सिवनी तीन करोड़ की हवाला डकैती मामले में प्रमोद सोनी की जमानत खारिजन्यायालय ने साक्ष्य प्रभावित होने की आशंका जताई


सिवनी ।सिवनी जिले में तीन करोड़ रुपये की हवाला डकैती के सनसनीखेज मामले में जबलपुर क्राइम ब्रांच के आरक्षक प्रमोद सोनी की जमानत याचिका को जिला न्यायालय ने खारिज कर दिया है। न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि इस मामले की जांच अभी जारी हैऔर उपलब्ध तथ्यों एवं परिस्थितियों को देखते हुए आरोपी को जमानत नहीं दी जा सकती। विशेष न्यायाधीश एट्रोसिटीज पर सत्र न्यायाधीश सिवनीगालिब रसूल ने 11 दिसंबर को यह आदेश पारित कियाजिसमें आरोपित की रिहाई से साक्ष्य प्रभावित होने और जांच पर प्रतिकूल असर पड़ने की संभावना जताई गई।

यह मामला सिर्फ एक डकैती का नहीं बल्कि एक संगठित अपराध नेटवर्क का हिस्सा भी प्रतीत हो रहा हैजिसमें पुलिस महकमे के कुछ लोग भी शामिल हो सकते हैं। पुलिस द्वारा की गई जांच में सामने आए कॉल डिटेल्सआपसी संपर्कडिजिटल साक्ष्य और घटनाक्रम ने पूरे मामले को और भी जटिल बना दिया है।

प्रमोद सोनी की संलिप्तता का खुलासा

प्रमोद सोनी पर आरोप है कि वह हवाला डकैती के इस पूरे षड्यंत्र का हिस्सा थे। पुलिस की जांच के मुताबिकप्रमोद सोनी के कॉल डिटेल्स और डिजिटल साक्ष्य में उनकी भूमिका का खुलासा हुआ है। यह हवाला डकैती पुलिस महकमे के भीतर एक संगठित अपराध के नेटवर्क की ओर इशारा करता हैजो अपराधियों को सुरक्षा प्रदान करने और अवैध धन की तस्करी में मदद कर रहा था।

यहां तक कि जांच में यह भी पाया गया है कि प्रमोद सोनी ने अपने पद का दुरुपयोग किया और पुलिस की जानकारी का फायदा उठाकर हवाला नेटवर्क में शामिल हुए। उनके खिलाफ पुलिस ने ठोस साक्ष्य जुटाए हैंजिनमें आपसी संपर्क और फाइनेंशियल लेन-देन की जानकारियां शामिल हैं।

न्यायालय का फैसला और जमानत खारिज होने के कारण

विशेष न्यायाधीश गालिब रसूल ने अपने आदेश में यह स्पष्ट किया कि चूंकि मामले की जांच चल रही है और साक्ष्य के आधार पर यह प्रतीत होता है कि प्रमोद सोनी की रिहाई से जांच प्रभावित हो सकती हैइसलिए उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी गई। न्यायालय ने यह भी कहा कि इस मामले की गंभीरता को देखते हुएआरोपित के खिलाफ जांच की प्रक्रिया को किसी भी तरह से प्रभावित होने का खतरा नहीं उठाया जा सकता।

न्यायालय ने यह स्वीकार किया कि हवाला डकैती का मामला केवल एक वित्तीय अपराध नहीं बल्कि एक बड़े आपराधिक षड्यंत्र का हिस्सा हैजिसमें पुलिस महकमे की भूमिका पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। ऐसे में प्रमोद सोनी को जमानत देना मामले की गहराई को देखते हुए उचित नहीं होगा।

पहले भी जमानत याचिकाएं खारिज

यह पहला मामला नहीं है जब इस हवाला डकैती मामले में जमानत याचिका खारिज की गई है। इससे पहले भी कई आरोपितों की जमानत याचिकाएं न्यायालय द्वारा खारिज की जा चुकी हैं। जांच एजेंसियां मामले में हर पहलू की बारीकी से जांच कर रही हैं और यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रही हैं कि इस संगठित अपराध के नेटवर्क को पूरी तरह से नष्ट किया जाए।

सिवनी का यह हवाला डकैती मामला पुलिस महकमे की भ्रष्टाचार और अपराध से संबंधित गंभीर समस्याओं को उजागर करता है। अब जबकि प्रमोद सोनी और अन्य आरोपितों के खिलाफ ठोस साक्ष्य जुटाए जा चुके हैंयह उम्मीद जताई जा रही है कि इस मामले में और भी बड़े खुलासे हो सकते हैं।

न्यायालय का यह फैसला इस बात को भी स्पष्ट करता है कि कानून के दायरे में रहते हुए किसी भी व्यक्ति को आपराधिक गतिविधियों में संलिप्त होने का लाभ नहीं मिल सकताचाहे वह पुलिस अधिकारी हो या आम नागरिक। अब मामले की जांच और विस्तार से की जाएगीजिससे इस बड़े आपराधिक नेटवर्क का पर्दाफाश किया जा सके।