पुलिस जांच में सामने आया है कि हमले को अंजाम देने वाले दोनों आरोपी आपस में बाप-बेटे थे। उनकी पहचान 50 वर्षीय साजिद अकरम और उसके 24 वर्षीय बेटे नवीद अकरम के रूप में हुई है। शुरुआती जांच के आधार पर पुलिस को संदेह है कि दोनों का मूल पाकिस्तान से जुड़ा हो सकता है। हमले के बाद मौके पर ही पुलिस ने जवाबी कार्रवाई करते हुए साजिद अकरम को गोली मार दी, जिससे उसकी मौत हो गई, जबकि नवीद अकरम गंभीर रूप से घायल है और अस्पताल में भर्ती है।
ऑस्ट्रेलिया के गृह मंत्री टोनी बर्क ने बताया कि साजिद अकरम 1998 में छात्र वीजा पर ऑस्ट्रेलिया आया था। बाद में उसने एक ऑस्ट्रेलियाई महिला वेरेना से शादी की और पार्टनर वीजा प्राप्त किया। इसके बाद वह रेजिडेंट रिटर्न वीजा पर ऑस्ट्रेलिया में रह रहा था, लेकिन उसके पास ऑस्ट्रेलियाई नागरिकता नहीं थी। वहीं उसका बेटा नवीद ऑस्ट्रेलिया में ही जन्मा था और वह ऑस्ट्रेलियाई नागरिक है। सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक, नवीद अकरम वर्ष 2019 में ऑस्ट्रेलियाई सुरक्षा खुफिया संगठन ASIO की निगरानी में आया था, लेकिन उस समय उसके खिलाफ हिंसक गतिविधियों से जुड़ा कोई ठोस सबूत नहीं मिला था। परिवार ने भी इस घटना पर हैरानी जताई है। साजिद की पत्नी वेरेना ने मीडिया से कहा कि उन्हें यकीन नहीं हो रहा कि उनके पति और बेटे इस तरह के आतंकी हमले में शामिल हो सकते हैं।
पुलिस ने बताया कि साजिद अकरम के पास लाइसेंसी हथियार थे। वह एक गन क्लब का सदस्य था और कानून के तहत उसके पास कुल छह बंदूकें दर्ज थीं, जिनका इस्तेमाल वह शिकार के लिए करता था। हमले वाले दिन बाप-बेटे ने घर से निकलते समय परिवार को बताया था कि वे मछली पकड़ने जा रहे हैं। बाद में पुलिस ने उनके किराए के घर पर छापेमारी की, जहां से जांच से जुड़े अहम सुराग जुटाए गए। इस भयावह घटना के दौरान साहस की एक मिसाल भी देखने को मिली। अहमद नाम के एक बुजुर्ग व्यक्ति ने अपनी जान जोखिम में डालकर एक आतंकी से बंदूक छीन ली। वायरल वीडियो में दिखता है कि अहमद चुपचाप पीछे से हमलावर के पास पहुंचे और उस पर काबू पा लिया। उनकी बहादुरी से कई लोगों की जान बच सकी।
इस हमले के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ऑस्ट्रेलियाई सरकार की नीतियों को इस हमले के लिए जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने दावा किया कि उन्होंने पहले ही प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज को चेतावनी दी थी कि कुछ नीतियां देश में यहूदी-विरोधी भावनाओं को बढ़ावा दे रही हैं। वहीं भारत, ब्रिटेन और अमेरिका सहित कई देशों के नेताओं ने इस हमले की कड़ी निंदा करते हुए पीड़ितों के प्रति संवेदना जताई है।
गौरतलब है कि ऑस्ट्रेलिया में बड़े पैमाने पर गोलीबारी की घटनाएं बेहद दुर्लभ हैं। 1996 के पोर्ट आर्थर नरसंहार के बाद यहां सख्त गन कानून लागू किए गए थे। यही वजह है कि बॉन्डी बीच की यह घटना बीते लगभग तीन दशकों में सबसे गंभीर सामूहिक गोलीबारी मानी जा रही है। इस हमले ने एक बार फिर सुरक्षा, कट्टरता और सामाजिक सौहार्द पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
