Author: bharati

  • क्रिसमस की अनसुनी कहानी 25 दिसंबर को मसीह के जन्म का उत्सव सैंटा और क्रिसमस ट्री की परंपरा का रहस्य

    क्रिसमस की अनसुनी कहानी 25 दिसंबर को मसीह के जन्म का उत्सव सैंटा और क्रिसमस ट्री की परंपरा का रहस्य


    नई दिल्ली । क्रिसमस जो हर साल 25 दिसंबर को प्रभु यीशु मसीह के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है दुनिया भर में उत्साह और उल्लास के साथ एक धार्मिक और सांस्कृतिक पर्व के रूप में मनाया जाता है। यह त्योहार न केवल यीशु मसीह के जन्म का प्रतीक है बल्कि सैंटा क्लॉज और क्रिसमस ट्री जैसी सदियों पुरानी परंपराओं का भी संगम है। आइए जानते हैं कैसे 25 दिसंबर को यीशु के जन्म का दिन घोषित किया गया और क्रिसमस की इन परंपराओं की जड़ें कहाँ से जुड़ी हैं।

    25 दिसंबर ही क्यों इतिहास और रोमन कनेक्शन

    हालाँकि यीशु मसीह के जन्म की सटीक तारीख अज्ञात है लेकिन 25 दिसंबर को इसे मनाने की शुरुआत एक ऐतिहासिक निर्णय के तहत हुई थी। यह तारीख सबसे पहले इतिहासकार सेक्सटस जूलियस अफ्रीकानस ने 221 ईस्वी में यीशु के जन्मदिन के रूप में घोषित की थी। यह निर्णय आगे चलकर एक परंपरा बन गया जो आज तक कायम है।

    रोमन संस्कृति में 25 दिसंबर को ‘सूर्य के जन्म’ का दिन माना जाता था जब सर्दियों का मौसम समाप्त हो जाता और दिन फिर से लंबे होने लगते थे। शुरुआती ईसाईयों ने इस दिन को चुना ताकि यह मूर्तिपूजक त्योहारों से मेल खा सके और उनके धर्म का प्रचार करना आसान हो। इसके अलावा एक और मान्यता है कि माता मैरी 25 मार्च को गर्भवती हुई थीं और ठीक नौ महीने बाद 25 दिसंबर को यीशु का जन्म बैथलहम में हुआ था। इस तरह यह तारीख धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण मानी गई।

    सैंटा क्लॉज का असली रूप तुर्की के संत निकोलस

    क्रिसमस पर बच्चों को उपहार देने वाले सैंटा क्लॉज की कहानी प्रभु यीशु के जन्म के लगभग 300 साल बाद शुरू हुई। सैंटा क्लॉज का असली नाम संत निकोलस था जो तुर्की के एक दयालु संत थे। संत निकोलस गरीबों जरूरतमंदों और बीमारों की गुप्त रूप से मदद करते थे और उन्हें उपहार देते थे। उनकी दयालुता और दान का प्रभाव इतना बढ़ा कि समय के साथ उनका रूप सफेद दाढ़ी वाले लाल कपड़े पहने उत्तरी ध्रुव में रहने वाले सैंटा क्लॉज के रूप में बदल गया। उनकी परंपरा से ही बच्चों को उपहार देने की परंपरा जुड़ी हुई है।

    क्रिसमस ट्री और घंटियाँ उत्सव की रौनक

    क्रिसमस पर क्रिसमस ट्री सजाना इस पर्व की सबसे खास परंपरा है। लोग घरों को रंग-बिरंगी रोशनियों से सजाते हैं और केक काटकर खुशियाँ बांटते हैं। चर्चों में विशेष प्रार्थनाएँ होती हैं और यीशु की माता मैरी और पिता जोसेफ के प्रति सम्मान व्यक्त किया जाता है। इसके साथ ही चर्च की घंटियाँ बजाकर त्योहार का उल्लास बढ़ाया जाता है। इस दौरान बच्चों के लिए यह त्योहार किसी जादू से कम नहीं होता क्योंकि वे बेसब्री से सैंटा क्लॉज का इंतजार करते हैं।

    मिडनाइट मास आधी रात की प्रार्थना की परंपरा

    क्रिसमस के सबसे पवित्र क्षणों में से एक है मिडनाइट मास जिसे आधी रात की प्रार्थना या पूजा भी कहा जाता है। यह परंपरा प्रभु यीशु के जन्म के समय को समर्पित है। मिडनाइट मास 24 दिसंबर की रात से शुरू होती है और 25 दिसंबर की मध्यरात्रि को समाप्त होती है। माना जाता है कि यीशु मसीह का जन्म ठीक मध्यरात्रि को बैथलहम में हुआ था और यह मास उसी पवित्र क्षण का जश्न मनाने के लिए आयोजित किया जाता है।

    मिडनाइट मास के दौरान विशेष क्रिसमस कैरल भजन गाए जाते हैं जिनमें सबसे प्रसिद्ध साइलेंट नाइट और ओ होली नाइट शामिल हैं। इस समय चर्च में रंग-बिरंगी मोमबत्तियाँ जलती हैं और वातावरण श्रद्धा से भरा होता है। कैथोलिक और कुछ अन्य ईसाई संप्रदायों में इस मास के दौरान पवित्र यूखरिस्त प्रभु भोज का आयोजन भी होता है।

    क्रिसमस झाँकी संत फ्रांसिस की परंपरा

    क्रिसमस झाँकी या गोशाला का दृश्य इस त्योहार की सबसे मार्मिक परंपराओं में से एक है जो प्रभु यीशु के साधारण और विनम्र जन्म को दर्शाती है। इसकी शुरुआत संत फ्रांसिस ऑफ असिसी ने 1223 में इटली के ग्रेसियो गांव में की थी। संत फ्रांसिस ने ‘जीवित झाँकी’ बनाई जिसमें असली लोग और जानवरों को शामिल किया। इस परंपरा ने समय के साथ दुनिया भर में जगह बनाई और आज घरों और चर्चों में छोटी-छोटी झाँकियाँ सजाई जाती हैं जिसमें मुख्य पात्रों के रूप में शिशु यीशु मैरी जोसेफ चरवाहे और तीन ज्ञानी पुरुष शामिल होते हैं।

    क्रिसमस केवल प्रभु यीशु मसीह के जन्म का उत्सव नहीं है बल्कि यह दया प्रेम और समर्पण की परंपराओं का प्रतीक भी है। सैंटा क्लॉज की कहानी क्रिसमस ट्री की सजावट मिडनाइट मास और क्रिसमस झाँकी जैसी परंपराएँ इस दिन को खास बनाती हैं। यह त्योहार हमें जीवन में खुशी बांटने प्यार फैलाने और एक दूसरे के प्रति सम्मान व्यक्त करने की प्रेरणा देता है।

  • पोस्ट ऑफिस की MIS स्कीम हर महीने मिलेगा ₹5550 रुपये का फिक्स ब्याज जानें कितने रुपये का करना होगा निवेश

    पोस्ट ऑफिस की MIS स्कीम हर महीने मिलेगा ₹5550 रुपये का फिक्स ब्याज जानें कितने रुपये का करना होगा निवेश



    नई दिल्ली ।
    भारत का डाक विभाग अपनी विभिन्न बचत योजनाओं के माध्यम से नागरिकों को सुरक्षित और लाभकारी निवेश विकल्प प्रदान करता है। इनमें से एक बेहद आकर्षक योजना है पोस्ट ऑफिस की मंथली इनकम स्कीम निवेशकों को हर महीने फिक्स ब्याज के रूप में निश्चित राशि प्रदान करती है। इस योजना में एक बार निवेश करने पर आपको लगातार हर महीने ब्याज मिलेगा जो सीधे आपके बैंक खाते में ट्रांसफर होता है। आज हम आपको इसी योजना के बारे में विस्तार से बताएंगे जिसमें आप हर महीने ₹5550 का फिक्स ब्याज पा सकते हैं।

    क्या है पोस्ट ऑफिस की MIS स्कीम

    पोस्ट ऑफिस की MIS स्कीम एक प्रकार की मंथली इनकम योजना है जिसमें एक बार निवेश करने के बाद आपको निश्चित ब्याज के रूप में नियमित आय मिलती रहती है। यह स्कीम खासतौर पर उन निवेशकों के लिए फायदेमंद है जो नियमित रूप से आय चाहते हैं जैसे कि रिटायरमेंट के बाद आय या अन्य वित्तीय जरूरतों के लिए।

    इस स्कीम के तहत 7.4 प्रतिशत का सालाना ब्याज दर दिया जाता है जो मासिक आधार पर भुगतान किया जाता है। यह योजना 5 साल की अवधि के लिए होती है और मैच्योरिटी पर आपके द्वारा किए गए निवेश का पूरा पैसा आपके बैंक खाते में वापस ट्रांसफर कर दिया जाता है।

    MIS स्कीम में कितना निवेश करें

    पोस्ट ऑफिस की MIS स्कीम में निवेश की शुरूआत केवल ₹1000 से होती है। आप इस स्कीम में एकमुश्त निवेश करके हर महीने ब्याज प्राप्त कर सकते हैं। हालांकि इस स्कीम में निवेश की एक अधिकतम सीमा भी है।सिंगल अकाउंट में आप 9 लाख रुपये तक का निवेश कर सकते हैं।
    जॉइंट अकाउंट में आप अधिकतम 15 लाख रुपये तक का निवेश कर सकते हैं। इस खाते में आप अधिकतम 3 व्यक्तियों को जोड़ सकते हैं।

    9 लाख रुपये के निवेश पर हर महीने मिलेगा ₹5550 ब्याज
    अगर आप पोस्ट ऑफिस की MIS स्कीम में ₹9 लाख का एकमुश्त निवेश करते हैं तो आपको हर महीने ₹5550 का फिक्स ब्याज मिलेगा। यह ब्याज राशि सीधे आपके बैंक खाते में ट्रांसफर होगी और आप इसे अपनी आवश्यकता अनुसार उपयोग कर सकते हैं। यह स्कीम खासतौर पर उन निवेशकों के लिए उपयुक्त है जिन्हें नियमित आय की जरूरत होती है।

    स्कीम की विशेषताएं

    सिर्फ एक बार निवेश MIS स्कीम में आपको केवल एक बार निवेश करना होता है जिसके बाद आपको हर महीने ब्याज मिलता रहता है।सुरक्षित निवेश यह सरकारी स्कीम है इसलिए इसमें आपका पैसा पूरी तरह से सुरक्षित होता है।7.4% का ब्याज दर पोस्ट ऑफिस इस स्कीम पर 7.4 प्रतिशत सालाना ब्याज दे रहा है जो अन्य निवेश विकल्पों की तुलना में बेहतर है।आसान निवेश प्रक्रिया इस स्कीम में खाता खोलने के लिए आपको केवल पोस्ट ऑफिस का बचत खाता खोलना होता है।मंथली ब्याज ब्याज की राशि हर महीने आपके बैंक खाते में ट्रांसफर होती है जिसे आप किसी भी उद्देश्य के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं।

    पोस्ट ऑफिस के अन्य विकल्प

    पोस्ट ऑफिस की MIS स्कीम के अलावा डाक विभाग अन्य कई प्रकार की बचत योजनाएं भी चलाता है जैसे टर्म डिपॉजिट रिकरिंग डिपॉजिट पब्लिक प्रोविडेंट फंड  सुकन्या समृद्धि योजना और स्कीम्ड सेविंग्स अकाउंट। इन योजनाओं के तहत भी अच्छा ब्याज मिलता है और यह पूरी तरह से सरकारी सुरक्षा के तहत होते हैं।

    पोस्ट ऑफिस की मंथली इनकम स्कीम एक बेहतरीन निवेश विकल्प है जो उन लोगों के लिए है जो नियमित आय प्राप्त करना चाहते हैं। इस स्कीम में निवेश करने पर आपको हर महीने ₹5550 का फिक्स ब्याज मिलेगा यदि आप ₹9 लाख का एकमुश्त निवेश करते हैं। यह स्कीम सुरक्षित लाभकारी और सरल है और इसके जरिए आप अपनी वित्तीय स्थिति को बेहतर बना सकते हैं। यदि आप सुरक्षित और लंबी अवधि के निवेश की तलाश में हैं तो पोस्ट ऑफिस की MIS स्कीम एक आदर्श विकल्प हो सकती है।

  • दिल्ली के प्रदूषण से त्रस्त BJD सांसद का बड़ा बयान संसद सत्र को अन्य शहरों में शिफ्ट करने की अपील

    दिल्ली के प्रदूषण से त्रस्त BJD सांसद का बड़ा बयान संसद सत्र को अन्य शहरों में शिफ्ट करने की अपील


    नई दिल्ली । दिल्ली में प्रदूषण की समस्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है जिससे न केवल आम लोग बल्कि संसद के सदस्य भी प्रभावित हो रहे हैं। इस मुद्दे पर बीजू जनता दल राज्यसभा सदस्य मानस रंजन मंगराज ने सरकार से संसद के शीतकालीन और बजट सत्र को दिल्ली से बाहर अन्य शहरों में शिफ्ट करने की अपील की है। उनका कहना है कि प्रदूषण के स्तर के कारण संसद के सत्रों को दिल्ली से बाहर शिफ्ट करना आवश्यक है ताकि संसद के सदस्य और कर्मचारी स्वच्छ वायु में काम कर सकें और उनकी सेहत पर कोई प्रतिकूल प्रभाव न पड़े।

    प्रदूषण को मानव निर्मित आपदा करार

    सांसद मंगराज ने दिल्ली में प्रदूषण को “मानव निर्मित आपदा” बताया और इस पर गंभीर चिंता व्यक्त की। उन्होंने शून्यकाल के दौरान इस मुद्दे को उठाते हुए कहा कि दिल्ली के प्रदूषण को नियंत्रित करना अब एक बड़े संकट का रूप ले चुका है और इसके प्रभाव से न सिर्फ आम जनता बल्कि संसद के कार्य में लगे कर्मचारी भी प्रभावित हो रहे हैं। उन्होंने दिल्ली में वायु गुणवत्ता में सुधार होने तक संसद के सत्रों को अन्य शहरों में स्थानांतरित करने की मांग की।

    ओडिशा से तुलना संकटों से निपटने की क्षमता

    मानस रंजन मंगराज ने ओडिशा राज्य का उदाहरण देते हुए कहा कि उनका राज्य चक्रवात बाढ़ और अन्य प्राकृतिक आपदाओं से लड़ने में हमेशा तत्पर रहता है। उन्होंने बताया कि ओडिशा सरकार ने कितनी प्रभावी ढंग से इन संकटों से निपटने के लिए लोगों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया और हजारों लोगों की जान बचाई। मंगराज का कहना था कि जब ओडिशा जैसी जगह अपने नागरिकों को संकट से बाहर निकालने में सक्षम है तो दिल्ली में प्रदूषण के संकट को देखते हुए संसद के सत्र को कहीं और स्थानांतरित करने के लिए भारत सरकार को भी तत्पर होना चाहिए।

    सांसदों और कर्मचारियों की सुरक्षा की चिंता

    सांसद ने संसद के सदस्यों कर्मचारियों ड्राइवरों सफाई कर्मचारियों और सुरक्षा कर्मियों की सेहत को लेकर चिंता जताई। उनका कहना था कि प्रदूषण के बढ़ते स्तर के कारण ये सभी लोग रोजाना जहरीली हवा के संपर्क में आ रहे हैं और यह उनकी सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है। मंगराज ने कहा “हम इन कर्मचारियों की तकलीफ को नजरअंदाज नहीं कर सकते। प्रदूषण के चरम स्तर पर संसद सत्र आयोजित करना अनावश्यक रूप से लोगों की जान को खतरे में डालता है।”

    वैकल्पिक शहरों का सुझाव

    बीजेडी सांसद ने दिल्ली की जगह कुछ अन्य शहरों का सुझाव भी दिया जहां प्रदूषण कम है और जो बेहतर वायु गुणवत्ता और बुनियादी ढांचे के साथ सत्र आयोजित करने के लिए उपयुक्त हो सकते हैं। इनमें ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर हैदराबाद बेंगलुरु गांधीनगर गोवा और देहरादून शामिल हैं। मंगराज ने इन शहरों को संसद सत्र के लिए आदर्श स्थान बताया और सरकार से अनुरोध किया कि बिना देरी किए इन शहरों में सत्र आयोजित करने की संभावना पर विचार करें।

    राजनीति से प्रेरित नहीं जीवन और सेहत की सुरक्षा

    सांसद ने यह भी स्पष्ट किया कि उनकी इस मांग का उद्देश्य राजनीति नहीं है बल्कि यह लोगों की जिंदगी और सम्मान से जुड़ा हुआ मुद्दा है। उन्होंने कहा “यह राजनीति की चीज नहीं है। यह जीवन और सम्मान की बात है। संसद को नेतृत्व दिखाना होगा और यह दिखाना होगा कि जीवन का अधिकार किसी भी राजनीतिक विवाद से पहले आता है।”

    प्रदूषण का असर

    दिल्ली में प्रदूषण की समस्या मुख्य रूप से अक्टूबर से जनवरी तक ज्यादा गंभीर हो जाती है। इस दौरान पराली जलाने वाहनों के उत्सर्जन और निर्माण कार्य से धूल के कारण वायु गुणवत्ता बहुत खराब हो जाती है। यही समय होता है जब संसद का शीतकालीन और बजट सत्र आयोजित किया जाता है। ऐसे में प्रदूषण के कारण सांस की बीमारी आंखों में जलन और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है।

    दिल्ली में प्रदूषण के बढ़ते संकट ने अब संसद के सत्रों को भी प्रभावित करना शुरू कर दिया है। बीजेडी सांसद मानस रंजन मंगराज का यह बयान संसद के सत्रों को सुरक्षित और स्वस्थ वातावरण में आयोजित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हो सकता है। उनकी मांग से यह स्पष्ट है कि जब तक दिल्ली में वायु गुणवत्ता में सुधार नहीं होता तब तक सत्र को अन्य शहरों में स्थानांतरित करने का विचार किया जाना चाहिए। यह केवल संसद के सदस्यों की सेहत के लिए जरूरी नहीं बल्कि पूरे देश के नागरिकों के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत करने का समय है।

  • SIR विवाद के बीच ममता बनर्जी का भड़काऊ बयान विपक्ष ने साधा निशाना

    SIR विवाद के बीच ममता बनर्जी का भड़काऊ बयान विपक्ष ने साधा निशाना


    नई दिल्ली । पश्चिम बंगाल में SIR प्रक्रिया को लेकर सियासी घमासान बढ़ता ही जा रहा है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का हालिया बयान इस विवाद में नया मोड़ लेकर आया है। ममता ने महिलाओं से अपील की कि वे वोटर लिस्ट की समीक्षा के दौरान यदि किसी का नाम हटाने की कोशिश की जाए तो रसोई के सामान के साथ तैयार रहें। उनका कहना था कि यदि दिल्ली से पुलिस भेजकर महिलाओं को डराने की कोशिश की गई तो वे किचन को हथियार बना सकती हैं। इस बयान ने सियासी हलकों में हलचल पैदा कर दी है और SIR विवाद को और हवा दी है।

    ममता का बयान: महिलाओं को रसोई से चेतावनी

    कृष्णानगर में आयोजित एक जनसभा में ममता बनर्जी ने वोटर लिस्ट की समीक्षा के मुद्दे पर कड़ा रुख अपनाया। उन्होंने महिलाओं से कहा कि अगर चुनाव के दौरान दिल्ली से पुलिस भेजकर उन्हें डराने की कोशिश की गई तो महिलाएं रसोई के सामानों के साथ तैयार रहें क्योंकि आवश्यकता पड़ने पर किचन भी हथियार बन सकता है। ममता का यह बयान सीधे तौर पर बीजेपी की कथित दबावकारी राजनीति पर हमला माना जा रहा है।

    उनका कहना था कि महिलाएं इस लड़ाई में नेतृत्व करेंगी और पुरुष उनका समर्थन करेंगे। यह बयान उन आरोपों के संदर्भ में आया है जिसमें बीजेपी पर वोटर लिस्ट में गड़बड़ी और असहमति रखने वाले लोगों को डराने-धमकाने का आरोप लगाया जा रहा है। ममता बनर्जी का यह बयान बंगाल की राजनीतिक परिस्थितियों को और गर्म कर गया है जिससे राज्य में सियासी हलचल तेज हो गई है।

    बीजेपी और ममता के बीच तकरार

    ममता ने बीजेपी पर आरोप लगाया कि वह चुनावों में पैसे और बाहरी लोगों के सहारे समाज को बांटने की कोशिश करती है जो बंगाल की संस्कृति के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि बंगाल सदियों से सौहार्द और भाईचारे का प्रतीक रहा है और यहां दुर्गा पूजा से लेकर रमजान तक दोनों त्योहार मिल-जुलकर मनाए जाते हैं। ममता ने बीजेपी पर सांप्रदायिक राजनीति फैलाने का आरोप भी लगाया और सवाल किया कि क्या वे सच में भगवान कृष्ण की शिक्षाओं का पालन करते हैं जो शांति और मानवता की बात करते हैं न कि हिंसा और भेदभाव की।

    केंद्र पर बड़ा आरोप: बंगालियों को बांग्लादेशी बताने की साजिश

    ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार और केंद्रीय गृह मंत्री पर भी तीखे आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि SIR प्रक्रिया के तहत बंगालियों को बांग्लादेशी घोषित किया जा रहा है और उन्हें डिटेंशन सेंटर भेजने की साजिश की जा रही है। ममता ने चेतावनी दी कि अगर किसी बंगाली को जबरन राज्य से बाहर किया गया तो उनकी सरकार उसे वापस लाने का तरीका जानती है।

    इस बयान ने राजनीतिक माहौल को और गर्म कर दिया है और ममता के आरोपों ने केंद्र सरकार को बैकफुट पर ला दिया है।ममता ने यह भी सवाल उठाया कि क्या अब उन्हें भी अपनी नागरिकता साबित करनी पड़ेगी जो राज्य में राजनीतिक तनाव को और गहरा करता है। उनके इस बयान ने SIR प्रक्रिया पर चल रही बहस को और तीव्र कर दिया है।

    SIR विवाद पर सियासी घमासान

    पश्चिम बंगाल में SIR प्रक्रिया को लेकर सियासी बयानबाजी तेज होती जा रही है। ममता बनर्जी इसे बंगालियों की पहचान और नागरिकता पर हमला मान रही हैं जबकि बीजेपी का कहना है कि यह केवल चुनावी पारदर्शिता और मतदाता सूची की शुद्धता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है। ममता बनर्जी का यह बयान केंद्र सरकार और बीजेपी के खिलाफ तीखा पलटवार है जो इसे चुनावी प्रक्रिया में सुधार मानते हैं।

    सियासी विश्लेषकों का मानना है कि ममता के बयान ने SIR विवाद को और गहरा कर दिया है और अब यह मुद्दा केवल चुनावी पारदर्शिता तक सीमित नहीं रहेगा बल्कि राज्य में सांस्कृतिक और नागरिकता के सवालों से भी जुड़ जाएगा। ममता बनर्जी का यह बयान राजनीति में नई खींचतान का कारण बन सकता है और आने वाले दिनों में इस विवाद के और बढ़ने की संभावना है।

    SIR विवाद ने पश्चिम बंगाल की राजनीति को और उबाल दिया है और ममता बनर्जी के हालिया भड़काऊ बयान ने राजनीतिक तनाव को और बढ़ा दिया है। बीजेपी और ममता के बीच का यह टकराव अब एक नई दिशा की ओर बढ़ रहा है जिससे राज्य की राजनीति में और भी उतार चढ़ाव आ सकते हैं। ममता का बयान न केवल SIR प्रक्रिया के संदर्भ में है बल्कि यह बंगाल की सांस्कृतिक पहचान और नागरिकता से जुड़े बड़े मुद्दों को भी छेड़ता है। अब देखना यह होगा कि यह विवाद किस दिशा में जाता है और राज्य की राजनीति में क्या नया मोड़ आता है।

  • आईएएस संतोष वर्मा के बयान पर बवाल तेज 65 ब्राह्मण संगठन 14 दिसंबर को मुख्यमंत्री आवास घेराव करेंगे

    आईएएस संतोष वर्मा के बयान पर बवाल तेज 65 ब्राह्मण संगठन 14 दिसंबर को मुख्यमंत्री आवास घेराव करेंगे


    नई दिल्ली ।मध्यप्रदेश में आईएएस संतोष वर्मा द्वारा आरक्षण और ब्राह्मण समाज को लेकर की गई विवादास्पद टिप्पणी के बाद प्रदेशभर में बवाल मच गया है। 23 नवंबर को भोपाल के अंबेडकर मैदान में अजाक्स के प्रांतीय अधिवेशन के दौरान संतोष वर्मा ने कहा था कि एक परिवार में एक व्यक्ति को आरक्षण तब तक देना चाहिए जब तक मेरे बेटे को कोई ब्राह्मण अपनी बेटी दान नहीं देता या उससे संबंध नहीं बनता।
    यह बयान फैलते ही प्रदेश में राजनीतिक और सामाजिक हलकों में तीखी प्रतिक्रियाएं शुरू हो गईं। अब यह विवाद इतना बढ़ चुका है कि राज्य के 65 से अधिक ब्राह्मण संगठन एकजुट हो गए हैं और उन्होंने संतोष वर्मा के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग करते हुए 14 दिसंबर को मुख्यमंत्री आवास का घेराव करने का ऐलान किया है।

    क्या था संतोष वर्मा का विवादास्पद बयान

    संतोष वर्मा ने अपने बयान में यह दावा किया था कि एक परिवार के एक सदस्य को आरक्षण तब तक मिलना चाहिए जब तक किसी ब्राह्मण परिवार का बेटा किसी ब्राह्मण परिवार की बेटी से शादी नहीं करता। यह बयान तुरंत ही विवाद का कारण बन गया और प्रदेश भर में विरोध की लहर उठने लगी। सोशल मीडिया पर उनके इस बयान को लेकर जमकर आलोचना की गई और कई राजनीतिक नेताओं और सामाजिक संगठनों ने इस पर नाराजगी जताई।

    ब्राह्मण समाज का आक्रोश

    संतोष वर्मा के बयान ने मध्यप्रदेश के ब्राह्मण समाज में गहरा आक्रोश पैदा कर दिया है। प्रदेशभर के 65 से अधिक ब्राह्मण संगठनों ने उनका विरोध करना शुरू कर दिया है। इन संगठनों का कहना है कि संतोष वर्मा का बयान सामाजिक समरसता को नुकसान पहुँचाने वाला है और इससे ब्राह्मण समाज की प्रतिष्ठा पर बुरा असर पड़ा है। संगठनों ने इस बयान को जातिवाद और समाज में विभाजन की भावना को बढ़ावा देने वाला करार दिया है।

    ब्राह्मण संगठनों का कहना है कि जब तक संतोष वर्मा के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं होती तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा। सोमवार के बाद इन संगठनों ने आंदोलन की नई रणनीति तय करने की बात कही है। वहीं संतोष वर्मा का एक और बयान सामने आया है जिसमें उन्होंने कहा कितने संतोष वर्मा को मारोगे कितने को जलाओगे अब हर घर से एक संतोष वर्मा निकलेगा। इस बयान ने और भी आग में घी डालने का काम किया और ब्राह्मण संगठनों के विरोध को और तेज कर दिया।

    सरकार का रुख

    संतोष वर्मा के बयान को लेकर सरकार भी हरकत में आ गई है। 26 नवंबर को उन्हें नोटिस जारी किया गया जिसमें कहा गया कि उनका बयान सामाजिक समरसता को ठेस पहुँचाने वाला है और यह अखिल भारतीय सेवा नियम 1969 के तहत अनुशासनात्मक कार्रवाई के दायरे में आता है। नोटिस में वर्मा से 7 दिनों के भीतर जवाब माँगा गया था। हालांकि इसके बावजूद संतोष वर्मा के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है जिससे आंदोलन और बढ़ गया है।

    14 दिसंबर को मुख्यमंत्री आवास घेराव

    अब तक के घटनाक्रम को देखते हुए प्रदेश के 65 ब्राह्मण संगठनों ने संयुक्त रूप से 14 दिसंबर को मुख्यमंत्री आवास घेराव करने का ऐलान किया है। इन संगठनों का कहना है कि इस घेराव के जरिए वे संतोष वर्मा के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग करेंगे और प्रदेश सरकार को यह संदेश देंगे कि ब्राह्मण समाज को अपमानित करने की कोशिश बर्दाश्त नहीं की जाएगी। राजधानी भोपाल में होने वाला यह प्रदर्शन बड़े पैमाने पर होने की संभावना है और प्रशासन ने इस पर नजर रखना शुरू कर दिया है। पुलिस और प्रशासन सुरक्षा के मद्देनज़र अलर्ट मोड पर हैं।

    आईएएस संतोष वर्मा के बयान ने मध्यप्रदेश में विवाद को जन्म दिया है और अब यह केवल एक बयान का मुद्दा नहीं बल्कि समाज में जातिवाद और सामाजिक समरसता पर गहरा सवाल उठाने वाला बन चुका है। ब्राह्मण संगठनों का आक्रोश और मुख्यमंत्री आवास के घेराव की योजना से यह साफ है कि इस मुद्दे पर प्रदेश में राजनीतिक और सामाजिक हलकों में एक बड़ा संघर्ष खड़ा हो सकता है। सरकार के लिए यह एक बड़ी चुनौती बन गई है क्योंकि उन्हें इस विवाद को शांत करने के लिए संतोष वर्मा पर सख्त कार्रवाई करनी होगी।

  • जेन-जी का नया स्किन केयर ड्रिंक ट्रेंड क्या वाकई असरदार हैं ये जूस

    जेन-जी का नया स्किन केयर ड्रिंक ट्रेंड क्या वाकई असरदार हैं ये जूस


    नई दिल्ली । आजकल सोशल मीडिया पर स्किन केयर ड्रिंक्स का एक नया ट्रेंड देखने को मिल रहा है जिसमें ग्लोइंग स्किन पिंपल-फ्री चेहरे और ग्लास स्किन पाने के लिए विभिन्न प्रकार के जूस और शॉट्स का सेवन किया जा रहा है। इन ड्रिंक्स में गाजर नींबू ऑलिव ऑयल जैसे इंग्रीडिएंट्स का इस्तेमाल हो रहा है।
    यह ट्रेंड इतनी तेजी से बढ़ा है कि Pinterest की रिपोर्ट के अनुसार स्किन-केयर ड्रिंक से जुड़े सर्च में 176 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई है। लोग अब सीरम और क्रीम की बजाय सीधे इन ड्रिंक्स के जरिए अपनी त्वचा को स्वस्थ और चमकदार बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
    वायरल स्किन केयर ड्रिंक
    सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर इन दिनों कई तरह के स्किन केयर ड्रिंक्स के रेसिपी ट्रेंड कर रहे हैं। इन ड्रिंक्स में रेटिनॉल शॉट्स ग्रीन जूस और नींबू-ऑलिव ऑयल वाले जूस सबसे ज्यादा पॉपुलर हैं। इन ड्रिंक्स का दावा किया जा रहा है कि इन्हें पीने से त्वचा में निखार आ जाएगा चेहरे की चमक बढ़ेगी और पिंपल्स से छुटकारा मिलेगा। कई लोग इन ट्रेंड्स को फॉलो कर रहे हैं और इन्हें अपनी स्किन केयर रूटीन का हिस्सा बना रहे हैं।
    गाजर और रेटिनॉल: एक मिथक
    अमेरिकी न्यूट्रिशनिस्ट लूसिया स्टान्सबी ने इस ट्रेंड पर अपनी राय दी है। वह कहती हैं कि इन वायरल स्किन-केयर ड्रिंक्स में गाजर का इस्तेमाल इस धारणा के आधार पर किया जाता है कि गाजर रेटिनॉल का अच्छा सोर्स है। हालांकि यह पूरी तरह से सही नहीं है। गाजर में बीटा-कैरोटीन होता है जो शरीर में विटामिन A में बदलता है लेकिन यह प्रक्रिया बहुत धीमी होती है और बहुत कम मात्रा में होती है।
    इसलिए गाजर के जूस से रेटिनॉल मिलने का दावा सही नहीं है। इसके अलावा जब गाजर का जूस तैयार किया जाता है तो उसमें मौजूद फाइबर और कई अन्य महत्वपूर्ण पोषक तत्व कम हो जाते हैं। ऐसे में गाजर को जूस के रूप में पीने की बजाय उसे सीधे खा लेना ज्यादा फायदेमंद हो सकता है।
    जूस अकेला स्किन को ठीक नहीं कर सकता
    स्किन केयर के लिए सिर्फ जूस पीने से चमत्कारी सुधार की उम्मीद करना गलत है। न्यूट्रिशनिस्ट लूसिया का कहना है कि हमारी त्वचा को स्वस्थ रखने के लिए केवल ड्रिंक पर निर्भर रहना पर्याप्त नहीं है। एक अच्छी डाइट पर्याप्त नींद सही मात्रा में पानी और नियमित एक्सरसाइज से स्किन की सेहत पर असल प्रभाव पड़ता है। जूस और ड्रिंक स्किन केयर का एक हिस्सा हो सकते हैं लेकिन यह अकेले आपकी त्वचा को स्वस्थ नहीं बना सकते।
    सही जानकारी और सोच जरूरी
    लूसिया स्टान्सबी की सलाह है कि किसी भी वायरल स्किन-केयर ट्रेंड को अपनाने से पहले हमें सही जानकारी हासिल करनी चाहिए। सोशल मीडिया पर वायरल होने वाली रेसिपीज को blindly फॉलो करना कभी भी सही नहीं होता। हमें यह समझना चाहिए कि भोजन और ड्रिंक केवल शरीर को पोषण देते हैं जबकि त्वचा की समस्याओं को हल करने के लिए कई अन्य पहलुओं का ध्यान रखना जरूरी है।
    इसलिए यदि आप स्किन केयर ड्रिंक्स का सेवन करना चाहते हैं तो यह सुनिश्चित करें कि वे आपकी समग्र सेहत और त्वचा के लिए लाभकारी हों और साथ ही साथ अपनी जीवनशैली में अन्य हेल्दी आदतें भी शामिल करें।स्किन केयर ड्रिंक्स का ट्रेंड बढ़ रहा है और लोग इसके जरिए अपनी त्वचा को निखारने की कोशिश कर रहे हैं।
    लेकिन यह याद रखना जरूरी है कि सिर्फ ड्रिंक से आपकी स्किन की समस्या हल नहीं होगी। सही जानकारी अच्छे खानपान पर्याप्त नींद और व्यायाम से ही स्वस्थ और ग्लोइंग त्वचा प्राप्त की जा सकती है। इसलिए किसी भी वायरल स्किन-केयर ट्रेंड को अपनाने से पहले उसकी सटीकता और प्रभावकारिता पर विचार करें।

  • SIR पर ममता बनर्जी का तीखा हमला: अगर नाम हटाएँ, तो किचन में रखे सामानों के साथ तैयार रहें

    SIR पर ममता बनर्जी का तीखा हमला: अगर नाम हटाएँ, तो किचन में रखे सामानों के साथ तैयार रहें


    नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल में स्टैंडर्डाइज्ड इलेक्टोरल रजिस्टर (SIR) को लेकर राजनीतिक तापमान लगातार बढ़ रहा है। इसी बीच मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कृष्णानगर में एक रैली के दौरान बेहद तीखा और विवादित बयान देते हुए महिलाओं से आह्वान किया कि यदि वोटर लिस्ट की समीक्षा में उनके नाम हटाए जाएँ, तो वे किचन में मौजूद सामानों के साथ तैयार रहें।

    अगर नाम काटे जाएँ… महिलाएँ आगे बढ़ें, पुरुष पीछे खड़े रहें

    कृष्णानगर की सभा में ममता बनर्जी ने कहा,
    अगर चुनाव के दौरान दिल्ली से पुलिस बुलाकर माताओं-बहनों को डराया जाएगा और आपके नाम वोटर लिस्ट से हटाए जाएँगे, तो इसे सहन मत करो। आपके किचन में हथियार हैं… महिलाएँ आगे बढ़ेंगी और पुरुष उनके पीछे खड़े होंगे।

    उनके इस बयान को भाजपा ने भड़काऊ करार दिया है, जबकि तृणमूल समर्थक इसे जन अधिकार की लड़ाई बता रहे हैं।

    बीजेपी पर सांप्रदायिक राजनीति का आरोप

    सभा में ममता ने भाजपा पर तीखे शब्दों में हमला बोला। उन्होंने कहा,
    बीजेपी हर चुनाव में पैसे और बाहरी लोगों का इस्तेमाल कर जनता को बांटती है। मैं धर्मनिरपेक्षता में विश्वास करती हूं। धर्म का मतलब पवित्रता, मानवता और शांति है-हिंसा या भेदभाव नहीं।

    उन्होंने धार्मिक आयोजनों पर भी टिप्पणी की और कहा कि लोग जब घर में गीता का पाठ करते हैं या दिल में अल्लाह से दुआ करते हैं, तब इसका दिखावा करने की जरूरत नहीं होती।

    क्या मुझे दंगाइयों की पार्टी को अपनी नागरिकता साबित करनी होगी?

    NRC और SIR को लेकर केंद्र पर हमला बोलते हुए ममता बोलीं,
    क्या अब मुझे दंगाइयों की पार्टी (बीजेपी) को अपनी नागरिकता साबित करनी पड़ेगी?

    उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्रीय गृह मंत्री बंगालियों को बांग्लादेशी बताकर डिटेंशन सेंटर भेजने की कोशिश कर सकते हैं।

    किसी को बंगाल से बाहर नहीं जाने देंगे

    उन्होंने जोर देकर कहा,
    हम किसी को पश्चिम बंगाल से बाहर नहीं निकालने देंगे। अगर किसी को जबरन निकाला गया, तो उसे वापस लाने का तरीका हम जानते हैं।

    राजनीतिक माहौल गरम, SIR पर टकराव बढ़ा

    SIR को लेकर पहले से ही विवाद चल रहा है। तृणमूल कांग्रेस कहती है कि यह बंगालियों को वोटर लिस्ट से हटाने की साजिश है, जबकि बीजेपी इसे पारदर्शिता और फर्जी वोटिंग खत्म करने की प्रक्रिया बताती है।
    ममता का यह बयान आग में घी डालने जैसा माना जा रहा है।

  • बिग बॉस फाइनलिस्ट तान्या मित्तल विवादों में! स्टाइलिस्ट ने बकाया पेमेंट और आउटफिट पर साधा निशाना

    बिग बॉस फाइनलिस्ट तान्या मित्तल विवादों में! स्टाइलिस्ट ने बकाया पेमेंट और आउटफिट पर साधा निशाना


    नई दिल्ली। बिग बॉस 19′ की तीसरी रनर-अप और स्पिरिचुअल इन्फ्लुएंसर तान्या मित्तल अब फिनाले के बाद विवादों में घिर गई हैं। उनके खिलाफ उनकी स्टाइलिस्ट रिद्धिमा शर्मा ने सोशल मीडिया पर गंभीर आरोप लगाए हैं। रिद्धिमा ने दावा किया कि तान्या और उनकी टीम ने महंगे आउटफिट वापस नहीं किए, बकाया भुगतान नहीं किया और इंडस्ट्री के पेशेवरों के साथ दुर्व्यवहार किया।

    स्टाइलिस्ट ने खोला राज़:
    रिद्धिमा शर्मा ने इंस्टाग्राम पर पोस्ट शेयर कर तान्या के टीम के व्यवहार पर गुस्सा जाहिर किया। उन्होंने कहा कि एक तरफ वे लगातार तान्या का समर्थन करती रहीं, लेकिन दूसरी तरफ उनके साथ बुरा बर्ताव किया गया। रिद्धिमा ने बताया कि उन्होंने बिग बॉस के दौरान एक पूरे सप्ताह के लिए महंगे साड़ी और लहंगे भेजे थे, जिनमें से अभी तक कई आउटफिट्स वापस नहीं लौटाए गए हैं। उन्होंने कहा, “सिर्फ कल का लहंगा ही ₹58,000 का था।”

    पेमेंट और धमकी का मामला:
    स्टाइलिस्ट ने आरोप लगाया कि एक बार जब वह किसी अन्य शहर में होने के कारण तुरंत आउटफिट नहीं भेज पाईं, तो तान्या की टीम ने धमकी दी कि अगर आउटफिट समय पर नहीं आया तो पेमेंट नहीं होगा। हालांकि, इसके 10 मिनट के भीतर एक सप्ताह का भुगतान ₹50,000 कर दिया गया। लेकिन रिद्धिमा ने सवाल उठाया कि पिछले दो ‘वीकेंड वॉर’ के आउटफिट और ग्रैंड फिनाले में तान्या के भाई के आउटफिट का भुगतान अभी भी लंबित है।

    स्टाइलिस्ट का गुस्सा और संदेश:
    रिद्धिमा ने तान्या और उनकी टीम पर निशाना साधते हुए कहा, “यह एटीट्यूड साफ दिखाता है कि वह कैसी हैं। कम से कम स्टाइलिस्ट, दर्जी और डिजाइनरों के लिए सम्मान रखें।”

    बिग बॉस में चर्चा का विषय:
    तान्या मित्तल बिग बॉस हाउस में अपनी 800 साड़ियों के दावे और स्टाइल को लेकर पहले ही सुर्खियों में थीं। अब फिनाले के बाद यह विवाद उनकी छवि और इंडस्ट्री में भुगतान और व्यवहार के मुद्दों को लेकर नई बहस खड़ा कर रहा है।

  • सलमान खान रेड सी फिल्म फेस्टिवल में चमके, हॉलीवुड स्टार्स के साथ शेयर किया फ्रेम; फैंस बोले -‘भाई फिर से जवान हो गए’

    सलमान खान रेड सी फिल्म फेस्टिवल में चमके, हॉलीवुड स्टार्स के साथ शेयर किया फ्रेम; फैंस बोले -‘भाई फिर से जवान हो गए’


    नई दिल्ली/:सलमान खान ने बुधवार को रेड सी फिल्म फेस्टिवल के गोल्डन ग्लोब्स गाला डिनर में अपने स्टाइलिश लुक से सभी को प्रभावित किया। काले रंग के शार्प सूट में पहुंचे सलमान ने हॉलीवुड स्टार्स इड्रिस एल्बा और एडगर रामिरेज़ के साथ पोज़ दिया। इस दौरान की तस्वीरें सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गईं।

    ग्लोबल आइकॉन्स के साथ पावरहाउस फ्रेम:
    फेस्टिवल के आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल पर तस्वीरें साझा की गईं। एक तस्वीर में सलमान बीच में खड़े हैं, जिन्होंने मैचिंग शर्ट और टाई के साथ ऑल-ब्लैक सूट पहना था। उनके बाईं ओर एडगर रामिरेज़ काले वेलवेट जैकेट और डार्क शर्ट में दिखे, जबकि दाईं ओर इड्रिस एल्बा ने व्हाइट टी-शर्ट के साथ ब्लैक डबल-ब्रेस्टेड जैकेट पहना था।

    फैंस अपनी खुशी रोक नहीं पाए और सलमान की उम्र से परे दिखती ऊर्जा की तारीफ की। एक फैन ने लिखा, “भाई, समय के साथ पीछे जा रहे हैं-बिल्कुल 2000 के दशक जैसे दिख रहे हैं!” जबकि दूसरे ने मजाकिया अंदाज में कहा, “सलमान खान और इड्रिस एल्बा-मेरे 2025 के बिंगो कार्ड पर कभी नहीं सोचा था।”

    सलमान ने की सऊदी अरब की तारीफ, आलिया भट्ट को दी बधाई:
    रेड कार्पेट पर बातचीत के दौरान सलमान ने सऊदी अरब और वहां की संस्कृति की सराहना की। उन्होंने कहा कि उन्हें यह जगह बहुत पसंद है और वह अक्सर यहां आते रहते हैं। इसके साथ ही, उन्होंने अभिनेत्री आलिया भट्ट को सम्मानित किए जाने पर बधाई दी और इसे अद्भुत उपलब्धि बताया। सलमान ने कहा, “हां, आलिया भट्ट, यह अद्भुत है! केवल सऊदी ही इसे संभव कर सकता है। वे बहुत तेजी से आगे बढ़ रहे हैं और मुझे यह पसंद है कि वे अपनी सर्वश्रेष्ठ चीज़ों को हमारी संस्कृति के साथ जोड़ रहे हैं।”

    अगली फिल्म -‘बैटल ऑफ गलवान’:
    सलमान खान की 2025 की फिल्म ‘सिकंदर’ को उम्मीद के मुताबिक सफलता नहीं मिली थी। अब वह निर्देशक अपूर्व लाखिया की एक्शन-ड्रामा फिल्म ‘बैटल ऑफ गलवान’ में नजर आएंगे। यह फिल्म 2020 की गलवान घाटी झड़प पर आधारित है, जिसमें भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हाथ से हाथ लड़ाई दिखाई जाएगी, जिसमें हथियारों का इस्तेमाल नहीं हुआ था। फिल्म में चित्रांगदा सिंह भी मुख्य भूमिका में हैं।

    सलमान ने हाल ही में आर्यन खान द्वारा निर्देशित वेब शो ‘द बार्ड्स ऑफ बॉलीवुड’ में कैमियो किया है और बिग बॉस 19 होस्ट करते भी दिख रहे हैं।

    ‘बैटल ऑफ गलवान’ – बहादुरी की कहानी:
    ‘बैटल ऑफ गलवान’ सलमान खान की एक बड़ी परियोजना है, जो स्वतंत्रता के बाद भारतीय सेना के लिए सबसे खतरनाक संघर्षों में से एक को दर्शाती है। फिल्म में दिखाया जाएगा कि सैनिक अंतरराष्ट्रीय नियमों का पालन करते हुए सिर्फ लाठी, पत्थर और हाथों का इस्तेमाल करके लड़ते हैं। सलमान इस झड़प में शहीद हुए 16 बिहार रेजिमेंट के कर्नल बी. संतोष बाबू की भूमिका निभा सकते हैं। यह कहानी शिव अरूर और राहुल सिंह की किताब India’s Most Fearless 3 के एक अध्याय से प्रेरित है। इस चुनौतीपूर्ण किरदार के लिए सलमान ने कठोर शारीरिक प्रशिक्षण लिया। फिल्म 2026 में बड़े पर्दे पर रिलीज़ होने की उम्मीद है।

  • 2026 में पड़ेगा ज्येष्ठ अधिकमास 13 महीने का साल धार्मिक और खगोलीय दृष्टि से विशेष संयोग"

    2026 में पड़ेगा ज्येष्ठ अधिकमास 13 महीने का साल धार्मिक और खगोलीय दृष्टि से विशेष संयोग"


    नई दिल्ली । हिंदू पंचांग के अनुसार वर्ष 2026 एक विशेष खगोलीय संयोग लेकर आ रहा है जिसमें साल 13 महीनों का होगा। इस वर्ष में ज्येष्ठ अधिकमास अधिक मास पड़ने वाला है। यह एक दुर्लभ खगोलीय घटना है जो धार्मिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण मानी जाती है। ज्योतिषाचार्य अमर डिब्बेवाला के अनुसार यह संयोग अत्यंत शुभ और लाभकारी माना जा रहा है। इसके साथ ही सिंहस्थ कुंभ से पहले का समय विशेष फलदायक और आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण होगा।

    अधिकमास क्या है

    हिंदू पंचांग के अनुसार हर 2-3 वर्षों में एक अतिरिक्त महीना जुड़ता है जिसे अधिकमास अधिकार मास या मलमास कहा जाता है। यह अतिरिक्त महीना तब जुड़ता है जब सूर्य किसी भी राशि में प्रवेश नहीं करता और चंद्र मास और सौर मास की गति में अंतर पैदा हो जाता है। इस कारण पंचांग की गणना में एक और महीना जुड़ता है ताकि यह अंतर संतुलित किया जा सके।

    अधिकमास का धार्मिक महत्व बहुत अधिक है क्योंकि इस महीने में किए गए व्रत तप पूजा और दान का फल सामान्य दिनों की तुलना में कई गुना अधिक माना जाता है। 2026 में ज्येष्ठ अधिकमास के कारण यह वर्ष आध्यात्मिक दृष्टि से विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

    धार्मिक दृष्टि से अधिकमास का महत्व

    धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अधिकमास का महीना अत्यंत पवित्र और पुण्य फलदायक होता है। इस माह में किए गए धार्मिक कार्यों व्रत साधना और दान का फल कई गुना अधिक मिलता है। यह महीना विशेष रूप से भगवान पुरुषोत्तम की पूजा के लिए जाना जाता है। इस दौरान लोग तीर्थ यात्रा भजन कीर्तन पूजा और दान आदि पुण्य कार्य करते हैं जो उनके जीवन में आशीर्वाद और समृद्धि लेकर आते हैं।

    पंडित अमर डिब्बेवाला के अनुसार ज्येष्ठ अधिकमास का विशेष धार्मिक महत्व है और यह माह करीब 58-59 दिनों तक रहेगा। इस दौरान धार्मिक कार्यों और पुण्य कार्यों को बढ़-चढ़कर किया जाता है। इसे पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है और इस महीने के दौरान विशेष रूप से भगवान पुरुषोत्तम की साधना की जाती है।

    क्या करें इस माह में

    इस महीने में किए जाने वाले कुछ विशेष धार्मिक कार्यों में शामिल हैं धार्मिक अनुष्ठान और पूजन जैसे भजन कीर्तन भागवत और अन्य धार्मिक कार्य।तीर्थ यात्रा पर जाना और पवित्र नदियों में स्नान करना। विशेषकर शिप्रा नदी में स्नान करने और महाकालेश्वर मंदिर में पूजा अर्चना करने की परंपरा है।ब्राह्मणों को दान देना और गरीबों की सहायता करना। इस दौरान लोग अपने पितरों का तर्पण करने के लिए भी विशेष पूजा करते हैं।

    यह पुण्य कार्य पितरों की आत्मा की शांति के लिए किया जाता है। हिंदू पंचांग में ज्येष्ठ का महीना एक विशेष समय होता है और अधिकमास के दौरान किए गए धार्मिक कार्यों का फल अनमोल माना जाता है। विशेष रूप से सिंहस्थ कुंभ से पहले आने वाला यह माह आध्यात्मिक दृष्टि से बहुत लाभकारी है।

    ज्येष्ठ अधिकमास का खगोलीय संयोग

    वर्ष 2026 का ज्येष्ठ अधिकमास विशेष खगोलीय संयोग का हिस्सा है। इस दौरान सूर्य और चंद्रमा की स्थिति ऐसी होती है कि अतिरिक्त महीना जोड़ने की आवश्यकता होती है। इस समय का प्रभाव पूरे साल में पड़ता है और 2026 का यह अधिकमास विशेष रूप से एक आदर्श समय माना जा रहा है जब विभिन्न धार्मिक कार्यों के जरिए जीवन में सुख समृद्धि और शांति प्राप्त की जा सकती है।

    साल 2026 के इस 13 महीने के पंचांग में धार्मिक और आध्यात्मिक गतिविधियों का एक नया अध्याय शुरू होगा जो भविष्य में आने वाले कुंभ मेले से पहले एक बेहद महत्वपूर्ण संयोग रहेगा। इस समय को धार्मिक अनुष्ठानों और पुण्य कार्यों के लिए उपयुक्त माना जा रहा है और लोग इस अवसर का पूरा लाभ उठाने के लिए तैयार हैं।