गणपति को क्यों प्रिय है दूर्वा? आस्था के साथ विज्ञान भी मानता है इसके 5 चमत्कारी फायदे


नई दिल्ली/ भारत गणेश चतुर्थी का पर्व आते ही हर घर और मंदिर में भगवान गणेश की पूजा की तैयारियां शुरू हो जाती हैं। मोदक, लड्डू, फूल और दीप के साथ जिस चीज़ के बिना गणपति पूजा अधूरी मानी जाती है, वह है दूर्वा घास। धार्मिक मान्यताओं में दूर्वा को भगवान गणेश की सबसे प्रिय वस्तु माना गया है, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि दूर्वा का महत्व केवल आस्था तक सीमित नहीं है। आयुर्वेद और आधुनिक विज्ञान भी इसके स्वास्थ्य लाभों को स्वीकार करता है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, प्राचीन काल में अनलासुर नामक एक शक्तिशाली राक्षस ने देवताओं और ऋषियों को परेशान कर रखा था। सभी ने भगवान गणेश से सहायता की प्रार्थना की। गणेश जी ने उस राक्षस को निगल तो लिया, लेकिन इससे उनके पेट में अत्यधिक जलन और गर्मी उत्पन्न हो गई। तब कश्यप ऋषि ने उन्हें 21 गांठें दूर्वा घास खाने की सलाह दी। दूर्वा सेवन करते ही उनकी जलन शांत हो गई। तभी से दूर्वा को गणेश जी का प्रिय भोग माना जाने लगा और गणेश चतुर्थी पर इसे अर्पित करने की परंपरा शुरू हुई।

धार्मिक महत्व के साथ-साथ दूर्वा में औषधीय गुणों का भंडार भी छिपा है। आयुर्वेद में इसे  अमृत के समान बताया गया है। पहला और सबसे बड़ा फायदा पाचन तंत्र से जुड़ा है। दूर्वा का रस पेट की जलन, एसिडिटी, अपच और कब्ज जैसी समस्याओं में राहत देता है। यह पेट को ठंडक पहुंचाकर गैस और अल्सर जैसी परेशानियों को भी कम करता है।

दूसरा बड़ा लाभ इम्यूनिटी बढ़ाने से जुड़ा है। दूर्वा में एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी तत्व पाए जाते हैं, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करते हैं। नियमित रूप से इसका सीमित सेवन करने से मौसमी बीमारियों से बचाव में मदद मिल सकती है।

तीसरा फायदा त्वचा के लिए है। दूर्वा का लेप त्वचा पर लगाने से खुजली, रैशेज, एलर्जी और जलन जैसी समस्याओं में राहत मिलती है। यह त्वचा को ठंडक देती है और घाव भरने की प्रक्रिया को तेज करती है। यही कारण है कि पारंपरिक घरेलू उपचारों में दूर्वा का उपयोग लंबे समय से किया जाता रहा है।

चौथा महत्वपूर्ण लाभ ब्लड शुगर कंट्रोल से जुड़ा है। आयुर्वेदिक मान्यताओं के अनुसार दूर्वा का रस रक्त में शुगर के स्तर को संतुलित करने में सहायक हो सकता है। इसलिए डायबिटीज के मरीजों के लिए इसे एक सहायक घरेलू उपाय माना जाता है, हालांकि सेवन से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूरी है।

पांचवां और अंतिम फायदा है शरीर को ठंडक पहुंचाना। दूर्वा का स्वभाव शीतल होता है, जिससे गर्मियों में नकसीर, सिर दर्द, पेट की जलन और हीट स्ट्रोक जैसी समस्याओं में राहत मिलती है। यही वजह है कि इसे प्राकृतिक कूलेंट भी कहा जाता है।इस गणेश चतुर्थी, जब आप बप्पा को श्रद्धा से दूर्वा अर्पित करें तो यह याद रखें कि यह सिर्फ पूजा की सामग्री नहीं बल्कि प्रकृति का दिया हुआ एक अनमोल औषधीय उपहार भी है। दूर्वा आस्था और विज्ञान के सुंदर संगम का प्रतीक है जो तन और मन दोनों को स्वस्थ रखने में सहायक है।