SIR विवाद के बीच ममता बनर्जी का भड़काऊ बयान विपक्ष ने साधा निशाना


नई दिल्ली । पश्चिम बंगाल में SIR प्रक्रिया को लेकर सियासी घमासान बढ़ता ही जा रहा है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का हालिया बयान इस विवाद में नया मोड़ लेकर आया है। ममता ने महिलाओं से अपील की कि वे वोटर लिस्ट की समीक्षा के दौरान यदि किसी का नाम हटाने की कोशिश की जाए तो रसोई के सामान के साथ तैयार रहें। उनका कहना था कि यदि दिल्ली से पुलिस भेजकर महिलाओं को डराने की कोशिश की गई तो वे किचन को हथियार बना सकती हैं। इस बयान ने सियासी हलकों में हलचल पैदा कर दी है और SIR विवाद को और हवा दी है।

ममता का बयान: महिलाओं को रसोई से चेतावनी

कृष्णानगर में आयोजित एक जनसभा में ममता बनर्जी ने वोटर लिस्ट की समीक्षा के मुद्दे पर कड़ा रुख अपनाया। उन्होंने महिलाओं से कहा कि अगर चुनाव के दौरान दिल्ली से पुलिस भेजकर उन्हें डराने की कोशिश की गई तो महिलाएं रसोई के सामानों के साथ तैयार रहें क्योंकि आवश्यकता पड़ने पर किचन भी हथियार बन सकता है। ममता का यह बयान सीधे तौर पर बीजेपी की कथित दबावकारी राजनीति पर हमला माना जा रहा है।

उनका कहना था कि महिलाएं इस लड़ाई में नेतृत्व करेंगी और पुरुष उनका समर्थन करेंगे। यह बयान उन आरोपों के संदर्भ में आया है जिसमें बीजेपी पर वोटर लिस्ट में गड़बड़ी और असहमति रखने वाले लोगों को डराने-धमकाने का आरोप लगाया जा रहा है। ममता बनर्जी का यह बयान बंगाल की राजनीतिक परिस्थितियों को और गर्म कर गया है जिससे राज्य में सियासी हलचल तेज हो गई है।

बीजेपी और ममता के बीच तकरार

ममता ने बीजेपी पर आरोप लगाया कि वह चुनावों में पैसे और बाहरी लोगों के सहारे समाज को बांटने की कोशिश करती है जो बंगाल की संस्कृति के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि बंगाल सदियों से सौहार्द और भाईचारे का प्रतीक रहा है और यहां दुर्गा पूजा से लेकर रमजान तक दोनों त्योहार मिल-जुलकर मनाए जाते हैं। ममता ने बीजेपी पर सांप्रदायिक राजनीति फैलाने का आरोप भी लगाया और सवाल किया कि क्या वे सच में भगवान कृष्ण की शिक्षाओं का पालन करते हैं जो शांति और मानवता की बात करते हैं न कि हिंसा और भेदभाव की।

केंद्र पर बड़ा आरोप: बंगालियों को बांग्लादेशी बताने की साजिश

ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार और केंद्रीय गृह मंत्री पर भी तीखे आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि SIR प्रक्रिया के तहत बंगालियों को बांग्लादेशी घोषित किया जा रहा है और उन्हें डिटेंशन सेंटर भेजने की साजिश की जा रही है। ममता ने चेतावनी दी कि अगर किसी बंगाली को जबरन राज्य से बाहर किया गया तो उनकी सरकार उसे वापस लाने का तरीका जानती है।

इस बयान ने राजनीतिक माहौल को और गर्म कर दिया है और ममता के आरोपों ने केंद्र सरकार को बैकफुट पर ला दिया है।ममता ने यह भी सवाल उठाया कि क्या अब उन्हें भी अपनी नागरिकता साबित करनी पड़ेगी जो राज्य में राजनीतिक तनाव को और गहरा करता है। उनके इस बयान ने SIR प्रक्रिया पर चल रही बहस को और तीव्र कर दिया है।

SIR विवाद पर सियासी घमासान

पश्चिम बंगाल में SIR प्रक्रिया को लेकर सियासी बयानबाजी तेज होती जा रही है। ममता बनर्जी इसे बंगालियों की पहचान और नागरिकता पर हमला मान रही हैं जबकि बीजेपी का कहना है कि यह केवल चुनावी पारदर्शिता और मतदाता सूची की शुद्धता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है। ममता बनर्जी का यह बयान केंद्र सरकार और बीजेपी के खिलाफ तीखा पलटवार है जो इसे चुनावी प्रक्रिया में सुधार मानते हैं।

सियासी विश्लेषकों का मानना है कि ममता के बयान ने SIR विवाद को और गहरा कर दिया है और अब यह मुद्दा केवल चुनावी पारदर्शिता तक सीमित नहीं रहेगा बल्कि राज्य में सांस्कृतिक और नागरिकता के सवालों से भी जुड़ जाएगा। ममता बनर्जी का यह बयान राजनीति में नई खींचतान का कारण बन सकता है और आने वाले दिनों में इस विवाद के और बढ़ने की संभावना है।

SIR विवाद ने पश्चिम बंगाल की राजनीति को और उबाल दिया है और ममता बनर्जी के हालिया भड़काऊ बयान ने राजनीतिक तनाव को और बढ़ा दिया है। बीजेपी और ममता के बीच का यह टकराव अब एक नई दिशा की ओर बढ़ रहा है जिससे राज्य की राजनीति में और भी उतार चढ़ाव आ सकते हैं। ममता का बयान न केवल SIR प्रक्रिया के संदर्भ में है बल्कि यह बंगाल की सांस्कृतिक पहचान और नागरिकता से जुड़े बड़े मुद्दों को भी छेड़ता है। अब देखना यह होगा कि यह विवाद किस दिशा में जाता है और राज्य की राजनीति में क्या नया मोड़ आता है।