AIIMS की सबसे बड़ी स्टडी: कोविड वैक्सीन और युवाओं की अचानक मौत में 'कोई संबंध नहीं'


नई दिल्ली/ दिल्ली स्थित AIIMS ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज की हालिया स्टडी में यह पुष्टि हुई है कि कोरोना वायरस के टीकाकरण और युवाओं 18-45 साल में अचानक मौतों के बीच कोई वैज्ञानिक संबंध नहीं है। यह अध्ययन फोरेंसिक और पैथोलॉजिकल जांच पर आधारित है और कोविड वैक्सीन की सुरक्षा को दोहराता है। स्टडी में एक वर्ष के दौरान अचानक मौत के 2,214 मामलों का अध्ययन किया गया, जिनमें से 180 मामलों को अचानक मौत माना गया। इसमें दुर्घटना, आत्महत्या, हत्या और ड्रग्स से मौत के केस बाहर रखे गए। हर मामले में परिवार से बातचीत करके मृतक की पुरानी बीमारियों, कोविड संक्रमण का इतिहास, वैक्सीनेशन स्टेटस, धूम्रपान-शराब की आदतें जैसी जानकारियां जुटाई गईं। अध्ययन में मौखिक ऑटोप्सी, पोस्ट-मॉर्टम इमेजिंग, पारंपरिक ऑटोप्सी और हिस्टोपैथोलॉजिकल जांच शामिल थी। शोध टीम में फोरेंसिक विशेषज्ञ, पैथोलॉजिस्ट, रेडियोलॉजिस्ट और क्लिनिशियन शामिल थे।

मुख्य निष्कर्ष:

कोविड वैक्सीन सुरक्षित: टीकाकरण की स्थिति और अचानक मौतों के बीच कोई सांख्यिकीय संबंध नहीं पाया गया। हृदय रोग प्रमुख कारण: युवाओं में अचानक मौत का सबसे आम कारण अस्पष्ट हृदय रोग रहा। इसके बाद श्वसन प्रणाली और अन्य गैर-हृदय संबंधी कारण जिम्मेदार थे। युवाओं और बड़ों की तुलना: 18-45 साल के युवाओं और 46-65 साल के बड़ों में कोविड-19 का इतिहास और टीकाकरण लगभग समान पाया गया। सुरक्षा और जागरूकता: डॉक्टरों ने कहा कि अचानक मौतों के पीछे छिपे हृदय रोग और जीवनशैली संबंधी कारण ज़्यादातर जिम्मेदार हैं। इसलिए समय पर जांच, स्वस्थ जीवनशैली और इलाज जरूरी है। AIIMS के प्रोफेसर डॉ. सुधीर अरावा ने कहा, झूठे दावों और अफवाहों के बीच यह स्टडी बहुत जरूरी थी। इससे साबित होता है कि युवाओं में अचानक मौतें कोविड-19 टीकाकरण से संबंधित नहीं हैं। इस अध्ययन के नतीजे दुनिया भर के वैज्ञानिक अध्ययनों से मेल खाते हैं, जो कोविड-19 वैक्सीन को सुरक्षित और प्रभावी बताते हैं।

स्टडी की अवधि और तरीका:

समय: मई 2023 से अप्रैल 2024 कुल मामले: 2,214 लाशों में से 180 अचानक मौत छानबीन: पारिवारिक जानकारी, स्वास्थ्य इतिहास, ऑटोप्सी, पोस्ट-मॉर्टम इमेजिंग निष्कर्ष: टीकाकरण और अचानक मौत में कोई संबंध नहीं युवाओं में अचानक मौतें मुख्य रूप से अस्पष्ट हृदय रोगों और जीवनशैली से संबंधित कारणों से होती हैं, न कि कोविड-19 वैक्सीन से। विशेषज्ञों का कहना है कि जल्दी जांच, सही जीवनशैली और समय पर इलाज से इन मौतों को रोका जा सकता है।