पृथ्वीराज चव्हाण ने इसी महीने यह दावा दूसरी बार दोहराया है। इससे पहले सांगली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान भी उन्होंने इसी तरह की बात कही थी। चव्हाण का कहना है कि वे लंबे समय तक प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) में काम कर चुके हैं और दिल्ली की राजनीतिक गतिविधियों को गहराई से समझते हैं। हालांकि उन्होंने अपने दावे के समर्थन में कोई ठोस सबूत पेश नहीं किया, जिससे उनके बयान पर सवाल भी खड़े हो रहे हैं।
अमेरिका की घटनाओं से जोड़ा भारत का राजनीतिक भविष्य
अपने बयान में चव्हाण ने अमेरिका की हालिया राजनीतिक घटनाओं का भी जिक्र किया। उन्होंने दावा किया कि अमेरिका में एक व्यक्ति द्वारा कई बड़े नेताओं के खिलाफ स्टिंग ऑपरेशन किए गए हैं, जिनके खुलासे जल्द होने वाले हैं। चव्हाण के अनुसार, अमेरिका में प्रस्तावित एक नए कानून के तहत 19 दिसंबर को कई बड़े नाम सार्वजनिक किए जा सकते हैं, जिसका असर वैश्विक राजनीति पर पड़ सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें व्यक्तिगत रूप से नहीं पता कि वे नेता कौन हैं, लेकिन इसके परिणाम दूरगामी हो सकते हैं।
एपस्टीन फाइल्स का हवाला
पृथ्वीराज चव्हाण ने अमेरिका में जेफ्री एपस्टीन फाइल्स का भी उल्लेख किया। उनका कहना है कि इन फाइल्स के सामने आने से अमेरिका की राजनीति में बड़ा तूफान खड़ा हो गया है और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की स्थिति भी इससे प्रभावित हुई है। हाल ही में डेमोक्रेटिक समिति द्वारा ट्रंप और एपस्टीन से जुड़ी तस्वीरें सामने आने के बाद अमेरिका में राजनीतिक विवाद और गहरा गया है।
भाजपा ने दावे को बताया अफवाह
पृथ्वीराज चव्हाण के बयान पर भाजपा ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। भाजपा नेताओं ने इस दावे को पूरी तरह खारिज करते हुए कहा है कि अमेरिका की किसी भी घटना का भारत की सरकार या प्रधानमंत्री से कोई संबंध नहीं है। उनका कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर इस तरह की बातें जानबूझकर फैलाई जा रही अफवाहें हैं।
भाजपा का आरोप है कि मराठी प्रधानमंत्री बनने और सत्ता परिवर्तन के दावे देश में भ्रम और अस्थिरता पैदा करने की कोशिश हैं। पार्टी ने साफ कहा है कि सरकार पूरी तरह स्थिर है और ऐसे बयानों का कोई आधार नहीं है।
फिलहाल, पृथ्वीराज चव्हाण के इस बयान ने राजनीतिक माहौल को गर्म कर दिया है। जहां कांग्रेस समर्थक इसे संभावित बड़े बदलाव का संकेत बता रहे हैं, वहीं भाजपा इसे निराधार बयानबाजी मान रही है। अब सभी की निगाहें 19 दिसंबर पर टिकी हैं, जब यह साफ होगा कि यह दावा महज राजनीतिक बयान था या इसके पीछे कोई बड़ा घटनाक्रम छिपा है।
