हनुमान अष्टमी से जुड़ी प्राचीन मान्यताएँ
ज्योतिषाचार्य पं. हरिहर पंड्या बताते हैं कि हनुमान अष्टमी से अनेक पौराणिक कथाएँ जुड़ी हैं।
सबसे प्रचलित कथा के अनुसार, त्रेतायुग में हनुमानजी ने पाताल लोक में अहिरावण का वध किया था और भगवान श्रीराम व लक्ष्मण को बंदीगृह से मुक्त कराया था। इस विजयोत्सव के कारण ही इस दिन को अत्यंत शुभ माना जाता है।
एक अन्य मान्यता के अनुसार, अहिरावण का वध करने के बाद हनुमानजी पृथ्वी के नाभि केंद्र उज्जैन लौटे और यहीं विश्राम किया। संयोग से वह दिन पौष कृष्ण अष्टमी का था। तभी से उज्जैन में हनुमान अष्टमी उत्साहपूर्वक मनाई जाती है।
उज्जैन में विशेष उत्सव और दर्शन का महत्व
उज्जैन के नानाखेड़ा स्थित चाणक्यपुरी के श्री परशुराम मंदिर में विराजित भजनानंद हनुमानजी के दर्शन का इस दिन विशेष महत्व माना गया है। हर वर्ष बड़ी संख्या में भक्त यहां दर्शन, पूजा और आशीर्वाद के लिए पहुंचते हैं। इस बार भी मंदिर प्रांगण में विशेष अनुष्ठान, आरती और भंडारे का आयोजन किया जाएगा।
हनुमान पूजा से मिलता है ग्रहों के विपरीत प्रभाव से समाधान
ज्योतिष के अनुसार, जिन लोगों की जन्मपत्री में शनि, मंगल, राहु या अन्य ग्रह प्रतिकूल प्रभाव में हों, उनके लिए हनुमानजी की उपासना अत्यंत फलदायी मानी गई है।
विशेष रूप से-
शनि की साढ़ेसाती
शनि की ढैय्या
मंगल या राहु के दोष
से प्रभावित जातकों को हनुमान अष्टमी पर हनुमानजी को तेल और सिंदूर चढ़ाना चाहिए। साथ ही हनुमान चालीसा और हनुमान अष्टक का पाठ करने से संकटों से मुक्ति मिलती है।
इसके अतिरिक्त, प्रत्येक शनिवार और मंगलवार को हनुमान मंदिर में दीपक लगाने, प्रसाद चढ़ाने और दर्शन करने से भी जीवन के कष्ट दूर होने की मान्यता है।
