ज़रूरत की खबर सर्दियों में मुँह ढककर सोना ख़तरनाक घट सकती है 20% तक ऑक्सीजन जानें 11 गंभीर हेल्थ रिस्क


नई दिल्ली । सर्दी के मौसम में गर्माहट और सुरक्षित महसूस करने की चाहत में कई लोग सोते समय अपने चेहरे को रजाई या कंबल से पूरी तरह ढक लेते हैं। यह आदत भले ही आरामदायक महसूस हो लेकिन चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार यह आपकी नींद की गुणवत्ताऔर श्वसन स्वास्थ्य दोनों के लिए अत्यंत हानिकारक है।

बेंगलुरू के स्पर्श हॉस्पिटल में पल्मोनोलॉजी विभाग के HOD डॉ. शिवराज अज्जी करियप्पाला लक्ष्मण ने इस आदत के गंभीर वैज्ञानिक और स्वास्थ्य जोखिमों पर प्रकाश डाला है।डॉक्टर के मुताबिक मुँह ढककर सोने से कंबल के अंदर ताजी हवा का फ्लो काफी कम हो जाता है जिससे हम अपनी ही छोड़ी हुई हवा जिसमें कार्बन डाइऑक्साइड अधिक होती है को दोबारा भीतर लेते हैं। इससे शरीर में ऑक्सीजन का स्तर 15 से 20% तक घट सकता है। नतीजतन फेफड़ों को पर्याप्त ऑक्सीजन ग्रहण करने के लिए ज़्यादा मेहनत करनी पड़ती है जिससे नींद बार-बार टूटती है। लंबे समय तक ऐसा करने से सुबह उठकर भारीपन थकान लगातार सिरदर्द और सांस संबंधी गंभीर दिक्कतें हो सकती हैं।

मुँह ढककर सोना क्यों है रिस्की 11 हेल्थ रिस्क

वैज्ञानिक स्टडीज और डॉक्टर की राय के आधार पर चेहरा ढककर सोना निम्नलिखित 11 तरह की समस्याओं को जन्म दे सकता है

स्वास्थ्य पर पड़ने वाले मुख्य नकारात्मक प्रभाव

ऑक्सीजन की कमी हाइपोक्सिया कंबल के भीतर CO2 का स्तर बढ़ता है और ऑक्सीजन घटती है जिससे दम घुटने जैसा एहसास होता है।

थकान और सिरदर्द कम ऑक्सीजन के कारण सुबह उठने पर सिर भारी और शरीर थका हुआ महसूस होता है।
नींद की गुणवत्ता पर असर: बढ़ती गर्मी और कम ऑक्सीजन के कारण गहरी नींद बाधित होती है।
शरीर का तापमान बढ़ना कंबल के अंदर तापमान बढ़ने से पसीना आता है जिससे शरीर बेचैन होता है और नींद टूटती है।
पिंपल्स और एक्जिमा बंद और नमी वाले माहौल में पसीना आने से त्वचा के छिद्र बंद हो जाते हैं जिससे पिंपल्स रैशेज और एक्जिमा जैसी त्वचा संबंधी समस्याएं बढ़ सकती हैं।
ध्यान केंद्रित करने में मुश्किल: खराब नींद के कारण दिनभर चिड़चिड़ापन और एकाग्रता में कमी आती है।
सांस की दिक्कतें बढ़ना: हवा का फ्लो रुकने से सांस उथली हो जाती है जो फेफड़ों के लिए ठीक नहीं है। गला और छाती में सूखापन सांस की हवा का संचलन न होने से म्यूकस मेंब्रेन सख सकती है।
संक्रमण का खतरा साँस द्वारा छोड़ी गई नमी और गर्मी कंबल के भीतर सूक्ष्मजीवों के पनपने के लिए अनुकूल माहौल बनाती है।
स्लीप एप्निया का ख़तरा सांस लेने में रुकावट की समस्या स्लीप एप्निया को यह आदत और गंभीर बना सकती है।
गंभीर मामलों में हृदय गति पर दबाव लंबे समय तक ऑक्सीजन की कमी रहने से हृदय प्रणाली पर अनावश्यक दबाव पड़ सकता है।

किन लोगों के लिए यह आदत जानलेवा हो सकती है

डॉक्टर शिवराज अज्जी करियप्पाला लक्ष्मण स्पष्ट करते हैं कि कुछ लोगों के लिए मुँह ढककर सोना अत्यंत गंभीर और जानलेवा स्थिति उत्पन्न कर सकता हैअस्थमा और स्लीप एप्निया के मरीज़ इन स्थितियों में पहले से ही सांस लेने में दिक्कत होती है। मुँह ढकने से हवा का फ्लो और कम हो जाता है जिससे सांस रुकने जैसी गंभीर स्थिति बन सकती है। शिशु और छोटे बच्चे बच्चों खासकर शिशुओं के लिए यह आदत जानलेवा है। इसे सडेन इन्फेंट डेथ सिन्ड्रोम का एक बड़ा कारण माना जाता है। कंबल या रजाई गलती से पूरी तरह चेहरे पर आने से शिशु का दम घुट सकता है।

मुँह ढककर सोने की आदत कैसे छुड़ाएं

अगर आपको यह आदत है तो इसे धीरे-धीरे छोड़ना बेहतर है। धीरे आदत बदलें एकदम से चेहरा खुला न रखें। शुरुआत में कंबल में थोड़ा गैप या एयर-टनल बनाए रखें। कुछ दिनों में धीरे-धीरे कंबल को नीचे लाकर पहले नाक-मुँह और फिर पूरे चेहरे को एक्सपोज करने की आदत डालें। सचेत पोजिशनिंग: सोने से पहले कंबल को कंधों के नीचे सेट करें ताकि नींद में भी वह चेहरे तक न आए।तापमान नियंत्रित रखें कमरे का तापमान इतना आरामदायक रखें कि आपको अत्यधिक ठंड महसूस न हो और चेहरा ढकने की ज़रूरत ही न पड़े। वज़नदार कंबल का प्रयोग: कई लोग सुरक्षित एहसास के लिए मुँह ढकते हैं। इसकी जगह वेटेड ब्लैंकेट का इस्तेमाल कर सकते हैं। यह बिना मुँह ढके वही शांति और सुरक्षित होने का एहसास देता है।