Author: bharati

  • झीलों और पहाड़ियों का संगम! नवंबर में नैनीताल की सबसे खूबसूरत लोकेशंस

    झीलों और पहाड़ियों का संगम! नवंबर में नैनीताल की सबसे खूबसूरत लोकेशंस

     
    सर्दियों की शुरुआत में घूमने का प्लान है तो नैनीताल से बेहतर विकल्प कम ही हैं। उत्तराखंड का यह खूबसूरत हिल स्टेशन अपनी सुरम्य वादियों, झीलों और मनोरम नजारों के लिए मशहूर है।
     
    नई दिल्‍ली । सर्दियों की शुरुआत में अगर हिल स्टेशन की सैर का प्लान बना रहे हैं, तो नैनीताल आपके लिस्ट में जरूर होना चाहिए। खूबसूरत झीलें, हरे-भरे पहाड़ और ठंडी हवा इसे सर्दियों में खास बनाते हैं।
     
    जी हां, आज हम आपको उत्तराखंड के एक खूबसूरत हिल स्टेशन के बारे में बताएंगे, जिसकी सर्दियों की शुरुआत से ही प्राकृतिक सुंदरता और ठंडी हवा इसे खास बना देती है।
     
    उत्तराखंड की पहाड़ियों में बसा यह हिल स्टेशन झीलों, हरियाली, पहाड़ों और मनमोहक नजारों से भरा हुआ है। खासकर सर्दियों में यहां का माहौल बेहद खूबसूरत और जादुई हो जाता है। अगर आप नैनीताल की ट्रिप प्लान कर रहे हैं, तो इन खास जगहों को अपनी लिस्ट में शामिल करना बिल्कुल न भूलें।
     
    नैनी झील
     
    पहाड़ों की गोद में बसी नैनी झील चारों तरफ हरी-भरी वादियों से घिरी है। पानी में पहाड़ियों की परछाई एक अद्भुत दृश्य बनाती है, जिसे देखकर आप मंत्रमुग्ध हो जाएंगे। यहां बोटिंग का अनुभव बेहद खास है। धीरे-धीरे नाव में बैठकर आस-पास के खूबसूरत नजारों का आनंद लेना सुकून देने वाला होता है।
     
    रानीखेत
     
    यह हिल स्टेशन शांत वातावरण और हरियाली से भरे जंगलों के लिए जाना जाता है। यहां की ठंडी हवा और प्राकृतिक सुंदरता सुकून देने वाले अनुभव का अहसास कराती है।
     
    मसूरी
     
    ‘पहाड़ों की रानी’ के नाम से प्रसिद्ध मसूरी अपनी खूबसूरत वादियों, आसान ट्रेकिंग रास्तों और मनमोहक मौसम के लिए मशहूर है। शाम के समय मसूरी की सड़कों पर चहल-पहल के बीच घूमना एक अलग ही आनंद और रोमांच का अनुभव देता है।
     
    मॉल रोड
    यहां दिनभर लोगों की हलचल बनी रहती है। मॉल रोड पर चलते-चलते आपको दुकानें, कैफे और रेस्टोरेंट्स सब मिलेंगे। स्वादिष्ट खाने का मज़ा लेने और शॉपिंग करने के लिए यह जगह एकदम परफेक्ट है।
     
    टिफिन टॉप
     
    अगर आप फोटोग्राफी के शौकीन हैं और नैनीताल के आसपास के नजारों को कैमरे में कैद करना चाहते हैं, तो टिफिन टॉप एक शानदार जगह है। यहां से पूरे नैनीताल का खूबसूरत पैनोरमा दिखाई देता है, जो हर तस्वीर में जादुई नज़ारा बनाता है।
     
    इसके अलावा, टिफिन टॉप पर आप घुड़सवारी का आनंद भी ले सकते हैं। यह जगह परिवार के साथ घूमने और प्राकृतिक सुंदरता का मज़ा लेने के लिए एक परफेक्ट डेस्टिनेशन है।
  • श्रेयस अय्यर की सेहत में सुधार, ICU से बाहर, BCCI ने फैंस को दी राहत भरी खबर

    श्रेयस अय्यर की सेहत में सुधार, ICU से बाहर, BCCI ने फैंस को दी राहत भरी खबर

     
    नई दिल्ली । ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ तीसरे वनडे मैच में चोटिल हुए भारतीय वनडे उप-कप्तान श्रेयस अय्यर की सेहत पर राहत भरी खबर आई है। BCCI की मेडिकल टीम ने बताया कि अय्यर अब सिडनी के अस्पताल में ICU से बाहर आ गए हैं और उनकी हालत स्थिर बनी हुई है।
     
    चोट कैसे लगी:
     
    तीसरे वनडे में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच मैच के दौरान अय्यर को चोट तब लगी जब वह एलेक्स कैरी का पीछे की तरफ दौड़ते हुए बैकवर्ड प्वाइंट पर कैच पकड़ रहे थे। इस दौरान उनकी बाईं निचली पसली टूट गई और स्कैन में स्प्लीन (तिल्ली) में कटने की चोट पाई गई। यह अंग पेट के बाएं ऊपरी हिस्से में स्थित होता है और खून को साफ करने और शरीर को संक्रमण से बचाने का काम करता है। स्प्लीन फटने पर शरीर में इंटरनल ब्लीडिंग हो सकती है, जो गंभीर स्थिति होती है।
     
    BCCI की प्रतिक्रिया:
     
    BCCI ने अपने बयान में कहा कि अय्यर का इलाज जारी है और वे मेडिकल रूप से स्थिर हैं। सिडनी और भारत के विशेषज्ञों की सलाह से उनकी चोट पर नजदीकी निगरानी रखी जा रही है। भारतीय टीम के डॉक्टर भी उनके साथ रहेंगे ताकि उनकी रोज़ाना की प्रगति की जांच हो सके।
     
    BCCI ने यह भी बताया कि अय्यर को इंफेक्शन के संकेतों के लिए मॉनिटर किया जा रहा है और उन्हें अस्पताल में लगभग सात दिन रहना पड़ सकता है।
     
    चोट की गंभीरता और रिकवरी:
     
    चोट लगने के बाद अय्यर ड्रेसिंग रूम में बेहोश हो गए थे, जिस पर मेडिकल टीम ने तुरंत उन्हें अस्पताल पहुंचाया। विशेषज्ञों का कहना है कि उन्हें तीन सप्ताह तक खेल से बाहर रहना पड़ सकता है और पूरी तरह फिट होने में और समय लगेगा।
     
    श्रेयस अय्यर की फुर्ती और जुझारूपन:
     
    अय्यर ने टीम के लिए हमेशा क्रिटिकल कैच और रन बचाने में अहम भूमिका निभाई है। उनकी चोट के बावजूद टीम के फैंस और क्रिकेट विशेषज्ञ उनकी जल्द स्वस्थ होने की कामना कर रहे हैं।
     
    स्प्लीन के बारे में जानिए:
     
    स्प्लीन पेट का नाजुक अंग है जो खून को फिल्टर करने और संक्रमण से लड़ने में मदद करता है। चोट, गिरने या जोरदार टकराने से यह फट सकता है। फटने पर इंटरनल ब्लीडिंग हो सकती है, जो तुरंत मेडिकल ध्यान मांगती है। अय्यर की स्थिति इसी कारण गंभीर हो सकती थी, लेकिन समय पर इलाज ने उनकी जान बचाई।
     
    श्रेयस अय्यर अब ICU से बाहर हैं और धीरे-धीरे स्वस्थ हो रहे हैं। BCCI और मेडिकल टीम उनकी हर स्थिति पर नजर बनाए रखे हुए हैं। फैंस को उम्मीद है कि वह जल्द ही पूरी तरह फिट होकर मैदान पर लौटेंगे।
  • पूर्व ICC रेफरी का खुलासा, भारत को स्लो ओवर रेट पर दंडित नहीं करने की हुई थी सलाह

    पूर्व ICC रेफरी का खुलासा, भारत को स्लो ओवर रेट पर दंडित नहीं करने की हुई थी सलाह

     
    नई दिल्ली । टी20 एशिया कप 2025 के दौरान मैच रेफरी को लेकर मचे विवाद के बीच, आईसीसी के पूर्व मैच रेफरी क्रिस ब्रॉड ने भारतीय क्रिकेट टीम को लेकर बड़ा आरोप लगाया है। ब्रॉड ने दावा किया है कि उनके कार्यकाल के दौरान उन्हें एक बार भारत को ओवर-रेट के जुर्माने से बचाने के लिए ‘नरमी बरतने’ का दबाव बनाया गया था। हालांकि, उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि इस दबाव के पीछे कौन था, लेकिन हिंट दिया कि यह जानकारी तत्कालीन कप्तान सौरव गांगुली को भी थी।
     
    क्रिस ब्रॉड का खुलासा
     
    ब्रॉड ने द टेलीग्राफ को बताया कि यह घटना किस मैच में हुई और किसने उनसे ऐसा करने के लिए कहा, इसका विवरण उन्होंने नहीं दिया। उन्होंने कहा कि एक मैच में भारत निर्धारित ओवर-रेट से पीछे था और उन्हें फोन आया। ब्रॉड ने कहा, “भारत मैच के अंत में तीन-चार ओवर पीछे था, इसलिए यह जुर्माना बनता था। मुझे फोन आया और कहा गया, ‘ढील बरतो, थोड़ा समय निकालो, क्योंकि यह भारत है।’ मैंने कहा, ठीक है। इसलिए हमें थोड़ा समय निकालना पड़ा और ओवर-रेट को निर्धारित सीमा से नीचे लाया गया।”
     
    उन्होंने आगे बताया कि अगले मैच में भी ऐसी ही स्थिति दोहराई गई। ब्रॉड ने कहा, “उन्होंने (सौरव गांगुली) मेरी कोई भी बात जल्दी ओवर करने के लिए नहीं सुनी, तो मैंने फोन करके पूछा, ‘अब आप मुझसे क्या करवाना चाहते हैं?’ और मुझे कहा गया, ‘बस उनके साथ ही करो।’”
     
    क्रिस ब्रॉड का अनुभव और करियर
     
    क्रिस ब्रॉड ने फरवरी 2024 तक आईसीसी मैच रेफरी के तौर पर काम किया और इस दौरान उन्होंने 123 टेस्ट मैच, 361 वनडे और 138 टी20 अंतरराष्ट्रीय मैचों में रेफरी की भूमिका निभाई। वह मैच रेफरी के रूप में काम करते रहने के लिए खुश थे, लेकिन आईसीसी ने उनके अनुबंध का नवीनीकरण नहीं किया।
     
    कौन हैं क्रिस ब्रॉड
     
    ब्रॉड क्रिकेट जगत में लंबे समय तक मैच रेफरी के रूप में जाने जाते रहे हैं। उनका करियर 2003 से शुरू हुआ और उन्होंने कई बड़े अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में निष्पक्षता बनाए रखने का काम किया। उनका यह खुलासा भारतीय क्रिकेट समुदाय और आईसीसी के नियमों के पालन पर सवाल उठाता है।
     
    परिणाम और विवाद
     
    ब्रॉड के इस बयान के बाद भारतीय टीम और तत्कालीन कप्तान सौरव गांगुली के खिलाफ भी सवाल उठ सकते हैं। यह मामला क्रिकेट प्रशासकों, आईसीसी और भारतीय क्रिकेट फैंस के बीच चर्चा का विषय बन गया है।
    पूर्व मैच रेफरी के इस खुलासे से यह स्पष्ट होता है कि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में कभी-कभी टीमों को ओवर-रेट और नियमों के पालन में छूट देने का दबाव बनता रहा है, जो खेल की निष्पक्षता पर प्रश्न खड़े करता है।
  • 7 महीने की प्रेग्नेंसी में सोनिका यादव का अद्भुत योगदान, दिल्ली पुलिस के लिए मिसाल कायम

    7 महीने की प्रेग्नेंसी में सोनिका यादव का अद्भुत योगदान, दिल्ली पुलिस के लिए मिसाल कायम

     
    नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस की 31 वर्षीय कॉन्स्टेबल सोनिका यादव ने साबित कर दिया कि मातृत्व कमजोरी नहीं, बल्कि शक्ति की नई मिसाल है। ऑल इंडिया पुलिस वेटलिफ्टिंग क्लस्टर 2025-26 में उन्होंने 145 किलो वजन उठाकर दमदार प्रदर्शन किया और देशभर की महिलाओं के लिए प्रेरणा बन गईं।
     
    सोनिका यादव ने प्रतियोगिता में अपने 7वें महीने की प्रेग्नेंसी में भाग लेकर रिकॉर्ड कायम किया। उन्होंने इस साहसिक कदम के माध्यम से यह संदेश दिया कि प्रेग्नेंसी को किसी बीमारी की तरह नहीं देखा जाना चाहिए। सोनिका ने कहा, “मैं चाहती हूं कि प्रेग्नेंसी को कमजोरी के रूप में न देखा जाए। सही मार्गदर्शन से महिलाएं फिटनेस और अपने सपनों दोनों को पूरा कर सकती हैं।”
     
    कड़ी मेहनत और एक्सपर्ट ट्रेनिंग 
     
    सोनिका ने 2023 में पावरलिफ्टिंग की ट्रेनिंग शुरू की थी। उन्होंने ग्लोबल एथलीट्स से ऑनलाइन सलाह लेकर एक्सपर्ट सुपरविजन में खुद को प्रशिक्षित किया। उनकी मेहनत और लगन रंग लाई और उन्होंने ब्रॉन्ज मेडल जीतकर अपनी ताकत और जज़्बे का सबूत दिया।
     
    प्रतियोगिता में सोनिका ने 125 किलोग्राम का स्क्वाट, 80 किलोग्राम की बेंच प्रेस और 145 किलोग्राम की डेडलिफ्ट कर सबको चौंका दिया। उन्होंने बताया कि इंटरनेट पर खोज के दौरान उन्हें लूसी मार्टिन्स नामक महिला का गर्भावस्था में ऐसा ही प्रदर्शन देखने को मिला। इसके बाद सोनिका ने इंस्टाग्राम के जरिए लूसी से संपर्क कर ट्रेनिंग के विशेष टिप्स लिए।
     
    ड्यूटी और फिटनेस में संतुलन
     
    सोनिका यादव न केवल खेल में शानदार प्रदर्शन कर रही हैं, बल्कि कम्युनिटी पुलिसिंग सेल में भी सक्रिय हैं। उन्होंने अपनी ड्यूटी और फिटनेस के बीच संतुलन बनाते हुए प्रेग्नेंसी के दौरान भी ट्रेनिंग जारी रखी। उनके इस कदम ने यह साबित किया कि महिला होने का मतलब सिर्फ जिम्मेदारियां नहीं, बल्कि अनगिनत संभावनाएं भी हैं।
     
    उनकी उपलब्धि ने पुलिस विभाग और खेल जगत में नया उत्साह पैदा किया है। प्रशिक्षकों और साथियों ने उनकी इस उपलब्धि की सराहना की और इसे मातृत्व, साहस और शारीरिक शक्ति का प्रेरक उदाहरण बताया।
     
    सोनिका यादव का यह रिकॉर्ड सिर्फ खेल की दृष्टि से ही नहीं, बल्कि समाज में महिलाओं को सशक्त बनाने और सीमाओं को चुनौती देने के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। उनकी कहानी देशभर की महिलाओं के लिए संदेश है कि सही मार्गदर्शन, समर्पण और आत्मविश्वास से कोई भी चुनौती असंभव नहीं है।
     
    सोनिका की इस उपलब्धि ने साबित कर दिया कि मातृत्व और करियर, फिटनेस और जुनून को साथ लेकर भी सफलता हासिल की जा सकती है। उनके साहस और परिश्रम ने हर महिला के लिए प्रेरणा का नया स्तंभ खड़ा किया है।