मध्य प्रदेश में कुल 145 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में रबी फसलों की बुआई की जा चुकी है। गेहूं और चना जैसी फसलों में सिंचाई का काम चल रहा हैजिसके कारण यूरिया की मांग अत्यधिक बढ़ गई है। राज्य में कुल 23 लाख टन यूरिया की आवश्यकता हैलेकिन अब तक केवल 16 लाख टन यूरिया ही उपलब्ध कराया जा सका है। यह कमी अब किसानों के लिए परेशानी का सबब बन चुकी हैक्योंकि यूरिया की किल्लत से उनकी फसल की वृद्धि और उपज पर गंभीर असर पड़ सकता है।
टीकमगढ़ जिले में खाद की कमी के खिलाफ किसानों ने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया। खरगापुर में किसानों ने सड़क पर लेटकर चक्काजाम कियाजिससे खरगापुर-पलेरा मार्ग पर यातायात बाधित हो गया। किसानों का आरोप है कि खाद के लिए सरकार के दावों और जमीनी हकीकत में भारी अंतर है। सरकार यह दावा कर रही है कि खाद की कमी नहीं है और आवश्यकतानुसार आपूर्ति की जा रही हैलेकिन किसानों की परेशानियों को देखकर यह दावा गलत साबित हो रहा है।
रतलाम जिले में स्थिति और भी गंभीर हैजहां किसानों ने नकद वितरण केंद्र के बाहर रात नौ बजे से डेरा जमा लिया। यूरिया के लिए इन किसानों का संघर्ष सिर्फ खाद तक ही सीमित नहीं हैबल्कि यह उनके जीवन-यापन और फसलों की भविष्यवाणी से भी जुड़ा हुआ है। शादी-ब्याह के मौसम में जब पूरे परिवार की जरूरतों को पूरा करने के लिए किसान खाद के लिए लाइनों में खड़े हैंतो यह स्थिति कितनी गंभीर हो सकती हैइसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है।
खाद संकट से जूझ रहे किसानों का कहना है कि यदि समय पर खाद नहीं मिलातो रबी फसलों की उपज पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है। यूरिया की कमी के कारण किसान अपनी फसलों को सही तरीके से उर्वरित नहीं कर पा रहे हैंजिससे उनकी फसलें कमजोर हो सकती हैं। इससे उनकी आय पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ेगाजो पहले से ही मुश्किलों में घिरे हुए हैं।
सरकार के अधिकारी यह दावा कर रहे हैं कि खाद की आपूर्ति की कोई कमी नहीं है और इसे जल्द ही पूरा किया जाएगालेकिन वास्तविकता यह है कि खाद की आपूर्ति और मांग के बीच अंतर लगातार बढ़ता जा रहा है। इस स्थिति को देखते हुए यह सवाल उठता है कि क्या सरकार जल्द इस संकट को हल कर पाएगीया फिर किसानों को और अधिक संघर्ष करना पड़ेगा?
कुल मिलाकरमध्य प्रदेश के किसानों का खाद के लिए संघर्ष इस बात का प्रतीक है कि कृषि क्षेत्र में इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी और आपूर्ति व्यवस्था में सुधार की सख्त आवश्यकता है। राज्य सरकार को खाद संकट को दूर करने के लिए तुरंत कदम उठाने होंगेताकि किसानों की समस्याओं का समाधान किया जा सके और वे अपनी फसलों को सुरक्षित तरीके से उगा सकें। यदि इस संकट का समाधान नहीं किया गयातो यह न केवल किसानों के लिएबल्कि राज्य की कृषि अर्थव्यवस्था के लिए भी एक बड़ी चुनौती बन सकता है।









