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  • अब नहीं चलेगी थानों की मनमानी: पुलिस सेवाएँ होंगी ऑनलाइन, रियल-टाइम ट्रैकिंग की सुविधा

    अब नहीं चलेगी थानों की मनमानी: पुलिस सेवाएँ होंगी ऑनलाइन, रियल-टाइम ट्रैकिंग की सुविधा


    नई दिल्ली । बिहार में नई सरकार के गठन के बाद कानून-व्यवस्था को आधुनिक तकनीक से जोड़ने की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है। राज्य के उपमुख्यमंत्री और गृह मंत्री सम्राट चौधरी ने शनिवार (6 दिसंबर) को पुलिस मुख्यालय में बहुप्रतीक्षित ‘सिटीजन सर्विस पोर्टल’ का शुभारंभ किया। सरकार का दावा है कि यह पोर्टल पुलिस प्रशासन में पारदर्शिता बढ़ाने के साथ-साथ आम जनता को थानों की अनावश्यक भागदौड़ से मुक्त करेगा।

    नागरिकों को डिजिटल सुविधा, थानों के चक्कर से मुक्ति

    लॉन्चिंग के दौरान डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी ने कहा कि सरकार की प्राथमिकता है कि हर आवश्यक पुलिस सेवा घर बैठे उपलब्ध हो। कई बार छोटी-छोटी जरूरतों के लिए लोगों को थानों के चक्कर लगाने पड़ते हैं, जहाँ देरी, मनमर्जी और परेशानियों का सामना करना पड़ता है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि नया पोर्टल इस मनमानी पर रोक लगाएगा और हर प्रक्रिया को पूरी तरह डिजिटल और पारदर्शी बनाएगा।

    सम्राट चौधरी ने कहा,
    “अब नागरिकों को साधारण सत्यापन से लेकर शिकायत दर्ज कराने तक किसी भी काम के लिए थाने पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होगी और जवाबदेही तय रहेगी।”

    पोर्टल की मुख्य ऑनलाइन सेवाएँ

    सिटीजन सर्विस पोर्टल को इस तरह डिजाइन किया गया है कि आम लोग कुछ ही क्लिक में अपने महत्वपूर्ण कार्य पूरा कर सकें। इसकी प्रमुख सेवाएँ इस प्रकार हैं—

    पुलिस सत्यापन (Verification)
    नौकरी, किरायेदार, पासपोर्ट या अन्य आवश्यक कार्यों के लिए अब पुलिस वेरिफिकेशन का ऑनलाइन आवेदन किया जा सकेगा।

    ई-शिकायत (Online Complaint)
    किसी भी प्रकार की शिकायत दर्ज कराने के लिए थाने जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। नागरिक घर बैठे शिकायत फॉर्म भरकर सबमिट कर सकते हैं।

    खोया-पाया रिपोर्ट
    यदि कोई महत्वपूर्ण दस्तावेज या सामान खो जाए, तो उसकी रिपोर्ट वेबसाइट पर सीधे दर्ज की जा सकेगी।

    FIR की डिजिटल प्रक्रिया
    दर्ज की गई ऑनलाइन शिकायत संबंधित थाना को भेजी जाएगी। प्रारंभिक जांच के बाद मामला सही पाए जाने पर FIR भी ऑनलाइन दर्ज की जाएगी, जिससे प्रक्रिया तेज और पारदर्शी बनेगी।

    पोर्टल की सबसे बड़ी विशेषता: रियल-टाइम ट्रैकिंग

    पोर्टल का सबसे आकर्षक और उपयोगी फीचर है रियल-टाइम स्टेटस ट्रैकिंग। यानी नागरिक अपना आवेदन, शिकायत या सत्यापन किस चरण में है, यह तुरंत देख सकेंगे।
    इससे न केवल लोगों का समय बचेगा, बल्कि अफसरों पर भी कार्रवाई की पारदर्शिता बनाए रखने की जिम्मेदारी तय होगी।

    समय और पैसे दोनों की बचत

    पोर्टल के माध्यम से मिलने वाली डिजिटल सुविधाएँ तीन मुख्य लाभ सुनिश्चित करती हैं—

    समय की बचत: कार्यालय या थानों के शारीरिक चक्कर समाप्त।

    ऊर्जा की बचत: तनाव और परेशानी कम होगी।

    खर्च में कमी: बिना किसी एजेंट या मध्यस्थ के सीधी सेवा मिलेगी।

    सरकार का मानना है कि इन सुविधाओं से पुलिस की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता, दक्षता और जवाबदेही व्यापक रूप से बढ़ेगी।

    सुरक्षा व्यवस्था को आधुनिक और मजबूत बनाने की दिशा में कदम

    सिटीजन सर्विस पोर्टल के शुभारंभ के मौके पर डीजीपी विनय कुमार, एडीजी कुंदन कृष्णन सहित पुलिस मुख्यालय के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। अधिकारियों ने कहा कि यह पहल बिहार में डिजिटल पुलिसिंग की दिशा में ऐतिहासिक कदम साबित होगी।

    गृह मंत्री सम्राट चौधरी लगातार यह स्पष्ट कर रहे हैं कि राज्य में सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत और तकनीक आधारित बनाना सरकार की शीर्ष प्राथमिकताओं में शामिल है। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में इस पोर्टल में और भी कई सेवाएँ जोड़ी जाएँगी, जिनमें—

    महिला सुरक्षा से जुड़ी सेवाएँ

    साइबर अपराध से संबंधित ऑनलाइन सुविधा

    ट्रैफिक उल्लंघन और चालान की डिजिटल जानकारी
    जैसी महत्वपूर्ण सुविधाएँ शामिल हो सकती हैं।

    बिहार में नई उम्मीदें

    सिटीजन सर्विस पोर्टल का शुभारंभ बिहार की कानून-व्यवस्था प्रणाली में एक सकारात्मक बदलाव के संकेत के रूप में देखा जा रहा है।
    जहाँ पहले थानों में मनमाने व्यवहार और देरी की शिकायतें आम थीं, वहीं अब डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से प्रक्रिया तेज, सरल और पारदर्शी होगी।

    सरकार का विश्वास है कि इस पहल से न केवल पुलिस प्रशासन पर लोगों का भरोसा बढ़ेगा, बल्कि बिहार में आधुनिक और जवाबदेह शासन व्यवस्था की एक नई नींव भी रखी जाएगी।

  • शो जीतने के लिए मास्टरस्ट्रोक! तान्या मित्तल ने 75 मेट्रो स्टेशन्स को बनाया अपना प्रमोशन अड्डा

    शो जीतने के लिए मास्टरस्ट्रोक! तान्या मित्तल ने 75 मेट्रो स्टेशन्स को बनाया अपना प्रमोशन अड्डा


    नई दिल्ली। बिग बॉस 19 की ट्रॉफी पर गौरव खन्ना, प्रणित मोरे, अमल मलिक, फरहाना भट्ट और तान्या मित्तल की नजर टिकी हुई है। हर कंटेस्टेंट्स के चाहने वाले उन्हें जिताने के लिए पूरी मेहनत कर रहे हैं। तरह-तरह के हथकंडे अपनाकर वोट अपील भी कर रहे हैं। जहां प्रणित के फैंस और मराठी जनता शहर में बैनर-पोस्टर्स लगाकर उन्हें सपोर्ट में उतरी है। वहीं तान्या के फैन क्लब और फैमिली की तरफ से मेट्रो स्टेशन्स पर कब्जा जमा लिया गया है।

    सलमान खान के रियलिटी शो का 7 दिसंबर को ग्रैंड फिनाले है। और उसमें अब कुछ घंटे ही बाकी हैं। ऐसे में हर कोई जीतने-जिताने के लिए भाग रहा है। तान्या मित्तल ने दिल्ली की 75 मेट्रो स्टेशन्स पर वोट अपील करनी शुरू कर दी है। सामने आए वीडियो-फोटोज में देखने को मिल रहा है कि स्टेशन पर लगे डिस्प्ले पर तान्या ही तान्या छाई हुई हैं। उनके तमाम कटआउट्स का कोलाज है और लिखा है- वोट नाऊ।

    तान्या मित्तल का 75 मेट्रो स्टेशन्स पर कब्जा

    तान्या मित्तल के वोट अपील के वीडियोज सोशल मीडिया पर यूजर्स शेयर करके मजाक भी उड़ा रहे हैं और इसे बढ़िया मार्केटिंग स्ट्रेटजी बता रहे हैं। वहीं, कुछ ने लिखा है, ‘दिल्ली मेट्रो अब तान्या मेट्रो बन गई है।’ बता दें कि दिल्ली मेट्रो स्टेशन्स पर हद से ज्यादा भीड़ होती है और ऐसे में उस एरिया को चुनना, वाकई फायदेमंद साबित हो सकता है।

    तान्या मित्तल बनेंगी ‘बिग बॉस 19’ की विनर?
    लेटेस्ट वोटिंग ट्रेंड की बात करें तो तान्या मित्तल चौथे नंबर पर बनी हुई हैं। उनसे आगे फरहाना भट्ट, गौरव खन्ना और प्रणित मोरे हैं। ऐसे में उनका शो जीतना थोड़ा मुश्किल है। फिलहाल सबकी नजर प्रणित और गौरव पर है, जो कि क्रमश: पहले और दूसरे नंबर पर लीड कर रहे हैं। लेकिन नतीजा कुछ भी हो सकता है, इसलिए अभी से पुष्टि करना गलत होगा।

  • IndiGo का बड़ा ऐलान: फ्लाइट कैंसिल होने पर मिलेगा ऑटोमेटिक रिफंड, रीशेड्यूलिंग होगी फ्री

    IndiGo का बड़ा ऐलान: फ्लाइट कैंसिल होने पर मिलेगा ऑटोमेटिक रिफंड, रीशेड्यूलिंग होगी फ्री



    नई दिल्ली ।
    देशभर में इंडिगो की उड़ानों में भारी अव्यवस्था के बीच एयरलाइन ने यात्रियों के लिए राहत का बड़ा ऐलान किया है। इंडिगो ने 5 से 15 दिसंबर तक की सभी बुकिंग्स के लिए कैंसिलेशन और रीशेड्यूलिंग को पूरी तरह मुफ्त करने की घोषणा की है। साथ ही कैंसिल हुई सभी उड़ानों का रिफंड भी ऑटोमेटिक रूप से यात्रियों को वापस किया जाएगा जिससे उन्हें अतिरिक्त प्रक्रिया की जरूरत नहीं पड़ेगी।

    इंडिगो का संकट और राहत के कदम

    इंडिगो इस समय अपनी सबसे गंभीर परिचालन संकट का सामना कर रही है। कई उड़ानें कैंसिल हुईं, घंटों की देरी हुई और हजारों यात्री एयरपोर्ट पर फंसे रहे। सामान न मिलने की शिकायतें और लंबी कतारें भी आम हो गईं। इस हालात के मद्देनजर, एयरलाइन ने सार्वजनिक बयान जारी किया और यात्रियों से माफी मांगी। इंडिगो ने स्वीकार किया कि पिछले कुछ दिन दोनों  कंपनी और यात्रियों के लिए कठिन थे और इस संकट का हल एक दिन में नहीं हो सकता। कंपनी ने यह भी बताया कि 5 दिसंबर को सिस्टम और उड़ान शेड्यूल को रीसेट किया गया था, ताकि अगले दिन से सुधार शुरू किया जा सके।

    इंडिगो ने प्रभावित यात्रियों के लिए कई राहत उपायों का ऐलान किया। इसके तहत:

    ऑटोमेटिक रिफंड सभी कैंसिल की गई उड़ानों का रिफंड स्वतः उसी भुगतान माध्यम में वापस किया जाएगा जिससे टिकट बुक किया गया था। यात्रियों को इसके लिए किसी आवेदन की आवश्यकता नहीं होगी। फ्री रीशेड्यूलिंग 5 से 15 दिसंबर के बीच की सभी बुकिंग पर फ्री कैंसिलेशन और फ्री रीशेड्यूलिंग की सुविधा होगी। और स्नैक्स की व्यवस्था सीनियर सिटिजन के लिए लाउंज एक्सेस और महानगरों में होटल रूम और परिवहन की व्यवस्था शामिल है।

    यात्रियों से अपील

    इंडिगो ने यात्रियों से अपील की है कि वे एयरपोर्ट जाने से पहले अपनी फ्लाइट का स्टेटस वेबसाइट या मोबाइल नोटिफिकेशन से चेक करें। अगर फ्लाइट कैंसिल हो, तो एयरपोर्ट न पहुंचें। एयरलाइन ने कॉल वॉल्यूम को संभालने के लिए कस्टमर केयर की क्षमता बढ़ाई है और यात्रियों को 6 एस्काई नामक AI असिस्टेंट के जरिए रिफंड स्टेटस और रीबुकिंग की जानकारी भी उपलब्ध करवाई जा रही है।

    विकट हालात और प्रभावित यात्री

    पिछले कुछ दिनों में देशभर के एयरपोर्ट्स पर हालात बेहद चुनौतीपूर्ण रहे जिससे हजारों यात्रियों की उड़ानें प्रभावित हुईं। इस अव्यवस्था के कारण कई यात्रियों की जरूरी मेडिकल अपॉइंटमेंट्स छूट गईं छात्रों की परीक्षाएं प्रभावित हुईं और बिजनेस ट्रैवलर्स को अपनी मीटिंग्स में भारी नुकसान हुआ। इसके अलावा परिवारों को छोटे बच्चों के साथ घंटों एयरपोर्ट पर इंतजार करना पड़ा जिससे यात्री और अधिक परेशान हुए।

    इंडिगो का भविष्य और सुधार की दिशा

    इंडिगो ने स्पष्ट किया कि यह संकट तुरंत खत्म नहीं होगा लेकिन वे ऑपरेशन को सामान्य बनाने के लिए युद्धस्तर पर काम कर रहे हैं। एयरलाइन ने दावा किया कि आने वाले दिनों में उड़ानों की स्थिति धीरे-धीरे पटरी पर लौटेगी और यात्री जल्द ही सामान्य सेवाओं का लाभ उठा सकेंगे। इंडिगो के इस बड़े ऐलान से लाखों यात्रियों को राहत मिली है। अब इंडिगो की पूरी कोशिश है कि वह पूरी तरह से सामान्य संचालन की दिशा में तेजी से कदम बढ़ाए और यात्रियों का विश्वास वापस प्राप्त करे।

    इंडिगो के इस राहत पैकेज से यात्रियों को निश्चित रूप से राहत मिली है, खासकर ऑटोमेटिक रिफंड और फ्री रीशेड्यूलिंग की सुविधा से। हालांकि इंडिगो ने स्वीकार किया है कि यह संकट एक दिन में हल नहीं हो सकता और उन्हें अपनी सेवाओं को सुधारने में कुछ समय लगेगा। यात्रियों को अभी भी फ्लाइट स्टेटस चेक करते रहना होगा, लेकिन उम्मीद की जा रही है कि आने वाले दिनों में स्थिति सामान्य हो जाएगी।

  • धर्मेंद्र: 'वीरू' की मस्ती और 'सत्यकाम' का आदर्श, हर रोल में दर्शकों के दिल पर राज..

    धर्मेंद्र: 'वीरू' की मस्ती और 'सत्यकाम' का आदर्श, हर रोल में दर्शकों के दिल पर राज..


    नई दिल्ली। हिंदी सिनेमा के हीमैन और दर्शकों के प्रिय अभिनेता धर्मेंद्र ने आज 89 वर्ष की उम्र में इस दुनिया को अलविदा कह दिया। छह दशकों से अधिक लंबे फिल्मी करियर में उन्होंने हर तरह के किरदार निभाए- रोमांटिक हीरो, जांबाज एक्शन स्टार, कॉमेडियन और सामाजिक संदेश देने वाले पात्र। उनके अभिनय में एक अलग ही जादू था जिसने हर किरदार को जीवन्त बना दिया।
    धर्मेंद्र की मौजूदगी स्क्रीन पर इतनी प्रभावशाली थी कि वह किसी भी भूमिका में सहजता और दमदार अंदाज से खुद को ढाल लेते थे। उनके फिल्मी सफर ने भारतीय सिनेमा को कई यादगार पल दिए और दर्शकों के दिलों-दिमाग में वह हमेशा जीवित रहेंगे। उनका अभिनय उनका स्टाइल और उनका करिश्मा उन्हें सिनेमा के इतिहास में अमर बना देता है। आइए जानते हैं उनके कुछ सबसे चर्चित और दमदार किरदारों के बारे में जिन्होंने दर्शकों के दिलों में गहरी छाप छोड़ी।

    शोले

    धर्मेंद्र की फिल्मी करियर की सबसे चर्चित भूमिका शोले में वीरू की रही। अमिताभ बच्चन के साथ उनकी जोड़ी ने दोस्ती और मित्रता की मिसाल पेश की। वीरू का जिंदादिल और नटखट किरदार दर्शकों के दिलों में हमेशा बसा रहेगा। फिल्म में धर्मेंद्र की ऊर्जा, ह्यूमर और एक्शन का बेहतरीन मिश्रण था, जिसने इस किरदार को भारतीय सिनेमा की सबसे यादगार भूमिकाओं में शामिल कर दिया।

    सत्यकाम
    1978 में आई फिल्म ‘सत्यकाम’ में धर्मेंद्र ने सत्यप्रिय आचार्य का किरदार निभाया। यह भूमिका सिद्धांतों और आदर्शों पर अडिग व्यक्ति की थी। धर्मेंद्र ने इस किरदार में गहन भावनात्मक और नैतिक जटिलताओं को बेहतरीन ढंग से पेश किया। उनके अभिनय ने पात्र को इतना प्रभावशाली बना दिया कि इसे भारतीय सिनेमा के क्लासिक किरदारों में गिना जाता है।

    चुपके-चुपके

    ऋषिकेश मुखर्जी के निर्देशन में बनी 1975 की फिल्म ‘चुपके-चुपके’ में धर्मेंद्र ने प्रोफेसर परिमल त्रिपाठी और प्यारे मोहन इलाहाबादी का किरदार निभाया। इस फिल्म में उनकी कॉमिक टाइमिंग सहजता और चेहरे के भाव दर्शकों को खूब प्रभावित करने वाले थे। धर्मेंद्र की यह भूमिका हिंदी सिनेमा की बेहतरीन कॉमेडी भूमिकाओं में गिनी जाती है, जिसने फिल्म को क्लासिक बनाने में अहम योगदान दिया।

    अनुपमा
    ऋषिकेश मुखर्जी की फिल्म अनुपमा में धर्मेंद्र ने अशोक का किरदार निभाया। कहानी एक जिद्दी युवक और उमा के इर्द-गिर्द घूमती है, जिसमें अशोक का किरदार भावनात्मक और संवेदनशील था। धर्मेंद्र ने अपने अभिनय से इसे जीवंत और प्रभावशाली बनाया। उनकी सहजता और किरदार में उतरने की क्षमता ने दर्शकों को पूरी तरह मंत्रमुग्ध कर दिया।

    फूल और पत्थर
    फूल और पत्थर में धर्मेंद्र ने युवा अपराधी शक्ति सिंह शाका की भूमिका निभाई। शाका एक विधवा महिला के लिए अपने बुरे कर्म छोड़ देता है और सुधर जाता है। इस फिल्म ने सामाजिक मान्यताओं और बदलाव की जरूरत को भी दर्शाया। धर्मेंद्र ने अपने किरदार में गहराई और संवेदनशीलता का बेहतरीन मिश्रण पेश किया।
    जॉनी गद्दार
    निर्देशक श्रीराम राघवन की फिल्म जॉनी गद्दार में धर्मेंद्र ने गैंग लीडर शेषाद्रि सेशु की भूमिका निभाई। इस फिल्म में उनका किरदार तीव्र रहस्यमय और प्रभावशाली था। धर्मेंद्र की मौजूदगी ने फिल्म में रोमांच और गहराई दोनों ही बढ़ा दिए। उनके संवाद और अभिनय का प्रभाव दर्शकों पर लंबे समय तक बना रहा।

    सीता और गीता
    फिल्म सीता और गीता में धर्मेंद्र राका के रोल में थे। इस फिल्म में उनके किरदार को खूब सराहा गया। हेमा मालिनी के डबल रोल ने कहानी में और रोचकता जोड़ दी। धर्मेंद्र की दमदार अभिनय शैली ने किरदार को दर्शकों के दिल में अमिट जगह दिलाई।

    यादों की बारात

    1973 में रिलीज हुई ‘यादों की बारात’ में धर्मेंद्र ने शंकर का किरदार निभाया। यह पहली मसाला फिल्म थी, जिसमें एक्शन, रोमांस, संगीत, अपराध और थ्रिलर सभी शैलियों का बेहतरीन मिश्रण था। धर्मेंद्र ने अपने अभिनय और स्क्रीन प्रेजेंस से इस फिल्म को भी दर्शकों के लिए यादगार बना दिया।

    धरम वीर
    मनमोहन देसाई के निर्देशन में बनी 1977 की फिल्म ‘धरम वीर’ में धर्मेंद्र ने धरम का किरदार निभाया। उनकी और जितेन्द्र की जोड़ी दर्शकों को बेहद पसंद आई। फिल्म में धर्मेंद्र ने अपने अभिनय, दमदार संवाद और स्टाइल से किरदार में जान डाल दी।

    लोफर
    फिल्म ‘लोफर’ में धर्मेंद्र ने रंजीत का किरदार निभाया। यह रोल स्टाइलिश, करिश्माई और अपराध की दुनिया में उलझा हुआ था, लेकिन दिल से नेक था। धर्मेंद्र की इस भूमिका की आलोचकों और दर्शकों दोनों ने खूब सराहना की। धर्मेंद्र ने अपने फिल्मी करियर में हर किरदार को पूरी जान और आत्मा के साथ निभाया। उनका अभिनय, उनका करिश्मा और उनकी स्क्रीन पर मौजूदगी हमेशा दर्शकों के दिलों में जीवित रहेगी। उनके जाने से हिंदी सिनेमा ने एक युग खो दिया, लेकिन उनकी यादें और फिल्मों का असर हमेशा अमिट रहेगा।

  • ध्वनि प्रदूषण और नागरिक अधिकारों के चलते याचिका खारिज

    ध्वनि प्रदूषण और नागरिक अधिकारों के चलते याचिका खारिज


    नई दिल्ली। महाराष्ट्र के गोंदिया जिले की मस्जिद गौसिया ने नमाज के दौरान लाउडस्पीकर लगाने की अनुमति की मांग की थी, लेकिन बॉम्बे उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ ने इस याचिका को खारिज कर दिया। न्यायमूर्ति अनिल पंसारे और न्यायमूर्ति राज वकोड़े की पीठ ने कहा कि कोई भी धर्म लाउडस्पीकर का उपयोग करके पूजा या प्रार्थना करने को अनिवार्य नहीं मानता, इसलिए इसे मौलिक अधिकार के रूप में नहीं मांगा जा सकता।

    कोर्ट ने सुप्रीम न्यायालय के फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि धर्म के पालन के लिए आवाज बढ़ाने वाले उपकरणों का उपयोग अनिवार्य नहीं है। पीठ ने स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता यह साबित करने में असमर्थ रहा कि लाउडस्पीकर धार्मिक अभ्यास के लिए आवश्यक है। इसलिए याचिका खारिज की जाती है।

    मामला महाराष्ट्र के गोंदिया जिले में मस्जिद गौसिया द्वारा दायर याचिका से संबंधित है। मस्जिद ने नमाज के लिए लाउडस्पीकर लगाने की अनुमति देने का अनुरोध किया था, जिसे कोर्ट ने 1 दिसंबर को खारिज कर दिया। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि किसी भी धर्म में यह नहीं कहा गया है कि प्रार्थना दूसरों की शांति भंग करके की जाए या केवल आवाज बढ़ाने वाले उपकरणों से ही की जा सकती है।

    सुप्रीम न्यायालय के फैसलों का हवाला देते हुए पीठ ने यह भी कहा कि अन्य नागरिकों को शांत वातावरण में रहने का अधिकार है। विशेष रूप से छोटे बच्चे, बुजुर्ग, बीमार और मानसिक तनाव से ग्रस्त लोगों को इस अधिकार की रक्षा की जानी चाहिए। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि धर्म के पालन और नागरिकों के अधिकार के बीच संतुलन बनाए रखना आवश्यक है।

    कोर्ट ने ध्वनि प्रदूषण के गंभीर खतरे पर भी ध्यान दिलाया। लाउडस्पीकर और अन्य तेज आवाज वाले उपकरण लगातार फाइट और फ्लाइट जैसी स्थिति पैदा कर सकते हैं, जिससे शरीर में तनाव हार्मोन जैसे कार्टिसोल और अन्य हानिकारक रसायन बढ़ सकते हैं। इससे हृदय रोग, चिड़चिड़ापन, थकान, सिरदर्द और उच्च रक्तचाप जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।

    पीठ ने कहा कि केवल धार्मिक अभ्यास के नाम पर इस तरह के उपकरणों का उपयोग समाज और स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा कर सकता है। कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से कहा कि इस मुद्दे पर संवेदनशीलता दिखाई जाए और प्रभावी उपाय किए जाएँ ताकि ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सके और नागरिकों के स्वास्थ्य और शांति का संरक्षण हो।

    अदालत ने यह स्पष्ट किया कि धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार सीमित है और इसे अन्य लोगों के अधिकारों के हनन के लिए प्रयोग नहीं किया जा सकता। याचिकाकर्ता ने यह साबित नहीं किया कि लाउडस्पीकर के माध्यम से प्रार्थना करना अनिवार्य है, इसलिए न्यायालय ने याचिका को खारिज किया।

    कोर्ट का यह निर्णय धार्मिक स्वतंत्रता और नागरिक अधिकारों के बीच संतुलन की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है। अदालत ने यह रेखांकित किया कि धार्मिक अभ्यास का अर्थ यह नहीं है कि अन्य लोगों की शांति और स्वास्थ्य की अनदेखी की जाए। सभी नागरिकों का शांत वातावरण में रहने का अधिकार सर्वोच्च है और इसे सुरक्षित रखना समाज और कानून की जिम्मेदारी है।

    इस तरह, बॉम्बे उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ ने मस्जिद गौसिया की याचिका खारिज करते हुए यह स्पष्ट कर दिया कि धार्मिक अभ्यास के नाम पर लाउडस्पीकर का प्रयोग अनिवार्य नहीं है और न ही इसे नागरिकों के अधिकारों के विपरीत किया जा सकता है। अदालत ने राज्य सरकार से कहा कि इस तरह के मामलों में संतुलन बनाए रखना और ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करना आवश्यक है।

  • IndiGo Flight Cancellation: 6 दिसंबर को उड़ानें बहाल लेकिन पूर्ण सामान्यता में वक्त लगेगा

    IndiGo Flight Cancellation: 6 दिसंबर को उड़ानें बहाल लेकिन पूर्ण सामान्यता में वक्त लगेगा


    नई दिल्ली । 6 दिसंबर को देशभर में हवाई यात्रियों के लिए राहत की खबर आई जब IndiGo ने अपनी उड़ान सेवाएं कुछ हद तक बहाल कर दीं। हालांकि, विमानन कंपनी के ऑपरेशन अभी पूरी तरह से सामान्य नहीं हुए हैं। तकनीकी संकट के कारण कई घंटों तक उथल-पुथल रही और कई उड़ानें रद्द हो गईं। इंडिगो के अनुसार उनके ऑपरेशन को पूरी तरह से सामान्य होने में कुछ और दिन लग सकते हैं और अनुमान है कि 10 से 15 दिसंबर तक शेड्यूल स्थिर हो सकेगा।

    यात्रियों को अभी भी मुश्किलों का सामना

    उड़ानें शुरू होने के बाद भी यात्रियों की समस्याएं खत्म नहीं हुईं। कई यात्री अभी भी रिफंड की प्रतीक्षा कर रहे हैं, जबकि रीबुकिंग में दिक्कतें आ रही हैं। ऐप और वेबसाइट धीमे चलने के कारण लोग अपनी टिकट अपडेट नहीं कर पा रहे हैं और उड़ानों के समय में भी लगातार बदलाव हो रहे हैं। इस वजह से यात्रियों में भ्रम की स्थिति बनी हुई है और एयरपोर्ट्स और स्टेशनों पर भारी भीड़ देखी जा रही है।

    दूसरी एयरलाइनों का सहयोग

    IndiGo की परेशानियों को देखते हुए अन्य एयरलाइनों ने यात्रियों को राहत देने के लिए कदम उठाए। स्पाइसजेट ने कुछ नए रूट्स पर अतिरिक्त उड़ानें शुरू कीं जबकि एयर इंडिया ने भी भीड़ भाड़ वाले मार्गों पर अपनी फ्लाइट्स की संख्या बढ़ा दी। इसके चलते कई फंसे हुए यात्रियों को वैकल्पिक उड़ान मिल सकी जिससे उनकी परेशानी कुछ हद तक कम हुई।

    रेलवे की राहत और सरकार का नियंत्रण

    हवाई सेवाओं में गड़बड़ी का सीधा असर रेलवे पर पड़ा क्योंकि लोग ट्रेन से यात्रा करने की ओर रुख कर रहे थे। इस स्थिति को संभालने के लिए भारतीय रेलवे ने कई रूट्स पर अतिरिक्त कोच और विशेष ट्रेनें चलाईं जिससे लंबी दूरी के यात्रियों को राहत मिली। यह कदम काफी प्रभावी साबित हुआ और बड़ी संख्या में यात्री अपनी यात्रा को सुगमता से पूरा कर पाए।

    सरकार ने भी हालात की गंभीरता को समझते हुए 24 घंटे काम करने वाला कंट्रोल रूम सक्रिय कर दिया है। नागर विमानन मंत्रालय और DGCA नागरिक उड्डयन महानिदेशालय लगातार एयरलाइनों से अपडेट ले रहे हैं और यात्रियों के हित में सख्त निगरानी रखी जा रही है। मंत्रालय का मुख्य उद्देश्य किरायों में बढ़ोतरी को रोकना और उड़ानों की नियमितता को जल्दी से बहाल करना है ताकि यात्रियों को कोई नुकसान न हो।

    इंडिगो की फ्लाइट्स पर असर

    इंडिगो की उड़ानों पर गड़बड़ी के कारण तिरुवनंतपुरम चेन्नई और चंडीगढ़ जैसे प्रमुख एयरपोर्ट्स पर भी प्रभाव पड़ा। तिरुवनंतपुरम एयरपोर्ट पर 22 घरेलू और 4 अंतरराष्ट्रीय उड़ानें तय थीं, जिनमें से छह घरेलू उड़ानें रद्द कर दी गईं। चेन्नई एयरपोर्ट पर 48 इंडिगो उड़ानें रद्द हुईं जिसमें 28 प्रस्थान और 20 आगमन शामिल थे। चंडीगढ़ एयरपोर्ट पर भी 10 उड़ानें रद्द हो गईं जिससे स्थानीय यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा।

    आगे क्या होगा

    यात्रियों के लिए अगले कुछ दिन अहम होंगे, क्योंकि उड़ानों के समय में बदलाव संभव है और कई उड़ानें सीमित संख्या में चलाई जाएँगी। रिफंड और रीबुकिंग की प्रक्रिया में भी कुछ और समय लग सकता है, क्योंकि सिस्टम धीरे-धीरे सामान्य हो रहा है। हालांकि एयरलाइन और सरकारी अधिकारियों का कहना है कि आने वाले दिनों में स्थिति में सुधार होगा और यात्रियों को राहत मिलेगी।

    6 दिसंबर को इंडिगो के ऑपरेशन में आंशिक सुधार हुआ लेकिन अभी पूरी स्थिति सामान्य होने में समय लगेगा। सरकार और अन्य एयरलाइनों द्वारा उठाए गए कदमों से यात्रियों को कुछ राहत मिली है लेकिन पूरी प्रक्रिया के सामान्य होने में कुछ दिन और लग सकते हैं। ऐसे में यात्रियों को समय रहते उड़ान का शेड्यूल चेक करते रहना चाहिए और किसी भी बदलाव के लिए तैयार रहना चाहिए।

  • BSP सुप्रीमो का सरकार पर हमला: 'अच्छे दिन' केवल कागजों पर, बहुजनों को SIR के लिए एकजुट होने को कहा

    BSP सुप्रीमो का सरकार पर हमला: 'अच्छे दिन' केवल कागजों पर, बहुजनों को SIR के लिए एकजुट होने को कहा


    नई दिल्ली/लखनऊ। बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर की पुण्यतिथि महापरिनिर्वाण दिवस के अवसर पर बसपा सुप्रीमो मायावती ने बहुजन समाज की स्थिति, सामाजिक न्याय और राजनीतिक अधिकारों को लेकर केंद्र और राज्य सरकारों पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगाया। उन्होंने कहा कि आज भी देश के करोड़ों बहुजन नागरिकों को वह सम्मान, समानता और अधिकार नहीं प्राप्त हुए हैं जिनकी कल्पना बाबा साहेब ने भारत का संविधान तैयार करते समय की थी।मायावती ने तीखे शब्दों में पूछा-जब बाकी क्षेत्रों में बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं तो बहुजनों के आत्मसम्मान और जीवन-सुधार से जुड़े ‘अच्छे दिन’ अब तक क्यों नहीं आए?

    दिल्ली में श्रद्धांजलि, संदेश में गंभीरता
    मायावती ने नई दिल्ली स्थित अपने आवास पर बाबा साहेब को पुष्प अर्पित किए और दो मिनट का मौन रखकर उन्हें याद किया। उन्होंने कहा कि हर साल इस दिन राष्ट्र को यह सोचना चाहिए कि क्या हम अंबेडकर के सपनों का भारत बना पाए हैं? उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस, तथा अंबेडकर जयंती जैसे अवसरों पर यह प्रश्न हमेशा उठेगा कि क्या सामाजिक न्याय पर आधारित वास्तविक समग्र और मानवीय अच्छे दिन कभी आएंगे? मायावती ने यह भी याद दिलाया कि उत्तर प्रदेश में बसपा सरकार के कार्यकाल में बहुजनों के सम्मान और सामाजिक उन्नति के लिए कई ऐसे फैसले लिए गए जो इतिहास में दर्ज हैं। उनके अनुसार जब सरकार की नीयत साफ हो और नीति स्पष्ट हो तब समाज में वास्तविक परिवर्तन संभव होता है।

    मतदाता सूची पुनरीक्षण प्रक्रिया SIR में सक्रिय भागीदारी का आग्रह


    महापरिनिर्वाण दिवस पर दिए गए अपने संदेश में मायावती ने बहुजन समाज से आग्रह किया कि वे SIR-मतदाता सूची पुनरीक्षण प्रक्रिया में सक्रियता दिखाएं। उन्होंने कहा कि बहुजन समाज की राजनीतिक शक्ति तभी प्रभावी हो सकती है जब हर योग्य व्यक्ति मतदाता सूची में अपना नाम दर्ज कराए।उन्होंने चेताया कि कई बार नाम छूटने या गलत विवरण के कारण बहुजन समाज के लोगों को अपने लोकतांत्रिक अधिकारों का पूर्ण उपयोग करने से वंचित होना पड़ता है। इसलिए SIR प्रक्रिया में भागीदारी केवल एक औपचारिकता नहीं, बल्कि बहुजनों की राजनीतिक सशक्तिकरण का आवश्यक हिस्सा है।

    रुपये के अवमूल्यन पर चिंता

    अपने बयान में मायावती ने देश की आर्थिक स्थिति पर भी चिंता व्यक्त की। खासकर रुपये के लगातार गिरते मूल्य को लेकर उन्होंने कहा कि सरकार को केवल विशेषज्ञों की सलाह पर निर्भर न रहकर स्वयं हस्तक्षेप कर स्थिति को स्थिर करने के निर्णायक कदम उठाने चाहिए। उन्होंने कहा कि आर्थिक अस्थिरता का सबसे अधिक बोझ गरीबों, मजदूरों और वंचित वर्गों पर पड़ता है-और इन्हीं वर्गों की रक्षा करने का दावा सरकारें सबसे अधिक करती हैं।

    देशभर में श्रद्धांजलि समारोह
    महापरिनिर्वाण दिवस के कार्यक्रम पूरे देश में बड़े पैमाने पर आयोजित किए गए। लखनऊ के अंबेडकर सामाजिक परिवर्तन स्थल पर सुबह से ही बड़ी संख्या में लोग जुटने लगे। वहीं नोएडा के दलित प्रेरणा स्थल पर बसपा कार्यकर्ताओं अनुयायियों और आम नागरिकों का विशाल जनसैलाब उमड़ पड़ा।कार्यक्रमों में बाबा साहेब के विचारों को दोहराया गया और संविधान में दिए गए सामाजिक न्याय, समान अधिकारों और अवसरों की संवैधानिक व्यवस्था को मजबूत करने के संकल्प लिए गए।नोएडा में बसपा के राष्ट्रीय समन्वयक आकाश आनंद ने भी बाबा साहेब की प्रतिमा पर फूल चढ़ाकर उन्हें याद किया और कहा कि समाज को आगे बढ़ाने के लिए संगठन की जिम्मेदारी बढ़ जाती है।

    जातिवादी राजनीति पर निशाना

    मायावती ने अपने बयान में यह भी कहा कि देश की मुख्यधारा की कई राजनीतिक पार्टियों की जातिवादी मानसिकता बहुजनों के रास्ते में सबसे बड़ी बाधा है। उनके अनुसार, राजनीतिक सत्ता की मास्टर चाबी बहुजनों के हाथ में न आए इसके लिए तरह-तरह के हथकंडों का इस्तेमाल किया जाता रहा है। उन्होंने कहा कि बाबा साहेब के मिशन की सच्ची पूर्ति तभी होगी जब बहुजन समाज अपनी सामूहिक शक्ति को पहचानकर लोकतांत्रिक ढंग से संगठित होगा।

    एक स्पष्ट और मजबूत संदेश

    महापरिनिर्वाण दिवस पर मायावती का यह वक्तव्य केवल श्रद्धांजलि भर नहीं बल्कि बहुजन समाज को राजनीतिक रूप से जागरूक और संगठित होने का आह्वान भी है। उनका संदेश यह स्पष्ट करता है कि आने वाले समय में सामाजिक न्याय, बहुजन अधिकार, और राजनीतिक सक्रियता पर बसपा और अधिक जोर देने वाली है।

  • एलन मस्क के AI चैटबॉट Grok में प्राइवेसी संकट: आम नागरिकों की पर्सनल डिटेल्स लीक

    एलन मस्क के AI चैटबॉट Grok में प्राइवेसी संकट: आम नागरिकों की पर्सनल डिटेल्स लीक


    नई दिल्ली । एलन मस्क की AI कंपनी AI का चैटबॉट ग्रोक हाल ही में गंभीर प्राइवेसी विवादों में फंस गया है जब यह एक गंभीर सुरक्षा खामी का शिकार हुआ। रिपोर्टों के अनुसार ग्रोक नामक AI चैटबॉट आम नागरिकों की व्यक्तिगत जानकारी, जैसे कि घर के पते फोन नंबर और पारिवारिक डिटेल्स बेहद आसानी से लीक कर रहा है। यह मुद्दा खासकर तब सामने आया जब यह AI बॉट बेहद सामान्य पूछताछ पर भी यह व्यक्तिगत जानकारी साझा कर रहा था जिससे यूज़र्स की प्राइवेसी पर बड़ा खतरा मंडराया।

    ग्रोक द्वारा लीक हुई निजी जानकारी

    भविष्यवाद की एक जांच में यह पाया गया कि जो पूर्व ट्विटर प्लेटफॉर्म पर इंटीग्रेटेड है बेहद खतरनाक तरीके से निजी जानकारी का खुलासा कर रहा था। उदाहरण के तौर पर अगर कोई यूज़र किसी नाम का पता पूछता है, तो न केवल वह व्यक्ति का मौजूदा पता बता देता बल्कि कई बार पुराने पते और ऑफिस के पते भी दे देता था। इसके अलावा, कुछ मामलों में यह बॉट नाम फोन नंबर और घर के पते का विकल्प तक सीधे यूज़र को प्रदान कर रहा था। यह संकेत देता है कि इंटरनेट पर मौजूद सार्वजनिक डेटा सोशल मीडिया लिंक और डेटा-ब्रोकर प्लेटफॉर्म्स से जानकारी इकट्ठा कर रहा था और उसे बिना किसी सुरक्षा के साझा कर रहा था।

    प्राइवेसी फिल्टर की विफलता

    AI का दावा था कि में प्राइवेसी को बनाए रखने के लिए फिल्टर्स मौजूद हैं जो हानिकारक या खतरनाक जानकारी के प्रवाह को रोकने में सक्षम हैं। हालांकि रिपोर्टों के अनुसार यह फिल्टर्स पूरी तरह से विफल रहे। के इस व्यवहार की तुलना में चैटजीपीटी गूगल जेमिनी और क्लाउड जैसे अन्य प्रमुख AI मॉडल्स निजी जानकारी देने से मना कर देते हैं क्योंकि वे प्राइवेसी नियमों का पालन करते हैं। इसके विपरीत बिना किसी रोक-टोक के व्यक्तिगत जानकारी लीक कर रहा था जिससे यह साफ जाहिर होता है कि इसकी प्राइवेसी सुरक्षा प्रणाली में गंभीर कमी है।

    सामाजिक प्रभाव और खतरों का आकलन

    ग्रोक द्वारा लीक की गई जानकारी न केवल व्यक्तिगत प्राइवेसी के लिए खतरा है, बल्कि इससे बड़े स्तर पर समाज पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। यदि कोई AI सिस्टम बिना उचित सुरक्षा उपायों के निजी जानकारी लीक करता है तो यह डॉक्सिंग और स्टॉकिंग जैसी आपराधिक गतिविधियों को बढ़ावा दे सकता है। साथ ही यह उन यूज़र्स को भी जोखिम में डालता है जिनकी जानकारी बिना उनकी अनुमति के सार्वजनिक रूप से सामने आ जाती है। ऐसे मामलों में यह जरूरी है कि AI मॉडल्स की सुरक्षा और प्राइवेसी प्रणालियों को और मजबूत किया जाए ताकि इन खामियों को रोका जा सके।

    ग्रोक के द्वारा डेटा का उपयोग

    यह संभावना है कि ग्रोक इंटरनेट पर उपलब्ध सार्वजनिक डेटा का इस्तेमाल कर रहा है, जिसे सोशल मीडिया और अन्य प्लेटफॉर्म्स से इकट्ठा किया जाता है। यह डेटा ब्रोकर सेवाओं से भी लिया जा सकता है लेकिन ग्रोक इसे चुटकियों में जोड़कर और बिना किसी सुरक्षा उपाय के पेश कर देता है जिससे प्राइवेसी को खतरा होता है। यही नहीं इसका इस्तेमाल गलत हाथों में जाकर बड़े पैमाने पर दुरुपयोग भी हो सकता है।

    ग्रोक के प्राइवेसी कांड ने यह सवाल उठाया है कि AI चैटबॉट्स का निजी डेटा के उपयोग और सुरक्षा के मानकों पर कितना भरोसा किया जा सकता है। इसका खुलासा करने से यह स्पष्ट हुआ है कि AI कंपनियों को प्राइवेसी के लिए और भी कड़े उपायों को अपनाने की आवश्यकता है। साथ ही इन कंपनियों को अपने फिल्टर सिस्टम्स की प्रभावशीलता पर पुनः विचार करना चाहिए, ताकि इस प्रकार की घटनाओं से बचा जा सके और यूज़र्स की निजी जानकारी सुरक्षित रह सके।

  • पुस्तक में सिगरेट दिखाने को नहीं माना तंबाकू उत्पाद का प्रचार

    पुस्तक में सिगरेट दिखाने को नहीं माना तंबाकू उत्पाद का प्रचार


    नई दिल्ली। सुप्रीम न्यायालय ने शुक्रवार को अरुंधति रॉय की पुस्तक ‘मदर मैरी कम्स टू मी’ के संबंध में दायर याचिका खारिज कर दी। याचिका में पुस्तक की बिक्री, वितरण और प्रदर्शन पर रोक लगाने का अनुरोध किया गया था। याचिकाकर्ता का तर्क था कि पुस्तक के आवरण पर रॉय को सिगरेट पीते हुए दिखाया गया है, जो कानून का उल्लंघन है।

    केरल के उच्च न्यायालय द्वारा जनहित याचिका खारिज होने के बाद याचिकाकर्ता राजसिम्हन ने उच्चतम न्यायालय में अपील की थी। इस मामले की सुनवाई प्रधान न्यायाधीश सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने की। पीठ ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि पुस्तक में किसी प्रकार का सिगरेट या तंबाकू उत्पाद का प्रचार नहीं किया गया है और न ही लेखक ने ऐसा करने की कोशिश की है।

    प्रधान न्यायाधीश सूर्यकांत ने कहा कि रॉय एक प्रसिद्ध लेखिका हैं और उन्होंने पुस्तक में कोई ऐसा संदेश नहीं दिया है जो तंबाकू उत्पादों के प्रचार के रूप में देखा जा सके। उन्होंने कहा कि पुस्तक में चेतावनी भी दी गई है और इसे केवल पाठकों के लिए प्रकाशित किया गया है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि शहर में किसी प्रकार की किताब की होर्डिंग नहीं लगाई गई है और यह मामला केवल पुस्तक के पाठक वर्ग तक सीमित है।

    पीठ ने यह भी कहा कि लेखक और प्रकाशक ने तंबाकू उत्पाद अधिनियम, 2003 की धारा पांच का उल्लंघन नहीं किया है। इस धारा के तहत सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पादों के विज्ञापन, प्रचार और प्रायोजन पर प्रतिबंध है। प्रधान न्यायाधीश ने कहा, “हमें उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं दिखता।”

    याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि पुस्तक में सिगरेट के रूप में दिखाए गए चित्र के साथ पर्याप्त चेतावनी नहीं है और डिस्क्लेमर भी बहुत छोटा है। उन्होंने कहा कि स्पष्ट नहीं है कि यह सामान्य बीड़ी है या किसी अन्य प्रकार का तंबाकू उत्पाद।

    प्रधान न्यायाधीश ने याचिकाकर्ता के तर्कों को खारिज करते हुए कहा कि पुस्तक, लेखक या प्रकाशक का किसी भी प्रकार के तंबाकू उत्पादों के प्रचार से कोई संबंध नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि पाठक लेखक के विचारों से असहमत हो सकते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि इस आधार पर मुकदमा दायर किया जाए।

    अदालत ने यह स्पष्ट किया कि पुस्तक केवल लेखक के अनुभव और संस्मरण पर आधारित है और इसमें किसी प्रकार का विज्ञापन या प्रचार शामिल नहीं है। पुस्तक में दिखाई गई तस्वीरें लेखक के निजी अनुभव को दर्शाती हैं, न कि किसी उत्पाद के प्रचार के लिए बनाई गई हैं।

    इस मामले में उच्च न्यायालय और सुप्रीम कोर्ट दोनों ने यह मान्यता दी कि लेखक और प्रकाशक ने किसी भी कानून का उल्लंघन नहीं किया है। अदालत ने यह भी रेखांकित किया कि पुस्तक पाठकों तक अपनी कहानियों और विचारों के माध्यम से पहुँचना चाहती है, न कि किसी तंबाकू उत्पाद के प्रचार के लिए।

    अदालत का यह निर्णय लेखक की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और कला की स्वतंत्रता के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। अदालत ने स्पष्ट किया कि यदि किसी को लेखक के विचार पसंद नहीं आते, तो उसके खिलाफ कानून द्वारा सीधे कार्रवाई नहीं की जा सकती।

    इस प्रकार, सुप्रीम न्यायालय ने अरुंधति रॉय की पुस्तक पर किसी भी प्रकार के प्रतिबंध को नकारते हुए याचिका खारिज कर दी। अदालत ने यह संदेश भी दिया कि पुस्तक, लेखक और प्रकाशक की जिम्मेदारी केवल पाठकों तक साहित्यिक सामग्री पहुँचाने तक सीमित है, और इसमें किसी तंबाकू उत्पाद के प्रचार का कोई तत्व नहीं है।

  • करीब एक महीने की फरारी के बाद JCP प्रमुख अमित बघेल गिरफ्तार; अग्रवाल और सिंधी समाज के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी का है गंभीर आरोप

    करीब एक महीने की फरारी के बाद JCP प्रमुख अमित बघेल गिरफ्तार; अग्रवाल और सिंधी समाज के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी का है गंभीर आरोप

     रायपुर /छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में बीते दिनों उभरे विवाद ने एक बार फिर राजनीतिक और सामाजिक हलचल पैदा कर दी है। जोहार छत्तीसगढ़ पार्टी JCP के अध्यक्ष अमित बघेल को पुलिस ने धार्मिक और सामाजिक भावनाओं को आहत करने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया। उनके खिलाफ आरोप है कि उन्होंने अग्रवाल समाज के पूजनीय महाराजा अग्रसेन और सिंधी समाज के आराध्य भगवान झूलेलाल के संबंध में आपत्तिजनक टिप्पणियां कीं, जिससे दोनों समुदायों में नाराज़गी और वातावरण में तनाव बढ़ गया।

    गिरफ्तारी की कार्रवाई
    देवेंद्र नगर थाना अधिकारियों के अनुसार, अमित बघेल लंबे समय से पुलिस से बचने की कोशिश कर रहे थे और कई दिनों से फरार बताए जा रहे थे। शनिवार सुबह पुलिस ने उन्हें देवेंद्र नगर थाना क्षेत्र के पारस नगर चौक से गिरफ्तार किया। थाना प्रभारी जितेंद्र असैया ने बताया कि गिरफ्तारी के बाद उन्हें स्थानीय अदालत में पेश किया गया, जहां अदालत ने बघेल को तीन दिन की पुलिस रिमांड पर भेजने का आदेश दिया।

    मानवीय दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए अदालत ने बघेल को विशेष अनुमति दी कि वे पथरी गांव में अपनी मां के अंतिम संस्कार में शामिल हो सकें। शुक्रवार सुबह उनकी मां का निधन होने से परिवार में शोक का माहौल था और अदालत ने इस आधार पर उन्हें सुरक्षा निगरानी में अंतिम संस्कार में शामिल होने की अनुमति प्रदान की।

    मामले की पृष्ठभूमि और दर्ज प्राथमिकी
    अमित बघेल के खिलाफ विवाद नया नहीं है। इस वर्ष अक्टूबर में रायपुर के तेलीबांधा, देवेंद्र नगर और कोतवाली थानों में तीन अलग-अलग प्राथमिकी दर्ज की गई थीं। 26 अक्टूबर को तेलीबांधा क्षेत्र में घटी एक घटना ने इस विवाद को जन्म दिया। उस दिन छत्तीसगढ़ महतारी की प्रतिमा खंडित मिलने के बाद इलाके में तनाव फैल गया था।

    प्रतिमा के क्षतिग्रस्त होने के बाद पत्रकारों से बातचीत के दौरान बघेल ने कथित तौर पर महाराजा अग्रसेन और भगवान झूलेलाल सहित अग्रवाल और सिंधी समाज की आस्था के प्रतीकों पर आपत्तिजनक टिप्पणियां कीं। पुलिस का कहना है कि इन टिप्पणियों ने दोनों समुदायों की धार्मिक और सामाजिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई जिसके बाद उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई।

    प्रतिमा खंडित होने की घटना और प्रतिक्रिया
    तेलीबांधा थाना क्षेत्र के VIP चौक स्थित राम मंदिर के पास लगी छत्तीसगढ़ महतारी की प्रतिमा में हरे रंग की साड़ी धान की बाली और आशीर्वाद की मुद्रा वाला स्वरूप था। इसके टूटने की खबर फैलते ही वहां बड़ी संख्या में स्थानीय लोग और संगठन पहुंच गए। छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना तथा JCP के कार्यकर्ताओं ने इस घटना को छत्तीसगढ़ की अस्मिता और सांस्कृतिक पहचान पर हमला करार दिया।

    इसी विवाद के दौरान अमित बघेल मीडिया से बातचीत में भड़काऊ बयानों में यह सवाल उठा बैठे कि राज्य में कुछ विशेष राष्ट्रीय नेताओं की प्रतिमाओं का अपमान क्यों नहीं होता। इसी क्रम में उन्होंने महाराजा अग्रसेन और भगवान झूलेलाल के संबंध में विवादित शब्दों का प्रयोग किया, जिसने बवाल खड़ा कर दिया। बाद में पुलिस ने प्रतिमा तोड़ने के आरोप में एक मानसिक रूप से अस्थिर व्यक्ति को गिरफ्तार किया, परन्तु बघेल की टिप्पणी का असर समाज में बना रहा।

    सरकार की प्रतिक्रिया

    छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने बघेल की गिरफ्तारी को कानूनन जरूरी कदम बताया। उन्होंने कहा अमित बघेल ने कई धर्म और समुदायों के बारे में अनुचित टिप्पणी की थी। उनके खिलाफ पूर्व से ही प्राथमिकी दर्ज थी और आज उन्हें गिरफ्तार किया गया है। सरकार का कहना है कि ऐसी टिप्पणियां समाज में नफरत फैलाती हैं और कानून सभी के लिए समान है।