भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के सेल्वाराज वी ने भी सरकार पर तीखा हमला करते हुए कहा गरीबों के पास न खाने के लिए है न पहनने के लिए। काम न मिलने पर वे क्या खाएंगे? बच्चों के लिए दूध नहीं है। यह विधेयक गरीबों के खिलाफ है और हम इसका विरोध करते हैं। वहीं शिरोमणि अकाली दल की नेता हरसिमरत कौर बादल ने भी सरकार के फैसले का विरोध किया। उन्होंने कहा मनरेगा को खत्म करने के बाद सरकार गरीबों को चैरिटी की ओर धकेल रही है। राज्य सरकारों को कम धन देने से पंजाब जैसे राज्यों में गरीबों को काम कैसे मिलेगा?
बीजेपी के राजकुमार चाहर ने सरकार के फैसले का समर्थन करते हुए कहा यह विधेयक गरीबों के लिए फायदेमंद होगा। अब उन्हें 100 की बजाय 125 दिनों का काम मिलेगा। प्रधानमंत्री मोदी का सपना एक विकसित भारत इसे पूरा करने में मदद करेगा। कुल मिलाकर इस विधेयक को लेकर सियासी घमासान जारी है। विपक्षी दलों का कहना है कि यह गरीबों और किसानों के खिलाफ कदम है जबकि भाजपा इसे विकास और गरीबों की भलाई का कदम बता रही है।
