Author: bharati

  • रुपाली गांगुली पहली बार पहुंचीं वृंदावन, अनिरुद्धाचार्य के आश्रम में वृद्धाओं की आपबीती सुनकर रो पड़ीं; बताया-बंदर और सांप के बीच होती है शूटिंग

    रुपाली गांगुली पहली बार पहुंचीं वृंदावन, अनिरुद्धाचार्य के आश्रम में वृद्धाओं की आपबीती सुनकर रो पड़ीं; बताया-बंदर और सांप के बीच होती है शूटिंग


    नई दिल्ली । ‘अनुपमा’ फेम एक्ट्रेस रुपाली गांगुली पहली बार वृंदावन पहुंचीं, जहां उन्होंने कथावाचक अनिरुद्धाचार्य से मुलाकात की। आश्रम में रहने वाली वृद्ध महिलाओं की दर्दभरी कहानियां सुनकर रुपाली खुद को संभाल नहीं पाईं और उनकी आंखें नम हो गईं। इस दौरान उन्होंने अपनी शूटिंग लोकेशन से जुड़ा एक चौंकाने वाला खुलासा भी किया।

    आश्रम में पहुंचकर भावुक हुईं रुपाली

    रुपाली अपने बेटे के साथ अनिरुद्धाचार्य जी के आश्रम पहुंचीं। वहां उन्हें बताया गया कि आश्रम में सैकड़ों वृद्ध महिलाएं रहती हैं-वो महिलाएं जिन्हें उनके अपने परिवारों ने छोड़ दिया है।

    अनिरुद्धाचार्य ने एक घटना साझा की कि हाल ही में एक माता का देहांत हुआ। जब उनके बेटे को अंतिम संस्कार के लिए बुलाया गया तो उसने कहा कि “हम पहले ही अंतिम संस्कार कर चुके हैं।” यह सुनकर रुपाली की आंखों में आंसू आ गए।

    एक्ट्रेस ने वृद्धाओं से मिलकर उनका आशीर्वाद लिया। कई महिलाएं उन्हें ‘अनुपमा’ के नाम से ही पहचानती थीं, जिससे रुपाली बेहद भावुक हो उठीं। सभी ने उन्हें गले लगाकर आने के लिए धन्यवाद दिया।

    बांके बिहारी के दर्शन और अगली यात्रा का वादा

    आश्रम के बाद रुपाली ने बांके बिहारी के दर्शन किए और भक्तों में प्रसाद बांटा। विदा लेते हुए उन्होंने अनिरुद्धाचार्य जी के पैर छुए और वादा किया कि अगली बार वह गुरुकुल और गौशाला भी देखने आएंगी।

    “बंदर–सांप के बीच होती है शूटिंग” – रुपाली का खुलासा

    बातचीत के दौरान रुपाली ने बताया कि उनकी शूटिंग लोकेशन पर बंदर, कुत्ते और कई बार सांप तक दिखाई देते हैं।

    उन्होंने कहा-
    “जिस जगह हम शूट करते हैं, वहां बहुत बंदर हैं, कुत्ते हैं, कभी-कभी सांप भी आ जाते हैं। लेकिन सभी बहुत प्यार से पास आते हैं-कभी कोई नुकसान नहीं पहुंचाता।”

    उनके इस अनुभव पर अनिरुद्धाचार्य ने कहा कि जो बोल नहीं सकते, उनके लिए इंसान ही सहारा होता है। हर जीव में नारायण का वास है और सेवा करना ही सच्ची भक्ति है।

  • कुमकुम भाग्य' फेम जीशान खान सड़क हादसे में बाल-बाल बचे, फैंस जानना चाह रहे हाल

    कुमकुम भाग्य' फेम जीशान खान सड़क हादसे में बाल-बाल बचे, फैंस जानना चाह रहे हाल


    नई दिल्ली। टीवी एक्टर जीशान खान मुंबई में हुए एक सड़क हादसे में घायल होने से बच गए। देर रात यारी रोड इलाके में उनकी कार से एक दूसरी कार की टक्कर हो गई। घटना लगभग रात 10:30 बजे तब हुई जब जीशान जिम से घर लौट रहे थे। टक्कर के बावजूद सौभाग्य से दोनों वाहनों में मौजूद सभी लोग सुरक्षित हैं। दूसरी कार में सवार बुजुर्ग दंपत्ति भी पूरी तरह ठीक बताए जा रहे हैं। केवल कारों को मामूली नुकसान पहुंचा है।

    पुलिस ने इस मामले में फिलहाल कोई रिपोर्ट दर्ज नहीं की है, लेकिन दुर्घटना की प्रारंभिक जांच जारी है। जीशान खान ने अभी तक इस घटना पर सोशल मीडिया के जरिए कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, जिससे उनके फैंस उनकी स्थिति को लेकर चिंतित हैं।

    टीवी करियर से मिली पहचान

    जीशान खान को लोकप्रियता 2019 से 2021 के बीच ‘कुमकुम भाग्य’ में आर्यन खन्ना की भूमिका से मिली। इस किरदार ने उन्हें टीवी दर्शकों के बीच पहचान दिलाई और इंडस्ट्री में उनकी जगह मजबूत की। इसके बाद वे ‘नागिन’ समेत कई शोज में नजर आए।

    उनकी फैन फॉलोइंग तब और बढ़ी जब वह ‘बिग बॉस OTT’ के पहले सीजन का हिस्सा बने। शांत स्वभाव और संतुलित खेल के लिए चर्चा में रहे जीशान का सफर शो में ज्यादा लंबा नहीं रहा, क्योंकि एक टास्क के दौरान नियम तोड़ने पर उन्हें अचानक बाहर कर दिया गया। विदाई के वक्त उन्होंने फैंस को भावुक संदेश लिखकर समर्थन के लिए धन्यवाद दिया था।

    2015 में शुरू हुआ सफर

    जीशान ने 2015 में ‘कुछ तो है तेरे मेरे दरमियां’ से एक्टिंग की दुनिया में कदम रखा था। इसके बाद वह ‘परवरिश सीजन 2’ में भी नजर आए। सोशल मीडिया पर उनकी लोकप्रियता काफी अधिक है — इंस्टाग्राम पर उनके 9.19 लाख से ज्यादा फॉलोअर्स हैं और वह जल्द ही एक मिलियन के आंकड़े तक पहुंचने वाले हैं।

    हादसे में चोट न लगने से उनके प्रशंसक राहत में हैं और सभी उम्मीद कर रहे हैं कि जीशान जल्द ही इस घटना पर अपनी प्रतिक्रिया साझा करेंगे।

  • जान से मारने की धमकियों से घिरे विधायक हुमायूं कबीर, सुरक्षा के लिए हाईकोर्ट जाने की तैयारी

    जान से मारने की धमकियों से घिरे विधायक हुमायूं कबीर, सुरक्षा के लिए हाईकोर्ट जाने की तैयारी


    नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल में बाबरी मस्जिद की नींव रखने वाले विधायक हुमायूं कबीर को लगातार मिल रही धमकियों ने सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ा दी है। कबीर ने बताया कि 6 दिसंबर को शिलान्यास के बाद से उन्हें राज्य के बाहर से फोन कर जान से मारने की धमकियां दी जा रही हैं।

    सोमवार को पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि तत्काल उपाय के तौर पर वह मंगलवार से अपने लिए आठ निजी सुरक्षाकर्मी तैनात करेंगे। उन्होंने राज्य सरकार और केंद्र सरकार दोनों को सुरक्षा मुहैया कराने के लिए मेल भेजा है। कबीर ने कहा कि अगर उनकी मांग पर कार्रवाई नहीं हुई तो वह कलकत्ता हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे।

    एक टीवी चैनल से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा, “पिछले सात दिनों से लगातार धमकी आ रही है। कहा जा रहा है कि बाबरी मस्जिद की नींव रखने से पहले ही मुझे मार दिया जाएगा। मैं डरा नहीं हूं, अल्लाह पर पूरा भरोसा है, लेकिन सावधानी के लिए सुरक्षा ज़रूरी है।”

    उन्होंने यह भी कहा कि 16 दिसंबर को वह बेंगलुरु जाएंगे और इसके बाद नोएडा की यात्रा करेंगे, इसलिए यात्रा के दौरान सुरक्षा की जरूरत और अधिक बढ़ जाती है।

    तृणमूल कांग्रेस द्वारा निलंबित किए जा चुके कबीर ने राज्य पुलिस पर भरोसा न होने की बात भी कही। उनका कहना है कि चूंकि सत्तारूढ़ पार्टी टीएमसी बाबरी मस्जिद के लिए फंडिंग को लेकर बीजेपी पर आरोप लगा रही है, इसलिए उन्हें सुरक्षा व्यवस्था को लेकर संदेह है।

    कबीर ने स्पष्ट किया कि वह जल्द ही पर्याप्त सुरक्षा की मांग के लिए उच्च न्यायालय का रुख कर सकते हैं।

  • मंगलवार को ऐसे करें हनुमान जी की पूजा: सही विधि, मंत्र और उपाय दूर करेंगे जीवन के सभी संकट डिस्क्रिप्शन:

    मंगलवार को ऐसे करें हनुमान जी की पूजा: सही विधि, मंत्र और उपाय दूर करेंगे जीवन के सभी संकट डिस्क्रिप्शन:


    नई दिल्ली ।सनातन संस्कृति में सप्ताह का प्रत्येक दिन किसी न किसी देवता को समर्पित माना गया है और मंगलवार का दिन विशेष रूप से भगवान हनुमान के पूजन का दिवस है। भक्त मानते हैं कि इस दिन हनुमान जी की उपासना करने से साहसशक्तिबुद्धिभक्ति और स्वास्थ्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। हनुमान जी को संकटमोचन कहा गया है क्योंकि वे अपने भक्तों के सभी दुख और भय का नाश करते हैं।

    मंगलवार का महत्व – क्यों माना जाता है पवित्र?
    धर्मग्रंथों में उल्लेख है कि मंगलवार का दिन हनुमान जी के जन्म से जुड़ा है। माना जाता है कि इसी दिन बजरंगबली का प्रकटोत्सव हुआ था। इस कारण- इस दिन की गई पूजा अत्यंत फलदायी मानी जाती है मनोकामनाएं तेजी से पूर्ण होती हैं जीवन में चल रहे बाधाएँकोर्ट-कचहरी के झंझटनौकरी में रुकावटें और ग्रह दोष कम होते हैं मानसिक तनाव और भय का नाश होता है लाखों भक्तों का अनुभव है कि मंगलवार का व्रत और पूजा नियमित रूप से करने पर जीवन में सकारात्मक परिवर्तन दिखाई देते हैं।

    हनुमान जी पूजा विधि – Tuesday Puja Vidhi

    मंगलवार की पूजा का समय सूर्योदय के बाद का माना गया है। नीचे दी गई सरल और संपूर्ण विधि से हनुमान जी की पूजा की जा सकती है:  स्नान और शुद्धि- सुबह जल्दी उठेंस्नान करें और साफ लाल या पीले वस्त्र धारण करें। घर के मंदिर या पूजा स्थान की सफाई कर दीया जलाएं। -हनुमान जी का ध्यान- हनुमान जी की मूर्ति या चित्र के सामने बैठकर उनका ध्यान करें। कुछ पल शांत रहकर ॐ हनुमते नमः का जप करें।-पूजा सामग्री- हनुमान जी को प्रिय सामग्री रखें-लाल चंदन, सिंदूर, चमेली का तेल, गुड़ और चने,लाल फूल ,तुलसी, दीपक और धूप ,विशेष रूप से सिंदूर और चमेली के तेल का अर्पण बहुत शुभ माना जाता है।- मंत्र और स्तोत्र पाठ- पूजन के दौरान निम्न मंत्र या स्तोत्र पढ़ना अत्यंत शुभ है:हनुमान चालीसा,बजरंग बाण,हनुमानाष्टक ,इनमें से कोई एक भी श्रद्धा पूर्वक पढ़ने से मन शांत होता है और ऊर्जा प्राप्त होती है।- नैवेद्य अर्पण- हनुमान जी को गुड़-चनाकेले या बूंदी का भोग लगाएं। अंत में आरती कर परिवार की सुख-शांति की कामना करें।

    मंगलवार के विशेष उपाय – Hanuman Ji Remedies

    धर्मग्रंथों और मान्यता के अनुसारकुछ सरल उपायों से हनुमान जी की कृपा और अधिक मिलती है:- सुबहे के समय हनुमान मंदिर जाएं मंदिर जाकर चमेली का तेल और सिंदूर चढ़ाएं। यह बाधाओं को दूर करता है। – गरीबों को प्रसाद बाँटे गुड़-चना या फल बच्चों और जरूरतमंदों को देने से पुण्य बढ़ता है।- कष्ट निवारण मंत्र का जप ॐ ऐं भ्रीम हनुमते श्रीराम दूताय नमः इस मंत्र का 108 बार जप करने से भय और नकारात्मकता दूर होती है। – मंगलवार का व्रत
    यदि स्वास्थ्य अनुमति देतो दिन भर फलाहार करके व्रत रख सकते हैं। यह मनोकामना पूर्ति के लिए अत्यंत प्रभावी माना जाता है।

    क्या कहते हैं धर्म शास्त्र?
    शास्त्रों में यह स्पष्ट कहा गया है कि हनुमान जी अत्यंत दयालु और भक्तवत्सल हैं। जो व्यक्ति सच्चे मन से उन्हें पुकारता हैउनकी सभी बाधाएँ दूर होती हैं।
    मंगलवार की नियमित पूजा-

    आत्मबल बढ़ाती है

    मानसिक स्थिरता देती है हर प्रकार की नकारात्मकता का नाश करती है कार्यों में सफलता दिलाती है इसी कारण हनुमान जी को संकटमोचन और कलियुग के जीवित देवता कहा गया है। मंगलवार का दिन हनुमान भक्ति का सर्वश्रेष्ठ दिन माना गया है। जो भक्त इस दिन विधि-विधान से पूजा करते हैंउनका जीवन भयरोगशोक और संकटों से मुक्त होकर सफलता और शांति की ओर बढ़ता है। श्रद्धा और भक्ति से की गई छोटी-सी पूजा भी बड़े परिणाम देती है।

  • PAK के पहले CDF बनने पर आसिम मुनीर ने दी भारत को चेतावनी: अगला जवाब और भी सख्त होगा

    PAK के पहले CDF बनने पर आसिम मुनीर ने दी भारत को चेतावनी: अगला जवाब और भी सख्त होगा


    नई दिल्‍ली । पाकिस्तान (Pakistan) के पहले CDF यानी चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेज (Chief of Defence Forces) नियुक्त होने के बाद फील्ड मार्शल आसिम मुनीर (Field Marshal Asim Munir) ने भारत (India) का जिक्र कर दिया। अपने पहले ही संबोधन में उन्होंने कहा कि पाकिस्तान का अगला जवाब और भी सख्त होगा। मई में हुए ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय सेना ने पाकिस्तानी क्षेत्र में प्रवेश कर कार्रवाई की थी, जिसके बाद दोनों मुल्कों के बीच करीब 4 दिन संघर्ष चला। हालांकि, बाद में पाकिस्तान की ओर से अनुरोध किए जाने के बाद सीजफायर का ऐलान किया गया था।

    मुनीर ने कहा, ‘भारत को किसी भी गलतफहमी में नहीं रहना चाहिए, क्योंकि पाकिस्तान का जवाब और भी तेज और ज्यादा सख्त होगा।’ ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय सेना की कार्रवाई में पाकिस्तान को भारी सैन्य नुकसान उठाना पड़ा था। भारत ने जम्मू और कश्मीर के पहलगाम में अप्रैल में हुए आतंकवादी हमले के जवाब में ऐक्शन लिया था।

    मिला गार्ड ऑफ ऑनर
    देश के पहले सीडीएफ के रूप में नियुक्त होने पर मुनीर को सम्मानित करने के लिए जीएचक्यू (मुख्यालय) में ‘गार्ड ऑफ ऑनर’ दिया गया। ‘गार्ड ऑफ ऑनर’ का निरीक्षण करने के बाद मुनीर ने सशस्त्र बलों के अधिकारियों को संबोधित करते हुए यह भी कहा कि किसी भी आक्रमण की स्थिति में पाकिस्तान की प्रतिक्रिया ‘बहुत अधिक तीव्र और गंभीर’ होगी।

    मुनीर ने सोमवार को कहा कि पाकिस्तान शांतिपूर्ण राष्ट्र है, लेकिन आगाह किया कि किसी को भी इस्लामाबाद की क्षेत्रीय अखंडता या संप्रभुता को परखने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

    अफगानिस्तान से तनाव पर क्या कहा
    पाकिस्तान-अफगानिस्तान तनाव पर मुनीर ने कहा कि काबुल में अफगान तालिबान शासन को एक स्पष्ट संदेश दिया गया है। उन्होंने कहा, ‘(अफगान) तालिबान के पास फितना अल-खवारिज (TTP) और पाकिस्तान में से किसी एक को चुनने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।’ सरकार ने पिछले वर्ष प्रतिबंधित तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान को ‘फितना अल-खवारिज’ के रूप में अधिसूचित किया था, जो कि इस्लामी इतिहास के एक ऐसे समूह का संदर्भ है जो हिंसा में शामिल था।

    फील्ड मार्शल मुनीर ने पहले सीडीएफ के रूप में कार्यभार संभाला है। सरकार ने मुनीर की नई भूमिका में नियुक्ति के लिए पांच साल के कार्यकाल को लेकर पिछले सप्ताह अधिसूचना जारी की। इसके साथ ही वह सेना प्रमुख के रूप में भी कार्य करेंगे। सीडीएफ का गठन पिछले महीने 27वें संविधान संशोधन और उसके बाद पाकिस्तान सेना, वायुसेना और नौसेना (संशोधन) विधेयक 2025 में किए गए बदलावों के बाद किया गया।

  • धुरंधर’ में दिखा लियारी का सच: जानें रहमान डकैत और एसपी असलम की असली कहानी

    धुरंधर’ में दिखा लियारी का सच: जानें रहमान डकैत और एसपी असलम की असली कहानी


    नई दिल्‍ली । भारत (India) से लेकर पाकिस्तान (Pakistan) तक, हाल ही में रिलीज हुई फिल्म धुरंधर (film Dhurandhar) ने एक बार फिर कराची के ल्यारी इलाके (Lyari area) को सुर्खियों में ला दिया है। आदित्य धर की इस स्पाई थ्रिलर में रणवीर सिंह, संजय दत्त और अक्षय खन्ना जैसे सितारे हैं। फिल्म में पाकिस्तान के इस कुख्यात ल्यारी इलाके की गैंगवार की कहानी को पर्दे पर उतारा गया है। फिल्म में अक्षय खन्ना ने रहमान डकैत का किरदार निभाया है, जबकि संजय दत्त एसपी चौधरी असलम की भूमिका में हैं। लेकिन क्या यह सिर्फ एक काल्पनिक कहानी है? नहीं, धुरंधर असल घटनाओं से प्रेरित है। 2000 के दशक में यह इलाका एक खूनी जंग का मैदान बन गया था। यहां गैंगवार की आग ने सैकड़ों जिंदगियां जला दीं। यहां ड्रग्स, एक्सटॉर्शन और हथियारों का कारोबार राज करता था। पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के राजनीतिक संरक्षण से पनपे अपराधी सिंडिकेट ने ल्यारी को ‘नो-गो जोन’ बना दिया था।

    ल्यारी का उदय: फुटबॉल से फायरफाइट तक
    ल्यारी कराची का सबसे पुराना और घनी आबादी वाला इलाका है, जहां बालोच, कच्छी, सिंधी और अन्य समुदाय सदियों से बसे हैं। 19वीं सदी में यह इलाका एक मजदूर कॉलोनी था, जहां डॉक वर्कर्स और ट्रक ड्राइवर रहते थे। 1960-70 के दशक तक यहां हशीश का छोटा-मोटा व्यापार फल-फूल रहा था। लेकिन अफगानिस्तान के सोवियत युद्ध (1979-89) के बाद हथियारों और ड्रग्स की बाढ़ आ गई। बेरोजगारी और गरीबी ने युवाओं को गैंग्स की ओर धकेल दिया।

    ल्यारी को ‘मिनी ब्राजील’ कहा जाता था यानी फुटबॉल क्लबों की भरमार और ओलंपिक बॉक्सर हुसैन शाह जैसे सितारे यहीं के थे। लेकिन 1980 के दशक से जातीय राजनीति ने रंग बदल दिया। पीपीपी यहां मजबूत थी, लेकिन वोट बैंक को कंट्रोल करने के लिए पार्टियों ने गैंग्स से हाथ मिला लिए। म्युत्ताहिदा कौमी मूवमेंट (एमक्यूएम) और पीपीपी के बीच टकराव ने हिंसा को हवा दी। 1990 के दशक तक ल्यारी में छोटे-मोटे अपराधी समूह उभर आए, जो किडनैपिंग, एक्सटॉर्शन और ड्रग ट्रैफिकिंग से कमाते थे।

    गैंगवार की जड़ें: हाजी लालू बनाम दादल और फिर रहमान डकैत का उदय
    ल्यारी की आधुनिक गैंगवार की शुरुआत 1960 के दशक के हशीश (चरस) व्यापार से हुई। दादल, शेरू, और ‘काला नाग’ जैसे नाम उस दौर के अपराध जगत में प्रभावी थे। 1990 के दशक में पढ़े-लिखे अपराधियों की नई पीढ़ी सामने आई- जैसे इकबाल उर्फ बाबू डकैत, जिसने ड्रग नेटवर्क को और अधिक संगठित रूप दिया। इसी काल में उभरकर आया सबसे प्रभावशाली नाम था सरदार अब्दुल रहमान बलोच, जिसे ल्यारी और बाकी कराची में रहमान डकैत के नाम से जाना गया।

    रहमान डकैत: डाकू से ‘पीसकीपर’ तक का सफर
    सरदार अब्दुल रहमान बालोच, उर्फ रहमान डकैत (1975-2009), ल्यारी गैंगवार का चेहरा था। एक छोटे अपराधी परिवार में जन्मे रहमान ने किशोरावस्था में ही अपराध की दुनिया में कदम रखा। स्थानीय लोगों के मुताबिक, उसने 13 साल की उम्र में पहली हत्या की और घरेलू झगड़े में अपनी मां को भी मार डाला – हालांकि यह पुष्ट नहीं है, लेकिन उनकी क्रूरता की मिसाल बन गया।

    2001 में हाजी लालू गैंग के पतन के बाद रहमान ने कंट्रोल ले लिया। उसने ड्रग्स, जुआ और एक्सटॉर्शन से लाखों कमाए, लेकिन साथ ही क्लिनिक, मदरसे और फुटबॉल टूर्नामेंट फंड किए। 2008 में पीपीपी ने उसे ‘पीपुल्स अमन कमिटी’ (पीएसी) का प्रमुख बनाया। यह ‘शांति समिति’ वोट बैंक संरक्षण का बहाना थी, लेकिन वास्तव में गैंग का कवर। रहमान को पीपीपी नेता जुल्फिकार मिर्जा और राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी का संरक्षण था।

    उनकी दुश्मनी अरशद पप्पू से थी, जो एमक्यूएम समर्थित था। 2003 में अर्शद ने उजैर बालोच (रहमान के चचेरे भाई) के पिता की हत्या कर दी, जिससे खूनी जंग छिड़ गई। सैकड़ों मौतें हुईं। ‘धुरंधर’ में अक्षय खन्ना का किरदार रहमान को एक करिश्माई लेकिन खतरनाक डाकू के रूप में दिखाता है – जो हकीकत से मेल खाता है।

    एसपी चौधरी असलम: ‘एनकाउंटर स्पेशलिस्ट’ की आग उगलती बंदूक
    चौधरी असलम खान (1963-2014) पाकिस्तान का सबसे विवादास्पद पुलिस अधिकारी था। 1980 के दशक में सिंध पुलिस में एएसआई के रूप में शामिल हुए असलम को ‘पाकिस्तान का डर्टी हैरी’ कहा जाता था। वह क्राइम इन्वेस्टिगेशन डिपार्टमेंट (सीआईडी) का हेड था और ल्यारी टास्क फोर्स के लीडर।

    असलम ने तालिबान और गैंग्स के खिलाफ बेरहम कार्रवाई की। 2006 में वह मशूक ब्रोही एनकाउंटर के लिए जेल गया, लेकिन 2007 में रिहा होकर लौटा। 2009 में उसने रहमान डकैत को ‘एनकाउंटर’ में मार गिराया – रहमान की पत्नी ने इसे फर्जी बताया और सिंध हाईकोर्ट ने असलम पर एफआईआर का आदेश दिया। 2012 के ऑपरेशन ल्यारी में असलम ने उजैर बालोच के गैंग पर हमला बोला, लेकिन 12 पुलिसकर्मी मारे गए।

    असलम को तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) से धमकियां मिलती रहीं। 9 जनवरी 2014 को ल्यारी एक्सप्रेसवे पर सुसाइड बॉम्बिंग में उसकी मौत हो गई। टीटीपी ने जिम्मेदारी ली। ‘धुरंधर’ में संजय दत्त का किरदार असलम को सिगरेट पीते, बंदूक चलाते ‘जिन्न’ के रूप में चित्रित करता है- जो उसकी वास्तविक छवि से प्रेरित है। असलम की पत्नी ने फिल्म पर आपत्ति जताई, इसे प्रोपगैंडा बताया।

    गैंगवार का चरम: खून की होली और राजनीतिक खेल
    रहमान की मौत के बाद उजैर बालोच ने कमान संभाली। 2013 में अरशद पप्पू का अपहरण कर सिर काट दिया गया- प्रतिद्वंद्वी गैंग ने उसके सिर से फुटबॉल खेली। बाबा लाडला जैसे गुटों ने विद्रोह किया। 2004-13 के बीच 800 से ज्यादा मौतें हुईं। पीपीपी और एमक्यूएम की राजनीति ने आग में घी डाला – गैंग्स वोटर मोबिलाइजेशन के लिए इस्तेमाल होते थे।

    कहते हैं कि आज ल्यारी शांत है- फुटबॉल क्लब फिर सक्रिय हैं, और 2024 में एक स्थानीय टीम ने नेशनल यूथ चैंपियनशिप जीती। लेकिन घाव बाकी हैं। उजैर के बारे में कहा जाता है कि वह आज भी जेल में सजा काट रहा है।

  • अनिरुद्धाचार्य महाराज बनाम इंद्रेश उपाध्याय: किस कथावाचक की नेटवर्थ और फीस है सबसे ज्यादा? जानिए पूरी कहानी

    अनिरुद्धाचार्य महाराज बनाम इंद्रेश उपाध्याय: किस कथावाचक की नेटवर्थ और फीस है सबसे ज्यादा? जानिए पूरी कहानी


    नई दिल्ली हाल ही में राजस्थान के जयपुर में हुई कथावाचक इंद्रेश उपाध्याय की भव्य और शाही शादी सोशल मीडिया पर खूब सुर्खियों में रही। ताज आमेर होटल में संपन्न हुई इस ग्रैंड वेडिंग के फोटो और वीडियो इंटरनेट पर वायरल होते रहे और लोगों ने इस रॉयल शादी की जमकर चर्चा की। लेकिन शादी की चमक-धमक के बीच एक दिलचस्प सवाल तेजी से सामने आने लगाआख़िर अनिरुद्धाचार्य महाराज और इंद्रेश उपाध्याय में से किसकी नेटवर्थ ज्यादा है- और कौन कथावाचन के लिए अधिक फीस लेते हैं?

    भारत में आध्यात्मिक कथावाचन की दुनिया पिछले कुछ वर्षों में काफी बदली है। सोशल मीडिया- डिजिटल मंचों और ग्लोबल कनेक्टिविटी के दौर में कुछ युवा कथावाचकों ने अपनी अनोखी शैली- आकर्षक व्यक्तित्व और प्रभावी वाणी से करोड़ों लोगों तक अपनी बात पहुंचाई है। इन्हीं में दो बड़े नाम हैंअनिरुद्धाचार्य महाराज और इंद्रेश उपाध्याय।एक 36 वर्ष के- तो दूसरे मात्र 28 वर्ष के- मगर दोनों की लोकप्रियता और फैन फॉलोइंग किसी सेलिब्रिटी से कम नहीं।

    कौन हैं अनिरुद्धाचार्य महाराज?
    अनिरुद्धाचार्य महाराज आज के समय में सबसे चर्चित युवा कथावाचकों में से एक माने जाते हैं। धर्म और जीवन से जुड़े गहरे संदेश को सरल और प्रभावशाली शैली में समझाना उनकी सबसे बड़ी खासियत है। उनकी कथा में जहां अध्यात्म होता है- वहीं आधुनिक सोच और जीवन प्रबंधन का बेहतरीन संतुलन भी दिखाई देता है। यही कारण है कि देश ही नहीं- बल्कि विदेशों में भी उनके कार्यक्रमों की जबरदस्त डिमांड है। बड़े आयोजन- विशाल पंडाल और हजारों की संख्या में श्रोता उनकी पहचान बन चुके हैं।

    इंद्रेश उपाध्याय कौन हैं?
    दूसरी ओर- 28 वर्षीय इंद्रेश उपाध्याय ने बेहद कम उम्र में वह लोकप्रियता हासिल कर ली है- जिसे पाने में कई कथावाचक वर्षों लगाते हैं। उनकी वाणी- शैली और प्रस्तुतिकरण युवाओं से लेकर बुजुर्गों तक- सभी को प्रभावित करता है।हाल ही में उनकी शाही शादी ने न केवल उन्हें सुर्खियों में ला दिया- बल्कि उनके जीवन और कमाई से जुड़ी चर्चाओं को भी हवा दी। उनकी हर कथा में भक्ति- भजन और सांस्कृतिक परंपराओं का अनोखा संगम देखने को मिलता है।

    फीस में किसकी है बढ़त?

    अब सवाल आता है कि अनिरुद्धाचार्य महाराज और इंद्रेश उपाध्याय में से अधिक फीस कौन लेते हैं? हालांकि आधिकारिक रूप से दोनों कथावाचकों द्वारा कभी सार्वजनिक रूप से फीस का खुलासा नहीं किया जाता लेकिन जो खबरें- मीडिया रिपोर्ट्स और अनुमान सामने आते हैं- उनसे पता चलता है कि अनिरुद्धाचार्य महाराज कीफीस इंद्रेश उपाध्याय से कहीं ज्यादा मानी जाती है। अनिरुद्धाचार्य महाराज की लोकप्रियता- उनके कार्यक्रमों की भव्यता और उनकी देश-विदेश में बढ़ती डिमांड के कारण उनकी फीस अधिक बताई जाती है वहीं इंद्रेश उपाध्याय भी अच्छी-खासी फीस लेते हैं- लेकिन उनकी उम्र और अनुभव की तुलना में अनिरुद्धाचार्य महाराज की डिमांड कहीं अधिक है।

    क्यों होती है इतनी चर्चा?
    दोनों कथावाचकों की सोशल मीडिया पर भारी फैन फॉलोइंग है। हर कार्यक्रम के साथ उनकी चर्चा और भी बढ़ जाती है। आध्यात्मिक जगत में उभरते इन युवा चेहरों ने कथावाचन की दुनिया को नए स्तर पर पहुंचा दिया है। उनकी लोकप्रियता का सीधा असर उनकी नेटवर्थ- इवेंट बुकिंग और फीस पर भी पड़ता है। यही वजह है कि लोग अक्सर यह जानने को उत्सुक रहते हैं कि दोनों में किसकी कमाई ज्यादा है।संक्षेप में कहें तोदोनों ही कथावाचक अपने-अपने क्षेत्र में बेहद लोकप्रिय हैं। परंतु जब फीस और डिमांड की बात आती है- तो अनिरुद्धाचार्य महाराज को बढ़त हासिल है।फिर भी- यह कहना गलत नहीं होगा कि आने वाले समय में इंद्रेश उपाध्याय भी अपनी लोकप्रियता और प्रतिभा के दम पर और भी बड़ी ऊंचाइयों को छू सकते हैं।

  • फाइनल लिस्ट जारी, IPL 2026 ऑक्शन में बाहर हुए हजारों खिलाड़ी

    फाइनल लिस्ट जारी, IPL 2026 ऑक्शन में बाहर हुए हजारों खिलाड़ी


    नई दिल्ली /IPL 2026 Auction list: इंडियन प्रीमियर लीग यानी आईपीएल 2026 (IPL 2026)के मिनी ऑक्शन के लिए खिलाड़ियों की लिस्ट फाइनल हो गई है। 1350 से ज्यादा खिलाड़ियों (Players)ने आईपीएल के ऑक्शन के लिए रजिस्ट्रेशन किया था, लेकिन फाइनल लिस्ट से 1000 से ज्यादा खिलाड़ी बाहर कर दिए गए हैं, क्योंकि ऑक्शन में सिर्फ 350 खिलाड़ी ही हिस्सा लेंगे। इनमें 25 नए खिलाड़ियों को शामिल किया गया है, जिन्होंने पहले रजिस्ट्रेशन(registration) नहीं किया था। मिनी ऑक्शन 16 दिसंबर को अबू धाबी(Abu Dhabi) में आयोजित होगा। इसकी जानकारी बोर्ड ने पहले ही दे दी थी।
    शुरुआत में बोर्ड ने 1355 खिलाड़ियों की एक लंबी लिस्ट जारी की थी, जिन्होंने ऑक्शन के लिए रजिस्ट्रेशन किय था। बाद में बीसीसीआई ने आपीएल की टीमों से उन नामों के बारे में पूछा था जिन्हें वे नीलामी पूल में देखना चाहते थे। छांटी गई फाइनल लिस्ट में 35 नए नाम शामिल हैं, जो शुरुआती लिस्ट का हिस्सा नहीं थे और उनमें से एक सरप्राइज एंट्री क्विंटन डिकॉक की है। साउथ अफ्रीका के विकेटकीपर बल्लेबाज ओरजिनल लिस्ट में नहीं थे, लेकिन उनका नाम बाद में कुछ फ्रेंचाइजियों के कहने पर शामिल किया गया है।
    क्रिकबज के मुताबिक, वह तीसरे लॉट में विकेटकीपर बल्लेबाजों के साथ हैं। 1 करोड़ रुपये की बेस प्राइस में वह उपलब्ध होंगे। 2 करोड़ रुपये में मेगा ऑक्शन में कोलकाता नाइट राइडर्स ने पिछले साल उनको खरीदा था। हालांकि, केकेआर ने उनको ऑक्शन से पहले रिलीज कर दिया था। अन्य नए खिलाड़ियों में श्रीलंकाई खिलाड़ियों का एक समूह शामिल है, जिनमे ट्रैवीन मैथ्यू, बिनुरा फर्नांडो, कुसल परेरा और डुनिथ वेलालगे।

    BCCI ने सोमवार (8 दिसंबर) रात को फ्रेंचाइजी को भेजे गए एक मेल में कहा, “नीलामी में 350 खिलाड़ी शामिल होंगे और यह मंगलवार, 16 दिसंबर को अबू धाबी के एतिहाद एरिना में UAE के समय के अनुसार दोपहर 1 बजे (भारतीय समय के अनुसार 2.30 बजे) शुरू होगी।” BCCI के अनुसार, प्लेयर ऑक्शन स्पेशलाइजेशन के क्रम में कैप्ड प्लेयर्स के पूरे राउंड के साथ शुरू होगा – बैट्समैन, ऑलराउंडर, विकेटकीपर/बैट्समैन, फास्ट बॉलर और स्पिन बॉलर, जिसके बाद अनकैप्ड प्लेयर्स का पूरा स्पेशलाइजेशन राउंड होगा। इस तरह कहा जा सकता है कि 1000 से ज्यादा खिलाड़ियों का आईपीएल खेलने का सपना यहीं टूट गया है।

    नए नाम:
    विदेशी खिलाड़ी: अरब गुल (अफगानिस्तान), माइल्स हैमंड (इंग्लैंड), डैन लेटगन (इंग्लैंड), क्विंटन डिकॉक (दक्षिण अफ्रीका) कॉनर एजथेरहुइजन (दक्षिण अफ्रीका), जॉर्ज लिंडे (दक्षिण अफ्रीका), बायंदा मजोला (दक्षिण अफ्रीका), ट्रैवीन मैथ्यू (श्रीलंका), बिनुरा फर्नांडो (श्रीलंका), कुसल परेरा (श्रीलंका), डुनिथ वेललेज (श्रीलंका), अकीम अगस्टे (वेस्टइंडीज)।

    भारतीय खिलाड़ी: सादेक हुसैन, विष्णु सोलंकी, साबिर खान, ब्रिजेश शर्मा, कनिष्क चौहान, आरोन जॉर्ज, जिक्कू ब्राइट, श्रीहरि नायर, माधव बजाज, श्रीवत्स आचार्य, यशराज पुंजा, साहिल पारख, रोशन वाघसरे, यश डिचोलकर, अयाज खान, धुरमिल मटकर, नमन पुष्पक, परीक्षित वलसांगकर, पूरव अग्रवाल, ऋषभ चौहान, सागर सोलंकी, इजाज सावरिया और अमन शेकावत।

  • कारों की सेल में तेजी… नवंबर में मजबूत रही मोटर वाहनों की खुदरा बिक्री

    कारों की सेल में तेजी… नवंबर में मजबूत रही मोटर वाहनों की खुदरा बिक्री


    नई दिल्ली।
    देश में मोटर वाहनों (Motor Vehicles) की खुदरा बिक्री (Retail Sales) नवंबर 2025 (November 2025) में भी मजबूत बनी रही। आमतौर पर त्योहारों के बाद बाजार में थोड़ी सुस्ती आ जाती है, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ। फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन (Federation of Automobile Dealers Association) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, नवंबर में कुल वाहन पंजीकरण 2% बढ़कर 33,00,832 इकाई हो गया, जबकि पिछले साल यह संख्या 32,31,526 थी। यानी वाहन खरीदने का उत्साह त्योहारों के बाद भी जारी रहा।

    पैसेंजर वाहन, तिपहिया वाहन, कॉमर्शियल वाहन और ट्रैक्टर श्रेणियों में बेहतर मांग ने इस वृद्धि को आगे बढ़ाया। फाडा अध्यक्ष सी.एस. विग्नेश्वर ने कहा कि लोग त्योहारों के बाद भी वाहन खरीदते रहे, और इस वजह से पिछले साल की तुलना में बिक्री तेज बनी रही। उन्होंने यह भी बताया कि पिछले साल दिवाली और धनतेरस अक्टूबर में आ गए थे, इसलिए नवंबर 2024 में बिक्री अचानक बहुत ज्यादा थी। इसके बावजूद इस साल नवंबर ने उस उच्च आधार पर भी अच्छी बढ़त दिखाई है।


    रफ्तार के पीछे कई बड़े कारण

    -सरकार द्वारा जीएसटी दरों में कटौती
    -ऑटो कंपनियों और डीलरों द्वारा मिल रहे अच्छे ऑफर और छूट
    -बड़े मॉडलों, खासकर एसयूवी की बेहतर उपलब्धता
    -शादी-विवाह के सीजन की मजबूत मांग


    किस-किस वाहन में कितनी बिक्री हुई?

    1. यात्री वाहन यानी कार-एसयूवी आदि की बिक्री 20% बढ़कर 3,94,152 इकाई हो गई।


    बिक्री बढ़ने की वजहें

    -जीएसटी में कटौती के बाद कीमतें कम होना
    -एसयूवी और कॉम्पैक्ट एसयूवी की जबरदस्त मांग
    -पहले से बुक किए गए मॉडलों की तेज डिलीवरी
    -शादी के सीजन में कार खरीदारी का बढ़ता रुझान

    2. दोपहिया वाहन का पंजीकरण नवंबर में 3% घटकर 25,46,184 इकाई रहा। हालांकि, एक सकारात्मक बात यह रही कि कुल वाहनों का स्टॉक घटकर 44-46 दिन रह गया है। पहले यह 53-55 दिनों का था। इससे पता चलता है कि डीलरशिप पर गाड़ियां ज्यादा समय तक नहीं अटक रहीं-यानी मांग बेहतर है।

    बिक्री घटने की वजहें

    -ग्रामीण इलाकों में थोड़ी कमजोर मांग
    -फाइनेंसिंग में सख्ती का असर शामिल है।

    3. वाणिज्यिक वाहन (ट्रक-बस) की बिक्री 20% बढ़कर 94,935 इकाई हुई।
    बिक्री बढ़ने की वजहें:
    -सड़कों और इन्फ्रास्ट्रक्चर से जुड़े कार्यों में तेजी
    -माल ढुलाई की बढ़ती जरूरत
    -सरकार की विभिन्न परियोजनाओं में नई मांग
    -जीएसटी सुधारों से लॉजिस्टिक सेक्टर को मिला फायदा

    4. तिपहिया वाहनों की बिक्री 24% बढ़कर 1,33,951 इकाई हो गई। ई-रिक्शा से लेकर बड़े तिपहिया वाहनों तक, सभी श्रेणियों में मांग रही।
    5. ट्रैक्टर का पंजीकरण नवंबर में 57% बढ़कर 1,26,033 इकाई पहुंच गया।
    इसकी वजहें
    -रबी फसल की तैयारी
    -किसानों के पास अच्छी आय
    -ग्रामीण बाजार में अपेक्षा से ज्यादा सुधार
    -ट्रैक्टर बाजार ने सबसे अच्छा प्रदर्शन किया।


    आगे भी तेजी की उम्मीद

    कुल मिलाकर, नवंबर का महीना वाहन बाजार के लिए उम्मीद से ज्यादा अच्छा रहा। यात्री वाहन, तिपहिया वाहन, वाणिज्यिक वाहन और ट्रैक्टरों ने तेजी दिखाई, जबकि दोपहिया सेगमेंट थोड़ा कमजोर रहा। लेकिन समग्र रूप से, ऑटो सेक्टर में सकारात्मक रुझान जारी है और आने वाले महीने भी मजबूत रहने की उम्मीद है। फाडा का मानना है कि अगले तीन महीनों में भी वाहन बिक्री अच्छी रहने की उम्मीद है।


    इस उम्मीद की वजहें

    -जीएसटी 2.0 सुधारों का असर
    -ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार
    -जनवरी 2026 में संभावित कीमत बढ़ोतरी से पहले खरीदारी
    -नए मॉडल लॉन्च
    -शादी-विवाह का लंबा सीजन

  • आतंकियों को पालने-पोषने के पर्याप्त सबूत… फिर भी PAK के लिए IMF ने खोला खजाना

    आतंकियों को पालने-पोषने के पर्याप्त सबूत… फिर भी PAK के लिए IMF ने खोला खजाना


    इस्लामाबाद।
    पाकिस्तान (Pakistan) में किस तरह से आतंकी अड्डे चल रहे हैं, ये पूरी दुनिया जानती है. हाल ही में इजरायल (Israel) ने लश्कर ए तैयबा (Lashkar-e-Taiba) को लेकर भारत के हाथ मिलाने का भी ऑफर दिया है, उधर भारत (India) यूनाइटेड नेशंस में पर्याप्त सबूत दे चुका है कि पाकिस्तान का पैसा कहां जा रहा है. बावजूद इसके अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund.- IMF) ने एक बार फिर पाकिस्तान के लिए अपना खजाना खोल दिया है. राहत के नाम पर उसने पाकिस्तान के लिए 1.2 अरब डॉलर के लोन की किस्त को मंजूरी दी है।

    इस फैसले के साथ पाकिस्तान का IMF कार्यक्रम फिलहाल ट्रैक पर बना रहेगा और उसे अपने विदेशी मुद्रा भंडार को मजबूत करने में मदद मिलेगी. IMF बोर्ड की मंजूरी के बाद यह फंड अगले कुछ दिनों में पाकिस्तान को जारी किया जाएगा. इस लोन से पाकिस्तान खस्ताहाल आर्थिक हालात को थोड़ी राहत मिलेगी. पाकिस्तान के लिए यह राशि बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि सब जानते हैं कि उसका ध्यान हालात सुधारने पर कम और हथियारों का जखीरा बढ़ाने पर ज्यादा है।

    IMF ने क्या रखी हैं शर्तें?

    IMF ने साफ किया है कि पाकिस्तान को आगे भी राजस्व बढ़ाने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे. इसके लिए सरकार को टैक्स वसूली में सुधार, घाटा कम करने और आर्थिक सुधारों की रफ्तार बढ़ाने पर जोर देना होगा. इसके साथ ही IMF ने पाकिस्तान को सरकारी कंपनियों के निजीकरण को तेज करने की भी सलाह दी है. संस्था का कहना है कि घाटे में चल रही सरकारी इकाइयां पाकिस्तान की आर्थिक स्थिरता में बड़ा रोड़ा बनी हुई हैं. हालांकि पाकिस्तान को इससे वाकई राहत तभी मिलेगी, जब वो देश में संरचनात्मक सुधारों को गंभीरता से लागू करे न कि इस पैसे को आतंकवाद को स्पॉन्सर करने और हथियारों का भंडार भरने में लगाए।

    आपको जानकर हैरानी होगी कि साल 2024 में IMF ने पाकिस्तान के लिए एक नया 37 महीने का एक्सटेंडेड फंड फैसिलिटी प्रोग्राम मंजूर किया था, जिसकी कुल राशि करीब US$ 7 बिलियन थी. इसमें से करीब 3 बिलियन की रकम पाकिस्तान को दी जा चुकी है लेकिन आज भी पाकिस्तान में जनता को मूलभूत चीजों के लिए सोचना पड़ता है. खाने-पीने की चीजों के दाम इतने हैं कि आम लोगों की थाली से पोषण गायब होता जा रहा है. बावजूद इसके पाकिस्तान के हथियारों के भंडार भर रहे हैं, ऐसे में साफ समझ में आता है कि पाकिस्तान के इन राहत पैकेजों की प्राथमिकता में सिर्फ और सिर्फ लड़ाई की तैयारी है।