कांग्रेस ने BJP पर साधा निशाना पप्पू यादव भी उखड़े मनरेगा के विरोध में सियासी घमासान


नई दिल्ली । केंद्र सरकार द्वारा 16 दिसंबर 2025 को लोकसभा में पेश किए गए VB-G RAM G विधेयक ने भारतीय राजनीति में एक नई सियासी हलचल मचा दी है। यह विधेयक महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम मनरेगा की जगह लेगा जिसे विपक्षी दलों ने गरीब और किसान विरोधी करार दिया है। विपक्ष का आरोप है कि सरकार ने पहले मनरेगा को कमजोर किया और अब इसे खत्म करने की दिशा में कदम बढ़ाया है जो ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार और समानता की गारंटी देने वाले कानून के खिलाफ है।
कांग्रेस ने इसे सीधे तौर पर बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ RSS का एजेंडा बताया। कांग्रेस नेता बेन्नी बेहनान ने कहा गांधीजी ने गरीबों के लिए जो विचार रखे थे वह मनरेगा के रूप में साकार हुए थे लेकिन अब सरकार इसे खत्म कर रही है। यह गरीबों के हितों के खिलाफ है और लोग इसे कभी माफ नहीं करेंगे।

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के सेल्वाराज वी ने भी सरकार पर तीखा हमला करते हुए कहा गरीबों के पास न खाने के लिए है न पहनने के लिए। काम न मिलने पर वे क्या खाएंगे? बच्चों के लिए दूध नहीं है। यह विधेयक गरीबों के खिलाफ है और हम इसका विरोध करते हैं। वहीं शिरोमणि अकाली दल की नेता हरसिमरत कौर बादल ने भी सरकार के फैसले का विरोध किया। उन्होंने कहा मनरेगा को खत्म करने के बाद सरकार गरीबों को चैरिटी की ओर धकेल रही है। राज्य सरकारों को कम धन देने से पंजाब जैसे राज्यों में गरीबों को काम कैसे मिलेगा?

बीजेपी के राजकुमार चाहर ने सरकार के फैसले का समर्थन करते हुए कहा यह विधेयक गरीबों के लिए फायदेमंद होगा। अब उन्हें 100 की बजाय 125 दिनों का काम मिलेगा। प्रधानमंत्री मोदी का सपना एक विकसित भारत इसे पूरा करने में मदद करेगा। कुल मिलाकर इस विधेयक को लेकर सियासी घमासान जारी है। विपक्षी दलों का कहना है कि यह गरीबों और किसानों के खिलाफ कदम है जबकि भाजपा इसे विकास और गरीबों की भलाई का कदम बता रही है।