चित्रकूट कोषागार घोटाले का खुलासा और सख्त कदम
चित्रकूट कोषागार में 43.13 करोड़ रुपये के घोटाले के बाद सरकार ने यह फैसला लिया है। इस घोटाले में एक वरिष्ठ लिपिक द्वारा सॉफ्टवेयर में हेरफेर करके फर्जी तरीके से करोड़ों रुपये ट्रांसफर किए गए थे। घोटाले के खुलासे के बाद सरकार ने एनआईसीएस सॉफ्टवेयर को नए ढांचे में विकसित करने का निर्णय लिया है। अब पेंशन और एरियर के बिल अलग-अलग लिंक से जनरेट होंगे और दोनों भुगतान समूहों को अलग पहचान देने के लिए अतिरिक्त जानकारी जोड़ी जाएगी।
कोषागारों में विशेष जांच और सुरक्षा
इस नई व्यवस्था से पेंशन और एरियर का भुगतान पारदर्शी होगा और किसी एक खाते में गलत तरीके से रकम ट्रांसफर होने की संभावना भी कम होगी। जिलाधिकारियों और कोषाधिकारियों को इस संबंध में आदेश जारी कर दिए गए हैं। इसके अलावा, सरकार ने 93 पेंशनरों की सूची तैयार की है जिनके खाते में गलत तरीके से पैसे ट्रांसफर किए गए थे। इन खातों की विशेष जांच की जा रही है और 24 जिलों के कोषागारों में ऑडिट भी कराया जाएगा।
नई व्यवस्था से वित्तीय पारदर्शिता
सरकार ने इस नई व्यवस्था से यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया है कि पेंशन एरियर के भुगतान में हेराफेरी की कोई गुंजाइश न हो। इससे पेंशनरों को मिलने वाली राशि का भुगतान अधिक सुरक्षित और न्यायसंगत तरीके से किया जा सकेगा। यह कदम वित्तीय प्रणाली में पारदर्शिता लाएगा और पेंशनरों के अधिकारों की रक्षा करेगा।
चित्रकूट कोषागार घोटाले के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने पेंशन और एरियर भुगतान को अलग-अलग सॉफ्टवेयर लिंक से जनरेट करने का फैसला लिया है। यह कदम पेंशन प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और सुरक्षित बनाएगा, जिससे भविष्य में किसी प्रकार की वित्तीय धोखाधड़ी को रोका जा सकेगा।









