अधिकारियों के अनुसार, अब एक अतिरिक्त प्रशासनिक जांच की परत हटा दी गई है और बिजनेस वीजा की मंजूरी चार हफ्ते से भी कम समय में हो रही है। 2020 में लद्दाख सीमा विवाद के बाद भारत ने लगभग सभी चीनी नागरिकों के प्रवेश पर रोक लगा दी थी और बिजनेस वीजा की जांच गृह मंत्रालय तथा विदेश मंत्रालय के अलावा अन्य एजेंसियों तक विस्तारित कर दी थी।
एक अधिकारी ने बताया कि वीजा से जुड़ी सभी समस्याएं पूरी तरह हल कर दी गई हैं। हमने अतिरिक्त प्रशासनिक जांच को हटा दिया है और अब बिजनेस वीजा चार सप्ताह के अंदर जारी किए जा रहे हैं। विदेश मंत्रालय, गृह मंत्रालय, वाणिज्य मंत्रालय, प्रधानमंत्री कार्यालय तथा नीति आयोग की ओर से इस संबंध में कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
भारत की इस पहल पर चीन के विदेश मंत्रालय ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने कहा कि बीजिंग ने भारत की ओर से लोगों के आपसी आदान-प्रदान को सुगम बनाने के लिए सकारात्मक कदम को नोटिस किया है। उन्होंने कहा- चीन, भारत के साथ संवाद और परामर्श बनाए रखने के लिए तैयार है ताकि आपसी संपर्क को और आसान बनाया जा सके।
थिंक टैंक ऑब्जर्वर रिसर्च फोरम (ORF) के अनुमान के अनुसार, सख्त वीजा नियमों की वजह से पिछले चार साल में भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग को करीब 15 अरब डॉलर (लगभग 1.25 लाख करोड़ रुपये) का उत्पादन नुकसान हुआ। शाओमी जैसी बड़ी चीनी कंपनियों को तकनीशियनों की कमी का सामना करना पड़ा था। सौर ऊर्जा क्षेत्र भी कुशल चीनी श्रमिकों की कमी से प्रभावित रहा।
इस साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सात साल बाद पहली चीन यात्रा और राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात के बाद दोनों देशों ने 2020 के बाद पहली बार सीधी उड़ानें भी बहाल कर दी हैं। वीजा नियमों में यह ढील पूर्व कैबिनेट सचिव राजीव गौबा की अध्यक्षता वाली एक उच्चस्तरीय समिति की सिफारिशों पर आधारित है। यह समिति चीन से निवेश संबंधी कुछ अन्य प्रतिबंधों को भी हटाने पर विचार कर रही है, क्योंकि मौजूदा प्रतिबंध विदेशी निवेशकों का मनोबल गिरा रहे थे।
इंडियन सेल्युलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (ICEA) के अध्यक्ष पंकज मोहिंद्रू ने कहा- सीमा-क्षेत्र से लगे देशों के कुशल पेशेवरों के लिए वीजा प्रक्रिया तेज करने का सरकार का फैसला स्वागत योग्य है। यह सहयोगात्मक रुख को दर्शाता है और उद्योग की लंबे समय से चली आ रही मांग को स्वीकार करता है। यह बदलाव ऐसे समय आया है जब भारत मोबाइल फोन, कंपोनेंट्स और सब-असेंबली सहित कई क्षेत्रों में उत्पादन को बड़े पैमाने पर बढ़ा रहा है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारतीय सामानों पर 50% तक टैरिफ लगाने के बाद भारत ने अपनी कूटनीतिक गणना में बदलाव किया है। इस पृष्ठभूमि में चीन के साथ संबंधों को फिर से मजबूत करना और रूस के साथ रिश्ते गहरे करना भारत की नई रणनीति का हिस्सा है, साथ ही अमेरिका के साथ व्यापार समझौते पर बातचीत भी जारी है।
दूसरे सरकारी अधिकारी ने कहा- हम चीन संबंधी कुछ प्रतिबंधों को सावधानी से हटा रहे हैं, ताकि समग्र कारोबारी माहौल बेहतर हो और विदेशी निवेश को बढ़ावा मिले। हाल ही में भारत ने उपभोक्ता करों में कटौती और श्रम कानूनों में ढील देकर भी विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने की कोशिश की है।
