भोपाल मेट्रो: तेज रफ्तार ट्रायल रन, मैन्युअल टिकटिंग और दिसंबर से कमर्शियल शुरुआत का काउंटडाउन


भोपाल / राजधानी भोपाल अब उन चुनिंदा शहरों में शामिल होने जा रही है जहां आधुनिक मेट्रो रेल लोगों की यात्रा को आसान बनाएगी। दिसंबर में इसके कमर्शियल रन की तैयारी लगभग पूरी हो चुकी है और मेट्रो रेल सेफ्टी कमिश्नर CMRS भी परियोजना को हरी झंडी दे चुके हैं। उम्मीद है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसके उद्घाटन के लिए भोपाल पहुंच सकते हैं। उद्घाटन से पहले ट्रायल रन और टिकटिंग सिस्टम को अंतिम रूप देने का काम तेजी से चल रहा है।

60–120 किमी प्रति घंटा की स्पीड से हो रहा ट्रायल रन

सुभाष नगर से एम्स तक लगभग 6 किलोमीटर लंबे प्रायोरिटी कॉरिडोर पर इन दिनों मेट्रो कोच लगातार ट्रैक पर दौड़ रहे हैं ट्रायल रन के दौरान मेट्रो की न्यूनतम गति 30 किमी प्रति घंटा और अधिकतम गति 80 किमी प्रति घंटा रखी जा रही है। तकनीकी परीक्षण के दौरान इसे 100–120 किमी प्रति घंटा तक भी चलाया जा रहा है ताकि आपात स्थिति या अधिक भार की परिस्थितियों में इसकी दक्षता कोपरखा जा सके। स्पीड कंट्रोल, ब्रेकिंग सिस्टम, सिग्नलिंग और ट्रेन-टू-ट्रैक कम्युनिकेशन की पूरी जांच की जा रही है
टिकटिंग में बड़ा बदलाव: अब ऑनलाइन नहीं, मैन्युअल सिस्टम
भोपाल मेट्रो का टिकटिंग सिस्टम शुरुआती चरण में ऑनलाइन नहीं होगा। यात्रियों को वैसे ही टिकट लेना होगा जैसे रेलवे स्टेशन पर लिया जाता है। दरअसल, मेट्रो के लिए ऑटोमैटिक फेयर कलेक्शन सिस्टम (AFC) तैयार करने का काम तुर्किए की कंपनी ‘असिस गार्ड’ को मिला था, लेकिन विवादों और देरी की वजह से इसका टेंडर अगस्त में रद्द कर दिया गया। इसके बाद नई कंपनी के चयन प्रक्रिया में दो से तीन महीने का समय लग सकता है। टेंडर रद्द होने के बाद इंदौर में भी मैन्युअल टिकट को ही विकल्प बनाया गया है। चूंकि दोनों शहरों की मेट्रो परियोजनाएं एक ही संरचना पर चल रही हैं, इसलिए भोपाल में भी यही मॉडल अपनाना पड़ेगा। अधिकारियों के अनुसार, मैन्युअल टिकट सिस्टम चलाने के लिए आवश्यक स्टाफ की तैनाती शुरू कर दी गई है।

AFC सिस्टम क्यों जरूरी था?

AFC सिस्टम के तहत कार्ड या QR-आधारित टिकट से गेट ऑटोमेटिक खुलते हैं, जिससे भीड़ नियंत्रण और राजस्व प्रबंधन आसान होता है। ‘असिस गार्ड’ को टिकटिंग से लेकर गेट के ऑटोमेशन और उसके संपूर्ण मेंटेनेंस की जिम्मेदारी दी गई थी। लेकिन टेंडर खत्म होने के कारण अब नई कंपनी इन कामों को संभालेगी। जब तक यह प्रक्रिया पूरी नहीं होती तब तक भोपाल मेट्रो मैन्युअल टिकटिंग सिस्टम पर ही चलेगी।

किराए पर अंतिम मंथन-मिनिमम 20 और मैक्सिमम 80 रुपए

मेट्रो कॉर्पोरेशन ने फेयर कलेक्शन कमेटी का गठन कर दिया है और किराए को लेकर लगभग अंतिम निर्णय लिया जा चुका है। हालांकि आधिकारिक घोषणा अभी बाकी है, लेकिन इंदौर मेट्रो जैसा मॉडल ही लागू करने की तैयारी है। जानकारी के अनुसार- पहले 7 दिन: फ्री यात्रा पहले 3 महीने: टिकट पर 75%, 50% और 25% की क्रमशः छूट -छूट खत्म होने पर न्यूनतम किराया: 20 रुपए  अधिकतम किराया: 80 रुपए पूरी ऑरेंज लाइन चालू होने के बाद इंदौर में भी मेट्रो शुरू होने पर यही मॉडल लागू किया गया था। भोपाल में फिलहाल ऑरेंज लाइन का पहला चरण ही चलाया जाएगा, जिसमें सुभाष नगर से एम्स तक 6.22 किमी दूरी शामिल है।

परियोजना के फेज-6 किलोमीटर अभी, 16 किलोमीटर बाद में

ऑरेंज लाइन का पूरा रूट एम्स से करोंद तक करीब 16 किलोमीटर का है। पहला फेज सुभाष नगर से एम्स तक लगभग तैयार है और इसी पर दिसंबर से मेट्रो चलाई जाएगी। दूसरा फेज सुभाष नगर से करोंद तक है, जिसके अगले 2–3 साल में पूरा होने की उम्मीद है।

भोपाल बन रहा है मेट्रो सिटी

भोपाल के लिए यह बड़ी उपलब्धि होगी। ट्रैफिक दबाव वाले क्षेत्रों में मेट्रो आने से लोगों को तेज, सुरक्षित और पर्यावरण-हितैषी परिवहन मिलेगा। राजधानी को स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित करने में भी यह कदम बेहद अहम साबित होगा।