो भारतीय सिनेमा का एक ऐतिहासिक प्रयोग था।
अपने जीवन के आखिरी दिनों में भी, राज कपूर फिल्म ‘मेंहदी’ पर काम कर रहे थे, जो बाद में उनके बेटों रणधीर और ऋषि कपूर ने पूरी की। राज कपूर के योगदान से भारतीय सिनेमा हमेशा के लिए समृद्ध हुआ है और उनकी फिल्मों की धरोहर हमेशा जीवित रहेगी।
