मंत्री विजय शाह का वायरल बयान 50 हजार लाड़ली बहनें CM के सम्मान कार्यक्रम में आएंन आने पर आधार लिंक चेक कराएं'


रतलाम । मध्य प्रदेश के वनपर्यावरण एवं प्रभारी मंत्री डॉ. कुंवर विजय शाह अपने सख्त तेवरों और अधिकारियों को दिए गए निर्देशों के कारण सुर्खियों में हैं। रतलाम में आयोजित जिला विकास सलाहकार समिति की पहली बैठक में दिए गए उनके निर्देश का एक बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।

लाड़ली बहनों को कार्यक्रम में लाने का निर्देश

यह बैठक मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की सरकार के दो वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित सम्मान समारोह की तैयारियों को लेकर आयोजित की गई थी। कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में हुई इस बैठक मेंमंत्री शाह ने महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारी से जिले में लाड़ली बहनों की संख्या के बारे में जानकारी ली। जब अधिकारी ने बताया कि जिले में लाभार्थियों की संख्या लगभग 2.5 लाख हैतो मंत्री डॉ. शाह ने स्पष्ट निर्देश देते हुए कहा कि मुख्यमंत्री के सम्मान कार्यक्रम में कम से कम 50 हजार लाड़ली बहनें तो आ ही जानी चाहिए।

मंत्री ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि अगर ये नहीं आती हैं तो इनके आधार लिंक आदि की जांच कराएं। हालांकिउन्होंने यह भी जोड़ा कि वे ज्यादा परेशान भी नहीं करना चाहते। मंत्री का यह बयान राज्य की सबसे बड़ी लाभार्थी योजना ‘लाड़ली बहना योजना’ के हितग्राहियों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए अधिकारियों पर डाले गए दबाव को दर्शाता है।

अनुपस्थित अधिकारियों पर फूटा गुस्सा

बैठक में मंत्री डॉ. शाह ने केवल कार्यक्रम की तैयारियों पर ही सख्ती नहीं दिखाईबल्कि बैठक से कई विभागों के अधिकारियों की अनुपस्थिति पर भी गहरी नाराजगी व्यक्त की। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की सरकार के दो वर्ष पूरे होने के अवसर पर आयोजित इस महत्वपूर्ण बैठक में अधिकारियों की गैर मौजूदगी को मंत्री शाह ने गंभीरता से लिया। उन्होंने क्रमवार जानकारी लेते हुए अपने निजी सहायक पीए को अनुपस्थित अधिकारियों की सूची बनाने का निर्देश दिया।
मंत्री की नाराज़गी तब और बढ़ गई जब अक्षय ऊर्जा विभाग की ओर से बैठक में एक वरिष्ठ अधिकारी के बजाय मैकेनिक को भेज दिया गया।
डॉ. शाह ने अपनी तीस वर्षों की राजनीतिक अनुभव का हवाला देते हुए सख्त लहजे में कहा 30 साल से मंत्री हूंहल्के में ले रहे हो। मंत्री का यह बयान स्पष्ट करता है कि वह प्रशासनिक लापरवाही और महत्वपूर्ण बैठकों में अधिकारियों की गैर-जिम्मेदारी को बर्दाश्त नहीं करेंगे। उन्होंने बैठक में मौजूद जनप्रतिनिधियों के सामने अधिकारियों को यह स्पष्ट संदेश दिया कि उन्हें शासकीय कार्यों और बैठकों को प्राथमिकता देनी होगी।