Author: bharati

  • BJP सांसद अरुण गोविल का बयान: मस्जिदों और मदरसों में CCTV लगाने की मांग

    BJP सांसद अरुण गोविल का बयान: मस्जिदों और मदरसों में CCTV लगाने की मांग


    नई दिल्ली। भाजपा सांसद अरुण गोविल ने लोकसभा के शून्यकाल में मस्जिदों और मदरसों में CCTV कैमरे लगाने की मांग उठाई। उन्होंने कहा कि ये बड़े सार्वजनिक और सामुदायिक स्थल हैं, जहां सुरक्षा सुनिश्चित करना बेहद जरूरी है। सांसद ने स्पष्ट किया कि यह प्रस्ताव किसी धर्म विशेष के खिलाफ नहीं है, बल्कि देश के नागरिकों की सुरक्षा के लिए है।

    देशभर में सुरक्षा व्यवस्था:
    गोविल ने बताया कि आज देशभर के मंदिर, चर्च, गुरुद्वारे, कॉलेज, अस्पताल, बाजार और अन्य सार्वजनिक स्थलों पर CCTV कैमरे लगाए जा चुके हैं। ये कैमरे पारदर्शिता, सुरक्षा और अपराध नियंत्रण में प्रभावी साबित हुए हैं। लेकिन मस्जिदों और मदरसों में अब तक यह व्यवस्था लागू नहीं है, जबकि ये भी बड़े सार्वजनिक स्थल हैं।

    मक्का का उदाहरण:
    सांसद ने सऊदी अरब के मक्का और वहां के मदरसों का उदाहरण देते हुए कहा कि सुरक्षा कारणों से वहां CCTV कैमरे लगाए गए हैं। उन्होंने कहा, “अगर वहां सुरक्षा को प्राथमिकता दी जा सकती है, तो भारत में समान सुरक्षा मानकों को लागू करने में क्यों हिचक होना चाहिए?”

    समान राष्ट्रीय सुरक्षा नीति की अपील:
    अरुण गोविल ने केंद्र सरकार से अपील की कि देशभर में समान राष्ट्रीय सुरक्षा नीति बनाई जाए, जिसके तहत मस्जिदों और मदरसों में भी कैमरे अनिवार्य हों, जैसे मंदिरों, स्कूलों और अन्य सार्वजनिक स्थलों पर लगाए गए हैं। उनका मानना है कि इससे राष्ट्रीय सुरक्षा तंत्र और मजबूत होगा।

    सुरक्षा पर चर्चा और प्रतिक्रिया:
    गोविल के इस बयान के बाद सुरक्षा मानकों पर चर्चा तेज हो गई है। कई लोग इसे समान सुरक्षा नीति की दिशा में जरूरी कदम मान रहे हैं, जबकि कुछ इसे विवादित भी बता रहे हैं। सांसद का कहना है कि सुरक्षा सबके लिए है और इससे किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए। यह कदम स्पष्ट करता है कि संसद में सुरक्षा और पारदर्शिता पर गंभीर बहस हो रही है। सांसद यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि सभी सार्वजनिक और सामुदायिक स्थल, चाहे किसी भी धर्म से संबंधित हों, सुरक्षा की दृष्टि से समान रूप से मजबूत और सुरक्षित हों।

  • राहुल गांधी ने विदेशियों से मिलने की विपक्ष की परंपरा पर उठाया सवाल, कंगना रनौत ने जताई आपत्ति

    राहुल गांधी ने विदेशियों से मिलने की विपक्ष की परंपरा पर उठाया सवाल, कंगना रनौत ने जताई आपत्ति


    नई दिल्ली। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया है कि वह विदेशी मेहमानों को विपक्ष के नेता से नहीं मिलने देती, जबकि पहले यह परंपरा रही है कि किसी भी विदेशी गणमान्य व्यक्ति को विपक्ष के नेता से मिलने की अनुमति दी जाती थी। राहुल गांधी ने अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह के कार्यकाल का उदाहरण देते हुए कहा कि उस समय विपक्ष के नेताओं को भी विदेशी मेहमानों से मिलने की इजाजत थी।

    राहुल गांधी ने संसद भवन परिसर में संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि विपक्ष के नेता का दृष्टिकोण अलग होता है और विदेशी गणमान्य अतिथि से मिलने का अधिकार उन्हें होना चाहिए। उन्होंने बताया कि मोदी सरकार और विदेश मंत्रालय इस परंपरा का पालन नहीं करते हैं। राहुल गांधी ने यह भी कहा कि जब वे विदेश यात्रा पर जाते हैं तो उन्हें भी बताया जाता है कि विदेशी नेताओं से नहीं मिलना है, जो नीति के अनुसार होता है।

    रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमिर पुतिन की भारत यात्रा के संदर्भ में पूछे गए सवाल पर राहुल गांधी ने कहा कि आम तौर पर यह परंपरा रही है कि विदेश से आने वाले मेहमान विपक्ष के नेता से भी मिलते हैं। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और डॉ. मनमोहन सिंह के समय यही नियम रहा, लेकिन अब इस परंपरा का पालन नहीं किया जाता। उनका यह भी कहना था कि एलओपी (नेता विपक्ष) एक अलग दृष्टिकोण पेश करते हैं और वह भी भारत का प्रतिनिधित्व करते हैं। केवल सरकार ही देश का प्रतिनिधित्व नहीं करती।

    राहुल गांधी के इन आरोपों के बाद बॉलीवुड और राजनीति जगत की हस्ती कंगना रनौत ने प्रतिक्रिया दी। कंगना ने कहा कि राहुल गांधी की भावनाएं देश के प्रति संदिग्ध हैं। उन्होंने कहा कि अगर राहुल गांधी अटल बिहारी वाजपेयी के समान बनने की कोशिश कर रहे हैं, तो उन्हें भाजपा में शामिल होना चाहिए। कंगना ने ट्वीट या बयान में कहा कि भगवान ने उन्हें जन्म दिया है, जीवन दिया है, वे भी अटल जी बन सकते हैं, इसके लिए उन्हें भाजपा ज्वाइन कर लेना चाहिए।

    कंगना ने कहा, “सरकार के अपने फैसले होते हैं। अटल जी नेशनल असेट थे, पूरे देश को उन पर गर्व था। लेकिन राहुल गांधी की देश के प्रति भावनाएं संदिग्ध हैं। चाहे दंगे फैलाने की योजना हो या देश को टुकड़े करने की साजिश, उनकी नीयत पर संदेह है। अगर वह खुद को अटल जी से तुलना कर रहे हैं तो मैं यही सुझाव दूंगी कि आप भाजपा में शामिल हो जाइए।”

    राहुल गांधी की टिप्पणी पर कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि विपक्ष का अधिकार है कि वह सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए और जनता के सामने अपनी राय रखे। थरूर ने यह भी कहा कि लोकतंत्र में विपक्ष को अपनी भूमिका निभाने का पूरा अधिकार है और विदेशी नेताओं से मिलने का उनका हक संविधान और परंपरा दोनों के तहत सुरक्षित है।

    विशेषज्ञों का कहना है कि राहुल गांधी का यह आरोप देश की राजनीतिक परंपरा और लोकतांत्रिक संस्थाओं की स्वतंत्रता को लेकर महत्वपूर्ण सवाल उठाता है। विपक्ष का यह अधिकार है कि वह विदेशी प्रतिनिधियों से मिले और अपने दृष्टिकोण को साझा करे। राजनीतिक विश्लेषकों का यह भी मानना है कि विदेश नीति केवल सरकार तक सीमित नहीं हो सकती, विपक्ष का दृष्टिकोण भी अंतरराष्ट्रीय संबंधों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

    राहुल गांधी के बयान और कंगना रनौत की प्रतिक्रिया के बाद इस मुद्दे पर राजनीतिक बहस तेज हो गई है। विपक्ष का मानना है कि लोकतंत्र में अलग-अलग दृष्टिकोण रखने वाले नेताओं को भी सम्मान दिया जाना चाहिए और परंपराओं का पालन होना चाहिए। वहीं, भाजपा समर्थक इसे केवल राजनीति के हिस्से के रूप में देख रहे हैं।

    इस घटना ने एक बार फिर देश में राजनीतिक संवाद और विपक्ष की भूमिका को लेकर चर्चा शुरू कर दी है। राहुल गांधी का आरोप और कंगना रनौत की प्रतिक्रिया यह दर्शाती है कि राजनीतिक बयानबाजी और आलोचना आज भी भारतीय राजनीति में उतनी ही तीव्र है जितनी पहले रही है।

  • र्भावस्था में क्या न खाएं: एक्सपर्ट गायनेकोलॉजिस्ट का हेल्दी डाइट गाइड

    र्भावस्था में क्या न खाएं: एक्सपर्ट गायनेकोलॉजिस्ट का हेल्दी डाइट गाइड


     नई दिल्ली /प्रेग्नेंसी किसी भी महिला के जीवन का सबसे महत्वपूर्ण और संवेदनशील समय होता है। इस दौरान केवल मां की नहीं बल्कि बच्चे की सेहत का भी खास ख्याल रखना पड़ता है। प्रेग्नेंसी में महिलाओं के शरीर में कई तरह के हॉर्मोनल बदलाव होते हैं और उनका इम्यून सिस्टम पहले जैसा मजबूत नहीं रहता। ऐसे में मां का हेल्दी और संतुलित आहार लेना बेहद जरूरी है, ताकि बच्चे की सही ग्रोथ और मां की सेहत दोनों बनी रहें। कई बार महिलाएं सोचती हैं कि प्रेग्नेंसी में उन्हें दो लोगों की डाइट लेनी है और अधिक मात्रा में खाना शुरू कर देती हैं। लेकिन यह सही नहीं है। हर फूड प्रेग्नेंसी में सुरक्षित नहीं होता। कुछ चीजें फूड पॉइजनिंग, इन्फेक्शन, हॉर्मोनल असंतुलन और बच्चे की विकास प्रक्रिया पर नकारात्मक असर डाल सकती हैं। इसलिए यह जानना जरूरी है कि क्या खाना चाहिए और किन चीजों से बचना चाहिए।

    प्रेग्नेंसी में किन फूड्स से बचें:

    कच्चा या अधपका अंडा और मीट: इनमें बैक्टीरिया हो सकते हैं जो फूड पॉइजनिंग और गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकते हैं। कच्चा या अधपका पपीता: इसमें लेटेक्स नामक पदार्थ होता है जो गर्भाशय में संकुचन कर सकता है। जंक फूड, अधिक मसालेदार और तेलीय भोजन: ये हॉर्मोनल असंतुलन और वजन बढ़ने की समस्या पैदा कर सकते हैं। ज्यादा कैफीन: प्रतिदिन 200 मिलीग्राम से अधिक कैफीन लगभग एक कप कॉफी/चाय बच्चे की ग्रोथ और नींद पर असर डाल सकता है।

    क्या खाएं:

    बच्चे के सही विकास के लिए प्रेग्नेंट महिलाओं को पौष्टिक और संतुलित आहार लेना चाहिए। इसमें शामिल हैं: मोटे अनाज जैसे ज्वार, बाजरा, रागी ,दालें और काबुली ,चना, बीज और ड्राईफ्रूट्स जैसे पंपकिन, सनफ्लावर सीड्स  स्वस्थ तेल जैसे सरसों का तेल और घी  ताजे फल और हरी सब्जियां

    डेली डाइट प्लान:

    प्रेग्नेंसी में छोटे-छोटे खाने के हिस्से दिन में कई बार लेना बेहतर होता है। आहार में कार्ब्स, प्रोटीन, फैट और फाइबर का संतुलन होना चाहिए। हाइड्रेशन के लिए दिन भर में 2.5–3 लीटर पानी पीना जरूरी है। इसके अलावा नारियल पानी, सूप, लेमन वॉटर और छाछ भी पी सकते हैं।

    स्नैक्स:

    हल्के, सुपाच्य और न्यूट्रिएंट-रिच स्नैक्स लेना सुरक्षित है। जैसे- रोस्टेड नट्स  पका हुआ स्प्राउट्स चाट
    मूंग दाल या बेसन चीला  इडली और डोसा  होममेड वेजिटेबल सूप और सैंडविच  उबला अंडा और कॉर्न

    वजन बढ़ना:

    प्रेग्नेंसी में वजन बढ़ना सामान्य और जरूरी है। कुल वजन बढ़ने की सीमा आपकी पहले की बॉडी मास इंडेक्स BMI पर निर्भर करती है। आम तौर पर 10–12.5 किलो तक वजन बढ़ना सामान्य माना जाता है। अंडरवेट महिलाएं 12–18 किलो नॉर्मल वेट 11–16 किलो, ओवरवेट 7–11 किलो और ओबेसिटी वाली महिलाएं 5–9 किलो तक वजन बढ़ा सकती हैं।

    एक्सरसाइज और योगा:

    हल्की एक्सरसाइज और योगा पूरी तरह सुरक्षित हैं। नियमित हल्की वॉक, प्राणायाम, डीप ब्रीदिंग और स्ट्रेचिंग से शरीर एक्टिव रहता है, ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है और डिलीवरी में सहूलियत होती है। लेकिन भारी वजन उठाना, झटकेदार मूवमेंट या पेट के बल की एक्सरसाइज से बचें। किसी नई या कठिन योग पोज को बिना ट्रेनर के शुरू न करें। अगर चक्कर, सांस फूलना, पेट दर्द या ब्लीडिंग हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।  प्रेग्नेंसी का यह चरण बेहद खास होता है। संतुलित आहार, सही हाइड्रेशन, सुरक्षित स्नैक्स और हल्की एक्सरसाइज न केवल मां की सेहत बनाए रखती हैं बल्कि बच्चे के सही विकास और मजबूत इम्यून सिस्टम में भी मदद करती हैं।

  • जैश-ए-मोहम्मद की महिला विंग में तेजी से बढ़ रही भर्ती, मसूद अजहर ने दिए कई खुलासे

    जैश-ए-मोहम्मद की महिला विंग में तेजी से बढ़ रही भर्ती, मसूद अजहर ने दिए कई खुलासे


    नई दिल्ली। बीते मई में भारत के ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारी नुकसान झेलने वाले आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर ने हाल ही में संगठन की महिला विंग के बारे में कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। मसूद अजहर ने दावा किया है कि संगठन की महिला विंग में अब तक लगभग पांच हजार महिलाएं शामिल हो चुकी हैं। इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि इन महिलाओं को कथित तौर पर आत्मघाती हमलों के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

    पिछले साल अक्टूबर में मसूद अजहर ने जैश की महिला ब्रिगेड की घोषणा की थी, जिसे जमात-उल-मोमिनात नाम दिया गया। इस महिला ब्रिगेड की जिम्मेदारी मसूद अजहर की बहन सईदा संभाल रही हैं। मसूद अजहर ने हाल ही में एक सोशल मीडिया पोस्ट में दावा किया कि जमात-उल-मोमिनात का प्रभाव तेजी से बढ़ रहा है और संगठन की रणनीति में इसका अहम स्थान है।

    मसूद अजहर ने बताया कि महिला विंग की गतिविधियों को और व्यवस्थित करने के लिए पाक अधिकृत कश्मीर के विभिन्न जिलों में इसका विस्तार किया जा रहा है। उनका कहना है कि हर जिले में एक महिला प्रमुख, जिसे मुंतजिमा कहा जाएगा, नियुक्त की जाएगी। यह प्रमुख स्थानीय स्तर पर महिला विंग की गतिविधियों की निगरानी करेगी और भर्ती एवं प्रशिक्षण कार्यक्रमों को संचालित करेगी।

    महिला विंग की भर्ती प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए संगठन ने ऑनलाइन प्रशिक्षण पाठ्यक्रम भी शुरू किया है। इसे ‘तुफात अल-मुमिनात’ नाम दिया गया है। इस ऑनलाइन कोर्स के तहत महिलाओं को जिहादी विचारधारा और फिदायीन हमलों के लिए मानसिक और शारीरिक प्रशिक्षण दिया जाता है। हर महिला के लिए इस कोर्स की फीस 500 रुपये रखी गई है।

    विशेषज्ञों के अनुसार, पाकिस्तान में चरमपंथी समूह महिलाओं का अकेले बाहर जाना मंजूर नहीं करते, इसलिए जैश-ए-मोहम्मद अब ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर महिलाओं की भर्ती और प्रशिक्षण कर रहा है। संगठन का उद्देश्य आईएसआईएस, हमास और लिट्टे जैसी अंतरराष्ट्रीय आतंकी संस्थाओं की तर्ज पर महिला आतंकी ब्रिगेड तैयार करना और उन्हें आत्मघाती हमलों में इस्तेमाल करना है।

    मसूद अजहर के खुलासों से यह स्पष्ट होता है कि जैश-ए-मोहम्मद अपने संगठन को पुनः संगठित करने और महिला आतंकियों के माध्यम से नई रणनीतियों को लागू करने की तैयारी में है। इसके तहत महिलाओं को सक्रिय रूप से आतंकी गतिविधियों में शामिल करने का प्रयास किया जा रहा है।

    विशेषज्ञों का कहना है कि महिला विंग की इस तरह की विस्तार योजना खतरे को और बढ़ा सकती है। महिलाओं के प्रशिक्षण और भर्ती के ऑनलाइन कार्यक्रम से संगठन न केवल अपनी पहुंच को बढ़ा रहा है, बल्कि उन्हें फिदायीन हमलों के लिए तैयार भी कर रहा है। यह कदम आतंकवाद के खिलाफ सुरक्षा एजेंसियों के लिए नए खतरे पैदा कर सकता है।

    जैश-ए-मोहम्मद की इस नई रणनीति ने न केवल भारत बल्कि पूरे क्षेत्र में चिंता बढ़ा दी है। सुरक्षा एजेंसियों को इस बात पर विशेष ध्यान देना होगा कि ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से महिलाएं कैसे आतंकवाद में शामिल हो रही हैं और उनका प्रशिक्षण किस हद तक जा रहा है।

    अंततः, मसूद अजहर द्वारा किए गए खुलासे इस बात की ओर इशारा करते हैं कि जैश-ए-मोहम्मद अपनी महिला विंग के माध्यम से संगठन की ताकत बढ़ाने और नई रणनीतियों को लागू करने में जुटा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम क्षेत्र में सुरक्षा की दृष्टि से गंभीर चुनौती पेश कर सकता है और इसके लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग और सतर्कता की आवश्यकता है।

  • पुतिन की भारत यात्रा राष्ट्रपति भवन पहुंचे पीएम मोदी पुतिन का होगा औपचारिक स्वागत

    पुतिन की भारत यात्रा राष्ट्रपति भवन पहुंचे पीएम मोदी पुतिन का होगा औपचारिक स्वागत


    नई दिल्ली । रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने 4 दिसंबर 2025 को दो दिवसीय भारत यात्रा शुरू की। यह यात्रा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निमंत्रण पर हो रही है और चार साल बाद उनकी भारत यात्रा है। इस दौरान भारत और रूस के बीच रणनीतिक और रक्षा सहयोग को बढ़ाने व्यापारिक रिश्तों को प्रगाढ़ करने और अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की जाएगी।

    भारत-रूस साझेदारी की 25वीं वर्षगांठ

    पुतिन की यात्रा भारत और रूस के बीच विशेष रणनीतिक साझेदारी के 25 वर्ष पूरे होने के मौके पर हो रही है। यह साझेदारी अक्टूबर 2000 में शुरू हुई थी और दिसंबर 2010 में इसे स्पेशल एंड प्रिविलेज्ड स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप का दर्जा दिया गया। इस दौरान दोनों देशों के बीच सहयोग का दायरा लगातार बढ़ा है, खासकर रक्षा ऊर्जा और व्यापारिक संबंधों में।

    यात्रा का मुख्य उद्देश्य

    पुतिन की इस यात्रा में प्रमुख रूप से रक्षा सहयोग, व्यापारिक रिश्तों और बाहरी दबावों से दोनों देशों को बचाने पर ध्यान दिया जाएगा। भारत और रूस के बीच रक्षा क्षेत्र में पुराने संबंध रहे हैं, और दोनों देशों के बीच यह सहयोग और मजबूत हो सकता है। साथ ही, भारत में छोटे मॉड्यूलर रिएक्टरों के क्षेत्र में भी दोनों देशों के बीच साझेदारी पर विचार हो सकता है।

    शिखर सम्मेलन और RT इंडिया चैनल का शुभारंभ

    5 दिसंबर को पुतिन का औपचारिक स्वागत होगा जिसके बाद 23वां भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन आयोजित होगा। इस सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन प्रमुख मुद्दों पर चर्चा करेंगे जिनमें रक्षा ऊर्जा व्यापार और सामरिक साझेदारी से संबंधित मुद्दे शामिल होंगे। सम्मेलन के बाद पुतिन रूस के प्रसारक रूसी टेलीविजन के नए भारतीय चैनल का शुभारंभ करेंगे। यह चैनल भारत में रूसी मीडिया की पहुंच को बढ़ाने में मदद करेगा और भारत-रूस के संबंधों को और मजबूत बनाएगा।

    राजकीय भोज और भविष्य की दिशा

    यात्रा के अंतिम दिन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु पुतिन के सम्मान में एक राजकीय भोज आयोजित करेंगी। यह भोज भारत-रूस संबंधों की गहरी साझेदारी और मित्रता का प्रतीक होगा। जाएगा। भारत और रूस के रिश्ते खासकर रक्षा क्षेत्र में महत्वपूर्ण रहे हैं और यह यात्रा इन रिश्तों को एक नए दौर में प्रवेश दिला सकती है।

    भारत-रूस का सामरिक महत्व

    भारत और रूस के बीच सामरिक रिश्ते बहुत मजबूत रहे हैं, विशेषकर रक्षा क्षेत्र में। रूस ने हमेशा भारत को उन्नत रक्षा प्रणाली प्रदान की है, जिसमें विमान, मिसाइलें और अन्य तकनीकी सहयोग शामिल है। दोनों देशों के बीच ऊर्जा विज्ञान तकनीकी और शिक्षा के क्षेत्र में भी सहयोग बढ़ा है।  यह यात्रा भारत और रूस के रिश्तों में एक नई दिशा का संकेत देती है, जिसमें दोनों देशों के साझा हितों के साथ-साथ वैश्विक राजनीति में सामरिक समन्वय भी बढ़ेगा। पुतिन की यात्रा विशेष रूप से रक्षा और व्यापार के क्षेत्रों में भारत-रूस साझेदारी के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकती है।

  • बिग बॉस की पूर्व कंटेस्टेंट अर्शी खान अफगानिस्तान के क्रिकेटर के साथ रिश्ते में

    बिग बॉस की पूर्व कंटेस्टेंट अर्शी खान अफगानिस्तान के क्रिकेटर के साथ रिश्ते में


    नई दिल्ली। बॉलीवुड और क्रिकेट की दुनिया में अफेयर और शादी का सिलसिला हमेशा से चर्चा का विषय रहा है। कई मशहूर अभिनेत्रियों ने क्रिकेटरों के साथ अपने रिश्ते को शादी तक पहुँचाया है। इसी लिस्ट में अब एक और नाम जुड़ता नजर आ रहा है। इस बार यह खबर थोड़ी हैरान करने वाली है, क्योंकि बिग बॉस की पूर्व कंटेस्टेंट ने अफगानिस्तान के एक क्रिकेटर पर अपना दिल हार बैठी है।

    हम बात कर रहे हैं ‘बिग बॉस 11’ की कंटेस्टेंट रह चुकी अर्शी खान की। हाल ही में सामने आई रिपोर्ट्स के अनुसार, अर्शी खान अफगानिस्तान के क्रिकेटर आफताब आलम को डेट कर रही हैं। सूत्रों की मानें तो यह कपल लंबे समय से एक-दूसरे को जान रहा है और दोनों अपने रिश्ते को अगले स्तर पर ले जाने की योजना बना रहे हैं। अगर सब कुछ योजना के अनुसार हुआ, तो वे फरवरी 2026 में शादी कर सकते हैं। फिलहाल, अर्शी और आफताब दोनों की ओर से इस रिश्ते या शादी को लेकर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।

    अर्शी खान की चर्चा हमेशा किसी न किसी कारण से रहती है। सोशल मीडिया पर वह लगातार सुर्खियों में रहती हैं और अपनी सक्रियता से फैंस का ध्यान खींचती हैं। अर्शी खान का नाम पहले भी कई बार अफेयर की खबरों में आया है। खासकर सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर एहसान माशी के साथ उनके वीडियो ने लोगों का ध्यान खींचा था।

    हालांकि अर्शी ने इस बात को स्पष्ट कर दिया है कि एहसान माशी के साथ उनका रिश्ता केवल दोस्ताना है। एक इंटरव्यू में अर्शी ने कहा था कि उन्हें अक्सर माशी के साथ इसलिए जोड़ा जाता है क्योंकि वे दोनों कई प्रोजेक्ट्स पर साथ काम करते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वे रिलेशनशिप में हैं। उन्होंने यह भी जोर दिया कि वे सिर्फ दोस्त हैं और उनके बीच कोई रोमांटिक संबंध नहीं है।

    अर्शी खान और आफताब आलम के रिश्ते की खबर ने सोशल मीडिया पर भी हलचल मचा दी है। फैंस इस जोड़ी को लेकर काफी उत्साहित हैं और कई लोग दोनों की शादी के अनुमान लगाने लगे हैं। अफगानिस्तान क्रिकेटर और बॉलीवुड की हस्ती के रिश्ते की यह खबर मीडिया में भी काफी चर्चा में है।

    हालांकि, अर्शी और आफताब दोनों ही अपने निजी जीवन को लेकर काफी गोपनीयता बरत रहे हैं। दोनों ने अभी तक अपने रिश्ते या भविष्य की योजना पर कोई सार्वजनिक टिप्पणी नहीं की है। लेकिन सूत्रों का कहना है कि यह जोड़ी एक-दूसरे के साथ समय बिताने में विश्वास रखती है और अपने रिश्ते को मजबूती देने के लिए कदम उठा रही है।

    क्रिकेट और मनोरंजन जगत में रिश्तों की खबरें अक्सर चर्चा में रहती हैं। इस बार यह खबर इसलिए खास है क्योंकि यह एक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर और भारत की टीवी हस्ती के बीच का रिश्ता है। ऐसे मामले न केवल मीडिया में बल्कि आम जनता के बीच भी उत्सुकता पैदा कर देते हैं।

    इस मामले से यह साफ हो गया है कि अर्शी खान न केवल अपनी प्रोफेशनल लाइफ बल्कि अपनी पर्सनल लाइफ में भी निर्णय लेने में स्वतंत्र हैं। उनकी यह पहल उनके फैंस के लिए भी एक नई जानकारी लेकर आई है। अब यह देखना होगा कि फरवरी 2026 तक क्या यह जोड़ी शादी तक पहुंच पाती है या नहीं।

    अंततः, अर्शी खान और आफताब आलम का यह रिश्ता यह दर्शाता है कि आज के समय में लोग अपने प्यार और रिश्तों में स्पष्टता और स्वतंत्रता चाहते हैं। दोनों ने अपने रिश्ते को लेकर अभी कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की है, लेकिन फैंस और मीडिया इस जोड़ी पर नजर बनाए हुए हैं।

  • जानें—कार में ब्लैक-फिल्म लगाने पर कितना जुर्माना लगता है, किसे है छूट..

    जानें—कार में ब्लैक-फिल्म लगाने पर कितना जुर्माना लगता है, किसे है छूट..


    नई दिल्ली/ हाल ही में देश के कई राज्यों में कारों पर ब्लैक या टिंटेड फिल्म लगाने वालों पर पुलिस ने सख्त कार्रवाई तेज कर दी है। दिल्ली यातायात पुलिस ने सिर्फ एक हफ्ते में 2,235 से अधिक चालान काटे, जबकि उत्तर प्रदेश के मेरठ में ‘ऑपरेशन ब्लैक कैट’ चलाकर तीन दिन में 454 वाहनों पर चालान किए गए। आंकड़े बताते हैं कि लाखों लोग अब भी इस नियम को या तो जानते नहीं, या जानबूझकर उसका उल्लंघन करते हैं। सिर्फ दिल्ली में पिछले एक साल में 20,232 चालान ब्लैक फिल्म को लेकर किए गए। लेकिन आखिर ब्लैक फिल्म हटाने पर इतनी कड़ाई क्यों है? इसका सीधा संबंध सड़क सुरक्षा, कानून व्यवस्था और सार्वजनिक सुरक्षा से है।

    लोग ब्लैक फिल्म क्यों लगवाते हैं?
    अक्सर कार मालिक कुछ कारणों से ब्लैक/टिंटेड फिल्म लगवा लेते हैं- कार के अंदर गर्मी को कम करने के लिए  ज़्यादा प्राइवेसी पाने के लिए मॉडिफिकेशन और लग्जरी लुक के शौक के चलते  कानून की जानकारी न होने के कारण  लेकिन फायदे के बावजूद यह पूरी तरह अवैध है-चाहे फिल्म हल्की ही क्यों न हो या VLT मानकों को पूरा करती हो।

    कानून क्या कहता है?
    इस विषय में सुप्रीम कोर्ट का फैसला सबसे महत्वपूर्ण है।सुप्रीम कोर्ट का 2012 का आदेश Abhishek Goenka vs Union of India कोर्ट ने साफ कहा- कार खरीदने के बाद बाहर से किसी भी प्रकार की फिल्म लगवाना गैर-कानूनी है, चाहे वह ब्लैक हो, कलर्ड हो, स्मोक्ड हो या हल्की ही क्यों न हो।पुलिस को अधिकार है कि वह मौके पर फिल्म उतरवाए और चालान करे।

    CMVR नियम 100 (1989)
    यह नियम फैक्ट्री में बने ग्लास के VLT Visible Light Transmission मानक तय करता है-फ्रंट और रियर विंडशील्ड – कम से कम 70% विजिबिलिटी साइड विंडो – कम से कम 50% विजिबिलिटी अर्थात् कार कंपनियां हल्का टिंट दे सकती हैं लेकिन यह फैक्ट्री से ही होना चाहिए और मानक के भीतर होना चाहिए। बाजार में लगवाई गई कोई भी फिल्म अवैध है।

    ब्लैक फिल्म से होने वाले खतरे

    1. सड़क सुरक्षा को बड़ा जोखिम
    ब्लैक या स्मोक्ड फिल्म से विजिबिलिटी 40–70% तक कम हो जाती है।
    रात, धुंध, बारिश या हाईवे पर इससे दुर्घटना की संभावना कई गुना बढ़ जाती है।

    2. अपराधों को बढ़ावा
    पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों का कहना है कि- ब्लैक फिल्म के कारण कार के अंदर क्या हो रहा है, यह बाहर से दिखाई नहीं देता। अपहरण, छेड़छाड़, तस्करी और कई आपराधिक गतिविधियों में ऐसे वाहनों का उपयोग बढ़ता है। इसी वजह से सुप्रीम कोर्ट ने इन्हें सुरक्षा के लिए खतरा बताया था।

    कितना जुर्माना लगता है?

    अधिकतर राज्यों में चालान- 100 से 1,000 कुछ राज्यों में इसे बढ़ाकर- ₹2,000 तक कर दिया गया है। बार-बार पकड़े जाने पर जुर्माना और अधिक लगाया जा सकता है। पुलिस मौके पर फिल्म उतरवाने का अधिकार भी रखती है।

    किन लोगों को छूट मिलती है?

    केवल Z+ या Z श्रेणी की सुरक्षा प्राप्त VIPs को वह भी सरकारी अनुमति पत्र के साथ।
    Ministers, MPs, MLAs, Judges-किसी को भी व्यक्तिगत छूट नहीं। छूट सिर्फ विशेष सुरक्षा श्रेणी के लिए है। फिल्म हटाने का सुरक्षित तरीका फिल्म को खींचकर नहीं उतारें। हेयर ड्रायर या हीट गन से ग्लास को हल्का गर्म करें। किनारे से धीरे-धीरे फिल्म निकालें। बचा गोंद ग्लास क्लीनर या साबुन-पानी से साफ करें।

    क्या इससे इंश्योरेंस क्लेम पर असर पड़ता है?

    हाँ! अवैध मॉडिफिकेशन होने पर- क्लेम कम किया जा सकता है या पूरी तरह रिजेक्ट भी हो सकता है अगर पहले चालान हो चुका है  तो बीमा कंपनी इसे रूल वायलेशन मानकर केस और सख्ती से जांचती है।

    पुलिस कैसे जांच करती है?

    VLT मीटर टिंट मीटर से विजुअल इंस्पेक्शन – अगर फिल्म साफ दिख रही हो, तो चालान तुरंत

     किया जाता है।

  • बॉम्बे हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला लाउडस्पीकर का उपयोग किसी धर्म में अनिवार्य नहीं

    बॉम्बे हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला लाउडस्पीकर का उपयोग किसी धर्म में अनिवार्य नहीं


    नई दिल्ली । बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि किसी भी धर्म में लाउडस्पीकर का उपयोग अनिवार्य नहीं है। कोर्ट का यह फैसला महाराष्ट्र के गोंडिया जिले की गौसिया मस्जिद द्वारा दायर याचिका के संदर्भ में आया। मस्जिद ने लाउडस्पीकर के उपयोग को पुनः बहाल करने की मांग की थी, लेकिन अदालत ने इसे खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा। कोर्ट का मानना था कि धार्मिक पूजा के लिए लाउडस्पीकर का इस्तेमाल जरूरी नहीं है, और इसके बिना भी धार्मिक कार्य संपन्न किए जा सकते हैं।

    सुप्रीम कोर्ट के पहले के फैसले का संदर्भ

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए निर्देशों का हवाला दिया। सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी यह स्पष्ट किया था कि किसी भी धर्म में लाउडस्पीकर म्यूजिक इंस्ट्रूमेंट या ढोल का इस्तेमाल करके शांति भंग करने का निर्देश नहीं दिया गया है। इसके बजाय, सभी धार्मिक गतिविधियां शांतिपूर्ण और बिना किसी व्यवधान के की जानी चाहिए। कोर्ट ने यह भी कहा कि यह समझना जरूरी है कि धर्म की प्रामाणिकता लाउडस्पीकर जैसे उपकरणों पर निर्भर नहीं करती।

    याचिकाकर्ता से सबूत की मांग

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता गौसिया मस्जिद से यह प्रमाणित करने के लिए सबूत मांगे थे कि नमाज पढ़ने के लिए लाउडस्पीकर का इस्तेमाल अनिवार्य है। अदालत ने स्पष्ट रूप से कहा कि यदि यह साबित नहीं हो सकता तो लाउडस्पीकर का उपयोग अनुमति देने का कोई आधार नहीं हो सकता। याचिकाकर्ता इस मामले में कोई ठोस दस्तावेज पेश करने में असफल रहा जिससे अदालत ने इसके पक्ष में निर्णय नहीं दिया। अदालत ने यह भी उल्लेख किया कि इस तरह के मामलों में धार्मिक पूजा और ध्वनि प्रदूषण के बीच संतुलन बनाए रखना जरूरी है।

    ध्वनि प्रदूषण और स्वास्थ्य पर असर

    कोर्ट ने ध्वनि प्रदूषण के मुद्दे पर भी गंभीर चिंता व्यक्त की। उसने कहा कि लाउडस्पीकर से निकलने वाली ध्वनि पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 का उल्लंघन कर सकती है और यह स्वास्थ्य पर गंभीर असर डाल सकती है। कोर्ट ने यह भी कहा कि भारत में हर नागरिक को अपनी इच्छा से सुनने का अधिकार है और किसी को बिना उनकी अनुमति के जोर से आवाज सुनने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता। इसलिए यह जरूरी है कि हर व्यक्ति की शांति और स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए, लाउडस्पीकर का उपयोग नियंत्रित किया जाए।

    समाज में शांति और सम्मान की आवश्यकता

    बॉम्बे हाईकोर्ट का यह फैसला समाज में शांति और सम्मान बनाए रखने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। जहां एक ओर धार्मिक स्वतंत्रता को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए, वहीं दूसरी ओर किसी के अधिकारों का उल्लंघन किए बिना यह सुनिश्चित करना भी जरूरी है कि किसी की पूजा-पाठ में व्यवधान न आए। यह फैसला इस बात को भी उजागर करता है कि धार्मिक अनुष्ठानों में लाउडस्पीकर का उपयोग अनिवार्य नहीं है और किसी भी धर्म का पालन शांति और सम्मान के साथ किया जाना चाहिए। अंतत यह फैसला उन स्थानों पर लाउडस्पीकर के उपयोग को लेकर एक नया दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है जो न केवल धार्मिक स्वतंत्रता बल्कि समाज में शांति और समरसता के लिए भी एक अहम संदेश है।

  • गुरुग्राम में भाजपा पार्षद की बेटी ने शादी से एक दिन पहले दर्ज कराई शिकायत, पुलिस ने सुरक्षित निकाला

    गुरुग्राम में भाजपा पार्षद की बेटी ने शादी से एक दिन पहले दर्ज कराई शिकायत, पुलिस ने सुरक्षित निकाला


    नई दिल्ली । गुरुग्राम में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसमें भाजपा पार्षद नरेश कटारिया की बेटी ने अपनी शादी से ठीक एक दिन पहले अपने माता-पिता के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। लड़की का आरोप है कि उसके माता-पिता उसकी मर्जी के खिलाफ शादी कराने पर अड़े हुए थे और उसे घर में बंधक बनाकर रखने की कोशिश कर रहे थे।

    सूत्रों के अनुसार, लड़की ने पुलिस को बताया कि उसके माता-पिता ने उसके मोबाइल फोन छीन लिए थे और उसे कमरे में बंद कर दिया था। इसके बावजूद उसने लैपटॉप का इस्तेमाल कर प्रदेश के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, पुलिस आयुक्त गुरुग्राम, जिला उपायुक्त, महिला आयोग और सेक्टर-9ए पुलिस स्टेशन को ईमेल के माध्यम से अपनी शिकायत भेजी।

    लड़की ने पुलिस को यह भी बताया कि उसने एमबीए और एमएड तक की पढ़ाई की है और पिछले 15 वर्षों से एक दोस्त के साथ प्रेम संबंध में है। उसकी शादी चार दिसंबर को तय की गई थी, लेकिन वह उस व्यक्ति से विवाह करना चाहती थी, जिससे वह लंबे समय से संबंध में है। लड़की का कहना है कि उसके माता-पिता उसकी मर्जी को नजरअंदाज कर उसे मजबूर कर रहे थे।

    सेक्टर-9ए पुलिस ने तुरंत मामले में कार्रवाई की और लड़की को देर रात उसके घर से सुरक्षित निकालकर सेफ हाउस में शिफ्ट कर दिया। पुलिस ने इस बात पर जोर दिया कि लड़की की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं।

    भाजपा नेता नरेश कटारिया ने फिलहाल इस मामले पर कोई टिप्पणी करने से मना कर दिया है। वहीं पुलिस मामले की जांच कर रही है और आगे की कार्रवाई की योजना बना रही है।

    विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे मामले परिवारिक विवाद से बढ़कर बच्चों के अधिकार और उनकी सुरक्षा का मामला बन जाते हैं। कानून के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति अपनी मर्जी के खिलाफ शादी करने पर मजबूर किया जा रहा है, तो वह इसे पुलिस में रिपोर्ट कर सकता है और उसकी सुरक्षा के लिए उचित कदम उठाए जाते हैं।

    इस घटना ने समाज में एक बार फिर सवाल खड़ा कर दिया है कि पारिवारिक दबाव में लोग अपनी मर्जी के खिलाफ निर्णय लेने को मजबूर क्यों होते हैं। सामाजिक और कानूनी जानकार कहते हैं कि ऐसी परिस्थितियों में बच्चों की इच्छाओं और स्वतंत्रता का सम्मान करना जरूरी है।

    पुलिस अधिकारियों ने मीडिया को बताया कि लड़की फिलहाल सुरक्षित है और उसे किसी भी तरह का खतरा नहीं है। वे परिवार के अन्य सदस्यों से पूछताछ कर रहे हैं और मामले की पूरी जांच कर रहे हैं। वहीं महिला आयोग ने भी इस मामले पर नजर बनाए रखी है और जरूरत पड़ने पर कार्रवाई की बात कही है।

    इस घटना ने न केवल गुरुग्राम बल्कि पूरे देश में शादी और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मामलों पर ध्यान आकर्षित किया है। कई मानवाधिकार और महिला संगठन भी इस मामले को लेकर गंभीर हैं और उन्होंने लड़की की सुरक्षा सुनिश्चित करने और उसके अधिकारों की रक्षा करने की अपील की है।

    अंततः यह मामला यह बताता है कि आज के समय में भी कई युवा अपनी पसंद और मर्जी के खिलाफ शादी के दबाव का सामना कर रहे हैं। इसके अलावा, यह घटना यह भी दिखाती है कि जब युवा अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाते हैं, तो कानून और पुलिस उन्हें सुरक्षा प्रदान कर सकती है।

  • अब टोल पर नहीं लगेगी ब्रेक! गडकरी का बड़ा ऐलान, एक साल में बदलेगा पूरा सिस्टम

    अब टोल पर नहीं लगेगी ब्रेक! गडकरी का बड़ा ऐलान, एक साल में बदलेगा पूरा सिस्टम


    नई दिल्ली। देश की सड़कों पर सफर करने वाले लाखों वाहन चालकों और ट्रक ऑपरेटरों के लिए बड़ी राहत की खबर है। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने घोषणा की है कि अगले एक साल के भीतर देशभर में टोल प्लाजा पर रुकने की आवश्यकता पूरी तरह समाप्त हो जाएगी। इसके लिए मौजूदा बैरियर आधारित टोल प्रणाली को खत्म कर पूरी तरह डिजिटल टोल कलेक्शन सिस्टम लागू किया जाएगा।

    सालभर में बदलेगा पूरा टोल सिस्टम
    केंद्रीय मंत्री ने बताया कि सरकार देश के पूरे नेशनल हाईवे नेटवर्क पर टोल टैक्स कलेक्शन का नया इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम लागू करने जा रही है। इसके तहत वाहनों को अब टोल प्लाजा पर रुकना नहीं पड़ेगा और टोल राशि ऑटोमैटिक तरीके से खाते से कट जाएगी। इससे टोल प्लाजा पर लगने वाले लंबे जाम से भी राहत मिलेगी और यात्रियों का समय बचेगा।

    गडकरी ने कहा कि इस नई व्यवस्था को देश के लगभग 10 स्थानों पर पायलट प्रोजेक्ट के रूप में पहले ही लागू किया जा चुका है और इसके सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। अगले एक साल के भीतर इसे पूरे देश के राष्ट्रीय राजमार्गों पर लागू कर दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि फिलहाल देश में करीब 10 लाख करोड़ रुपये की लागत की 4500 से अधिक हाईवे परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं, जिनसे सड़क परिवहन की तस्वीर पूरी तरह बदलने वाली है।

    NETC और RFID तकनीक से होगा टोल कलेक्शन
    नए डिजिटल टोल सिस्टम के लिए भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) द्वारा विकसित नेशनल इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन (NETC) तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। इस प्रणाली के तहत वाहनों की विंडस्क्रीन पर RFID (रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन) टैग लगाया जाएगा। जैसे ही वाहन टोल पॉइंट से गुजरेगा, टोल की राशि सीधे बैंक खाते से ऑटोमैटिक कट जाएगी। इससे न केवल ट्रैफिक जाम कम होगा, बल्कि ईंधन की भी बड़ी बचत होगी और प्रदूषण में भी कमी आएगी।

    पर्यावरण और भविष्य के ईंधन पर सरकार का जोर
    गडकरी ने अपने संबोधन में कहा कि सरकार केवल सड़क निर्माण तक सीमित नहीं है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और वैकल्पिक ईंधन पर भी विशेष ध्यान दे रही है। उन्होंने कहा कि हाइड्रोजन को भविष्य का ईंधन माना जा रहा है और इस दिशा में तेजी से काम किया जा रहा है, जिससे देश की ईंधन आयात निर्भरता कम हो सके।

    सड़क हादसों के लिए कैशलेस इलाज योजना
    केंद्रीय मंत्री ने सड़क दुर्घटना पीड़ितों के लिए शुरू की गई कैशलेस इलाज योजना की भी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि अब सड़क हादसे में घायल व्यक्ति को 1.5 लाख रुपये तक का कैशलेस इलाज उपलब्ध कराया जाएगा। अब तक इस योजना के तहत 6,833 मामलों में आवेदन आए हैं, जिनमें से 5,480 पीड़ितों को लाभ मिल चुका है।

    सड़क यातायात में आएगा बड़ा सुधार
    नई डिजिटल टोल व्यवस्था, कैशलेस इलाज योजना और वैकल्पिक ईंधन की पहल से देश के सड़क परिवहन तंत्र में बड़ा बदलाव आने वाला है। इससे न केवल यात्रियों को सुविधा मिलेगी, बल्कि दुर्घटना पीड़ितों को समय पर मदद भी सुनिश्चित होगी। विशेषज्ञों के अनुसार यह कदम भारत के ट्रांसपोर्ट सेक्टर में एक तकनीकी क्रांति के रूप में देखा जा रहा है।

    सरकार के इस फैसले से साफ है कि आने वाले समय में हाईवे पर सफर और भी तेज, सुरक्षित और सुगम होने वाला है।