अगर नाम काटे जाएँ… महिलाएँ आगे बढ़ें, पुरुष पीछे खड़े रहें
कृष्णानगर की सभा में ममता बनर्जी ने कहा,
अगर चुनाव के दौरान दिल्ली से पुलिस बुलाकर माताओं-बहनों को डराया जाएगा और आपके नाम वोटर लिस्ट से हटाए जाएँगे, तो इसे सहन मत करो। आपके किचन में हथियार हैं… महिलाएँ आगे बढ़ेंगी और पुरुष उनके पीछे खड़े होंगे।
उनके इस बयान को भाजपा ने भड़काऊ करार दिया है, जबकि तृणमूल समर्थक इसे जन अधिकार की लड़ाई बता रहे हैं।
बीजेपी पर सांप्रदायिक राजनीति का आरोप
सभा में ममता ने भाजपा पर तीखे शब्दों में हमला बोला। उन्होंने कहा,
बीजेपी हर चुनाव में पैसे और बाहरी लोगों का इस्तेमाल कर जनता को बांटती है। मैं धर्मनिरपेक्षता में विश्वास करती हूं। धर्म का मतलब पवित्रता, मानवता और शांति है-हिंसा या भेदभाव नहीं।
उन्होंने धार्मिक आयोजनों पर भी टिप्पणी की और कहा कि लोग जब घर में गीता का पाठ करते हैं या दिल में अल्लाह से दुआ करते हैं, तब इसका दिखावा करने की जरूरत नहीं होती।
क्या मुझे दंगाइयों की पार्टी को अपनी नागरिकता साबित करनी होगी?
NRC और SIR को लेकर केंद्र पर हमला बोलते हुए ममता बोलीं,
क्या अब मुझे दंगाइयों की पार्टी (बीजेपी) को अपनी नागरिकता साबित करनी पड़ेगी?
उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्रीय गृह मंत्री बंगालियों को बांग्लादेशी बताकर डिटेंशन सेंटर भेजने की कोशिश कर सकते हैं।
किसी को बंगाल से बाहर नहीं जाने देंगे
उन्होंने जोर देकर कहा,
हम किसी को पश्चिम बंगाल से बाहर नहीं निकालने देंगे। अगर किसी को जबरन निकाला गया, तो उसे वापस लाने का तरीका हम जानते हैं।
राजनीतिक माहौल गरम, SIR पर टकराव बढ़ा
SIR को लेकर पहले से ही विवाद चल रहा है। तृणमूल कांग्रेस कहती है कि यह बंगालियों को वोटर लिस्ट से हटाने की साजिश है, जबकि बीजेपी इसे पारदर्शिता और फर्जी वोटिंग खत्म करने की प्रक्रिया बताती है।
ममता का यह बयान आग में घी डालने जैसा माना जा रहा है।
