पौष पूर्णिमा की तिथि और समय
पौष पूर्णिमा का पर्व 2 जनवरी 2026 की शाम 653 बजे से प्रारंभ होगा और 3 जनवरी 2026 को दोपहर 332 बजे समाप्त होगा। विशेष रूप से इस दिन ब्रह्म मुहूर्त सुबह 525 से 620 बजे में स्नान करना और पूजा करना अत्यधिक शुभ माना जाता है। इस समय में किए गए कार्यों का विशेष महत्व होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है।
पौष पूर्णिमा की पूजा विधि
पौष पूर्णिमा के दिन विशेष पूजा विधि है जिसे करने से व्यक्ति को शांतिसमृद्धिऔर सुख-शांति प्राप्त होती है।स्नान इस दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर किसी पवित्र नदी में स्नान करेंयदि नदी तक पहुंचने का अवसर न होतो घर में गंगाजल का छिड़काव करके स्नान करें। इस दिन का स्नान मन और तन की पवित्रता के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
सूर्य पूजा स्नान के बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें और ॐ घृणिः सूर्याय नमः मंत्र का जप करें। इससे जीवन में ऊर्जा और सकारात्मकता का संचार होता है।
विष्णु और लक्ष्मी पूजा इस दिन भगवान विष्णुमाता लक्ष्मीऔर चंद्र देव की पूजा विशेष महत्व रखती है। विष्णु भगवान को पंचामृतकेला और पंजीरी का भोग अर्पित करें।शाकंभरी पूजा ष पूर्णिमा को देवी शाकंभरी की उपासना का भी महत्व है। शाकंभरी माता प्रकृति की देवी मानी जाती हैं और इस दिन उनकी पूजा से घर में समृद्धि और सुख-शांति का वास होता है।
पौष पूर्णिमा के दिन लक्ष्मी जी की प्रसन्नता पाने के उपाय
पौष पूर्णिमा के दिन यदि किसी की कुंडली में चंद्रमा कमजोर हैतो सफेद वस्त्रदहीचावल और दूध का दान करें और चंद्र देव के मंत्रों का उच्चारण करें। घर के ईशान कोण में दीपक जलाने से भी लक्ष्मी जी की कृपा बनी रहती है।
पौष पूर्णिमा का महत्व
पौष पूर्णिमा का दिन विशेष रूप से दान और पुण्य के लिए उपयुक्त है। इस दिन गंगा-यमुना जैसी पवित्र नदियों में स्नान करने से न केवल शरीर बल्कि मन भी पवित्र हो जाता है। इस दिन किए गए दान का महत्व बहुत अधिक है और यह जन्मों तक शुभ फल देने वाला माना जाता है। शाकंभरी पूर्णिमा के दिन देवी शाकंभरी की पूजा से भी प्रकृति की विशेष कृपा प्राप्त होती है
