Author: bharati

  • आठवें वेतन आयोग का लाभ सभी पेंशनभोगियों को मिलेगा, सरकार ने खत्म किया संदेह

    आठवें वेतन आयोग का लाभ सभी पेंशनभोगियों को मिलेगा, सरकार ने खत्म किया संदेह


    नई दिल्ली । केंद्र सरकार ने आठवें वेतन आयोग को लेकर चल रही चर्चाओं और संदेहों का अंत करते हुए स्पष्ट जवाब दिया है। सरकार ने यह साफ कर दिया है कि 69 लाख पेंशनभोगियों को भी इस आयोग के लाभ का पूरा फायदा मिलेगा, जो पहले संदेह के घेरे में थे। इसके साथ ही, सरकार ने इस मामले में स्पष्टता प्रदान करते हुए पेंशनभोगियों को लेकर उठाए गए सवालों का जवाब दिया है।

    सरकार का आधिकारिक बयान

    वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने 8 दिसंबर 2025 को लोकसभा में लिखित रूप में जवाब दिया कि आठवें वेतन आयोग के लाभ से लगभग 50.14 लाख केंद्रीय कर्मचारी और करीब 69 लाख पेंशनभोगी सीधे प्रभावित होंगे। पंकज चौधरी ने बताया कि आठवें केंद्रीय वेतन आयोग 8th CPC की सिफारिशें लागू होने के बाद, इसके प्रभाव में आने वालों की संख्या में काफी वृद्धि होगी। इस संदर्भ में उन्होंने कहा कि बजट में आवश्यक प्रावधान किए जाएंगे, क्योंकि यह एक बड़ा व्यय केंद्र सरकार के लिए होगा।

    AIDEF की आपत्ति और सरकार की प्रतिक्रिया

    इससे पहले, ऑल इंडिया डिफेंस एम्प्लॉइज फेडरेशन ने आठवें वेतन आयोग के दायरे से 69 लाख पेंशनभोगियों को बाहर किए जाने के खिलाफ आपत्ति जताई थी। उन्होंने वित्त मंत्रालय को पत्र लिखकर टर्म ऑफ रेफरेंस में असंगतियों को लेकर गंभीर सवाल उठाए थे।  का कहना था कि पेंशनभोगियों को इस आयोग से बाहर करना अनुचित होगा, क्योंकि वे पहले से ही सरकार द्वारा निर्धारित पेंशन नियमों का पालन कर रहे हैं

    और उन्हें आयोग के लाभ से वंचित नहीं किया जाना चाहिए।अब सरकार ने इस आपत्ति पर स्पष्टता देते हुए कहा है कि पेंशनभोगियों को इस वेतन आयोग के लाभ से वंचित नहीं किया जाएगा और यह सभी 69 लाख पेंशनभोगियों के लिए लागू होगा। यह निर्णय पेंशनभोगियों के लिए राहत का संकेत है, जिन्होंने इस मामले में लगातार सरकार से जवाब मांगा था।

    वेतन आयोग का प्रभाव

    आठवें वेतन आयोग की सिफारिशें केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए एक महत्वपूर्ण परिवर्तन लेकर आएंगी। इस आयोग की सिफारिशों के अनुसार, कर्मचारियों और पेंशनभोगियों की वेतन संरचना, भत्ते और अन्य सुविधाओं में वृद्धि की संभावना है। यह कदम केंद्र सरकार के लिए एक बड़ा व्यय होगा, क्योंकि इसे लागू करने के लिए बजट में खास प्रावधान किए जाएंगे। केंद्र सरकार के लिए यह निर्णय व्यावसायिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसे लागू करने से सरकारी खजाने पर अतिरिक्त दबाव पड़ेगा। लेकिन, यह कदम कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए एक बड़ी राहत साबित होगा, जो लंबे समय से वेतन आयोग की सिफारिशों का इंतजार कर रहे थे।

    आगे क्या होगा

    अब जबकि सरकार ने स्पष्ट किया है कि पेंशनभोगियों को भी आठवें वेतन आयोग का लाभ मिलेगा, यह सभी संबंधित पक्षों के लिए एक राहत की बात है। इसके बाद, केंद्र सरकार को इस फैसले को बजट में शामिल करना होगा और इसके लिए आवश्यक वित्तीय प्रावधान करना होगा। यह देखना दिलचस्प होगा कि बजट में किस तरह से इस फैसले को लागू करने के लिए कदम उठाए जाते हैं और यह निर्णय केंद्र सरकार के वित्तीय प्रबंधन पर कितना प्रभाव डालता है।

    आठवें वेतन आयोग का लाभ अब सभी केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को मिलेगा, जैसा कि सरकार ने आधिकारिक रूप से घोषणा की है। इससे संबंधित कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के बीच खुशी की लहर है, क्योंकि यह उनकी लंबे समय से लंबित उम्मीदों का फल है। हालांकि, इस फैसले के लागू होने के बाद केंद्र सरकार के वित्तीय प्रबंधन पर इसका प्रभाव पड़ेगा, और इसे बजट में सही तरीके से प्रावधानित करना होगा।

  • Year Ender 2025: मिडिल क्लास के लिए राहत, इनकम टैक्स और GST सुधार से बढ़ी बचत

    Year Ender 2025: मिडिल क्लास के लिए राहत, इनकम टैक्स और GST सुधार से बढ़ी बचत

    नई दिल्ली। वर्ष 2025 मिडिल क्लास के लिए कई मामलों में शानदार साबित हुआ। इस साल सरकार ने टैक्स और जीएसटी में बड़े सुधार किए, जिससे आम आदमी की जेब पर असर पड़ा और वित्तीय बोझ काफी हद तक कम हुआ। सबसे ज्यादा राहत इनकम टैक्स स्लैब में बदलाव और जीएसटी 2.0 रिफॉर्म से मिली।

    इनकम टैक्स में बड़ी राहत
    केंद्र सरकार ने आम आदमी पर टैक्स का बोझ कम करने के लिए इस साल कई फैसले लिए। बजट 2025 में सरकार ने इनकम टैक्स छूट की लिमिट 7 लाख रुपये से बढ़ाकर 12 लाख रुपये कर दी। इसके साथ ही स्टैंडर्ड डिडक्शन के तहत मिलने वाली 75,000 रुपये की छूट को मिला दिया जाए तो यह बढ़कर 12.75 लाख रुपये हो जाती है। इसका मतलब है कि कोई भी सैलरीड क्लास 12.75 लाख रुपये तक की आमदनी पर इनकम टैक्स छूट का दावा कर सकता है। स्टैंडर्ड डिडक्शन की छूट केवल सैलरीड क्लास को ही मिलेगी।

    जीएसटी 2.0 से मिडिल क्लास को बड़ा फायदा
    सरकार ने 2025 में जीएसटी स्लैब्स में भी बड़ा बदलाव किया। पुराने चार स्लैब 5%, 12%, 18% और 28% को घटाकर अब केवल दो स्लैब 5% और 18% रह गए हैं। वहीं, लग्जरी और सिन गुड्स पर जीएसटी की दर 40% कर दी गई।

    453 चीजों पर GST रेट में बदलाव
    नए जीएसटी रेट लागू होने के बाद 453 चीजों की दरों में बदलाव हुआ, जिनमें से 413 चीजों की दर में कमी हुई। करीब 295 जरूरी चीजों पर जीएसटी रेट 12% से घटाकर 5% या जीरो कर दिया गया। 1,200 सीसी या उससे कम की पेट्रोल कारों और 1,500 सीसी या कम की डीजल कारों पर जीएसटी 28% से घटाकर 18% की गई। इसी तरह, 350 सीसी या उससे कम की बाइक पर भी जीएसटी 28% से घटाकर 18% कर दी गई।

    लग्जरी गाड़ियों और बाइक पर 40% GST
    लग्जरी गाड़ियों और बाइक पर जीएसटी 40% तय की गई। इसके साथ ही कारों पर सेस को भी खत्म कर दिया गया। इन सुधारों का उद्देश्य देश की इकोनॉमिक ग्रोथ को बढ़ाना था। फाइनेंशियल ईयर 2025-26 की दूसरी तिमाही में देश की ग्रोथ रेट 8.2% दर्ज की गई, जो पिछली कई तिमाहियों में सबसे तेज है।

    टोल प्लाजा पर भी मिली राहत
    साल 2025 में आम लोगों के लिए टोल टैक्स का बोझ भी कम किया गया। सरकार ने एनुअल पास का ऐलान किया, जिसे 15 अगस्त से लागू कर दिया गया। फास्टैग एनुअल पास की कीमत 3,000 रुपये है। इसके तहत कोई भी वाहन चालक सालभर में 200 टोल प्लाजा पार कर सकता है। इस योजना से एक टोल प्लाजा पार करने की कीमत घटकर केवल 15 रुपये रह जाती है, जिससे हाइवे पर सफर पहले की तुलना में काफी सस्ता हो गया है।
    साल 2025 मिडिल क्लास के लिए राहत और फायदे लेकर आया। इनकम टैक्स में छूट, GST स्लैब्स में कमी और टोल पास सुविधा ने आम आदमी की जेब पर सकारात्मक असर डाला। सरकार के ये कदम आर्थिक दृष्टि से आम जनता को सहारा देने और खर्च में कटौती करने में मददगार साबित हुए हैं।

  • Year Ender 2025: क्रिकेट जगत ने खो दिए अपने अनमोल रत्न

    Year Ender 2025: क्रिकेट जगत ने खो दिए अपने अनमोल रत्न

    2025 क्रिकेट प्रेमियों के लिए रोमांचक रहा, लेकिन साथ ही यह साल दुखद भी रहा। इस साल कई दिग्गज खिलाड़ियों ने हमेशा के लिए खेल से विदा ली। भारतीय और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट ने इन सितारों को खोकर गहरा सदमा झेला।

    पद्माकर शिवलकर:
    मार्च में भारत के लेफ्ट-आर्म स्पिनर पद्माकर शिवलकर का 88 साल की उम्र में निधन हो गया। घरेलू क्रिकेट में उनके 636 विकेट उन्हें लेजेंडरी बनाते हैं। बीसीसीआई ने उन्हें सी.के. नायडू लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से सम्मानित किया था।

    जुनैल जफर खान:
    18 मार्च को ऑस्ट्रेलिया में क्लब मैच के दौरान पाकिस्तानी मूल के खिलाड़ी जुनैल जफर खान की भीषण गर्मी के बीच मैदान पर गिरने से मृत्यु हो गई। वह ओल कोंकोर्डियंस क्रिकेट क्लब के लिए खेल रहे थे।

    बॉब काउपर:
    मई में ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट के दिग्गज बॉब काउपर का 84 साल की उम्र में निधन हुआ। 1960 के दशक में उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के लिए 27 टेस्ट खेले और 1968 एशेज सीरीज में 307 रन की ऐतिहासिक पारी खेली।

    दिलीप दोशी:
    जून में भारत के पूर्व स्पिनर दिलीप दोशी का 77 साल की उम्र में लंदन में निधन हुआ। उन्होंने भारत के लिए 33 टेस्ट और 15 वनडे खेले। दोशी घरेलू क्रिकेट के स्तंभ रहे और सौराष्ट्र तथा बंगाल के लिए फर्स्ट क्लास क्रिकेट में अपनी छाप छोड़ी।

    बेन ऑस्टिन और रॉबिन स्मिथ:
    28 अक्टूबर को ऑस्ट्रेलिया के बेन ऑस्टिन का अभ्यास के दौरान घायल होने से निधन हुआ। दिसंबर में इंग्लैंड के पूर्व बल्लेबाज रॉबिन स्मिथ का 62 साल की उम्र में निधन हुआ। स्मिथ ने 62 टेस्ट में 4,000 से ज्यादा रन बनाए और 1980-90 के दशक में इंग्लैंड के प्रमुख बल्लेबाज रहे।

    2025 क्रिकेट जगत के लिए ना सिर्फ रोमांचक मैचों का साल रहा, बल्कि यह उनके सम्मान और याद में भी याद रहेगा जिन्होंने अपने योगदान से खेल को समृद्ध किया।

  • वंदे मातरम् पर संसद में गरमाई बहस अमित शाह ने विपक्ष पर किए तीखे आरोप

    वंदे मातरम् पर संसद में गरमाई बहस अमित शाह ने विपक्ष पर किए तीखे आरोप

     
    नई दिल्ली । संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान वंदे मातरम् पर जारी बहस ने मंगलवार को एक नया मोड़ लिया जब गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में इस मुद्दे पर अपनी बात रखी। इस मुद्दे पर पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपनी प्रतिक्रिया दी थी और अब अमित शाह ने विपक्ष पर तीखे आरोप लगाए। वंदे मातरम् पर संसद में चल रही यह बहस 9 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लोकसभा में इसकी शुरुआत के बाद और भी तेज हो गई है।

    अमित शाह का बयान

    अमित शाह ने कहा कि वंदे मातरम् पर चर्चा की आवश्यकता तब भी थी जब यह रचना रची गई थी। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह चर्चा आजादी के आंदोलन के दौरान भी जरूरी थी और आज भी यह जरूरी है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि जब भारत 2047 में एक विकसित राष्ट्र बनेगा तब भी वंदे मातरम् पर चर्चा जारी रहेगी। शाह ने वंदे मातरम् के ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर बात करते हुए कहा कि यह रचना विदेशी आक्रमणों और सांस्कृतिक चुनौतियों के प्रतिकार के रूप में सामने आई थी।

    गृह मंत्री अमित शाह ने आगे कहा कि वंदे मातरम् को लेकर भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के समय इसका एक बड़ा महत्व था। यह न केवल भारत के स्वतंत्रता संग्राम का प्रतीक बन चुका था बल्कि यह भारतीय संस्कृति और स्वाभिमान का भी प्रतीक था। उन्होंने विपक्ष को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि आज वंदे मातरम् को लेकर विवाद उठाना और इसके महत्व को कम करने की कोशिश करना भारतीयता और भारतीय संस्कृति को कमजोर करने जैसा है।

    नेहरू और इंदिरा गांधी पर बयान

    अमित शाह ने इस मुद्दे पर एक और ऐतिहासिक टिप्पणी करते हुए कहा नेहरू ने वंदे मातरम् के टुकड़े किए थे और इंदिरा गांधी ने इसके विरोध में खड़ा कर दिया था। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी और उसके नेताओं ने हमेशा इस पर विवाद उठाया जबकि वंदे मातरम् ने भारतीय जनमानस को एकजुट किया और यह हर भारतीय का राष्ट्रीय गीत बन गया।

    शाह ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि वंदे मातरम् के खिलाफ राजनीति करना भारतीय संस्कृति और भारतीयता के खिलाफ है। उनका यह भी कहना था कि अगर कांग्रेस के नेताओं के विचार इस गीत के खिलाफ थे तो यह पार्टी की सोच का संकेत है कि वह भारतीय संस्कृति और राष्ट्रवाद को प्राथमिकता नहीं देती।

    विपक्ष पर अमित शाह के आरोप

    अमित शाह ने विपक्ष पर तीखा हमला करते हुए कहा कि जो लोग वंदे मातरम् के खिलाफ बोलते हैं वे दरअसल भारतीय संस्कृति और राष्ट्रवाद का अपमान कर रहे हैं। उनका कहना था कि यह गीत हर भारतीय के दिल में गूंजता है और यह केवल एक गीत नहीं बल्कि भारत की स्वतंत्रता एकता और अखंडता का प्रतीक है। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल इस गीत का विरोध कर राजनीति कर रहे हैं और अपनी वोट बैंक की राजनीति के लिए इसे सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश कर रहे हैं।

    राजनीतिक हलचल और संसद में गहमागहमी

    वंदे मातरम् पर संसद में चली यह बहस अब एक बड़े राजनीतिक विवाद का रूप ले चुकी है। यह मामला केवल एक गीत का नहीं बल्कि भारतीयता संस्कृति और राष्ट्रवाद से जुड़ा हुआ है। अमित शाह के बयान ने विपक्ष को चुप्प रहने की चुनौती दी है वहीं विपक्ष ने इस पर अपनी प्रतिक्रियाएं भी दी हैं। विपक्ष के नेताओं का कहना है कि वंदे मातरम् को लेकर किसी भी तरह की राजनीति नहीं की जानी चाहिए। उनका मानना है कि यह गीत सभी भारतीयों के लिए समान रूप से महत्वपूर्ण है और इसे किसी विशेष पार्टी या विचारधारा से जोड़कर नहीं देखना चाहिए।

    वंदे मातरम् पर यह बहस अब केवल एक गीत तक सीमित नहीं रही बल्कि यह भारतीय संस्कृति राष्ट्रीय एकता और राजनीति से जुड़ा हुआ मुद्दा बन गया है। जहां एक ओर अमित शाह और उनकी पार्टी इस मुद्दे को भारतीयता के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं वहीं विपक्ष इसे राजनीति से जोड़ते हुए इसे विवादित बना रहे हैं। आने वाले दिनों में यह मुद्दा संसद के भीतर और बाहर भी चर्चा का विषय बना रहेगा और इस पर अधिक राजनीतिक बयानबाजी की संभावना है।

  • भीड़ त्रासदी 2025: वेंकटेश्वर मंदिर से प्रयागराज तक, 129 मौतें, प्रशासन और जनता की चूक जारी

    भीड़ त्रासदी 2025: वेंकटेश्वर मंदिर से प्रयागराज तक, 129 मौतें, प्रशासन और जनता की चूक जारी

    2025 भारत के लिए बेहद दुखद साल बन गया, जब देश में आठ भीषण भगदड़ की घटनाओं में 129 लोगों की जान गई। यह घटनाएं प्रशासन और आम जनता की सुरक्षा और अनुशासन की कमी को उजागर करती हैं।

    साल 2025 की प्रमुख भगदड़ घटनाएं:

    9 जनवरी – आंध्र प्रदेश, तिरुमाला हिल्स (वेंकटेश्वर मंदिर)

    वैकुंठ द्वार दर्शन के टिकट के लिए लाइन में भगदड़

    6 मौतें, कई घायल

    29 जनवरी – प्रयागराज (महाकुंभ)

    मौनी अमावस्या पर लाखों श्रद्धालु घाट पर

    30 मौतें, 60 घायल

    15 फरवरी – प्रयागराज (नई दिल्ली रेलवे स्टेशन)

    प्लेटफॉर्म पर अफरातफरी

    18 मौतें, 4 बच्चे शामिल

    3 मई – गोवा (शिरगाओ, लैराई देवी जात्रा मंदिर)

    बिजली का झटका और भगदड़

    6 मौतें, 70 घायल

    4 जून – बेंगलुरु (IPL जश्न)

    3 लाख से अधिक लोग जुटे, नियंत्रण न होने से भगदड़

    11 मौतें, 50+ घायल

    27 जुलाई – उत्तराखंड (हरिद्वार, मनसा देवी मंदिर)

    अफवाह फैलने से भगदड़

    9 मौतें, 30+ घायल

    27 सितंबर – तमिलनाडु (करूर, विजय रैली)

    भारी भीड़ और देर से आगमन

    41 मौतें, 50+ घायल

    1 नवंबर – आंध्र प्रदेश (वेंकटेश्वर मंदिर, श्रीकाकुलम)

    एकादशी पर भारी भीड़

    9 मौतें (8 महिलाएं, 1 बच्चा)

    भगदड़ के मुख्य कारण:

    भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा व्यवस्था की कमी

    संकरे रास्ते और अनुचित एंट्री-एग्जिट प्लान

    आयोजकों और श्रद्धालुओं द्वारा सुरक्षा नियमों की अनदेखी

    अफवाह फैलना और अचानक हलचल

    तकनीकी निगरानी की कमी (CCTV, क्राउड सेंसर)

    सार्वजनिक जगहों पर अनुशासन की कमी

    विशेषज्ञों के अनुसार, हर घटना प्रशासन और आम जनता के लिए चेतावनी है: भीड़ को संभावित खतरे के रूप में देखना और अनुशासन अपनाना अनिवार्य है।

    क्या प्रशासन और लोग सतर्क हुए?

    लगातार हादसों के बावजूद सुरक्षा उपाय अभी भी अपूर्ण हैं।

    बड़े आयोजनों में फुल-प्रूफ सुरक्षा और तकनीकी निगरानी बढ़ाने की आवश्यकता।

    आम जनता और आयोजकों में सुरक्षा जागरूकता अभियान चलाना जरूरी।

    2025 की ये घटनाएं स्पष्ट संदेश देती हैं कि भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा पर गंभीर ध्यान न दिया गया तो अनगिनत जानें हर साल जोखिम में रहेंगी।

  • मां हिंदू, पिता क्रिश्चिय फिर भी दीया मिर्ज़ा ने क्यों अपनाया मुस्लिम सरनेम जानें वजह

    मां हिंदू, पिता क्रिश्चिय फिर भी दीया मिर्ज़ा ने क्यों अपनाया मुस्लिम सरनेम जानें वजह


    नई दिल्ली । बॉलीवुड की खूबसूरत और टैलेंटेड एक्ट्रेस दीया मिर्ज़ा ने 2001 में बॉलीवुड इंडस्ट्री में कदम रखा और अपनी पहली ही फिल्म से दर्शकों के दिलों में एक खास जगह बना ली। हालांकि दीया की व्यक्तिगत जिंदगी और उनके बैकग्राउंड के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। उनका परिवार काफी विविधतापूर्ण रहा है उनकी मां हिंदू और पिता क्रिश्चियन थे फिर भी उन्होंने मुस्लिम सरनेम मिर्ज़ा क्यों अपनाया इसके पीछे की कहानी बेहद दिलचस्प और भावुक है। आइए जानें इसके बारे में विस्तार से।

    दीया मिर्ज़ा का बैकग्राउंड और सरनेम का बदलाव

    दीया मिर्ज़ा का असली सरनेम हैंडरिच था जो उनके ईसाई पिता के परिवार से जुड़ा हुआ था। हालांकि जब वह महज 4 साल की थीं उनके माता-पिता का तलाक हो गया। इसके कुछ साल बाद 9 साल की उम्र में उनके पिता का निधन हो गया। इस घटना ने दीया को एक गहरे भावनात्मक झटके से गुजरने पर मजबूर किया। लेकिन इसके बाद उनके जीवन में एक बड़ा बदलाव आया जब उनकी मां ने अहमद मिर्ज़ा से शादी की।

    अहमद मिर्ज़ा ने न केवल दीया की मां से विवाह किया बल्कि वह दीया के लिए एक सच्चे पिता की तरह बने। दीया ने एक इंटरव्यू में इस रिश्ते को बेहद खूबसूरत बताया और कहा कि अहमद मिर्ज़ा ने उन्हें हमेशा अपने बच्चे की तरह प्यार दिया। उनका यह प्यार इतना सच्चा था कि दीया ने मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के दौरान अपने सौतेले पिता के प्रति सम्मान और स्नेह दिखाने के लिए उनका सरनेम मिर्ज़ा अपना लिया।

    मिर्ज़ा सरनेम अपनाने का कारण

    दीया मिर्ज़ा का कहना है कि अहमद मिर्ज़ा के साथ उनका रिश्ता बहुत गहरा था और वह हमेशा उनके लिए एक सच्चे पिता की तरह थे। दीया ने बताया कि मिस इंडिया में हिस्सा लेने के समय उन्होंने महसूस किया कि उन्हें अहमद मिर्ज़ा का सरनेम अपनाना चाहिए क्योंकि यह उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका था। उनका कहना था कि यह सिर्फ एक नाम नहीं था बल्कि यह एक संबंध था जो मेरे दिल के करीब था।

    दो पिता खोने का दर्द

    दीया मिर्ज़ा ने अपने जीवन में कई उतार-चढ़ाव देखे। वह महज 23 साल की थीं जब उनके सौतेले पिता अहमद मिर्ज़ा का निधन हो गया। दीया ने उस समय को याद करते हुए कहा कि मैंने एक ही जीवन में दो पिता खो दिए हैं। उनके लिए यह बेहद कठिन समय था क्योंकि एक तरफ उन्हें अपने असली पिता का दुख था वहीं दूसरी ओर उन्हें अपने सौतेले पिता को भी खोने का गहरा दुख सहन करना पड़ा।

    दीया का ग्लैमरस सफर

    दीया मिर्ज़ा का बॉलीवुड करियर भी काफी सफल रहा। साल 2000 में उन्होंने मिस एशिया पैसिफिक इंटरनेशनल का खिताब जीता और उसी साल प्रियंका चोपड़ा ने मिस वर्ल्ड का टाईटल जीता था। इसके बाद दीया ने मॉडलिंग और बॉलीवुड दोनों में अपनी पहचान बनाई। अपनी फिल्मी यात्रा में उन्होंने विभिन्न शैलियों और किरदारों को निभाया और अपनी खूबसूरती और अभिनय से दर्शकों का दिल जीता। दीया का ग्लैमरस सफर न केवल उनके अभिनय का बल्कि उनके व्यक्तिगत संघर्षों और धैर्य का भी प्रतीक बन चुका है।

    दीया मिर्ज़ा का जीवन केवल फिल्म इंडस्ट्री में उनके योगदान के लिए नहीं जाना जाता बल्कि उनके व्यक्तिगत संघर्ष और परिवार के प्रति उनके प्रेम के लिए भी जाना जाता है। उनके जीवन में एक मुसलमान सौतेले पिता का होना और उनके प्रति सम्मान जताने के लिए मुस्लिम सरनेम अपनाना उनके दिल से जुड़े रिश्तों को दर्शाता है। दीया की यह कहानी हमें यह सिखाती है कि परिवार और प्रेम का कोई धर्म नहीं होता यह भावनाओं और रिश्तों का एक खूबसूरत रूप है।

  • नीतीश के कायल बने ओवैसी के विधायक, बिहार में AIMIM-जेडीयू की सियासत में फिर गर्मा सकती है हवा

    नीतीश के कायल बने ओवैसी के विधायक, बिहार में AIMIM-जेडीयू की सियासत में फिर गर्मा सकती है हवा

    बिहार की सियासत में नई हलचल पैदा हो गई है। AIMIM के विधायक मुर्शीद आलम ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अपना राजनीतिक गुरु बताया है। मुर्शीद आलम का कहना है कि 2014 में नीतीश कुमार ने उन्हें जेडीयू में राजनीति की राह दिखाई और उन्होंने अपनी सियासी उन्नति में मुख्यमंत्री का योगदान कभी नहीं भुलाया। जोकीहाट सीट से चुने गए इस विधायक ने हाल ही में नीतीश से मुलाकात कर अपने क्षेत्र के लिए दो नए महाविद्यालय और एक अतिरिक्त अंचल की मांग भी रखी।

    सियासी अर्थ और संभावनाएं
    मुर्शीद आलम की तारीफ और उनके नीतीश कुमार के करीब आने से सियासत में अटकलें तेज हो गई हैं कि क्या AIMIM के विधायक जेडीयू के साथ किसी राजनीतिक समीकरण में शामिल हो सकते हैं। हालांकि AIMIM के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने मुलाकात को केवल सीमांचल के मुद्दों तक सीमित बताते हुए राजनीतिक अर्थ न निकालने की अपील की। बावजूद इसके, पिछली बार AIMIM के कई विधायक जेडीयू या आरजेडी में शामिल हो चुके हैं, जिससे संभावित गठबंधन को लेकर चर्चाएं बढ़ गई हैं।

    जेडीयू और बीजेपी का परिदृश्य
    2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में जेडीयू ने 85 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर रही, जबकि सहयोगी बीजेपी 89 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनी। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या AIMIM के विधायकों को जेडीयू में शामिल कर अपनी संख्या बढ़ाने की रणनीति अपनाई जा सकती है।

    AIMIM के साथ सियासी समीकरण पर सवाल
    मुस्लिम बहुल सीमांचल क्षेत्र से चुने गए AIMIM के पांचों विधायक – मुर्शीद आलम, अख्तरुल ईमान, गुलाम सर्वर, सरवर आलम और मोहम्मद तौसीफ आलम – की नीतीश कुमार के साथ बढ़ती नजदीकियां बिहार की सियासत में नए समीकरण खड़े कर सकती हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या AIMIM और जेडीयू के बीच कोई नया ‘खेला’ सामने आएगा।

  • आयुष्मान कार्ड: साल भर मुफ्त इलाज की सच्चाई और 5 लाख रुपये की सीमा

    आयुष्मान कार्ड: साल भर मुफ्त इलाज की सच्चाई और 5 लाख रुपये की सीमा


    भारत / सरकार ने आम नागरिकों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएँ देने के लिए कई अहम कदम उठाए हैं, जिनमें आयुष्मान भारत योजना सबसे बड़ा प्रोजेक्ट है। इसे दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजनाओं में गिना जाता है।

    क्या सच में साल भर मुफ्त इलाज मिलता है?

    आयुष्मान कार्ड मिलने के बाद अक्सर लाभार्थियों के मन में यही सवाल उठता है कि क्या वे पूरे साल अस्पताल में मुफ्त इलाज करवा सकते हैं। असल में, योजना तकनीकी रूप से साल में असीमित भर्ती की सुविधा देती है, लेकिन 5 लाख रुपये की वार्षिक सीमा तक ही कैशलेस इलाज संभव है।

    5 लाख की वार्षिक सीमा का मतलब

    यह राशि पूरा परिवार के लिए होती है, न कि प्रति व्यक्ति।

    उदाहरण: यदि परिवार में 6 सदस्य हैं, तो 5 लाख रुपये किसी एक सदस्य के इलाज या सभी के इलाज में साझा किए जा सकते हैं।

    वार्षिक सीमा पूरी होने के बाद का खर्च मरीज को खुद वहन करना होगा।

    किस इलाज में मिलता है लाभ?

    योजना मुख्य रूप से गंभीर बीमारियों और अस्पताल में भर्ती इलाज के लिए है।

    OPD, ब्लड टेस्ट, एक्स-रे या मामूली दवाइयाँ योजना में शामिल नहीं।

    गंभीर इलाज जैसे:

    हार्ट वाल्व रिप्लेसमेंट

    प्रोस्टेट कैंसर

    किडनी ट्रांसप्लांट

    कोरोनरी एंजियोप्लास्टी

    न्यूरो सर्जरी

    सभी प्रक्रियाएं कैशलेस होती हैं और मरीज भारी बिल से राहत पाता है।

    घर बैठे बनाएं अपना आयुष्मान कार्ड

    पहले कार्ड बनवाने के लिए कई सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ते थे, लेकिन अब पूरी प्रक्रिया डिजिटल और पारदर्शी हो गई है।

    Ayushman App डाउनलोड करें और अपने स्मार्टफोन से कार्ड बनवाएं।

    लॉगिन के लिए मोबाइल नंबर और आधार का उपयोग होता है।

    राज्य और जिले का चयन कर परिवार की पात्रता (Eligibility) चेक की जा सकती है।

    यदि किसी सदस्य का नाम लिस्ट में है लेकिन कार्ड जनरेट नहीं हुआ है, तो ‘Authenticate’ विकल्प से e-KYC पूरी की जा सकती है।

    वेरिफिकेशन के एक हफ्ते के भीतर कार्ड डाउनलोड किया जा सकता है।

    आयुष्मान कार्ड गंभीर बीमारियों के लिए साल में कैशलेस इलाज प्रदान करता है, लेकिन यह सुविधा 5 लाख रुपये की वार्षिक सीमा तक ही है और पूरे परिवार के लिए साझा होती है।

  • रात को सोते समय चेहरे पर क्या लगाएं? इस रामबाण नुस्खे से मिलेगा नैचुरल ग्लो

    रात को सोते समय चेहरे पर क्या लगाएं? इस रामबाण नुस्खे से मिलेगा नैचुरल ग्लो


    नई दिल्ली। हर कोई चाहता है कि उसका चेहरा साफ, बेदाग और चमकदार दिखे, लेकिन दिनभर की धूल-मिट्टी, प्रदूषण और तनाव का असर सबसे पहले हमारी त्वचा पर पड़ता है। अक्सर लोग सुबह की स्किन केयर पर तो ध्यान देते हैं, लेकिन रात को चेहरे की सही देखभाल नहीं करते, जबकि एक्सपर्ट्स के अनुसार त्वचा की असली मरम्मत (रिपेयरिंग) रात के समय ही होती है। ऐसे में यह जानना बेहद जरूरी है कि रात को सोने से पहले चेहरे पर क्या लगाना चाहिए, जिससे त्वचा को प्राकृतिक ग्लो मिल सके।’
    नारियल तेल से पाएं गहरी नमी और प्राकृतिक चमक
    नारियल तेल को एक बेहतरीन नेचुरल मॉइस्चराइजर माना जाता है। इसमें मौजूद एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-फंगल गुण त्वचा को इंफेक्शन से बचाते हैं। रात को सोने से पहले चेहरे को अच्छे से धोकर कुछ बूंदें नारियल तेल की लगाएं और हल्के हाथों से मसाज करें। इससे त्वचा पूरी रात हाइड्रेट रहती है और सुबह चेहरा मुलायम व चमकदार नजर आता है।

    एलोवेरा जेल से दाग-धब्बों और मुंहासों से राहत

    एलोवेरा जेल स्किन के लिए रामबाण माना जाता है। इसमें मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण मुंहासों को कम करने में मदद करते हैं और दाग-धब्बों को हल्का करते हैं। रात को सोने से पहले चेहरे पर ताजा एलोवेरा जेल लगाकर हल्की मसाज करें और सुबह गुनगुने पानी से चेहरा धो लें। नियमित इस्तेमाल से स्किन साफ, सॉफ्ट और ग्लोइंग बनती है।
    गुलाब जल और ग्लिसरीन का मिश्रण भी है असरदार
    अगर आपकी त्वचा रूखी रहती है तो गुलाब जल में थोड़ी-सी ग्लिसरीन मिलाकर चेहरे पर लगाएं। यह त्वचा को गहराई से पोषण देता है और रातभर नमी बनाए रखता है।

    क्या रखें सावधानी?

    रात को कभी भी मेकअप लगाकर न सोएं। सोने से पहले चेहरा अच्छे क्लींजर से साफ करें। बहुत ज्यादा प्रोडक्ट्स एक साथ लगाने से बचें, इससे स्किन रिएक्शन हो सकता है।

    खूबसूरत और दमकती त्वचा के लिए सिर्फ महंगे प्रोडक्ट्स जरूरी नहीं, बल्कि सही नाइट स्किन केयर रूटीन सबसे अहम है। नारियल तेल, एलोवेरा जेल और गुलाब जल जैसे प्राकृतिक उपाय अपनाकर आप बिना साइड इफेक्ट अपनी त्वचा को हेल्दी और ग्लोइंग बना सकते हैं। नियमित देखभाल से कुछ ही दिनों में चेहरे पर निखार साफ नजर आने लगेगा।

  • करीना शाहिद समेत ये सेलेब्स हो चुके हैं MMS स्कैंडल का शिकार देखें लिस्ट

    करीना शाहिद समेत ये सेलेब्स हो चुके हैं MMS स्कैंडल का शिकार देखें लिस्ट


    नई दिल्ली । हाल ही में सोशल मीडिया पर एक 19 मिनट 34 सेकंड का वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें एक टीनएज लड़का-लड़की दिखाए जा रहे हैं। यह वीडियो तेजी से फैल रहा है और युवाओं के बीच चिंता का कारण बन गया है क्योंकि इंटरनेट पर इस तरह की प्राइवेसी ब्रीच अब आम होती जा रही है। हालांकि यह पहला मामला नहीं है जब किसी सेलेब्रिटी का व्यक्तिगत वीडियो लीक हुआ हो। बॉलीवुड के कई बड़े सितारे भी इस तरह के MMS स्कैंडल का शिकार हो चुके हैं और इन घटनाओं ने प्राइवेसी और सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।

    करीना कपूर और शाहिद कपूर

    करीना कपूर और शाहिद कपूर का नाम भी MMS लीक के विवाद में आ चुका है। जब दोनों एक-दूसरे के साथ रिलेशनशिप में थे तब एक कथित MMS वीडियो वायरल हुआ था जिसमें दोनों को एक पब्लिक प्लेस पर किस करते हुए दिखाया गया था। वीडियो के वायरल होते ही बवाल मच गया था। करीना और शाहिद दोनों ने इसे फर्जी और मॉर्फ्ड बताया और साफ कहा कि यह उनकी प्राइवेसी का उल्लंघन है। यह मामला काफी सुर्खियों में रहा और स्टार्स को मीडिया और सार्वजनिक जीवन में एक नई तरह की असुविधा का सामना करना पड़ा।

    रिया सेन

    रिया सेन का MMS स्कैंडल भी काफी चर्चा में रहा था। एक वीडियो सामने आया था जिसमें रिया सेन और एक व्यक्ति के बीच कथित तौर पर निजी क्षणों को कैमरे में कैद किया गया था। यह वीडियो इंटरनेट पर तेजी से वायरल हो गया और रिया ने इस वीडियो को पूरी तरह से झूठा और प्राइवेसी का उल्लंघन बताया था। इस वीडियो के लीक होने के बाद रिया ने काफी समय तक मीडिया से दूरी बनाए रखी और इस मामले पर गहरी चुप्पी साधी थी।

    सोनाली बेंद्रे

    सोनाली बेंद्रे का नाम भी MMS स्कैंडल से जुड़ा है। कुछ साल पहले उनका एक वीडियो सोशल मीडिया पर लीक हो गया था जिसमें वे एक निजी जगह पर कुछ पल बिता रही थीं। इस वीडियो के लीक होने के बाद सोनाली ने खुलकर कहा था कि यह पूरी तरह से उनके साथ धोखा था और उन्होंने इस मामले में कड़ी प्रतिक्रिया दी थी। इस घटना ने बॉलीवुड और मीडिया की दुनिया में प्राइवेसी के महत्व पर गंभीर सवाल खड़े किए थे।

    जूही चावला

    जूही चावला का नाम भी एक MMS विवाद से जुड़ा था जो उनकी पर्सनल लाइफ से संबंधित था। उनका एक कथित वीडियो वायरल हुआ था जो बाद में फर्जी साबित हुआ। जूही ने इस वीडियो को पूरी तरह से नकारते हुए इसे उनकी छवि को नुकसान पहुंचाने का एक प्रयास बताया। हालांकि जूही ने कभी इस मामले में खुलकर बात नहीं की लेकिन यह घटना उनकी पर्सनल लाइफ को लेकर मीडिया में चर्चाओं का कारण बनी।

    5. मलाइका अरोड़ा

    मलाइका अरोड़ा भी MMS लीक स्कैंडल का शिकार हो चुकी हैं। एक वीडियो सामने आया था जिसमें मलाइका और एक अन्य व्यक्ति के बीच निजी क्षण थे। इस वीडियो के वायरल होने के बाद मलाइका ने इसे एक गलतफहमी और मीडिया द्वारा फैलाए गए अफवाहों का हिस्सा बताया था। इस घटना ने एक बार फिर से इंटरनेट पर व्यक्तिगत वीडियो की सुरक्षा और प्राइवेसी के बारे में सवाल उठाए थे।

    प्राइवेसी और सुरक्षा पर बढ़ती चिंताएं

    इन घटनाओं ने यह साबित कर दिया कि बॉलीवुड सितारे भी इंटरनेट और सोशल मीडिया की दुनिया में अपनी प्राइवेसी की रक्षा करने के लिए असुरक्षित महसूस करते हैं। प्राइवेसी ब्रीच के इन मामलों ने एक गंभीर सवाल खड़ा किया है कि क्या आज के डिजिटल दौर में किसी भी व्यक्ति की व्यक्तिगत जानकारी या वीडियो सुरक्षित रह सकते हैं? जहां एक ओर इंटरनेट का इस्तेमाल जानकारी के आदान-प्रदान के लिए किया जाता है वहीं दूसरी ओर इस तरह की घटनाएं लोगों के व्यक्तिगत जीवन को नुकसान पहुंचाती हैं।

    MMS लीक और स्कैंडल के मामलों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि सेलेब्रिटी भी किसी नॉर्मल व्यक्ति की तरह प्राइवेसी के अधिकार से वंचित हो सकते हैं। इन घटनाओं ने एक बार फिर से यह बताने की कोशिश की है कि हमें अपनी डिजिटल प्राइवेसी को लेकर अधिक जागरूक रहना चाहिए। हालांकि इन विवादों के बावजूद बॉलीवुड सितारों ने हमेशा अपनी छवि की रक्षा करने की कोशिश की है और यह उनके लिए एक कठिन लड़ाई साबित हुई है।