500 में से कई क्लीनिक पहले ही हो चुके हैं बंद
दिल्ली में करीब 500 मोहल्ला क्लीनिक संचालित किए जा रहे थे, जो प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं के लिए बेहद महत्वपूर्ण माने जाते रहे हैं। यहां लोगों को मुफ्त खून की जांच, किडनी फंक्शन टेस्ट लिवर फंक्शन टेस्ट, विटामिन लेवल टेस्ट डायबिटीज कोलेस्ट्रॉल ब्लड शुगर हीमोग्लोबिन सहित 90 से अधिक प्रकार की पैथोलॉजी जांचें उपलब्ध कराई जाती थीं। मोहल्ला क्लीनिकों में कार्यरत एक डॉक्टर के अनुसार, सरकार की नीति और बजट संबंधी बाधाओं के चलते करीब 200 मोहल्ला क्लीनिक पहले ही बंद हो चुके हैं और अब 95 और क्लीनिक बंद होने की सूची में शामिल होने जा रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी में डॉक्टर
सरकार के इस ताज़ा निर्णय ने डॉक्टरों और कर्मचारियों में भारी चिंता पैदा कर दी है। डॉक्टरों का स्पष्ट कहना है कि इतनी बड़ी संख्या में क्लीनिक बंद करने का फैसला न केवल स्वास्थ्य सेवाओं को प्रभावित करेगा बल्कि सैकड़ों कर्मचारियों की आजीविका पर भी सीधा असर डालेगा। कई डॉक्टरों ने बताया कि वे इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की तैयारी कर रहे हैं। डॉक्टरों ने आपसी बैठक कर यह निर्णय लिया कि कानूनी तौर पर सरकार से जवाब मांगा जाएगा और क्लीनिक बंद न हों, इसके लिए हर संभव कदम उठाया जाएगा।
121 मोहल्ला क्लीनिक बंद करने का फैसला पहले ही हो चुका था
कुछ दिन पहले ही दिल्ली सरकार की ओर से 121 मोहल्ला क्लीनिकों को बंद करने का फैसला लिया गया था। कर्मचारियों के अनुसार इस निर्णय के परिणामस्वरूप डॉक्टर फार्मासिस्ट, लैब टेक्निशियन और अन्य स्टाफ कुल मिलाकर 600 से अधिक लोगों की नौकरियां खतरे में पड़ गई हैं। लगातार नोटिस जारी होने और नई सूची सामने आने से कर्मचारियों की चिंता और बढ़ गई है।
121 डॉक्टरों को एक साथ मिला टर्मिनेशन लेटर
30 अक्टूबर को स्थिति और गंभीर हो गई, जब मोहल्ला क्लीनिकों में सेवाएं दे रहे 121 डॉक्टरों को अचानक नौकरी से हटाने का लेटर मिल गया। डॉक्टरों के अनुसार उन्हें दो सप्ताह का समय दिया गया है जिसके बाद उनकी सेवाएं समाप्त मानी जाएंगी। कई डॉक्टरों ने बताया कि इस तरह अचानक लिए गए निर्णय से वे मानसिक रूप से बेहद परेशान हैं और किसी भी समय नई नौकरी मिलने की उम्मीद भी कम है।
अन्य कर्मचारियों पर भी संकट ANM और मल्टी-टास्क स्टाफ को लेटर जारी
डॉक्टरों के अलावा बड़ी संख्या में ऑक्ज़िलरी नर्सिंग मिडवाइफ और मल्टी-टास्क स्टाफ को भी नौकरी से निकालने का नोटिस दिया गया है। सूत्रों के अनुसार कुल मिलाकर सैकड़ों कर्मचारी ऐसे हैं जो बेरोजगार होने वाले हैं। यह स्थिति न केवल स्वास्थ्य क्षेत्र में अस्थिरता पैदा कर रही है बल्कि परिवारों की आर्थिक स्थिति को भी गहरा आघात पहुंचा रही है।
लोगों के लिए बढ़ेगी स्वास्थ्य सेवाओं की मुश्किलें
अगर यह निर्णय लागू होता है तो दिल्ली की आम जनता, खासकर निम्न और मध्यम वर्ग को भारी परेशानी का सामना करना पड़ेगा। मोहल्ला क्लीनिकों के बंद होने से मुफ्त जांच प्राथमिक उपचार और डॉक्टरों की सुविधाएं कम हो जाएंगी, जिसकी वजह से सरकारी अस्पतालों में भीड़ और लंबी कतारें बढ़ने की संभावना है। क्लीनिकों की शुरुआत दिल्ली में स्वास्थ्य सेवाओं को लोगों की पहुंच में लाने के लिए की गई थी। लेकिन आज वही प्रोजेक्ट राजनीतिक, आर्थिक और प्रशासनिक कारणों से कठिन दौर से गुजर रहा है। डॉक्टरों का कहना है कि लड़ाई अब उनके अस्तित्व की है, और वे इसे अदालत में चुनौती देने के लिए तैयार हैं। आगे अदालत और सरकार का क्या रुख होगा, यही आने वाले समय में दिल्ली की स्वास्थ्य सेवाओं की दिशा तय करेगा।
