अनिरुद्धाचार्य का विवादित हमला: मीडिया को बताया ‘मंथरा का अपडेट वर्जन’, साजिश और धमकी तक का आरोप


नई दिल्ली। कथावाचक और धार्मिक वक्ता अनिरुद्धाचार्य एक बार फिर अपने तीखे और विवादित बयानों को लेकर चर्चा में आ गए हैं। हाल ही में एक सार्वजनिक मंच से उन्होंने मीडिया के एक वर्ग पर जोरदार हमला बोलते हुए उसे मंथरा का अपडेट वर्जन और धृतराष्ट्र तक कह दिया। अनिरुद्धाचार्य का आरोप है कि कुछ मीडिया संस्थान और पत्रकार टीआरपी की दौड़ में उनके खिलाफ झूठी खबरें फैलाने और साजिश रचने का काम कर रहे हैं। अपने बयान में अनिरुद्धाचार्य ने कहा कि आज का मीडिया सच दिखाने के बजाय सनसनी फैलाने में ज्यादा दिलचस्पी ले रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ चैनल और पत्रकार लगातार उनके नाम को विवादों से जोड़कर पेश करते हैं, जबकि उनके सामाजिक और धार्मिक कार्यों को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया जाता है। उन्होंने कहा कि वे सनातन धर्म के प्रचार के साथ-साथ वृद्धाश्रम, शिक्षा और गौसेवा जैसे कार्यों में वर्षों से सक्रिय हैं, लेकिन मीडिया इन पहलुओं को कभी प्रमुखता से नहीं दिखाती।

अपनी उम्र और सेवा कार्यों का जिक्र करते हुए अनिरुद्धाचार्य ने बताया कि वे 35 वर्ष के हैं और महज 25 साल की उम्र से ही समाजसेवा में लगे हुए हैं। उनका कहना है कि इसके बावजूद मीडिया उनके काम की बजाय उनके बयानों को तोड़-मरोड़कर पेश करती है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जिस तरह कभी-कभी मीडिया बिना पुष्टि के गलत खबरें चला देता है, उसी का नतीजा है कि एक बार अभिनेता धर्मेंद्र के जीवित रहते हुए उनकी मौत की खबर फैला दी गई थी। यह मीडिया की जल्दबाजी और गैर-जिम्मेदारी को दिखाता है। लिव-इन रिलेशनशिप को लेकर दिए गए अपने पुराने बयान का जिक्र करते हुए अनिरुद्धाचार्य ने कहा कि उन्होंने केवल भारतीय संस्कृति के संदर्भ में अपनी राय रखी थी। उनके अनुसार, लिव-इन रिलेशनशिप भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों का हिस्सा नहीं है। इस विषय पर राय रखने के बाद ही मीडिया का एक वर्ग उनके पीछे पड़ गया और लगातार उनके खिलाफ रिपोर्टिंग करने लगा। उन्होंने आरोप लगाया कि टीआरपी के लिए उनके बयान को गलत ढंग से पेश किया गया और जानबूझकर विवाद खड़ा किया गया।

अनिरुद्धाचार्य ने यह भी दावा किया कि उनके खिलाफ झूठी एफआईआर और अफवाहें तक फैलाई गईं। उन्होंने कहा कि उन्होंने आज तक किसी का नुकसान नहीं किया, न ही किसी को भड़काने का काम किया, इसके बावजूद उन्हें बार-बार विवादों में घसीटा जाता है। उनका आरोप है कि कुछ पत्रकार और मीडिया संस्थान सनातन धर्म के खिलाफ पूर्वाग्रह के साथ काम कर रहे हैं।अपने सबसे तीखे शब्दों में उन्होंने मीडिया की तुलना रामायण की मंथरा से करते हुए कहा कि जैसे मंथरा ने साजिश कर परिवारों में फूट डाली थी, वैसे ही आज का मीडिया समाज को बांटने का काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि पहले मंथरा हिंदुओं को आपस में लड़वाती थी और अब वही भूमिका मीडिया निभा रहा है। इसके साथ ही उन्होंने मीडिया को धृतराष्ट्र बताते हुए कहा कि यह सच देखने के बावजूद आंखें मूंद लेता है।

अनिरुद्धाचार्य ने यहां तक कहा कि टीआरपी की होड़ में मीडिया किसी की जान को भी खतरे में डाल सकता है। उन्होंने आरोप लगाया कि सनातन धर्म की सेवा करने वालों के खिलाफ साजिशें रची जा सकती हैं और उन्हें बदनाम करने या नुकसान पहुंचाने की कोशिश हो सकती है। उनके इस बयान को कई लोग धमकी भरे लहजे के तौर पर भी देख रहे हैं। गौरतलब है कि यह पहली बार नहीं है जब अनिरुद्धाचार्य अपने बयानों को लेकर विवादों में आए हों। इससे पहले भी उनके कुछ वक्तव्यों पर सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिली हैं और कुछ मामलों में कानूनी नोटिस तक की नौबत आई है। उनका ताजा बयान एक बार फिर सोशल मीडिया और मीडिया जगत में बहस का मुद्दा बन गया है। जहां उनके समर्थक इसे सच बोलने की हिम्मत बता रहे हैं, वहीं आलोचक इसे गैर-जिम्मेदाराना और भड़काऊ करार दे रहे हैं।