अधिकमास क्या है
हिंदू पंचांग के अनुसार हर 2-3 वर्षों में एक अतिरिक्त महीना जुड़ता है जिसे अधिकमास अधिकार मास या मलमास कहा जाता है। यह अतिरिक्त महीना तब जुड़ता है जब सूर्य किसी भी राशि में प्रवेश नहीं करता और चंद्र मास और सौर मास की गति में अंतर पैदा हो जाता है। इस कारण पंचांग की गणना में एक और महीना जुड़ता है ताकि यह अंतर संतुलित किया जा सके।
अधिकमास का धार्मिक महत्व बहुत अधिक है क्योंकि इस महीने में किए गए व्रत तप पूजा और दान का फल सामान्य दिनों की तुलना में कई गुना अधिक माना जाता है। 2026 में ज्येष्ठ अधिकमास के कारण यह वर्ष आध्यात्मिक दृष्टि से विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
धार्मिक दृष्टि से अधिकमास का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अधिकमास का महीना अत्यंत पवित्र और पुण्य फलदायक होता है। इस माह में किए गए धार्मिक कार्यों व्रत साधना और दान का फल कई गुना अधिक मिलता है। यह महीना विशेष रूप से भगवान पुरुषोत्तम की पूजा के लिए जाना जाता है। इस दौरान लोग तीर्थ यात्रा भजन कीर्तन पूजा और दान आदि पुण्य कार्य करते हैं जो उनके जीवन में आशीर्वाद और समृद्धि लेकर आते हैं।
पंडित अमर डिब्बेवाला के अनुसार ज्येष्ठ अधिकमास का विशेष धार्मिक महत्व है और यह माह करीब 58-59 दिनों तक रहेगा। इस दौरान धार्मिक कार्यों और पुण्य कार्यों को बढ़-चढ़कर किया जाता है। इसे पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है और इस महीने के दौरान विशेष रूप से भगवान पुरुषोत्तम की साधना की जाती है।
क्या करें इस माह में
इस महीने में किए जाने वाले कुछ विशेष धार्मिक कार्यों में शामिल हैं धार्मिक अनुष्ठान और पूजन जैसे भजन कीर्तन भागवत और अन्य धार्मिक कार्य।तीर्थ यात्रा पर जाना और पवित्र नदियों में स्नान करना। विशेषकर शिप्रा नदी में स्नान करने और महाकालेश्वर मंदिर में पूजा अर्चना करने की परंपरा है।ब्राह्मणों को दान देना और गरीबों की सहायता करना। इस दौरान लोग अपने पितरों का तर्पण करने के लिए भी विशेष पूजा करते हैं।
ज्येष्ठ अधिकमास का खगोलीय संयोग
वर्ष 2026 का ज्येष्ठ अधिकमास विशेष खगोलीय संयोग का हिस्सा है। इस दौरान सूर्य और चंद्रमा की स्थिति ऐसी होती है कि अतिरिक्त महीना जोड़ने की आवश्यकता होती है। इस समय का प्रभाव पूरे साल में पड़ता है और 2026 का यह अधिकमास विशेष रूप से एक आदर्श समय माना जा रहा है जब विभिन्न धार्मिक कार्यों के जरिए जीवन में सुख समृद्धि और शांति प्राप्त की जा सकती है।
साल 2026 के इस 13 महीने के पंचांग में धार्मिक और आध्यात्मिक गतिविधियों का एक नया अध्याय शुरू होगा जो भविष्य में आने वाले कुंभ मेले से पहले एक बेहद महत्वपूर्ण संयोग रहेगा। इस समय को धार्मिक अनुष्ठानों और पुण्य कार्यों के लिए उपयुक्त माना जा रहा है और लोग इस अवसर का पूरा लाभ उठाने के लिए तैयार हैं।
