हिजाब विवाद पर उमर अब्दुल्ला का नीतीश कुमार पर तीखा हमला, बोले– यह शर्मनाक और पिछड़ी सोच को दर्शाता है

नई दिल्ली/श्रीनगर।एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान एक मुस्लिम युवती का हिजाब हटाने को लेकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लगातार विवादों में घिरे हुए हैं। इस मामले ने अब राष्ट्रीय राजनीति में भी तूल पकड़ लिया है। जम्मूकश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इस घटना पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए नीतीश कुमार की आलोचना की है और इसे शर्मनाकअस्वीकार्य और पिछड़ी सोच का प्रतीक बताया है। श्रीनगर में पत्रकारों से बातचीत के दौरान उमर अब्दुल्ला ने कहा कि किसी भी लोकतांत्रिक और सभ्य समाज में किसी महिला के पहनावे को लेकर सार्वजनिक तौर पर दखल देना गलत है। उन्होंने कहा कि यह घटना न केवल महिला की गरिमा के खिलाफ हैबल्कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता और धार्मिक आज़ादी पर भी सीधा हमला है।

पहले भी हो चुकी हैं ऐसी घटनाएं

उमर अब्दुल्ला ने यह भी कहा कि इस तरह की घटनाएं कोई नई बात नहीं हैं। उन्होंने पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी PDP प्रमुख महबूबा मुफ्ती से जुड़ी एक पुरानी घटना का जिक्र करते हुए कहा कि राजनीति में सत्ता के दौरान ऐसी सोच पहले भी सामने आती रही है।उन्होंने कहा मेरे चुनाव के समय भी एक घटना सामने आई थीजब एक वैध महिला वोटर का पोलिंग स्टेशन के अंदर बुर्का हटवाया गया था। यह उसी मानसिकता का हिस्सा है। तब जो हुआवह दुर्भाग्यपूर्ण था और आज जो नीतीश कुमार के मामले में हुआ हैवह भी उतना ही शर्मनाक है।

महिला का सार्वजनिक अपमान अस्वीकार्य

नीतीश कुमार पर सीधे निशाना साधते हुए उमर अब्दुल्ला ने कहा कि किसी भी परिस्थिति में किसी महिला का सार्वजनिक रूप से अपमान नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि मुख्यमंत्री खुद नियुक्ति पत्र नहीं देना चाहते थेतो वे ऐसा करने से इनकार कर सकते थेलेकिन किसी महिला को मंच पर इस तरह अपमानित करना पूरी तरह गलत है।उमर अब्दुल्ला ने यह भी कहा कि नीतीश कुमार को लंबे समय तक एक धर्मनिरपेक्षसंवेदनशील और समझदार नेता के रूप में देखा गयालेकिन इस तरह की घटनाएं उनकी छवि पर सवाल खड़े करती हैं।उन्होंने कहा धीरेधीरे नीतीश कुमार की असली सोच सामने आ रही हैजिसे अब तक लोग अलग नजरिए से देखते थे।

लोकतंत्र और व्यक्तिगत आज़ादी पर सवाल
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसारयह विवाद केवल एक घटना तक सीमित नहीं हैबल्कि यह महिलाओं के अधिकारधार्मिक स्वतंत्रता और व्यक्तिगत पसंद जैसे मुद्दों से जुड़ा हुआ है। उमर अब्दुल्ला का बयान इस बात की ओर इशारा करता है कि देश में सार्वजनिक पदों पर बैठे नेताओं से संवेदनशीलता और जिम्मेदारी की अपेक्षा की जाती है। वित्तीय मुद्दों पर केंद्र सरकार को भी घेराइस दौरान उमर अब्दुल्ला ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की राज्यों के वित्तीय अनुशासन पर की गई टिप्पणी पर भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि जम्मूकश्मीर को विरासत में मिली आर्थिक चुनौतियों के साथ काम करना पड़ रहा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि राज्य का दर्जा खत्म होने के बाद जम्मूकश्मीर को केंद्रीय करों में हिस्सेदारी नहीं मिल रही हैजिससे बजट पर दबाव बढ़ा है।उमर अब्दुल्ला ने कहाहम आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर नहीं हैं और केंद्र सरकार पर निर्भर हैं। इसके बावजूद हमने वित्तीय अनुशासन बनाए रखा है।

वित्तीय जिम्मेदारी का दावा
मुख्यमंत्री ने दावा किया कि पिछले 15–16 महीनों में उनकी सरकार ने किसी भी तरह की वित्तीय लापरवाही नहीं की है। उन्होंने चुनौती देते हुए कहा कि अगर सार्वजनिक धन के दुरुपयोग का एक भी मामला सामने आता हैतो वह खुद जवाबदेही लेने को तैयार हैं। हिजाब विवाद पर उमर अब्दुल्ला का बयान न केवल नीतीश कुमार की आलोचना हैबल्कि यह महिलाओं की गरिमाव्यक्तिगत स्वतंत्रता और लोकतांत्रिक मूल्यों के समर्थन में एक मजबूत राजनीतिक संदेश भी है। यह मामला आने वाले दिनों में सियासी बहस को और तेज कर सकता है।