दुनिया के कई देशों में इस मॉडल पर प्रयोग हो रहे हैं। जापान, स्पेन और जर्मनी जैसे देशों में कई कंपनियां 4-Day वर्क वीक को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लागू कर चुकी हैं। इसी बीच भारत में नए लेबर कानूनों के बाद यह सवाल उठ रहा है कि क्या यहां भी 4-Day वर्क वीक को कानूनी मंजूरी मिल सकती है।
श्रम मंत्रालय ने क्या कहा?
श्रम और रोजगार मंत्रालय ने 12 दिसंबर को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट के जरिए स्थिति स्पष्ट की। मंत्रालय के अनुसार, नए लेबर कोड्स के तहत किसी भी कर्मचारी से हफ्ते में 48 घंटे से ज्यादा काम नहीं कराया जा सकता। हालांकि कंपनियों को यह विकल्प दिया गया है कि वे कर्मचारियों से दिन में 12 घंटे तक काम करवा सकती हैं। ऐसे में यदि कोई कंपनी 12 घंटे की शिफ्ट अपनाती है, तो कर्मचारी हफ्ते में चार दिन काम कर तीन दिन की पेड छुट्टी ले सकता है।
मंत्रालय ने यह भी साफ किया कि 12 घंटे की शिफ्ट का मतलब लगातार 12 घंटे काम नहीं है। इसमें ब्रेक और स्प्रेड-ओवर टाइम भी शामिल रहेगा। अगर किसी कर्मचारी से तय सीमा से अधिक काम कराया जाता है, तो ओवरटाइम के लिए दोगुना भुगतान करना अनिवार्य होगा।
नए लेबर कोड्स क्या कहते हैं?
सरकार ने देश के 29 पुराने श्रम कानूनों को हटाकर चार नए लेबर कोड लागू किए हैं—
वेज कोड
इंडस्ट्रियल रिलेशंस कोड
सोशल सिक्योरिटी कोड
ऑक्यूपेशनल सेफ्टी, हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशंस कोड
इनका उद्देश्य श्रम कानूनों को सरल बनाना और कर्मचारियों के अधिकारों को मजबूत करना है।
क्या भारत में लागू होगा 4-Day वर्क वीक?
हालांकि नए नियम 4-Day वर्क वीक की कानूनी गुंजाइश जरूर देते हैं, लेकिन इसे अपनाना पूरी तरह कंपनियों की नीति और काम की प्रकृति पर निर्भर करेगा। हर सेक्टर में 12 घंटे की शिफ्ट संभव हो, यह जरूरी नहीं है। इसलिए यह मॉडल कब और कितनी कंपनियों में लागू होगा, यह आने वाला वक्त ही तय करेगा।
कुल मिलाकर, सरकार ने भारत में 4-Day वर्क वीक का रास्ता खोला है, लेकिन इसका व्यापक रूप से लागू होना कंपनियों और कर्मचारियों की सहमति पर निर्भर करेगा।
