SIR प्रक्रिया और नाम कटने की वजह
SIR प्रक्रिया का मुख्य उद्देश्य मतदाता सूची को साफ और सही बनाना है ताकि चुनावों में कोई धोखाधड़ी न हो। इस दौरान मृतशिफ्टेड या अनुपस्थित मतदाताओं के नाम हटाए जाते हैंऔर जिनका नाम डबल एंट्री के रूप में दर्ज हैउनका नाम भी हटाया जाता है। इन कदमों से सूची में वास्तविक और सक्रिय मतदाताओं की संख्या सुनिश्चित होती है।
भोपाल में जिन 4.43 लाख मतदाताओं के नाम कटने की संभावना जताई गई हैउनमें से अधिकांश मृत और शिफ्टेड मतदाता हैंजिनकी जानकारी नियमित रूप से अपडेट नहीं की गई थी। इसके अलावाकई मतदाताओं के नाम डबल एंट्री के कारण भी कटने जा रहे हैं। इस प्रक्रिया को लेकर चुनाव आयोग ने बूथ लेवल अधिकारी से सभी नामों की वेरिफिकेशन कराने का निर्देश दिया है।
राजनीतिक दलों का रुख और आयोग की प्रतिक्रिया
चुनाव आयोग के आब्जर्वर ब्रजमोहन मिश्रा ने शुक्रवार को सभी प्रमुख राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों से मुलाकात की। इस बैठक में उन्होंने इन नामों को वेरिफाई कराने का सुझाव दिया ताकि कोई भी मतदाता बिना वजह सूची से बाहर न हो जाए। आयोग ने यह भी निर्देश दिया कि 18 दिसंबर तक गणना पत्रक जमा किए जाएं।
हालांकिविधानसभा क्षेत्रों में जहां ज्यादा मतदाता सूची का पुनरीक्षण किया जा रहा हैआयोग ने कुछ क्षेत्रों में बीएलओ की कामकाजी स्थिति की भी समीक्षा की। नरेलामध्यगोविंदपुरा और हुजूर जैसी विधानसभाओं में बीएलओ के काम को और कड़ी निगरानी में रखने का निर्णय लिया गया थालेकिन आयोग के वरिष्ठ अधिकारी छत्तीसगढ़ के लिए रवाना हो गए।
भविष्य की दिशा और चुनौती
इस पुनरीक्षण प्रक्रिया से निश्चित रूप से मतदाता सूची में सुधार होगालेकिन इसके परिणामस्वरूप कुछ राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को असंतोष भी हो सकता हैविशेष रूप से उन क्षेत्रों में जहां नाम काटे गए हैं। चुनाव आयोग को यह सुनिश्चित करना होगा कि यह प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी और निष्पक्ष रहेताकि भविष्य में कोई विवाद न उठे।
इतना ही नहींराजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को भी मतदाता सूची में सुधार की इस प्रक्रिया को सकारात्मक दृष्टिकोण से देखना चाहिएक्योंकि यह चुनावी प्रणाली को मजबूत और निष्पक्ष बनाता है। अगर प्रक्रिया ठीक से लागू होती है तो यह चुनावों की विश्वसनीयता को बढ़ाएगा और लोगों का विश्वास बनाए रखेगा।









