सीजेआई सूर्यकांत के साथ सुनवाई में जस्टिस जॉयमाल्या बागची भी मौजूद थे। जस्टिस बागची ने स्पष्ट किया कि जज की टिप्पणियां पक्षपात का आधार नहीं बन सकतीं। बेंच ने कहा कि जज केवल वर्तमान मुकदमे में पेश सबूतों के आधार पर ही निर्णय देंगे और पहले मामले में दोषी पाए जाने का इससे कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत ने कहा कि कोर्ट में पूछे गए सवाल केवल दोनों पक्षों की ताकत और दलीलों की जाँच के लिए होते हैं और ये अंतिम निर्णय को नहीं दर्शाते। लेकिन लोग बिना समझे इन सवालों या टिप्पणियों को आधार बनाकर नतीजे पर पहुँच जाते हैं। उन्होंने जोर देकर कहामैं सोशल मीडिया या किसी भी दबाव से प्रभावित नहीं होता। अगर किसी को लगता है कि वे मुझे डराकर प्रभावित कर सकते हैं तो वे गलत हैं। मैं बहुत मजबूत आदमी हूं।
यह टिप्पणी उस ओपन लेटर पर उनकी प्रतिक्रिया के तौर पर भी देखी जा रही हैजिसमें पूर्व जजोंवकीलों और कार्यकर्ताओं ने उनके रोहिंग्या शरणार्थियों पर दिए गए बयान पर आपत्ति जताई थी। इस मामले में सीजेआई ने सवाल किया था कि क्या घुसपैठियों का रेड कार्पेट बिछाकर स्वागत करना चाहिए। उन्होंने यह सवाल हिरासत में लिए गए रोहिंग्याओं के लापता होने के मामले पर सुनवाई के दौरान किया था।सीजेआई ने कहा था कि अगर कोई देश में घुसपैठ कर ले और नागरिकों जैसे अधिकार मांगने लगे तो इसे कैसे स्वीकार किया जा सकता है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि न्यायिक सवाल और टिप्पणियां न्यायिक प्रक्रिया का हिस्सा हैं और इन्हें गलत अर्थ न लगाया जाए।मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत की यह टिप्पणी दर्शाती है कि न्यायपालिका किसी बाहरी दबाव या सोशल मीडिया की प्रतिक्रिया से प्रभावित नहीं होतीऔर जज केवल सबूत और कानून के आधार पर निर्णय लेते हैं।
