यूनिवर्सिटी ने अपने स्पष्टीकरण में कहा कि कैंपस में 8 बॉयज और 2 गर्ल्स हॉस्टल हैं, जिनमें प्रतिष्ठित केटरर्स भोजन उपलब्ध कराते हैं। फूड मेन्यू छात्रों की फूड कमेटी तय करती है, और फीडबैक पर तुरंत कार्रवाई की जाती है। पानी की गुणवत्ता ISO 10500 मानकों के अनुसार नियमित रूप से जांची जाती है, जिसके लिए ओजोनाइजर, सैंड फिल्टर और वॉटर सॉफ्टनर लगाए गए हैं। प्रबंधन ने यह भी बताया कि जल्द ही कैंपस में फूड और वॉटर टेस्टिंग लैब स्थापित की जाएगी।
पीलिया फैलने की खबरों पर यूनिवर्सिटी ने कहा कि कुल 17,121 छात्रों में से केवल 35 विद्यार्थियों में ही पीलिया के लक्षण पाए गए, जिन्हें तुरंत मेडिकल सुविधा दी गई। संस्थान में 24×7 डॉक्टर, नर्सें और 8-बेड की मेडिकल यूनिट मौजूद है। गंभीर मामलों में छात्रों को मान्यता प्राप्त अस्पतालों, जैसे चिरायु अस्पताल, भेजा गया। छात्रों की मेडिकल रिपोर्ट न देने के आरोप को भी असत्य बताया गया।
VIT ने सुरक्षा और अनुशासन संबंधी आरोपों को भी खारिज किया। संस्था ने कहा कि किसी अधिकारी को रोका नहीं गया, न ही छात्रों को धमकाया गया। यूनिवर्सिटी के अनुसार विरोध के दौरान अफवाहों के चलते छात्रों ने एक एम्बुलेंस, बस, कारें और लैब उपकरणों को नुकसान पहुंचाया, CCTV सिस्टम तोड़ दिया और सुरक्षा कर्मियों के साथ मारपीट की गई। इन घटनाओं से कर्मचारियों की जान भी खतरे में पड़ी।
अंत में विश्वविद्यालय ने कहा कि शो-कॉज नोटिस गलत सूचनाओं पर आधारित है, इसलिए इसे वापस लिया जाए। साथ ही, तथ्यात्मक सुनवाई का अवसर देने का अनुरोध भी किया गया। VIT भोपाल ने अपनी उपलब्धियों-डॉक्टरेट फैकल्टी, वैश्विक MoUs, आधुनिक लैब्स और प्लेसमेंट रिकॉर्ड-का उल्लेख करते हुए कहा कि वह हमेशा सभी मानकों का पालन करता आया है।
