CBI के अनुसार, लेफ्टिनेंट कर्नल दीपक कुमार शर्मा पर आरोप है कि वे रक्षा उत्पादों के निर्माण और निर्यात से जुड़ी निजी कंपनियों को अवैध लाभ पहुंचाने के बदले रिश्वत लेते थे। इस मामले में बिचौलिया विनोद कुमार को भी गिरफ्तार किया गया है। तीनों आरोपियों को अदालत में पेश करने के बाद 23 दिसंबर तक CBI की हिरासत में भेज दिया गया है।यह मामला 19 दिसंबर को मिली एक गोपनीय सूचना के आधार पर दर्ज किया गया था। CBI को जानकारी मिली थी कि बेंगलुरु स्थित एक निजी कंपनी के लिए रक्षा मंत्रालय और अन्य सरकारी विभागों में अनुचित तरीके से काम करवाने के बदले लेफ्टिनेंट कर्नल रिश्वत ले रहे हैं। जांच में सामने आया कि कंपनी की ओर से विनोद कुमार नामक बिचौलिया लेफ्टिनेंट कर्नल को पैसे पहुंचाने का काम कर रहा था।
CBI की जांच में यह भी सामने आया कि 18 दिसंबर को विनोद कुमार ने बेंगलुरु की उसी कंपनी के कहने पर लेफ्टिनेंट कर्नल दीपक कुमार शर्मा को 3 लाख रुपये की रिश्वत दी थी। इसके तुरंत बाद CBI ने कार्रवाई करते हुए आरोपी अधिकारी को गिरफ्तार कर लिया।जांच एजेंसी का कहना है कि यह कंपनी मूल रूप से दुबई की है, जिसके भारत में संचालन की जिम्मेदारी राजीव यादव और रवजीत सिंह नाम के दो व्यक्तियों के पास थी। ये दोनों लगातार लेफ्टिनेंट कर्नल शर्मा के संपर्क में थे और कंपनी को सरकारी स्तर पर फायदा पहुंचाने के लिए साजिश रच रहे थे। CBI के अनुसार, इन लोगों ने कई सरकारी मंत्रालयों और विभागों से अवैध लाभ लेने की कोशिश की।
गिरफ्तारी के बाद CBI ने दिल्ली, श्रीगंगानगर, बेंगलुरु और जम्मू समेत कई ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की। दिल्ली स्थित लेफ्टिनेंट कर्नल शर्मा के आवास से 3 लाख रुपये रिश्वत की रकम, 2.23 करोड़ रुपये नकद और कई आपत्तिजनक दस्तावेज बरामद किए गए। वहीं राजस्थान के श्रीगंगानगर में उनकी पत्नी कर्नल काजल बाली के घर से 10 लाख रुपये नकद मिले।काजल बाली वर्तमान में डिवीजन ऑर्डनेंस यूनिट DOU श्रीगंगानगर में कमांडिंग ऑफिसर के पद पर तैनात हैं। CBI को संदेह है कि इस अवैध लेन-देन में उनकी भूमिका भी हो सकती है, इसलिए उनके खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया है। जांच एजेंसी उनके कार्यालय में भी दस्तावेजों की जांच कर रही है।
CBI अधिकारियों का कहना है कि इस मामले की जांच अभी जारी है और आने वाले दिनों में और भी खुलासे हो सकते हैं। एजेंसी यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि रिश्वतखोरी का यह नेटवर्क कितना बड़ा है और इसमें और कौन-कौन लोग शामिल हैं।रक्षा मंत्रालय जैसे संवेदनशील विभाग में तैनात एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी की गिरफ्तारी से प्रशासनिक हलकों में हड़कंप मच गया है। यह मामला न सिर्फ भ्रष्टाचार की गंभीरता को उजागर करता है, बल्कि रक्षा क्षेत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही की आवश्यकता पर भी सवाल खड़े करता है।
