हालांकिउनका यह बयान विवादों में घिर गया है। पहले से ही एक विवाद में घिरे संतोष वर्मा पर इस नए बयान के बाद कार्रवाई की मांग तेज हो गई है। राज्य के सामान्य प्रशासन विभाग ने पहले ही उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया थाजब उन्होंने 23 नवंबर को अजाक्स के कार्यक्रम में आरक्षण पर विवादित बयान दिया था। वर्मा ने कहा थाएक परिवार में एक ही व्यक्ति को आरक्षण की शर्त को तब तक मंजूर नहीं किया जा सकता है जब तक कोई ब्राह्मण अपनी बेटी उनके बेटे को दान ना कर दे या उससे संबंध ना बनाए।इस बयान के बाद ब्राह्मण और सवर्ण समाज में आक्रोश फैल गया था।
संतोष वर्मा के इस नए बयान ने उनके खिलाफ उठ रही आवाजों को और भी तेज कर दिया है। सपाक्ससामाजिक और जनकल्याण संगठन के राष्ट्रीय संयोजक हीरालाल त्रिवेदी ने मुख्यमंत्री से संतोष वर्मा के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। त्रिवेदी ने कहा हर घर से संतोष वर्मा निकलेगा तो क्या हर घर की बेटी खतरे में जाएगी इसके खिलाफ महिला उत्पीड़न का केस चल रहा हैऔर फिर भी उसके खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं हो रही हैत्रिवेदी ने मुख्यमंत्री से वर्मा को गिरफ्तार करने और निलंबित करने की मांग कीताकि समाज में वर्ग संघर्ष की स्थिति उत्पन्न न हो और महिलाओं के लिए कोई खतरा न बने।
संतोष वर्मा पर उठ रहे सवाल उनके विवादित बयानों के कारण और बढ़ गए हैं। उनकी गिरफ्तारी की मांग और कार्रवाई की दबाव में सरकार के लिए यह एक मुश्किल स्थिति बनती जा रही है। वर्मा के बयान ने समाज में गहरे मतभेदों को और बढ़ा दिया हैऔर अब सरकार को यह निर्णय लेना होगा कि क्या उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी या यह विवाद शांत हो जाएगा।इन विवादों के बावजूदसंतोष वर्मा ने हमेशा अपने बयानों से समाज के विभिन्न वर्गों को प्रभावित किया है। अब यह देखना होगा कि राज्य सरकार इस मुद्दे पर क्या कदम उठाती है और संतोष वर्मा के खिलाफ क्या कार्रवाई करती है। यह विवाद निश्चित ही आगे बढ़ने की संभावना को छोड़ता है और भारतीय प्रशासनिक सेवा में एक नई बहस को जन्म देता है।
