उज्जैन बनेगी देश की पहली सर्पमित्र नगरी सांपों के संरक्षण के लिए विशेष प्रयास जारी


उज्जैन । मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले को अब देश की पहली सर्पमित्र नगरी के रूप में विकसित किया जाएगा। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस पहल का ऐलान किया है जिसका मुख्य उद्देश्य सांपों के संरक्षण के साथ-साथ समाज में इनके प्रति जागरूकता बढ़ाना है। महाकाल की नगरी उज्जैन को सांपों का संरक्षण करने वाली पहली नगरी के रूप में स्थापित किया जा रहा है जहां सांपों के जीवन को बचाने और उनके प्राकृतिक आवासों की रक्षा करने के लिए व्यापक प्रयास किए जाएंगे ।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का कहना है कि सांप भगवान शिव के गले का हार हैं और इन्हें सुरक्षित करना महाकाल की नगरी का कर्तव्य बनता है। उनका मानना है कि सांपों को लेकर समाज में सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करना बेहद जरूरी है ताकि न तो सांप किसी इंसान को नुकसान पहुंचाएं और न ही इंसान सांपों को नुकसान पहुंचाए। उनके इस दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने कई कदम उठाने की योजना बनाई है।

प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से जागरूकता फैलाना

उज्जैन में इस पहल के तहत अब तक 100 से ज्यादा विद्यार्थियों को हायर सेकंडरी स्कूलों में सांपों से सुरक्षित और मित्रवत तरीके से व्यवहार करने के लिए प्रशिक्षण दिया गया है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य बच्चों और युवाओं में सांपों के प्रति डर को कम करना और उनके संरक्षण के महत्व को समझाना है। आगामी चरणों में इस अभियान का विस्तार किया जाएगा जिसमें डॉक्टरों हेल्थ वर्कर्स किसानों और पंचायत सचिवों को भी सांपों के सुरक्षित संरक्षण के तरीके सिखाए जाएंगे।

यह पहल उज्जैन में सांपों के प्रति जागरूकता बढ़ाने के साथ-साथ उनके संरक्षण के लिए जरूरी कदमों को लागू करेगी। सांपों के अलावा इस पहल में अन्य वन्य जीवों की सुरक्षा पर भी ध्यान दिया जाएगा। इसके परिणामस्वरूप न सिर्फ सांपों को बचाया जाएगा बल्कि पूरे पारिस्थितिकी तंत्र का संतुलन भी बना रहेगा।

सांपों के संरक्षण के लिए तैयार की गई योजनाएं

उज्जैन को सर्प संरक्षण के लिए नोडल जिला बनाने का निर्णय लिया गया है जिसका मतलब है कि इस जिले में सांपों के संरक्षण के लिए अलग-अलग योजनाओं का निर्माण किया जाएगा। इन योजनाओं में सांपों के प्राकृतिक आवासों को संरक्षित करना उनकी प्रजनन दर बढ़ाना और उन्हें उपयुक्त वातावरण प्रदान करना शामिल होगा। इसके अलावा किसानों को जागरूक किया जाएगा ताकि वे कृषि कार्यों के दौरान सांपों को नुकसान न पहुंचाएं और उनके प्राकृतिक आवासों में हस्तक्षेप न करें।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में सांपों के संरक्षण के लिए उठाए गए कदम केवल उनके अस्तित्व को बचाने के लिए नहीं हैं बल्कि इस पहल से पर्यावरण संतुलन बनाए रखने और जैव विविधता को बढ़ावा देने की दिशा में भी महत्वपूर्ण योगदान मिलेगा। उनका मानना है कि सांपों और मनुष्यों के बीच मित्रवत संबंध स्थापित करके हम पारिस्थितिकी तंत्र को सुदृढ़ कर सकते हैं जिससे समग्र पर्यावरण की रक्षा हो सकेगी।

सांपों के संरक्षण से पर्यावरण संतुलन

सांपों का पारिस्थितिकी तंत्र में महत्वपूर्ण स्थान है। वे छोटे कीटों और अन्य जीवों का शिकार करते हैं जिससे प्राकृतिक संसाधनों का संतुलन बना रहता है। सांपों की उपस्थिति से कीटों की संख्या नियंत्रित रहती है जिससे कृषि क्षेत्र में कीटों के हमले की संभावना कम होती है और कृषि उत्पादकता भी बढ़ती है। यदि सांपों का संरक्षण सही तरीके से किया जाए तो यह पूरे पारिस्थितिकी तंत्र के लिए लाभकारी साबित होगा।

इसके साथ ही सांपों के संरक्षण से स्थानीय समुदायों में पर्यावरणीय जागरूकता बढ़ेगी। लोग अब सांपों को एक खतरनाक प्राणी के रूप में नहीं बल्कि एक महत्वपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र के हिस्से के रूप में देखेंगे। इस तरह की जागरूकता से समाज में पर्यावरण संरक्षण के प्रति एक नया दृष्टिकोण विकसित होगा।

सीएम डॉ. मोहन यादव की पहल का प्रभाव

सीएम डॉ. मोहन यादव की यह पहल न केवल सांपों के संरक्षण के लिए है बल्कि यह पूरे राज्य और देश के पर्यावरण के लिए एक बड़ी क्रांतिकारी बदलाव का संकेत देती है। उनके इस कदम से उज्जैन की पहचान एक पर्यावरण मित्र नगरी के रूप में होगी जो सांपों और अन्य वन्य जीवों के संरक्षण में अपनी भूमिका निभाएगी। यह कदम उन लोगों के लिए एक प्रेरणा का स्रोत बनेगा जो पर्यावरणीय संरक्षण की दिशा में काम कर रहे हैं।

यह पहल उज्जैन को एक मिसाल बना सकती है जहां समाज और वन्य जीवों के बीच सामंजस्यपूर्ण संबंध स्थापित किया जा सकता है जिससे न केवल सांपों का संरक्षण होगा बल्कि पूरे पर्यावरण का संतुलन भी बनाए रखा जा सकेगा।