नई दिल्ली । चांदी की कीमतों में इस समय लगातार वृद्धि हो रही है और यह रुझान आने वाले वर्षों तक जारी रहने का अनुमान है। विशेषज्ञों के मुताबिक 2026 तक चांदी की कीमत ₹2.25 लाख से ₹2.50 लाख प्रति किलोग्राम तक पहुँच सकती है। इस वृद्धि के पीछे कई कारण हैं जिनमें औद्योगिक मांग वैश्विक आर्थिक बदलाव और ग्रीन एनर्जी पर बढ़ते निवेश जैसे कारक शामिल हैं।
औद्योगिक मांग का प्रभाव
चांदी की कीमतों में इस वृद्धि का सबसे बड़ा कारण है औद्योगिक मांग। सोलर पैनल इलेक्ट्रिक वाहन EV और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे क्षेत्रों में चांदी का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है। सोलर पैनल की उत्पादन क्षमता में वृद्धि और इलेक्ट्रिक वाहनों के उत्पादन में वृद्धि चांदी की मांग को बढ़ा रहे हैं। इस बढ़ती औद्योगिक मांग के कारण चांदी की कीमतें उच्च स्तर पर बनी हुई हैं। इसके साथ ही ग्रीन एनर्जी हरित ऊर्जा में निवेश में भी तेजी आई है। कई देशों में हरित ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा दिया जा रहा है जैसे सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा और इन सभी क्षेत्रों में चांदी का महत्वपूर्ण उपयोग हो रहा है। यही कारण है कि वैश्विक स्तर पर चांदी की मांग में भी वृद्धि हुई है।
वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता
वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता खासकर अमेरिका और यूरोप में चांदी की कीमतों के लिए एक सहायक कारक साबित हो रही है। अमेरिकी फेडरल रिजर्व और यूरोपीय सेंट्रल बैंक द्वारा ब्याज दरों में बदलाव के संकेत और वैश्विक मुद्रास्फीति के दबाव निवेशकों को सुरक्षित निवेश के विकल्पों की ओर आकर्षित कर रहे हैं। ऐसे में सोने और चांदी की कीमतों में बढ़ोतरी देखी जा रही है क्योंकि ये दोनों धातुएं सुरक्षित निवेश के रूप में मानी जाती हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि ब्याज दरों में कटौती का सिलसिला शुरू होता है तो निवेशक चांदी और सोने जैसे सुरक्षित विकल्पों की ओर रुख करेंगे। इसके साथ ही डॉलर की कमजोरी और अन्य वैश्विक आर्थिक कारक भी चांदी की कीमतों को सहारा देने वाले महत्वपूर्ण तत्व हैं।
चांदी की मूल्यवृद्धि
हाल ही में चांदी के भाव ₹2.07 लाख प्रति किलोग्राम तक पहुँच चुके हैं जो कि एक नया रिकॉर्ड है। पिछले कुछ महीनों में चांदी की कीमत में 129.4% की वृद्धि हुई है जो 1 जनवरी 2025 को ₹90 500 प्रति किलोग्राम थी। इस वृद्धि का मुख्य कारण व्यापारियों द्वारा निरंतर खरीदारी और वैश्विक मांग में वृद्धि है। इसके अलावा चांदी में निवेश के लिए विशेषज्ञों द्वारा लंबी अवधि के निवेश की सलाह दी जा रही है। निवेशकों को यह सलाह दी जा रही है कि वे एकमुश्त निवेश के बजाय चरणबद्ध तरीके से निवेश करें। चांदी के बाजार में उथल-पुथल हो सकती है लेकिन लंबी अवधि में यह एक लाभकारी निवेश विकल्प साबित हो सकता है।
सतर्कता और जोखिम
हालांकि चांदी की कीमतों में तेजी देखने को मिल रही है विशेषज्ञों ने यह भी चेतावनी दी है कि इतनी तेजी के बाद बाजार में उतार-चढ़ाव आ सकता है। मुनाफावसूली के चलते अल्पावधि में कीमतों में नरमी भी देखी जा सकती है। कुछ ब्रोकरेज और रिसर्च रिपोर्ट्स का अनुमान है कि 2026 के अंत तक चांदी ₹2.40 लाख प्रति किलोग्राम का स्तर छू सकती है जबकि बाजार में 1.78 लाख रुपये तक की गिरावट का भी खतरा है।
निवेशकों के लिए सलाह
विशेषज्ञों का कहना है कि चांदी में निवेश करते समय सतर्कता बरतनी चाहिए। एक ओर जहां चांदी के दाम में वृद्धि की उम्मीद है वहीं निवेशकों को यह भी याद रखना चाहिए कि कीमतों में अस्थिरता बनी रह सकती है। इसीलिए चांदी में निवेश करते समय दीर्घकालिक दृष्टिकोण अपनाना और एकमुश्त निवेश के बजाय चरणबद्ध निवेश की रणनीति अपनाना सबसे सही रहेगा। कुल मिलाकर चांदी के भाव में तेज वृद्धि और आगामी वर्षों में इसकी कीमतों में और वृद्धि की संभावना को देखते हुए यह एक आकर्षक निवेश विकल्प बन सकता है। हालांकि निवेशकों को इसके साथ जुड़ी जोखिमों को भी समझना चाहिए और उन्हें अपनी निवेश रणनीतियों में सावधानी बरतनी चाहिए।
