राजनांदगांव । छत्तीसगढ़ महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश के एमएमसी जोन में सक्रिय माओवादियों के खिलाफ सुरक्षा बलों की कार्रवाई में एक महत्वपूर्ण मोड़ आया है। माओवादी संगठन के एक बड़े सदस्य रामधेर ने आखिरकार सुरक्षाबलों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। इसके साथ ही उनके 11 साथियों ने भी हथियार डाल दिए जिससे एमएमसी जोन में माओवादी गतिविधियों को खत्म करने की दिशा में एक बड़ी सफलता हासिल हुई है। इस आत्मसमर्पण को सुरक्षा एजेंसियां माओवादी मुक्त बनाने की दिशा में एक अहम कदम मान रही हैं।
रामधेर जो कि माओवादी संगठन के केंद्रीय समिति सीसी का सदस्य था लंबे समय से सुरक्षाबलों के रडार पर था। वह छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव बालाघाट और महाराष्ट्र के कई हिस्सों में माओवादी गतिविधियों को संचालित कर रहा था। इस समर्पण के साथ ही इस इलाके में माओवादी विरोधी अभियान को एक बड़ी जीत मिल रही है। रामधेर और उसके साथियों ने खैरागढ़ इलाके के बकरकट्टा थाने में सोमवार तड़के आत्मसमर्पण किया।
पिछले कुछ दिनों से रामधेर और उसके साथियों के सुरक्षा एजेंसियों से संपर्क में रहने की खबरें आ रही थीं। इसके बाद रविवार को बालाघाट में भोरमदेव कमेटी के 10 माओवादियों के समर्पण के एक दिन बाद रामधेर ने भी अपनी गिरफ्तारी का ऐलान किया। इस आत्मसमर्पण के साथ ही एमएमसी जोन में माओवादी गतिविधियों की समाप्ति की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इस मौके पर राजनांदगांव पहुंचकर इस महत्वपूर्ण घटना को ऐतिहासिक करार दिया और कहा कि यह राज्य की सुरक्षा और शांति के लिए एक अहम कदम है। मुख्यमंत्री ने समर्पण करने वाले माओवादियों के फैसले को सराहा और यह भी कहा कि यह समर्पण उनके लिए एक नया जीवन शुरू करने का अवसर है।
सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक रामधेर और उसके साथी लंबे समय से माओवादी संगठन में अहम भूमिका निभा रहे थे और उनके खिलाफ कई गंभीर आरोप थे। रामधेर पर एक करोड़ रुपये का इनाम भी रखा गया था। वह अपनी मास्टरमाइंड योजनाओं और हमलों के लिए जाना जाता था लेकिन अब उसके आत्मसमर्पण से सुरक्षा बलों को एक बड़ी राहत मिली है।
राजनांदगांव पुलिस के अधिकारियों का कहना है कि माओवादी नेता रामधेर के समर्पण के बाद एमएमसी जोन को पूरी तरह से माओवादी मुक्त माना जा सकता है। यह राज्य सरकार और सुरक्षा बलों के लिए एक बड़ी सफलता है क्योंकि इस इलाके में माओवादियों के प्रभाव को समाप्त करने के लिए कई सालों से लगातार प्रयास किए जा रहे थे।
इस समर्पण के बाद सुरक्षा बलों के अधिकारियों का मानना है कि अब एमएमसी जोन में माओवादियों की कोई बड़ी उपस्थिति नहीं होगी जिससे क्षेत्र की सुरक्षा और विकास में तेजी आएगी। माओवादियों के खिलाफ जारी अभियान अब न सिर्फ माओवादियों के समर्थन को समाप्त करेगा बल्कि स्थानीय जनता में सुरक्षा का विश्वास भी बढ़ाएगा।
माओवादी संगठन के खिलाफ सुरक्षाबलों की लगातार मुहिम और सरकार की पहलें अब धीरे-धीरे रंग लाने लगी हैं। रामधेर जैसे बड़े माओवादी नेताओं का समर्पण यह सिद्ध करता है कि माओवादी आंदोलन का प्रभाव अब धीरे-धीरे कमजोर हो रहा है। इस समर्पण के बाद सुरक्षा बलों का कहना है कि आगे भी इसी तरह के समर्पण होते रहेंगे जिससे न केवल एमएमसी जोन बल्कि पूरे राज्य में माओवादी गतिविधियों पर काबू पाया जा सकेगा। राज्य सरकार और सुरक्षा बलों के साथ-साथ स्थानीय जनता भी इस आत्मसमर्पण को सकारात्मक रूप से देख रही है क्योंकि इससे इलाके में शांति और विकास की संभावनाएं बढ़ी हैं।
