पदोन्नति प्रक्रिया
बैठक में अधिकारियों के विभिन्न पदों पर पदोन्नति के लिए चर्चा की गई। डिप्टी कलेक्टर से संयुक्त कलेक्टर के पद के लिए 9 अधिकारियों पर विचार किया गयाजिनमें से 7 अधिकारियों को पदोन्नति दी गईजबकि दो के नाम रोके गए। इसी तरहसंयुक्त कलेक्टर से अतिरिक्त कलेक्टर के पद के लिए 72 अधिकारियों को पदोन्नति देने का निर्णय लिया गया। हालांकिइस श्रेणी में 13 अधिकारियों को विभिन्न कारणों से पदोन्नति के योग्य नहीं माना गया।इसके अतिरिक्तकुछ अधिकारियों को उच्च वेतनमान देने का भी निर्णय लिया गयाजबकि कुछ अधिकारियों की पदोन्नति रोकी गई।
विभागीय जांच और प्रतिकूल गोपनीय चरित्रावली
25 अधिकारियों के नाम पदोन्नति सूची से बाहर किए गएक्योंकि उनके खिलाफ विभागीय जांच चल रही थी या उनके गोपनीय चरित्रावली में प्रतिकूल प्रविष्टियां थीं। इन अधिकारियों के पदोन्नति का निर्णय फिलहाल रोक दिया गया है। यह निर्णय प्रशासनिक प्रक्रिया और पारदर्शिता को सुनिश्चित करने के लिए लिया गया हैताकि पदोन्नति केवल उन्हीं अधिकारियों को मिलेजिनकी कार्यक्षमता और चरित्र साफ-सुथरा हो।
आइपीएस अधिकारियों के लिए पदोन्नति
आइपीएस अधिकारियों के लिए पदोन्नति समिति की बैठक 19 दिसंबर को प्रस्तावित की गई है। इसमें तीन अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक को विशेष महानिदेशकदो पुलिस महानिरीक्षक को अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक16 पुलिस अधीक्षक स्तर के अधिकारियों को उप पुलिस महानिरीक्षक और आठ अधिकारियों को सलेक्शन ग्रेड में पदोन्नति देने का प्रस्ताव है।
भविष्य की दिशा
पदोन्नति प्रक्रिया से यह साफ हो जाता है कि प्रशासनिक सेवा में पारदर्शिता और ईमानदारी को प्राथमिकता दी जा रही है। अधिकारियों के चयन में उनकी कार्यक्षमता के साथ-साथ उनके चरित्र का भी मूल्यांकन किया जा रहा है। हालांकिपदोन्नति से जुड़े विवाद और अड़चनों से बचने के लिए यह जरूरी होगा कि अधिकारियों के खिलाफ चल रही विभागीय जांच पूरी पारदर्शिता से पूरी की जाए। यह निर्णय निश्चित रूप से राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम हैजो उनके कार्यक्षेत्र में दक्षता और ईमानदारी को बढ़ावा देगा।
