बढ़ते खर्च और घटती आय के बीच रूसी सरकार की कर्ज पर निर्भरता लगातार बढ़ रही है। हाल ही में रूसी सरकार ने बॉन्ड जारी कर करीब 108.9 अरब रूबल का कर्ज उठाया। इसके साथ ही 2025 में अब तक कुल कर्ज जारी करने का आंकड़ा 7.9 ट्रिलियन रूबल तक पहुंच चुका है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह आंकड़ा इस बात का संकेत है कि सरकार के पास बजट घाटा पाटने के लिए सीमित विकल्प रह गए हैं। रूस की एक और बड़ी चिंता उसका नेशनल वेल्थ फंड या आपातकालीन रिजर्व है। रिपोर्ट्स के मुताबिकइस रिजर्व का आधे से ज्यादा हिस्सा पहले ही खर्च हो चुका है। ऐसे में भविष्य में किसी बड़े आर्थिक झटके से निपटने की रूस की क्षमता कमजोर होती जा रही है। बजट घाटा लगातार बढ़ रहा है और इसकी मुख्य वजह सैन्य अभियानों पर हो रहा भारी खर्च माना जा रहा है।
आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले वर्षों में रूस के सामने कई और चुनौतियां खड़ी हो सकती हैं। अगर वैश्विक बाजार में तेल की कीमतें दबाव में रहींरूबल मजबूत बना रहा और आर्थिक विकास अनुमान से कम रहातो सरकार की मुश्किलें और बढ़ेंगी। मजबूत रूबल निर्यात को महंगा बना देता हैजिससे विदेशी मुद्रा कमाने में दिक्कत आती हैजबकि ऊंची ब्याज दरें कर्ज को और महंगा कर देती हैं।विश्लेषकों के अनुसारयदि तेल और गैस से होने वाली आय में और गिरावट आती है और ब्याज दरें लंबे समय तक ऊंची बनी रहती हैंतो रूस के सामने केवल तीन ही विकल्प बचेंगे। पहलासरकार टैक्स बढ़ा सकती हैजिससे आम जनता और उद्योगों पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। दूसरासामाजिक कल्याण और विकास से जुड़े अन्य जरूरी खर्चों में कटौती की जा सकती हैजिसका सीधा असर आम लोगों की जिंदगी पर पड़ेगा। तीसरा विकल्प है और अधिक कर्ज लेनाजो भविष्य में आर्थिक संकट को और गहरा कर सकता है।
विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि युद्ध ने रूस की अर्थव्यवस्था की संरचनात्मक कमजोरियों को उजागर कर दिया है। लंबे समय तक चले इस संघर्ष ने निवेशकों का भरोसा कमजोर किया है और विदेशी निवेश लगभग ठप हो चुका है। ऐसे में युद्ध के बाद भी रूस के लिए आर्थिक स्थिरता हासिल करना आसान नहीं होगा।कुल मिलाकरयूक्रेन युद्ध रूस के लिए सिर्फ सैन्य मोर्चे पर ही नहींबल्कि आर्थिक मोर्चे पर भी एक बड़ी चुनौती बन चुका है। विशेषज्ञों की चेतावनी साफ है-इस जंग की कीमत रूस को आने वाले कई वर्षों तक चुकानी पड़ सकती है।
