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  • CAA से बाबरी तक, बंगाल में ध्रुवीकरण का सियासी खेल; इस चुनौती से कैसे निपटेगी TMC?

    CAA से बाबरी तक, बंगाल में ध्रुवीकरण का सियासी खेल; इस चुनौती से कैसे निपटेगी TMC?


    नई दिल्‍ली । सीएए से लेकर एनआरसी और एसआईआर से लेकर बाबरी तक पूरे पश्चिम बंगाल(West Bengal) का सियासी पारा हाई है. हिंदू-मुस्लिम (Hindu-Muslim)और बंगाली बनाम बाहरी(Bengalis versus outsiders) जैसे समीकरणों से इतर मुर्शिदाबाद जिले से निलंबित तृणमूल कांग्रेस विधायक हुमायूं कबीर (Humayun Kabir)के बाबरी प्लान ने बंगाल के चुनावी समर को दिलचस्प मोड़ पर पहुंचा दिया है. इसी आधार पर दावा किया जा रहा है कि 2026 के बंगाल विधानसभा चुनाव में कांटे की टक्कर होगी. 2019 में बीजेपी का मिशन बंगाल अधूरा रह गया था, इसलिए भारतीय जनता पार्टी (BJP) हर हाल में सत्ता हासिल करना चाहती है.

    सीएए-एनआरसी और एसआईआर तक मुद्दे कई हैं…
    बीजेपी 10 सालों से आक्रामक होकर ममता बनर्जी को घेर रही है. एंटी इनकमबेंसी से इतर वो टीएमसी पर सनातन और हिंदुओं की अपेक्षा करने का आरोप लगाती आई है. ऐसे कुछ सवालों का जवाब ममता बनर्जी ने अपनी चुनावी रणनीति से दे चुकी हैं. बंगाल में मुसलमानों पर करम और हिंदुओं पर सितम करने जैसे आरोपों से जूझ रही टीएमसी सुप्रीमों ने ऐसे आरोप खारिज करने के लिए दुर्गा माता के मंत्र पढ़कर सुना चुकी हैं.

    सीएए, एनआरसी और बेटियों के बलात्कार और हत्या जैसे अपराधों यानी लॉ एंड ऑर्डर के मुद्दे पर भी बीजेपी टीएमसी को घेर रही है. कुल मिलाकर लाख टके का सवाल ये है कि सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (TMC) की मुखिया और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इस नए ध्रुवीकरण वाले मुद्दे से कैसे निपटेंगी. बंगाल में 30 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं जो वामदलों की सफाए के बाद से टीएमसी को वोट करते आए हैं.

    टीएमसी के निलंबित विधायक हुमायूं कबीर अलग पार्टी बनाने का ऐलान कर चुके हैं. हुमायूं ओवीसी की पार्टी एआईएमआईएम और अन्य दलों संग अलायंस करके चुनाव लड़ना चाह रहे हैं. ताकि बंगाल में किंग मेकर की भूमिका में आ सकें.

    पुराना कार्ड चलेगा?
    ध्रुवीकरण की कथित खेल को ध्यान में रखते हुए बीजेपी इस बार हर हाल में बंगाल में भगवा लहराना चाहती है. ये मुद्दा किसे फायदा करेगा और किसे बैकफायर करेगा इसका जवाब अभी भविष्य के गर्भ में है. ममता बनर्जी और TMC हुमायूं कबीर को BJP की बी पार्टी बताकर काउंटर कर सकती हैं. वो पहले भी दावा करती रही हैं कि बीजेपी असदुद्दीन ओवैसी को मुसलमान वोटों का बंटवारा करने के लिए खड़ा करती है. ऐसे में चुनावी तारीखों का ऐलान होने से पहले ममता बनर्जी जनता से अपील कर रही हैं कि BJP को सत्ता से दूर रखने के लिए लोग केवल और केवल टीएमसी को चुने.

    SIR, पहचान की राजनीति और ‘बंगाली अस्मिता’
    TMC ध्रुवीकरण वाली चुनौती का सामना ‘बंगाली अस्मिता’ के कार्ड से कर सकती है. ये ‘ट्रंप’ कार्ड ‘दीदी’ का आजमाया हुआ नुस्खा है. 2019 के लोकसभा चुनाव और 2021 के विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी ने बड़े प्रभावी ढंग से इसका इस्तेमाल किया. बंगाली बनाम बाहरी का मुद्दा उठाकर अपना किला बचा चुकीं ममता बनर्जी अब शाकाहार और मांसाहार की जंग के सहारे नया नैरेटिव देने की कोशिश कर रही हैं.

    कुछ समय पहले भगवद्गीता पाठ के आयोजन स्थल के पास नॉनवेज बेचने पर एक शख्स के साथ मारपीट हुई थी. तब नैरेटिव गढ़ा गया कि बीजेपी देश को शाकाहार की ओर धकेल रही है, जो बहुलतावाद और बंगाल की पहचान के खिलाफ है. सूत्रों के मुताबिक एसआईआर और अन्य मुद्दों से मुस्लिम समुदाय में नाराजगी बढ़ी है, जिससे उनके वोट टीएमसी के पक्ष में लामबंद हो सकते हैं. ऐसी खबरों के बीच सियासत का ऊंट किस करवट बैठेगा इसे लेकर कुछ कहना जल्दबाजी होगा.

  • कर्नाटक में CM पद की खींचतान जारी, सिद्धारमैया और शिवकुमार दिल्ली में हाई कमान से करेंगे मुलाकात

    कर्नाटक में CM पद की खींचतान जारी, सिद्धारमैया और शिवकुमार दिल्ली में हाई कमान से करेंगे मुलाकात


    नई दिल्‍ली । कर्नाटक(Karnataka) में मुख्यमंत्री पद को लेकर मची खींचतान थमने का नाम नहीं ले रही है। हाई कमान के निर्देश पर मुख्यमंत्री के घर हुए दोनों नेताओं के नाश्ते के बाद ऐसा दावा किया जा रहा था कि अब सब ठीक है, लेकिन पिछले कुछ दिनों से दोनों पक्षों की तरफ से की जा रही बयान बाजी के बाद यह साफ है कि कुछ ठीक नहीं है। हिन्दुस्तान (Hindustan)टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक इसी खींचतान को लेकर अब मुख्यमंत्री सिद्धारमैया(Siddaramaiah) और डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार(DK Shivakumar) 14 दिसंबर को नई दिल्ली में शीर्ष नेतृत्व से मुलाकात कर सकते हैं।

    कांग्रेस के दो वरिष्ठ पदाधिकारियों के मुताबिक दिल्ली में इन दोनों नेताओं की बैठक सोनिया गांधी, राहुल गांधी या फिर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी में से किसी एक से हो सकती है। पार्टी के करीबी सूत्र के मुताबिक इस बैठक के लिए समय बहुत कम है लेकिन अगर यह मुलाकात होती है, तो यह कर्नाटक के आगामी हालात के लिए बहुत महत्वपूर्ण होगी।

    कर्नाटक में कांग्रेस प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने एचटी से कहा, “सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार हमारी पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं। यदि वे हमारे किसी भी शीर्ष नेता से मिलना चाहते हैं, तो वह हमेशा ऐसा कर सकते हैं।” सूत्रों के मुताबिक कर्नाटक के नेताओं की कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व से यह मुलाकात नई दिल्ली के ‘वोट चोर गद्दी छोड़’ अभियान के तहत रामलीला मैदान में होने वाली रैली के बाद होगी।

    गौरतलब है कि कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व से दोनों नेताओं की मुलाकात की खबर ऐसे समय में सामने आई है, जब दोनों खेमों के बीच में पिछले कई दिनों से खींचतान मची हुई है। 2023 से सत्ता में आने के बाद से दोनों पक्ष लगातार एक-दूसरे पर तंज कसते रहे हैं। लेकिन 20 नवंबर को सरकार के ढाई साल पूरे होने पर इन हमलों की तीव्रता बढ़ गई। शिवकुमार समर्थकों का कहना है कि जीत के बाद सरकार के आधे पड़ाव पर सत्ता हस्तांतरण की बात हुई थी। हालांकि ऐसा नहीं हो सका।

  • किम जोंग उन ने स्वीकारा, यूक्रेन युद्ध में उत्तर कोरियाई सैनिकों ने निभाया सबसे खतरनाक रोल

    किम जोंग उन ने स्वीकारा, यूक्रेन युद्ध में उत्तर कोरियाई सैनिकों ने निभाया सबसे खतरनाक रोल


    नई दिल्‍ली । रूस और यूक्रेन (Russia and Ukraine)के बीच जारी युद्ध में उत्तर कोरियाई (North Korean)सैनिकों की मौजूदगी ने एक वक्त पर जमकर सुर्खियां बटोरीं थीं। अब इन सैनिकों के बारे में उनके तानाशाह ने खुलासा किया है कि इन्होंने कैसे युद्ध क्षेत्र का सबसे मुश्किल काम किया। तानाशाह किम(Dictator Kim) के मुताबिक इस साल की शुरुआत में कुर्स्क क्षेत्र (Kursk region)में भेजे गए उत्तर कोरियाई सैनिकों ने यहां पर बारूदी सुरंगे हटाने का काम किया, जिसकी वजह से हजारों रूसी सैनिकों की जान बची।

    शनिवार को उत्तर कोरिया के सरकारी मीडिया पर प्रसारित एक कार्यक्रम में किम जोंग उन ने रूस से वापस लौटे अपने इन सैनिकों की सराहना की। तानाशाह ने कहा, “अगस्त से शुरू हुई 120 दिनों की तैनाती के दौरान हमारे सैनिकों ने अभूतपूर्व साहस दिखाया। चाहे अधिकारी हों या सैनिक सभी ने लगभग हर दिन अपनी कल्पना से परे मानसिक और शारीरिक दबावों पर काबू पाते हुए सामूहिक वीरता का परिचय दिया। बारूदी सुरंगे हटाने के काम के दौरान यह लोग अपने शहरों और गांवों को पत्र भी भेजते थे।”

    किम ने आगे कहा, “तीन महीने से भी कम समय में हमारे सैनिकों ने एक बड़े खतरनाक क्षेत्र को रूसी सेना के लिए पूरी तरह से सुरक्षित कर दिया। इसमें हमारे जिन भी सैनिकों की जान गई है। उनकी बहादुरी को हमेशा के लिए अमर बनाने के उद्देश्य से राज्य उनको सम्मान प्रदान करेगा।”

    सरकारी मीडिया की तरफ से जारी की गई फोटोस में किम साफ तौर पर वापस आए सैनिकों को गले लगाते हुए देखे जा सकते हैं। इनमें से कुछ सैनिक घायल और व्हील चेयर पर भी दिखाई दिए।

    इससे पहले, उत्तर कोरिया शुरुआत से ही पुतिन की मदद के लिए कुर्स्क क्षेत्र में सैनिक भेज रहा है। पश्चिमी खुफिया एजेंसियों के मुताबिक इस युद्ध में उत्तर कोरिया ने हजारों सैनिक भेजे हैं। इसके बदले में रूस उसकी वित्तीय सहायता, सैन्य तकनीक, खाद्य सामग्री और ऊर्जा आपूर्ति में मदद कर रहा है। इसकी वजह से अपने परमाणु कार्यक्रम के कारण अलग-थलग पड़े इस देश को अपने अभियान चलाने में मदद मिल रही है।

  • जेल में सुरंग खोदने की विफल कोशिश पर मसूद अजहर ने खुद खोली पोल, बताया कैसे पीटा गया

    जेल में सुरंग खोदने की विफल कोशिश पर मसूद अजहर ने खुद खोली पोल, बताया कैसे पीटा गया


    नई दिल्‍ली । पाकिस्तान(Pakistan) स्थित आतंकी समूह जैश-ए-मोहम्मद (JeM) के सरगना मसूद अजहर ने 1990 के दशक में जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir)की जेल से भागने की अपनी कोशिश की विफलता पर पछतावा व्यक्त किया है। एक ऑडियो क्लिप में संभवतः पाकिस्तान में हुए एक कार्यक्रम में उसे जेल से सुरंग खोदकर भागने की अपनी असफल कोशिश का विवरण देते हुए सुना गया है। उसकी आवाज लाउडस्पीकर(Loudspeaker) में गूंज रही थी, जिससे संकेत मिलता है कि यह कार्यक्रम एक खुले क्षेत्र में आयोजित किया गया था।

    खुफिया सूत्रों ने भारत के सबसे वांटेड आतंकवादी की इस ऑडियो क्लिप को प्रामाणिक बताया है। मसूद अजहर 2001 में संसद, 2008 में मुंबई और कई अन्य हमलों का मास्टरमाइंड है।

    ऑडियो में मसूद अजहर को यह याद करते हुए टूटते हुए सुना गया कि जम्मू-कश्मीर की कोट भलवाल जेल से सुरंग खोदकर भागने की उसकी योजना कैसे विफल हो गई। यह जेल जम्मू क्षेत्र में एक उच्च सुरक्षा वाली सुविधा है जो भारत द्वारा पकड़े गए कुछ सबसे वांटेड आतंकवादियों को रखने के लिए जानी जाती है।

    जैश सरगना ने ऑडियो क्लिप में बताया कि वह कोट भलवाल में कुछ उपकरणों का इस्तेमाल करके काफी समय से सुरंग खोद रहा था। जिस दिन उसने सुरंग के रास्ते भागने की योजना बनाई थी, उसी दिन जेल अधिकारियों ने उसकी इस गतिविधि का पता लगा लिया।

    मसूद अजहर ने कहा कि आज भी वह उन जेल अधिकारियों से डरता है, जिन्होंने भागने की योजना बनाने के लिए उसे और अन्य आतंकवादियों को पीटा था। उसने रोते हुए कहा, “भागने की मेरी योजना के आखिरी दिन उन्हें सुरंग के बारे में पता चल गया था।”

    भागने की नाकाम कोशिश के बाद जेल उसके और कुछ अन्य कैदियों के लिए एक कठिन जगह बन गई, क्योंकि नियमों को सख्ती से लागू किया गया, जिसमें उल्लंघन के लिए शारीरिक दंड भी शामिल था। मसूद अजहर को यह कहते हुए सुना गया कि उसे जंजीरों से बांधा गया था, और नियमित गतिविधियों पर भी प्रतिबंध लगा दिए गए थे।

    आतंकवादी द्वारा अपनी विफलता को स्वीकार करना एक बार फिर यह साबित करता है कि पाकिस्तान आतंकवाद को भारत को परेशान करने के लिए एक हथियार के तौर पर इस्तेमाल करता रहा है।

    मसूद अजहर फरवरी 1994 में एक नकली पहचान और पुर्तगाली पासपोर्ट के साथ भारत आया था। उसका उद्देश्य जम्मू-कश्मीर में जिहाद फैलाना और आतंकवादियों की भर्ती करना था। उसी साल उसे अनंतनाग में गिरफ्तार कर लिया गया था। वह 1994 से 1999 तक जेल में रहा। हालांकि, दिसंबर 1999 में इंडियन एयरलाइंस की उड़ान IC-814 के अपहरण के बाद, भारत सरकार ने बंधकों के बदले में मसूद अजहर को रिहा कर दिया था। इसके बाद उसने आतंकी समूह जैश-ए-मोहम्मद की स्थापना की और तब से वह भारत में कई आतंकवादी हमलों से जुड़ा रहा है।

    मसूद अजहर ने यह भी बताया कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर भारत के क्रूज मिसाइल हमलों में उसके परिवार के कम से कम 10 सदस्य और चार करीबी सहयोगी मारे गए थे। यह हमला जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में जैश आतंकवादियों द्वारा 26 नागरिकों की हत्या के जवाब में किया गया था।

  • भोपाल में पांच राज्यों के शहरी विकास की नई योजनाओं पर होगी बैठककेंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर होंगे शामिल

    भोपाल में पांच राज्यों के शहरी विकास की नई योजनाओं पर होगी बैठककेंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर होंगे शामिल


    भोपाल । भोपाल में 20 दिसंबर को पांच राज्यों के शहरी विकास की नई योजनाओं पर एक महत्वपूर्ण क्षेत्रीय बैठक आयोजित की जाएगी। इस बैठक में केंद्रीय आवासन और शहरी कार्य मंत्रीमनोहर लाल खट्टरसहित मध्य प्रदेशदिल्लीउत्तर प्रदेशमहाराष्ट्रऔर छत्तीसगढ़ के शहरी विकास मंत्री और अधिकारी शामिल होंगे। बैठक का उद्देश्य इन राज्यों में शहरी विकास के रोडमैप को तैयार करना है और इसके साथ ही विभिन्न शहरी चुनौतियों और उनके समाधान पर चर्चा करना है।

    बैठक का आयोजन भोपाल के कुशाभाऊ ठाकरे सभागार में किया जाएगा। इसमें पांचों राज्य अपने नवाचारोंशहरी विकास योजनाओंऔर केंद्र सरकार की योजनाओं के कार्यान्वयन पर भी चर्चा करेंगे। मध्य प्रदेश की ओर से पीएम आवासलीगेसी वेस्टऔर शहरी विकास योजनाओं पर किए गए कार्यों का ब्योरा प्रस्तुत किया जाएगा।

    इसके अलावाइस बैठक में भूमि विकास नियमों में संशोधनग्रीन बिल्डिंग कॉन्सेप्ट और मेट्रोपॉलिटन सिटी के विकास पर भी विस्तृत जानकारी दी जाएगी। खासकर20 दिसंबर से भोपाल में मेट्रो का संचालन आम लोगों के लिए शुरू हो जाएगाजिसका लोकार्पण कार्यक्रम मिंटो हॉल में आयोजित किया जाएगा। इस मौके पर केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादवसुभाष नगर मेट्रो डिपो या एम्स मेट्रो स्टेशन जाकर मेट्रो ट्रेन को हरी झंडी दिखाकर रवाना करेंगे।

    भोपाल मेट्रो की शुरुआत

    भोपाल मेट्रो के पहले चरण में 7.5 किलोमीटर लंबा ऑरेंज लाइन का प्रायोरिटी कॉरिडोर शुरू किया जाएगा। यह रूट एम्स मेट्रो स्टेशन से लेकर सुभाष नगर मेट्रो स्टेशन तक होगा। इस मेट्रो रूट के शुरू होने से यात्रियों को बड़ी राहत मिलेगी और दोनों प्रमुख स्टेशनों के बीच यात्रा समय भी काफी घट जाएगा।सूत्रों के अनुसारप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस कार्यक्रम में वर्चुअली शामिल हो सकते हैं।
    कार्यक्रम का आयोजन मध्य प्रदेश मेट्रो कार्पोरेशन द्वारा किया जा रहा हैऔर इस कार्यक्रम में शहरी विकास के क्षेत्र में नई दिशा निर्धारित की जाएगी।भोपाल में 20 दिसंबर को पांच राज्यों के शहरी विकास पर महत्वपूर्ण बैठक आयोजित होगीजिसमें केंद्र सरकार की योजनाओं पर चर्चा होगी। साथ हीभोपाल मेट्रो का लोकार्पण भी इसी दिन होगाजो शहर में यात्रा के नए दौर की शुरुआत करेगा।

  • कोलकाता में लियोनेल मेसी का दौरा 22 मिनट में खत्म, प्रशंसक हुए मायूस, जानिए क्या है वजह?

    कोलकाता में लियोनेल मेसी का दौरा 22 मिनट में खत्म, प्रशंसक हुए मायूस, जानिए क्या है वजह?


    नई दिल्‍ली । दिग्गज फुटबॉलर(Legendary footballer) लियोनेल मेसी(Lionel Messi) का कोलकाता दौरा, जिसके लिए फैन्स लंबे समय से इंतजार कर रहे थे वह महज 22 मिनट में ही खत्म हो गया और शनिवार को साल्ट लेक स्टेडियम के भीतर अफरा-तफरी का माहौल हो गया. अपने GOAT टूर के तहत शहर की दूसरी यात्रा पर आए मेसी से यह उम्मीद की जा रही थी कि यह भारत (India)में फुटबॉल के लिए एक यादगार दिन होगा. लेकिन हुआ इसका बिलकुल उल्टा.

    फीफा वर्ल्ड कप विजेता मेसी के आगमन को लेकर प्रशंसकों में जबरदस्त उत्साह था. शनिवार तड़के ही बड़ी संख्या में फैंस उन्हें देखने के लिए स्टेडियम पहुंच गए थे. लेकिन दोपहर होते-होते पूरा आयोजन बिखर गया. अब आइए जानते हैं कि आखिर ये अव्यवस्था हुई कैसे

    50 हजार से ज्यादा फैन्स पहुंचे
    करीब 50,000 दर्शक साल्ट लेक स्टेडियम में उमड़ पड़े थे, जिनमें से कई ने 4,000 रुपये से ज्यादा कीमत के टिकट खरीदे थे. वे बेबस होकर यह दृश्य देखते रह गए कि फुटबॉल के इस महान खिलाड़ी को राजनेताओं, वीवीआईपी लोगों, भारी सुरक्षा व्यवस्था और सेल्फी लेने में ज्यादा दिलचस्पी रखने वाले लोगों की भीड़ ने चारों ओर से घेर लिया.

    स्टेडियम के गेट सुबह 8 बजे खोल दिए गए थे और मेसी 11:30 बजे अपने इंटर मियामी टीम के साथी लुईस सुआरेज़ और रोड्रिगो डी पॉल के साथ मैदान में उतरे. जैसे ही उन्होंने प्रवेश किया, हजारों प्रशंसकों की गगनभेदी तालियों से उनका स्वागत हुआ.

    वीआईपी लोगों ने ही घेर लिया
    सूत्रों के अनुसार, कुछ ही मिनटों में मेसी खुद को राजनेताओं, पुलिस अधिकारियों, वीआईपी और उनके काफिलों से घिरा हुआ पाया, जिससे एक मानवीय घेरा बन गया. दर्शकों को उस खिलाड़ी की झलक तक नहीं मिल पा रही थी, जिसे देखने वे आए थे.

    हैरान और हल्की मुस्कान के साथ मेसी ने मैदान का एक धीमा चक्कर लगाने की कोशिश की और कुछ पूर्व खिलाड़ियों को ऑटोग्राफ भी दिए, लेकिन अव्यवस्था और बढ़ती चली गई.

    पब्लिक एड्रेस सिस्टम के जरिए प्रमोटर सताद्रु दत्ता ने बार-बार भीड़ से पीछे हटने की अपील की. तनाव भरी आवाज़ में उन्होंने कहा, “कृपया उन्हें अकेला छोड़ दें. कृपया मैदान खाली करें.”

    हालांकि, उनकी अपीलों को काफी हद तक नजरअंदाज कर दिया गया. आखिरकार, उनके एक घंटे के तय कार्यक्रम से काफी पहले ही सुरक्षा कारणों से उन्हें स्टेडियम से बाहर ले जाया गया और आयोजन रद्द करने का फैसला लिया गया. इसके बाद हालात और बिगड़ गए. स्टेडियम में तोड़फोड़ हुई, सजावट और संपत्ति को नुकसान पहुंचा और पूरा परिसर अस्त-व्यस्त हो गया.

    गांगुली चाहते थे मेसी और रुकें
    एक रिपोर्ट के अनुसार, इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथियों में शामिल सौरव गांगुली ने मेसी को ज्यादा देर रुकने के लिए मनाने की कोशिश की. आयोजन रद्द होने के बाद आयोजक, पश्चिम बंगाल के खेल मंत्री अरूप बिस्वास और राज्य पुलिस के डीजीपी राजीव कुमार को मेसी की टीम से बातचीत करते और उन्हें कार्यक्रम जारी रखने के लिए मनाने की कोशिश करते देखा गया.

    इसी दौरान गांगुली को यह कहते हुए सुना गया, “अगर आप थोड़ी देर और रुकें तो अच्छा होगा.”

    अब मेसी शनिवार को ही हैदराबाद के लिए रवाना हो गए हैं, जहां वह तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी के साथ एक संक्षिप्त फुटबॉल सत्र (किकअबाउट) में हिस्सा लेंगे.

  • जयपुर के खेतों में फैक्ट्री का जहर, मिट्टी हो रही काली, सब्जियां बन गईं 'स्लो पॉइजन'

    जयपुर के खेतों में फैक्ट्री का जहर, मिट्टी हो रही काली, सब्जियां बन गईं 'स्लो पॉइजन'


    जयपुर । जयपुर(Jaipur) में फैक्ट्रियों से निकल रहा केमिकल (Chemical)और ब्लीच मिला पानी लोगों की सेहत के लिए बड़ा खतरा बनता जा रहा है. सवाल यह है कि जो हरी सब्जियां(green vegetables) और फल लोग सेहत के लिए खाते हैं, क्या वे सच में उन्हें स्वस्थ बना रहे हैं या धीरे-धीरे बीमार कर रहे हैं.

    अगर इन सब्जियों और फलों की खेती ऐसे पानी से हो रही हो, जिसमें फैक्ट्रियों का जहरीला कचरा और रसायन मिले हों, तो इसका सीधा असर आम लोगों की सेहत पर पड़ता है. ऐसा पानी किडनी फेल होने, दिल की बीमारियों और यहां तक कि कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है.

    स्लो पॉइजन का काम कर रही सब्जियां
    जयपुर के सांगानेर इलाके में सांगानेर से चांदलई तक करीब 20 किलोमीटर के दायरे में दो दर्जन से ज्यादा गांव आते हैं. यहां कपड़ों की रंगाई, छपाई और ब्लीच का काम करने वाली फैक्ट्रियां आसपास के जल स्रोतों में केमिकल और ब्लीच वाला पानी छोड़ रही हैं. इससे पूरे इलाके में भारी प्रदूषण फैल गया है. जानकारी के मुताबिक, इस दूषित पानी से उगाई गई फसलें धीमे जहर की तरह काम कर रही हैं, जो समय के साथ गंभीर बीमारियों की वजह बन सकती हैं.

    काली हो चुकी है खेतों की मिट्टी
    मीडिया की टीम जब जयपुर की सांगानेर तहसील के शिकारपुरा और मुहाना समेत कई इलाकों में पहुंची, तो वहां काले रंग का पानी खेतों में पंप किया जा रहा था. इन खेतों में पत्तागोभी, बैंगन, पालक और लगभग हर तरह की मौसमी सब्जियों की खेती हो रही थी. कई जगहों पर इस गंदे पानी की वजह से मिट्टी का रंग भी ग्रे और काला हो चुका है. किसान सीताराम का कहना है कि इससे खाने वाली सभी फसलों को नुकसान हो रहा है, लेकिन जांच के लिए अब तक कोई अधिकारी नहीं आया है.

    ‘कई साल से छोड़ा जा रहा पानी, कोई कार्रवाई नहीं’
    जानकारी यह भी है कि कुछ फैक्ट्रियों में गंदे पानी को साफ करने की व्यवस्था जरूर है, लेकिन ज्यादातर फैक्ट्रियां बिना किसी सफाई के केमिकल और रंग मिला पानी सीधे नालों और जल स्रोतों में छोड़ रही हैं. इसका असर सीधे खेतों और फसलों पर पड़ रहा है.

    स्थानीय लोगों का कहना है कि सालों से फैक्ट्रियों का जहरीला पानी इन खेतों में छोड़ा जा रहा है, लेकिन अब तक इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है. एक फैक्ट्री कर्मचारी सिकंदर का दावा है कि उनके यहां गंदे पानी को साफ करने की व्यवस्था है और फिल्टर के बाद ही पानी बाहर छोड़ा जाता है. हालांकि, जमीनी हालात कुछ और ही कहानी बयान कर रहे हैं.

  • दिल्ली-NCR में GRAP-4 लागू, प्रदूषण संकट के बीच स्कूल हाइब्रिड मोड पर शिफ्ट…

    दिल्ली-NCR में GRAP-4 लागू, प्रदूषण संकट के बीच स्कूल हाइब्रिड मोड पर शिफ्ट…


    नई दिल्ली/ दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र NCR में वायु गुणवत्ता AQI का स्तर एक बार फिर ‘बेहद खराब’ Severe श्रेणी में पहुंचने के कारण स्थिति गंभीर हो गई है। प्रदूषण के खतरनाक स्तर को देखते हुए, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के तहत कार्यरत वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग CAQM ने तत्काल प्रभाव से ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान GRAP के सबसे सख्त चरण, यानी चरण 4 GRAP-4 को लागू करने का आदेश दिया है।

    प्रदूषण की स्थिति और GRAP-4 की आवश्यकता

    राजधानी दिल्ली के कई निगरानी स्टेशनों पर वायु गुणवत्ता सूचकांक AQI 450 के आंकड़े को पार कर गया है, जो ‘गंभीर’ श्रेणी को दर्शाता है। यह स्थिति न केवल स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक है, बल्कि इसे एक सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल के करीब माना जाता है। इस भयावह स्थिति से निपटने और प्रदूषण के खतरनाक स्रोतों पर तत्काल नियंत्रण लगाने के उद्देश्य से प्रशासन ने ये कड़े कदम उठाए हैं। मौसम विभाग के पूर्वानुमान के अनुसार, आने वाले कुछ दिनों तक वायुमंडलीय स्थिरता और हवा की कम गति के कारण प्रदूषण के स्तर में किसी बड़े सुधार की संभावना कम है, जिसने स्थिति की गंभीरता को और बढ़ा दिया है।

    शिक्षा पर तत्काल प्रभाव: हाइब्रिड मोड की वापसी
    GRAP-4 के लागू होते ही, दिल्ली शिक्षा निदेशालय DoE ने छात्रों के स्वास्थ्य को प्राथमिकता देते हुए स्कूलों के लिए विस्तृत और सख्त दिशानिर्देश जारी किए हैं। इन दिशानिर्देशों का मुख्य फोकस कक्षा 9वीं से लेकर 11वीं तक के छात्रों की शिक्षा पद्धति में परिवर्तन लाना है:हाइब्रिड मोड: कक्षा 9वीं, 10वीं और 11वीं के छात्रों के लिए पढ़ाई अब हाइब्रिड मोड में आयोजित की जाएगी। इसका अर्थ है कि शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से संचालित होगी।

    स्कूलों पर लागू: यह नई व्यवस्था दिल्ली के सभी सरकारी, सहायता प्राप्त Aided और निजी Private स्कूलों पर समान रूप से लागू होगी। स्कूलों को यह सुनिश्चित करना होगा कि जो छात्र ऑनलाइन क्लास का विकल्प चुनते हैं, उन्हें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध हो। अन्य कक्षाएं: हालांकि, आदेश में 12वीं कक्षा के छात्रों और छोटी कक्षाओं 8वीं तक के लिए स्पष्ट निर्देश नहीं दिए गए हैं, लेकिन यह संकेत है कि सबसे अधिक संवेदनशील आयु वर्ग को घर से पढ़ने का विकल्प दिया जा रहा है। यह कदम छात्रों को अत्यधिक प्रदूषित वातावरण में बाहर निकलने और स्कूल आने-जाने से रोकने के लिए उठाया गया है।

    कार्यालयों और परिवहन पर सख्त नियंत्रण

    प्रदूषण के स्रोतों को कम करने के लिए कार्यस्थलों और परिवहन क्षेत्र पर भी महत्वपूर्ण पाबंदियां लगाई गई हैं:सरकारी कार्यालयों में उपस्थिति पर सीमा:कर्मचारी सीमा: सरकारी कार्यालयों में कर्मचारियों की उपस्थिति को सीमित कर दिया गया है। केवल 50 प्रतिशत कर्मचारी ही भौतिक रूप से कार्यालय में उपस्थित रहेंगे। वर्क फ्रॉम होम: शेष 50 प्रतिशत कर्मचारी ‘वर्क फ्रॉम होम’ WFH मोड पर कार्य करेंगे। इस व्यवस्था का लक्ष्य सड़क पर वाहनों की संख्या को कम करना है।

    निजी दफ्तरों को निर्देश:
    निजी दफ्तरों और प्रतिष्ठानों को भी सक्रिय रूप से फ्लेक्सिबल टाइमिंग Flexible Timings अपनाने और कर्मचारियों को अधिकतम संभव सीमा तक घर से काम Work From Home करने के लिए प्रोत्साहित करने का निर्देश दिया गया है। यह व्यवस्था भीड़भाड़ वाले समय में वाहनों के आवागमन को कम करने में सहायक होगी।

    परिवहन पर पाबंदियां:
    भारी वाहनों पर रोक: दिल्ली की सीमा में बाहरी राज्यों से आने वाले ट्रकों और अन्य भारी/मध्यम मालवाहक वाहनों आवश्यक सेवाओं को छोड़कर के प्रवेश पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है। यह कदम भारी वाहनों से होने वाले उत्सर्जन को रोकने के लिए महत्वपूर्ण है। निर्माण कार्य पर पाबंदी: GRAP-4 के तहत पहले से ही गैर-आवश्यक निर्माण और विध्वंस गतिविधियों पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है।

    आगे की राह
    प्रदूषण नियंत्रण के लिए उठाए गए ये कदम अल्पकालिक राहत प्रदान करने के उद्देश्य से हैं। दिल्ली-NCR के नागरिकों को भी दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन करने की सलाह दी गई है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने नागरिकों से अपील की है कि वे अत्यंत आवश्यक न होने पर घर से बाहर न निकलें और N-95 जैसे मास्क का उपयोग करें। प्रशासन की ओर से लोगों से अपील की गई है कि वे निजी वाहनों के इस्तेमाल को कम करें और सार्वजनिक परिवहन, साइकिलिंग या पैदल चलने को प्राथमिकता दें, ताकि इस राष्ट्रीय संकट से मिलकर लड़ा जा सके।

  • इंदौर में 1450 बेड के नए एमवाय अस्पताल का भूमिपूजनलागत 713 करोड़ रुपये

    इंदौर में 1450 बेड के नए एमवाय अस्पताल का भूमिपूजनलागत 713 करोड़ रुपये


    इंदौर । इंदौर के सबसे बड़े सरकारी अस्पतालएमवाय हॉस्पिटलके नए भवन का भूमिपूजन रविवार को किया गया। इस नई इमारत में 1450 बेड की क्षमता होगीजो शहर के बढ़ते स्वास्थ्य सेवा आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद करेगा। नया सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल नौ मंजिलों में बनेगाजिसमें एक तल मंजिल भी शामिल होगी। इसके साथ ही नर्सिंग होस्टलपार्किंग और अन्य आवश्यक सुविधाओं का भी निर्माण किया जाएगा।

    इस ऐतिहासिक भूमिपूजन कार्यक्रम में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने भाग लिया। यह दूसरी बार है जब मुख्यमंत्री एमजीएम मेडिकल कॉलेज परिसर में आए हैं। नए अस्पताल भवन के निर्माण के लिए 713 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत आएगीजिसमें जीएसटी और अन्य टैक्स शामिल हैं। इसमें से 570 करोड़ रुपये अस्पताल भवन के निर्माण के लिए होंगे और बाकी का खर्च पार्किंगनर्सिंग होस्टल आदि पर होगा।

    वर्तमान मेंएमवाय अस्पताल का संचालन एक पुरानी बिल्डिंग से हो रहा हैजिसमें 1150 बेड की क्षमता है। यहां रोजाना लगभग 4,000 मरीज इलाज के लिए आते हैंऔर विभिन्न प्रकार की बीमारियों का इलाज किया जाता है। हालांकिपुरानी बिल्डिंग में दीवारों में सीलिंग की समस्या उत्पन्न हो रही हैजो अब मरम्मत के लिए चुनौती बन गई है। इस कारण नए अस्पताल भवन का निर्माण अत्यंत आवश्यक हो गया था।

    नए अस्पताल में आधुनिक चिकित्सा सुविधाओं के साथ-साथ सुपर स्पेशियलिटी सेवाएं भी प्रदान की जाएंगीजिससे इंदौर और आसपास के क्षेत्रों के मरीजों को उच्च स्तरीय इलाज मिल सकेगा। इसके अतिरिक्त  अस्पताल के पास पर्याप्त पार्किंग और कर्मचारियों के लिए नर्सिंग होस्टल जैसी सुविधाएं भी होंगीजो मरीजों और स्वास्थ्यकर्मियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए तैयार की गई हैं।

    एमवाय अस्पताल का नया भवन न केवल इंदौर बल्कि पूरे मध्यप्रदेश के स्वास्थ्य ढांचे को एक नई दिशा देने वाला कदम साबित होगा। यह अस्पताल मरीजों को बेहतर इलाज के साथ-साथ चिकित्सा क्षेत्र में रोजगार के अवसर भी प्रदान करेगा।

  • भोपाल में साढ़े चार लाख में से 1.30 लाख मतदाताओं को नोटिस, नाम काटने की प्रक्रिया तेज

    भोपाल में साढ़े चार लाख में से 1.30 लाख मतदाताओं को नोटिस, नाम काटने की प्रक्रिया तेज


    भोपाल । भोपाल में सात विधानसभा क्षेत्रों में एक सप्ताह पहले शुरू किए गए विशेष गहन पुनरीक्षण SIR के बाद मतदाता सूची में नाम कटने वालों की संख्या में वृद्धि हो गई है। वर्तमान में, इन मतदाताओं की संख्या बढ़कर 4 लाख 45 हजार 32 हो गई है जिसमें हर 24 घंटे में करीब 1500 और मतदाताओं का नाम कटने का आंकड़ा सामने आ रहा है। अब इन नामों को बिना किसी नोटिस के सीधे मतदाता सूची से हटा दिया जाएगा। यह प्रक्रिया जिले के चुनाव कार्यालय के निर्देशों के अनुसार चल रही है।

    इस विशेष पुनरीक्षण के दौरान मुख्य रूप से मृतक अनुपस्थित स्थानांतरित या दोहरी पंजीकरण के कारण नाम कटने की संभावना है। जिले के निर्वाचन कार्यालय ने बीएलओ को यह निर्देश दिए हैं कि वे मृत, अनुपस्थित और स्थानांतरित मतदाताओं की जानकारी इकट्ठा कर सूची से बाहर करें। इसके अलावा, ‘नो मैपिंग’ वाले मतदाताओं के आंकड़े भी जुटाए जा रहे हैं और इस वर्ग के मतदाताओं के नाम सीधे अनकलेक्टेबल श्रेणी में डाले जा रहे हैं।

    यह विशेष अभियान इस उद्देश्य से चलाया जा रहा है ताकि चुनावी प्रक्रिया को पारदर्शी और सटीक रखा जा सके। जिला निर्वाचन कार्यालय ने सभी बीएलओ से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि बिना किसी गलतफहमी के किसी का भी नाम न कटे।इस पुनरीक्षण के तहत, 85 वार्डों में मतदाताओं की सुनवाई की जाएगी। यह प्रक्रिया 18 दिसंबर तक जारी रहेगी जिसमें मतदाता अपनी नागरिकता को प्रमाणित करने के लिए दस्तावेज़ पेश करेंगे।

    जिला निर्वाचन कार्यालय ने 23 दिसंबर को ड्रॉफ्ट रोल जारी करने की तारीख तय की है जिसके बाद अंतिम नामों की सूची तैयार की जाएगी।दूसरी ओर, बैरसिया तहसील में सुनवाई की प्रक्रिया अलग से की जाएगी। जबकि शेष मतदान क्षेत्रों में वार्ड स्तर पर ही सुनवाई की जाएगी, जहां पर संबंधित मतदाता अपनी स्थिति का स्पष्टिकरण देंगे।

    यह विशेष पुनरीक्षण इस बात को सुनिश्चित करेगा कि चुनावी प्रक्रिया में शामिल हर मतदाता का नाम सही तरीके से और निष्पक्ष रूप से लिस्ट में हो। भोपाल में सात विधानसभा क्षेत्रों में एक सप्ताह पहले शुरू किए गए विशेष गहन पुनरीक्षण के दौरान, 1.30 लाख मतदाताओं के नाम कटने की संभावना है। बीएलओ द्वारा मृत, अनुपस्थित स्थानांतरित और अन्य कारणों से नाम हटाए जाएंगे। 18 दिसंबर तक दस्तावेज़ जमा होंगे और 23 दिसंबर को ड्रॉफ्ट रोल जारी किया जाएगा।