मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हाल ही में सचिवालय में आयोजित बैठक में ग्रीन सेस व्यवस्था को शीघ्र लागू करने के निर्देश दिए थे और अधिकारियों पर इससे जुड़ी देरी को लेकर नाराजगी भी जताई। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि इस योजना की देरी के कारण राज्य को करीब 100 करोड़ रुपये का राजस्व नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि सरकार के लिए अपने राजस्व संसाधनों को मजबूत करना सबसे अहम है और अगले वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए 24,015 करोड़ रुपये का कर लक्ष्य तय किया गया है।
वाहन श्रेणी के अनुसार ग्रीन सेस शुल्क भारी वाहनों 450 से 700 रुपये
वाहन के एक्सल के अनुसार शुल्क लिया जाएगा। भारी निर्माण उपकरण वाहनों से 250 रुपये वसूले जाएंगे।
मालवाहन
7.5 से 18.5 टन के वाहनों पर 250 रुपये शुल्क लगेगा।
3 से 7.5 टन तक के हल्के माल वाहनों पर 120 रुपये।
तीन टन तक की डिलीवरी वैन से 80 रुपये शुल्क लिया जाएगा।
पैसेंजर कार्स
मोटर कैब मैक्सी कैब और पैसेंजर कार पर 80 रुपये शुल्क तय किया गया है। 12 सीटों से अधिक वाली बसों पर 140 रुपये शुल्क लागू होगा।
ग्रीन सेस छूट मुक्त वाहन
दूसरे राज्यों के दोपहिया वाहन केंद्र और राज्य सरकार के वाहन ट्रैक्टर ट्रेलर रोड रोलर कंबाइन हार्वेस्टर शव वाहन एंबुलेंस फायर टेंडर और सेना के वाहन इस शुल्क से मुक्त रहेंगे।
इको-फ्रेंडली वाहन
इलेक्ट्रिकसोलर हाइब्रिड और सीएनजी से चलने वाले वाहनों को भी छूट मिलेगी।आवश्यक जानकारी फास्टैग आधारित प्रणाली ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रिकग्निशन कैमरे के माध्यम से वाहनों की पहचान होगी जिससे फास्टैग से शुल्क कट जाएगा। यह व्यवस्था उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश की सीमाओं पर पूरी तरह से तैयार है जबकि छह अन्य बॉर्डर चेक पोस्ट पर काम जारी है। इस नई व्यवस्था से राज्य को सालाना लगभग 50 करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व मिलने की उम्मीद है जिसे पर्यावरण संरक्षण और विकास कार्यों में खर्च किया जाएगा।
मुख्यमंत्री के निर्देश
