डॉ. सोनी ने अदालत में दस्तावेज पेश करते हुए दावा किया कि बच्चों की मौत उसी सॉल्वेंट के कारण हुई, जो श्रीसन फार्मा कंपनी ने बैच नंबर 13 में मिलाया था। उन्होंने कहा कि यदि औषधि विभाग समय पर उस बैच की जांच करता, तो यह दुखद घटना नहीं होती।
डॉ. सोनी ने यह भी बताया कि वह पिछले 20 सालों से यह दवा लिख रहे हैं और कभी किसी दवा से प्रतिकूल प्रतिक्रिया सामने नहीं आई। उनका कहना है कि कंपनी द्वारा हुई गलती की सजा उन्हें भुगतनी पड़ रही है।
सुनवाई और जमानत का मामला
जस्टिस प्रमोद अग्रवाल की अदालत ने डॉ. सोनी की जमानत अर्जी पर गुरुवार को सुनवाई के निर्देश दिए हैं। छिंदवाड़ा के परासिया निवासी डॉ. प्रवीण सोनी को परासिया पुलिस ने 5 अक्टूबर को गिरफ्तार किया था। ये वही शिशु रोग विशेषज्ञ हैं, जिन्होंने मृत बच्चों को कफ सिरप लिखी थी।
पहले परासिया कोर्ट ने 8 अक्टूबर 2025 को उनकी जमानत अर्जी खारिज कर दी थी। इसके बाद डॉ. सोनी ने हाईकोर्ट में जमानत के लिए आवेदन किया। डॉ. सोनी अभी भी जेल में हैं। पुलिस ने उनकी पत्नी ज्योति सोनी को भी गिरफ्तार किया है। उनकी पत्नी के नाम पर वह मेडिकल स्टोर संचालित हो रहा था, जहां से विवादित कफ सिरप बेची गई थी।
डॉ. सोनी की ओर से सीनियर एडवोकेट शशांक शेखर और एडवोकेट समरेश कटारे, तथा राज्य सरकार की ओर से शासकीय अधिवक्ता सीएम तिवारी अदालत में मौजूद थे।
