नई दिल्ली
/इस्लामाबाद:बांग्लादेश में जारी राजनीतिक और सामाजिक उथल-पुथल के बीच पाकिस्तान ने एक बार फिर भारत के खिलाफ तीखे बयान देकर माहौल गरमाने की कोशिश की है। पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार ने भारत पर सिंधु जल संधि के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए कहा है कि यदि पानी की आपूर्ति रोकी जाती है तो इसे युद्ध की कार्रवाई के तौर पर देखा जाएगा।इशाक डार ने यह बयान शुक्रवार 19 दिसंबर को मीडिया से बातचीत के दौरान दिया। यह बयान ऐसे समय आया है जब पाकिस्तान ने चिनाब नदी के जल प्रवाह में बदलाव को लेकर भारत से औपचारिक रूप से स्पष्टीकरण मांगा है।
/इस्लामाबाद:बांग्लादेश में जारी राजनीतिक और सामाजिक उथल-पुथल के बीच पाकिस्तान ने एक बार फिर भारत के खिलाफ तीखे बयान देकर माहौल गरमाने की कोशिश की है। पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार ने भारत पर सिंधु जल संधि के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए कहा है कि यदि पानी की आपूर्ति रोकी जाती है तो इसे युद्ध की कार्रवाई के तौर पर देखा जाएगा।इशाक डार ने यह बयान शुक्रवार 19 दिसंबर को मीडिया से बातचीत के दौरान दिया। यह बयान ऐसे समय आया है जब पाकिस्तान ने चिनाब नदी के जल प्रवाह में बदलाव को लेकर भारत से औपचारिक रूप से स्पष्टीकरण मांगा है।
भारत संधि को कमजोर कर रहा है
डार ने आरोप लगाया कि भारत लगातार 1960 की सिंधु जल संधि को कमजोर करने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने कहाहमने इस साल अप्रैल में भारत की ओर से संधि से एकतरफा हटने जैसे कदम देखे लेकिन अब जो हो रहा है वह समझौते के मूल सिद्धांतों पर सीधा हमला है। इसका असर न सिर्फ क्षेत्रीय स्थिरता पर पड़ेगा बल्कि अंतरराष्ट्रीय कानून की विश्वसनीयता भी खतरे में पड़ जाएगी।
पाकिस्तानी उप प्रधानमंत्री का कहना था कि भारत की ये कार्रवाइयां केवल तकनीकी मुद्दा नहीं हैं बल्कि इसके गंभीर रणनीतिक और मानवीय परिणाम हो सकते हैं।
पाकिस्तानी उप प्रधानमंत्री का कहना था कि भारत की ये कार्रवाइयां केवल तकनीकी मुद्दा नहीं हैं बल्कि इसके गंभीर रणनीतिक और मानवीय परिणाम हो सकते हैं।
पहलगाम हमले के बाद बदले हालात
गौरतलब है कि 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के एक दिन बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कई कड़े और दंडात्मक कदम उठाए थे। इन्हीं में से एक कदम था सिंधु जल संधि को स्थगित करना।यह संधि विश्व बैंक की मध्यस्थता में 1960 में हुई थी जो भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों के जल बंटवारे को नियंत्रित करती है। दशकों से यह संधि दोनों देशों के बीच तनाव के बावजूद कायम रही है लेकिन हालिया घटनाओं ने इसे फिर विवाद के केंद्र में ला दिया है।
कृषि और आजीविका पर खतरे का दावा
इशाक डार ने दावा किया कि भारत द्वारा किए जा रहे कथित जल प्रवाह में हेरफेर के कारण पाकिस्तान के सिंधु आयुक्त को अपने भारतीय समकक्ष को पत्र लिखकर जवाब मांगना पड़ा है।उन्होंने कहा कि कृषि चक्र के अहम समय में पानी के प्रवाह में बदलाव पाकिस्तान के किसानों खाद्य सुरक्षा और आम नागरिकों की आजीविका के लिए सीधा खतरा है।डार के मुताबिक सिंधु बेसिन पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और उसमें किसी भी तरह का असंतुलन गंभीर संकट पैदा कर सकता है।
बाढ़ और सूखे का खतरा
पाकिस्तानी विदेश मंत्री ने यह भी आरोप लगाया कि भारत ने संधि के तहत जरूरी जल विज्ञान संबंधी डेटा साझा करना पूर्व सूचना देना और संयुक्त निगरानी तंत्र को लगभग बंद कर दिया है।उनका कहना है कि इससे पाकिस्तान को अचानक बाढ़ या लंबे सूखे जैसी स्थितियों का सामना करना पड़ सकता है।इशाक डार ने चेतावनी भरे लहजे में कहापानी की आपूर्ति को हथियार बनाना अंतरराष्ट्रीय कानून के खिलाफ है और इसे युद्ध की कार्रवाई माना जाएगा।
चिनाब में पानी छोड़े जाने से बढ़ा विवाद
पाकिस्तान की नाराजगी की एक बड़ी वजह यह भी बताई जा रही है कि भारत ने हाल ही में बिना पूर्व सूचना के चिनाब नदी में पानी छोड़ा जिससे पाकिस्तान में बाढ़ जैसे हालात की आशंका पैदा हो गई। इस कदम के बाद इस्लामाबाद में राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में हलचल तेज हो गई।
विश्लेषकों का मानना है कि आंतरिक और क्षेत्रीय दबावों के बीच पाकिस्तान एक बार फिर जल मुद्दे को कूटनीतिक हथियार के तौर पर इस्तेमाल करने की कोशिश कर रहा है। भारत की ओर से फिलहाल इस बयान पर कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।
विश्लेषकों का मानना है कि आंतरिक और क्षेत्रीय दबावों के बीच पाकिस्तान एक बार फिर जल मुद्दे को कूटनीतिक हथियार के तौर पर इस्तेमाल करने की कोशिश कर रहा है। भारत की ओर से फिलहाल इस बयान पर कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।
