Author: bharati

  • मुल्लांपुर की शर्मनाक हार पर भड़के सूर्या, गिल को दी जिम्मेदारी, टीम की सबसे बड़ी चूक का किया खुलासा

    मुल्लांपुर की शर्मनाक हार पर भड़के सूर्या, गिल को दी जिम्मेदारी, टीम की सबसे बड़ी चूक का किया खुलासा


    नई दिल्ली। भारत और साउथ अफ्रीका के बीच मुल्लांपुर में खेले गए दूसरे टी20 मुकाबले में भारत को 51 रन से हार का सामना करना पड़ा। इस हार ने कप्तान सूर्यकुमार यादव को काफी निराश किया, जिन्होंने मैच के बाद अपनी टीम की नाकामी को स्वीकार किया। सूर्यकुमार यादव ने हार की मुख्य वजह टॉप ऑर्डर की नाकामी को बताया, और विशेष रूप से युवा ओपनर शुभमन गिल के जल्दी आउट होने पर गुस्सा जताया।

    कप्तान का गुस्सा: शुभमन गिल को दिया दोष

    कप्तान सूर्यकुमार यादव ने मैच के बाद कहा कि उन्हें और शुभमन गिल को अच्छी शुरुआत देनी चाहिए थी, जिससे टीम को मजबूती मिलती। गिल का पहली गेंद पर आउट होना कप्तान के लिए बेहद निराशाजनक था। सूर्या ने कहा, “मुझे और शुभमन को बेहतर शुरुआत देनी चाहिए थी। हर बार अभिषेक शर्मा से उम्मीद नहीं की जा सकती है। शुभमन की पहली गेंद पर आउट होना टीम के लिए बड़ा झटका था।” उन्होंने यह भी माना कि उनका और गिल का जल्दी आउट होना हार की प्रमुख वजह बनी।

    टॉस और रणनीति पर पछतावा

    सूर्यकुमार यादव ने टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी करने के फैसले को भी गलत ठहराया। उन्होंने कहा, “मुझे लगता है हमें पहले बल्लेबाजी करनी चाहिए थी। विकेट शुरुआती ओवरों में बल्लेबाजी के लिए अच्छा था, और हम इसका सही उपयोग नहीं कर पाए।” कप्तान ने गेंदबाजों की रणनीति पर भी सवाल उठाया, कहा कि उनकी टीम सही लेंथ पर गेंदबाजी करने में नाकाम रही, और साउथ अफ्रीका ने पावरप्ले में तेजी से रन बटोरने का फायदा उठाया।

    ओस का फायदा उठाने में नाकामी

    मुल्लांपुर में ओस होने के बावजूद भारतीय टीम दूसरी पारी में इसका फायदा नहीं उठा पाई। सूर्या ने कहा, “थोड़ी ओस थी, लेकिन हमारी योजना काम नहीं कर रही थी। हमें अपनी रणनीति में बदलाव करना चाहिए था, लेकिन हम ऐसा नहीं कर पाए।” यह हार टीम के लिए एक सीख थी, और सूर्या ने आगे सुधार की बात की।

    अक्षर पटेल की तारीफ, लेकिन टॉप ऑर्डर की नाकामी भारी पड़ी

    कप्तान सूर्यकुमार यादव ने निचले क्रम में अक्षर पटेल की तारीफ की, जिन्होंने अकेले संघर्ष किया, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि जब टॉप ऑर्डर फेल हो जाए, तो निचला क्रम मैच को पलटने में नाकाम रहता है। सूर्या ने कहा, “अक्षर ने अच्छी बल्लेबाजी की, लेकिन हमें शुरुआत में ही पारी को सेट करना चाहिए था। तभी चेज करना आसान होता।”

    सूर्यकुमार यादव का यह तीखा रिएक्शन साफ तौर पर दिखाता है कि टीम अगले मैच में अपनी रणनीति और प्लेइंग इलेवन में बड़े बदलाव करने की योजना बना सकती है। भारत सीरीज में वापसी करने के लिए हर हाल में जीत दर्ज करना चाहेगा।

  • 2025: 5 बड़ी राजनीतिक घटनाएँ जिन्होंने भारत की सियासत और समाज को बदल दिया

    2025: 5 बड़ी राजनीतिक घटनाएँ जिन्होंने भारत की सियासत और समाज को बदल दिया


    नई दिल्ली। साल 2025 भारतीय राजनीति के लिए कई बदलावों और महत्वपूर्ण घटनाओं का साल रहा। दिल्ली और बिहार के चुनावों से लेकर वक्फ संशोधन विधेयक और उपराष्ट्रपति चुनाव तक, इन घटनाओं ने न सिर्फ देश की राजनीतिक दिशा को प्रभावित किया, बल्कि विपक्ष और सरकार के बीच खींचतान को भी बढ़ावा दिया। आइए जानते हैं उन पांच अहम घटनाओं के बारे में, जिन्होंने भारतीय राजनीति का रंग और रुख बदल दिया।

    1. दिल्ली विधानसभा चुनाव (फरवरी 2025)

    2025 में दिल्ली की राजनीति में एक बड़े बदलाव ने सबको चौंका दिया। भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने आम आदमी पार्टी (AAP) को हराकर दो-तिहाई बहुमत हासिल किया। इस जीत ने दिल्ली में 10 साल तक सत्ता में रही केजरीवाल सरकार को सत्ता से बाहर किया और बीजेपी ने नए मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता को चुना। बीजेपी की यह जीत न केवल दिल्ली की सियासत में बदलाव लेकर आई, बल्कि विपक्षी एकता को भी बड़ा झटका दिया।

    2. वक्फ संशोधन विधेयक (अप्रैल 2025)

    अप्रैल में वक्फ संशोधन विधेयक 2025 को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच तीखी बहस हुई। यह विधेयक वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में सुधार लाने के लिए पेश किया गया था, लेकिन विपक्ष और मुस्लिम संगठनों ने इसे मुस्लिम धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला करार दिया। सरकार का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों में पारदर्शिता और जवाबदेही लाना था, लेकिन इसे लेकर विवाद बढ़ गया। इस विधेयक को पारित कराकर सरकार ने अपना रुख स्पष्ट किया, लेकिन यह मुद्दा आगामी चुनावों में गर्माता रहेगा।

    3. पहलगाम हमला और ऑपरेशन सिंदूर (अप्रैल-मई 2025)

    जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पाकिस्तानी समर्थित आतंकवादियों द्वारा 27 पर्यटकों की हत्या ने देश को झकझोर दिया। भारत ने इस हमले का जवाब देते हुए ऑपरेशन सिंदूर लॉन्च किया, जिसमें भारतीय वायु सेना ने पाकिस्तान के अंदर आतंकी ठिकानों को तबाह किया। हालांकि, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दबाव में भारत ने 10 मई को अचानक इस ऑपरेशन को रोक दिया, जिससे कूटनीतिक संकट पैदा हुआ। इस मुद्दे पर विपक्ष ने सरकार को घेरा और आरोप लगाया कि यह निर्णय अमेरिकी दबाव में लिया गया था।

    4. उपराष्ट्रपति चुनाव (सितंबर 2025)

    14वें उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए कार्यकाल के बीच इस्तीफा दे दिया, जिससे राजनीति में हलचल मच गई। सरकार ने सीपी राधाकृष्णन को उपराष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार घोषित किया, और उन्होंने 452 वोट प्राप्त कर बी सुदर्शन रेड्डी को हराया। यह चुनाव न केवल उपराष्ट्रपति पद का अहम फैसला था, बल्कि सरकार की ताकत और विपक्ष की कमजोरी को भी दर्शाता है।

    5. बिहार विधानसभा चुनाव (अक्टूबर-नवंबर 2025)

    बिहार विधानसभा चुनाव ने भारतीय राजनीति में एक नई दिशा तय की। एनडीए (नीतीश कुमार) और महागठबंधन (तेजस्वी यादव) के बीच यह मुकाबला था। एनडीए ने 202 सीटों के साथ भारी जीत हासिल की, जिसमें बीजेपी ने 89 सीटें और जेडीयू ने 85 सीटें जीतीं। वहीं, महागठबंधन को केवल 30 सीटें ही मिलीं, जिससे विपक्षी गठबंधन में गहरी दरारें पैदा हुईं। इस परिणाम ने न केवल बिहार में सत्ता को बनाए रखा, बल्कि नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री के रूप में फिर से स्थापित किया और 2029 के लोकसभा चुनावों की दिशा तय कर दी।

    साल 2025 ने भारतीय राजनीति को कई अहम मोड़ों से गुजरते हुए नया आकार दिया। इन घटनाओं ने न केवल सत्तारूढ़ दलों को नई दिशा दी, बल्कि विपक्ष की रणनीति और एकजुटता को भी परख लिया। आगामी चुनावों में इन घटनाओं के प्रभाव को महसूस किया जाएगा, जो भारतीय राजनीति के अगले अध्याय का निर्धारण करेंगे।

  • यूपी में पेंशनरों के लिए बड़ा कदम: पेंशन और एरियर का भुगतान अब अलग-अलग होगा

    यूपी में पेंशनरों के लिए बड़ा कदम: पेंशन और एरियर का भुगतान अब अलग-अलग होगा


    नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश सरकार ने चित्रकूट कोषागार घोटाले के बाद पेंशन और पेंशन एरियर के भुगतान में सुधार करने का बड़ा फैसला लिया है। अब पेंशन और एरियर का भुगतान अलग-अलग सॉफ्टवेयर लिंक से जनरेट किया जाएगा, जिससे भुगतान प्रक्रिया को अधिक सुरक्षित और पारदर्शी बनाया जा सके। इस कदम का उद्देश्य भविष्य में किसी भी प्रकार की हेराफेरी और धोखाधड़ी को रोकना है।

    चित्रकूट कोषागार घोटाले का खुलासा और सख्त कदम

    चित्रकूट कोषागार में 43.13 करोड़ रुपये के घोटाले के बाद सरकार ने यह फैसला लिया है। इस घोटाले में एक वरिष्ठ लिपिक द्वारा सॉफ्टवेयर में हेरफेर करके फर्जी तरीके से करोड़ों रुपये ट्रांसफर किए गए थे। घोटाले के खुलासे के बाद सरकार ने एनआईसीएस सॉफ्टवेयर को नए ढांचे में विकसित करने का निर्णय लिया है। अब पेंशन और एरियर के बिल अलग-अलग लिंक से जनरेट होंगे और दोनों भुगतान समूहों को अलग पहचान देने के लिए अतिरिक्त जानकारी जोड़ी जाएगी।

    कोषागारों में विशेष जांच और सुरक्षा

    इस नई व्यवस्था से पेंशन और एरियर का भुगतान पारदर्शी होगा और किसी एक खाते में गलत तरीके से रकम ट्रांसफर होने की संभावना भी कम होगी। जिलाधिकारियों और कोषाधिकारियों को इस संबंध में आदेश जारी कर दिए गए हैं। इसके अलावा, सरकार ने 93 पेंशनरों की सूची तैयार की है जिनके खाते में गलत तरीके से पैसे ट्रांसफर किए गए थे। इन खातों की विशेष जांच की जा रही है और 24 जिलों के कोषागारों में ऑडिट भी कराया जाएगा।

    नई व्यवस्था से वित्तीय पारदर्शिता

    सरकार ने इस नई व्यवस्था से यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया है कि पेंशन एरियर के भुगतान में हेराफेरी की कोई गुंजाइश न हो। इससे पेंशनरों को मिलने वाली राशि का भुगतान अधिक सुरक्षित और न्यायसंगत तरीके से किया जा सकेगा। यह कदम वित्तीय प्रणाली में पारदर्शिता लाएगा और पेंशनरों के अधिकारों की रक्षा करेगा।

    चित्रकूट कोषागार घोटाले के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने पेंशन और एरियर भुगतान को अलग-अलग सॉफ्टवेयर लिंक से जनरेट करने का फैसला लिया है। यह कदम पेंशन प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और सुरक्षित बनाएगा, जिससे भविष्य में किसी प्रकार की वित्तीय धोखाधड़ी को रोका जा सकेगा।

  • मोदी सरकार का बड़ा फैसला: 2027 जनगणना के लिए 11,718 करोड़ का बजट मंजूर, किसानों को भी राहत

    मोदी सरकार का बड़ा फैसला: 2027 जनगणना के लिए 11,718 करोड़ का बजट मंजूर, किसानों को भी राहत


    नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में शुक्रवार (12 दिसंबर 2025) को हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में तीन अहम फैसले लिए गए हैं। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इन फैसलों का ऐलान करते हुए कहा कि सरकार ने 2027 की जनगणना के लिए 11,718 करोड़ रुपये का बजट मंजूर किया है। इसके साथ ही कोल (कोयला) सेक्टर में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए एक बड़ा रिफॉर्म किया गया और किसानों से जुड़े एक महत्वपूर्ण फैसले का भी ऐलान किया गया।

    डिजिटल जनगणना का ऐतिहासिक फैसला

    अश्विनी वैष्णव ने बताया कि 2027 की जनगणना पहली बार डिजिटल रूप में आयोजित की जाएगी, जिसमें डेटा सुरक्षा का विशेष ध्यान रखा जाएगा। यह जनगणना दो चरणों में की जाएगी। पहले चरण में 1 अप्रैल से सितंबर 2026 तक हाउस लिस्टिंग और हाउसिंग सेंसस होगा, और दूसरे चरण में फरवरी 2027 में जनसंख्या गणना की जाएगी। इस बार डिजिटल जनगणना में डेटा कलेक्शन के लिए मोबाइल एप्लिकेशन का इस्तेमाल किया जाएगा, जो हिंदी, इंग्लिश और क्षेत्रीय भाषाओं में उपलब्ध होगा। इस कदम से जनगणना प्रक्रिया में तेजी आएगी और डेटा संग्रहण को अधिक पारदर्शी और सुरक्षित बनाया जाएगा।

    कोल सेक्टर में आत्मनिर्भरता की ओर बड़ा कदम

    मंत्री ने बताया कि कोल सेतु नामक योजना के तहत भारत अब कोयला उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में अग्रसर है। इससे भारत की कोयला आयात पर निर्भरता खत्म हो रही है, जिससे 60 हजार करोड़ रुपये की बचत होगी। 2024-25 में भारत ने 1 बिलियन टन कोल प्रोडक्शन का लक्ष्य हासिल किया है, जो देश की ऊर्जा आत्मनिर्भरता को मजबूत करेगा।

    किसानों के लिए राहत: एक और बड़ा फैसला

    सरकार ने किसानों से जुड़े एक महत्वपूर्ण फैसले का भी ऐलान किया है, हालांकि इसके विवरण का अभी खुलासा नहीं किया गया है। इससे किसानों को फसल उगाने और उनकी आय को बढ़ाने में मदद मिल सकती है। कृषि क्षेत्र में सुधार और किसानों की बेहतरी के लिए सरकार लगातार कदम उठा रही है।

    प्रधानमंत्री मोदी की सरकार ने 2027 की डिजिटल जनगणना के लिए 11,718 करोड़ रुपये का बजट मंजूर किया है, जो जनगणना प्रक्रिया को तेज और पारदर्शी बनाएगा। साथ ही कोल सेक्टर में आत्मनिर्भरता के लिए उठाए गए कदम से देश की ऊर्जा सुरक्षा को नया आयाम मिलेगा। किसानों से जुड़े फैसले ने भी उनकी स्थिति में सुधार की दिशा में सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाया है।

  • CJI चंद्रचूड़: 'सोचना भी नहीं कोई मुझे डरा-धमका सकता है' – पूर्व सांसद की याचिका पर क्यों कहना पड़ा यह

    CJI चंद्रचूड़: 'सोचना भी नहीं कोई मुझे डरा-धमका सकता है' – पूर्व सांसद की याचिका पर क्यों कहना पड़ा यह


    नई दिल्ली। मुख्य न्यायाधीश सीजेआई सुर्यकांत ने कोर्ट में लंबित मामलों के दौरान हो रही टिप्पणियों को लेकर गंभीर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि सुनवाई के दौरान जजों द्वारा किए गए सवालों और टिप्पणियों को अक्सर गलत तरीके से प्रस्तुत किया जाता है और सोशल मीडिया पर नैरेटिव बनाकर लोगों में भ्रम फैलाया जाता है।यह टिप्पणी उन्होंने पूर्व सांसद प्रज्जवल रेवन्ना की याचिका की सुनवाई के दौरान की। रेवन्ना ने अपने खिलाफ रेप मामलों के ट्रायल्स को ट्रांसफर करने का अनुरोध किया था। उनके वकीलों सिद्धार्थ लूथरा और सिद्धार्थ दवे ने ट्रायल्स के दौरान जजों की टिप्पणियों का हवाला देते हुए कहा कि कुछ आपत्तिजनक टिप्पणियां की गई हैंजिन्हें रिकॉर्ड से हटाना आवश्यक है। उन्होंने इसे पक्षपात का आधार बताते हुए ट्रायल ट्रांसफर की मांग की।

    सीजेआई सूर्यकांत के साथ सुनवाई में जस्टिस जॉयमाल्या बागची भी मौजूद थे। जस्टिस बागची ने स्पष्ट किया कि जज की टिप्पणियां पक्षपात का आधार नहीं बन सकतीं। बेंच ने कहा कि जज केवल वर्तमान मुकदमे में पेश सबूतों के आधार पर ही निर्णय देंगे और पहले मामले में दोषी पाए जाने का इससे कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत ने कहा कि कोर्ट में पूछे गए सवाल केवल दोनों पक्षों की ताकत और दलीलों की जाँच के लिए होते हैं और ये अंतिम निर्णय को नहीं दर्शाते। लेकिन लोग बिना समझे इन सवालों या टिप्पणियों को आधार बनाकर नतीजे पर पहुँच जाते हैं। उन्होंने जोर देकर कहामैं सोशल मीडिया या किसी भी दबाव से प्रभावित नहीं होता। अगर किसी को लगता है कि वे मुझे डराकर प्रभावित कर सकते हैं तो वे गलत हैं। मैं बहुत मजबूत आदमी हूं।

    यह टिप्पणी उस ओपन लेटर पर उनकी प्रतिक्रिया के तौर पर भी देखी जा रही हैजिसमें पूर्व जजोंवकीलों और कार्यकर्ताओं ने उनके रोहिंग्या शरणार्थियों पर दिए गए बयान पर आपत्ति जताई थी। इस मामले में सीजेआई ने सवाल किया था कि क्या घुसपैठियों का रेड कार्पेट बिछाकर स्वागत करना चाहिए। उन्होंने यह सवाल हिरासत में लिए गए रोहिंग्याओं के लापता होने के मामले पर सुनवाई के दौरान किया था।सीजेआई ने कहा था कि अगर कोई देश में घुसपैठ कर ले और नागरिकों जैसे अधिकार मांगने लगे तो इसे कैसे स्वीकार किया जा सकता है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि न्यायिक सवाल और टिप्पणियां न्यायिक प्रक्रिया का हिस्सा हैं और इन्हें गलत अर्थ न लगाया जाए।मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत की यह टिप्पणी दर्शाती है कि न्यायपालिका किसी बाहरी दबाव या सोशल मीडिया की प्रतिक्रिया से प्रभावित नहीं होतीऔर जज केवल सबूत और कानून के आधार पर निर्णय लेते हैं।

  • सीएम डॉ. मोहन यादव ने दो साल की उपब्धियां साझा कीलॉ एंड ऑर्डर सुधार पर जोर

    सीएम डॉ. मोहन यादव ने दो साल की उपब्धियां साझा कीलॉ एंड ऑर्डर सुधार पर जोर


    भोपाल । मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की सरकार को दो साल पूरे हो गए हैं। इस अवसर पर बुधवार को भोपाल में एक पत्रकारवार्ता का आयोजन किया गयाजिसमें मुख्यमंत्रीडिप्टी सीएम जगदीश देवड़ा और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल ने सरकार की विभिन्न उपलब्धियों का उल्लेख किया। इस दौरान मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सरकार द्वारा किए गए कार्यों का रिपोर्ट कार्ड प्रस्तुत करते हुए भविष्य के लिए सरकार के लक्ष्य को भी साझा किया।

    मुख्यमंत्री ने बताया कि उनकी सरकार ने दो वर्षों में महत्वपूर्ण योजनाओं पर काम कियाजिनमें जल प्रबंधन और लॉ एंड ऑर्डर सुधार सबसे प्रमुख रहे। विशेष रूप से पार्वतीकालीसिंधचंबलकेन-बेतवा और ताप्ती नदी जोड़ो परियोजनाओं को लेकर उन्होंने कहा कि यह योजनाएं नए युग की शुरुआत हैंजो प्रदेश के जल संकट को दूर करने में मददगार साबित होंगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह योजनाएं न सिर्फ जल प्रबंधन में सुधार करेंगीबल्कि प्रदेश की कृषि और सिंचाई के क्षेत्र में भी क्रांतिकारी बदलाव लाएंगी।

    मुख्यमंत्री की प्रमुख घोषणाएं

    क्षिप्रा जल योजना

    मुख्यमंत्री ने 800 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित हो रही क्षिप्रा योजना का उल्लेख कियाजिसके तहत अब क्षिप्रा नदी का जल प्रयोग कर स्नान की सुविधा उपलब्ध होगी। यह योजना धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

    नदी जोड़ो परियोजना

    गंभीर और खान नदी को जोड़कर एक नई परियोजना बनाई गई हैजिसमें नदी के नीचे टनल बनाकर सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराया जाएगा। यह परियोजना प्रदेश में कृषि क्षेत्र को समृद्ध करने का एक महत्वपूर्ण कदम है।

    लॉ एंड ऑर्डर सुधार

    सीएम ने कहा कि उनके सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति थी। विशेष रूप से माओवादियों का आतंक मध्यप्रदेश के कुछ क्षेत्रों में व्याप्त था। मुख्यमंत्री ने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने माओवादियों के खात्मे के लिए एक ठोस लक्ष्य तय कियाऔर इसके बाद मंडलाबालाघाटडिंडोरी जैसे जिलों में माओवादियों का आतंक खत्म हुआ। इन जिलों को अब लाल आतंक से मुक्त किया गया है।

    सरकार की आगामी योजनाएं

    मुख्यमंत्री ने दो साल की समीक्षा के बाद आगामी तीन वर्षों के लिए एक व्यापक कार्य योजना बनाई है। इस कार्य योजना में मंत्री विभागवार प्रेजेंटेशन देंगेजिससे हर विभाग के कार्यों और योजनाओं का लक्ष्य तय किया जाएगा।

    सीएम ने कहा कि उनकी सरकार ने विकास के हर क्षेत्र में सुधार किया हैऔर वे आगामी वर्षों में और अधिक विकास कार्यों को मूर्त रूप देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने किसानोंयुवाओंमहिलाओं और अन्य वर्गों के लिए भी योजनाओं की घोषणा कीजिनसे प्रदेश में समग्र विकास सुनिश्चित होगा।

    सीएम डॉ. मोहन यादव के अनुसारउनकी सरकार ने दो वर्षों में कई ऐतिहासिक कार्य किए हैंजिनका लाभ प्रदेशवासियों को मिलने वाला है। जल प्रबंधन और लॉ एंड ऑर्डर में सुधारदोनों ही मामलों में सरकार ने महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। साथ हीआने वाले वर्षों में सरकार का लक्ष्य प्रदेश के हर क्षेत्र में समृद्धि लाना और माओवाद जैसी समस्याओं का पूरी तरह से समाधान करना है।

  • रतलाम मंडी में प्याज की छटनी को लेकर किसान-व्यापारी के बीच विवादनीलामी हुई रद्द

    रतलाम मंडी में प्याज की छटनी को लेकर किसान-व्यापारी के बीच विवादनीलामी हुई रद्द


    रतलाम । रतलाम के महू रोड स्थित कृषि उपज मंडी में गुरुवार सुबह एक बड़ा विवाद हुआ। प्याज की नीलामी के बाद छटनी के दौरान किसान और व्यापारी के बीच तीखी बहस और गाली-गलौज हुईजिससे स्थिति बिगड़ गई। इस विवाद ने मंडी में कामकाज ठप कर दिया और सभी व्यापारियों ने नीलामी रोकने का फैसला किया। नीलामी रुकने से मंडी में हलचल मच गई और व्यापारियों ने अपना विरोध मंडी सचिव के पास पहुंचकर दर्ज कराया।

    यह घटना करीब 11 बजे हुई जब प्याज की नीलामी के बाद छटनी की प्रक्रिया शुरू हुई। सांवरिया ट्रेडर्स डीएम में व्यापारी और किसान के बीच प्याज की गुणवत्ता और मूल्य को लेकर मतभेद उत्पन्न हुए। गाली-गलौज तक पहुंचने के बाद व्यापारियों ने नीलामी रोक दी और विरोध जताया।

    सूत्रों के अनुसारकिसान ने बाद में अपने व्यवहार के लिए माफी भी मांगीलेकिन व्यापारी इस मामले में संतुष्ट नहीं हुए। उन्होंने मंडी सचिव के कार्यालय पहुंचकर इस विवाद को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर की। इस दौरान मंडी सचिव लक्ष्मी भंवर और अन्य अधिकारी इस विवाद को शांत करने के लिए दोनों पक्षों को समझाने की कोशिश करते रहे।

    इस मामले मेंव्यापारी और किसान के बीच पारदर्शी और उचित व्यापारिक प्रथाओं की आवश्यकता को लेकर सवाल उठे हैं। छटनी के दौरान उचित व्यवहार और सम्मान का अभाव होने के कारण विवाद की स्थिति उत्पन्न हुई। हालांकिमंडी प्रशासन ने स्थिति को सामान्य बनाने के लिए प्रयास जारी रखा।

    मंडी अधिकारियों का प्रयास

    मंडी सचिव लक्ष्मी भंवर ने किसान और व्यापारियों को शांत करने और आपसी तालमेल स्थापित करने के लिए कई बार संवाद का प्रयास किया। अधिकारियों ने भी इस मुद्दे पर विचार करते हुए किसानों और व्यापारियों के बीच समझौता करने की कोशिश की। हालांकिस्थिति कुछ समय तक तनावपूर्ण रहीलेकिन मंडी अधिकारियों की कोशिशों से अंततः कुछ हद तक स्थिति पर काबू पाया गया।

    मंडी के कामकाज पर असर

    इस विवाद का असर मंडी के सामान्य कामकाज पर पड़ा। नीलामी रुकने से कई व्यापारियों और किसानों को आर्थिक नुकसान हुआसाथ ही समय भी नष्ट हुआ। इस तरह के विवादों से न केवल मंडी की छवि पर बुरा असर पड़ता हैबल्कि किसानों और व्यापारियों के बीच आपसी विश्वास भी कमजोर होता है।

    भविष्य में समाधान की आवश्यकता

    इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि मंडी में पारदर्शिता और उचित व्यापारिक प्रक्रिया की जरूरत है। किसान और व्यापारी दोनों के लिए एक ऐसे माहौल की आवश्यकता हैजिसमें उनके अधिकार और जिम्मेदारियां स्पष्ट हों और वे एक दूसरे के साथ सम्मानजनक तरीके से पेश आएं।

    इसके अलावामंडी प्रशासन को इस तरह के विवादों से बचने के लिए ठोस कदम उठाने होंगेताकि भविष्य में इस प्रकार के विवादों का सामना न करना पड़े। समय रहते यदि उचित कदम नहीं उठाए गएतो ऐसी घटनाएं किसानों और व्यापारियों के बीच और मंडी के कामकाज में और समस्याएं पैदा कर सकती हैं।

    रतलाम मंडी में प्याज की नीलामी को लेकर हुए विवाद ने एक बार फिर यह दिखा दिया कि किसानों और व्यापारियों के बीच आपसी तालमेल कितना महत्वपूर्ण है। मंडी प्रशासन को इस मुद्दे को लेकर जल्द से जल्द समाधान ढूंढना होगाताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सके और मंडी में कामकाज को सुचारु रूप से चलाया जा सके।

  • दिल्ली में जिलों की संख्या 11 से बढ़कर 13: प्रशासनिक कामकाज होगा तेज, पारदर्शी और जनता-केंद्रित

    दिल्ली में जिलों की संख्या 11 से बढ़कर 13: प्रशासनिक कामकाज होगा तेज, पारदर्शी और जनता-केंद्रित

    नई दिल्ली में शासन-प्रशासन का ढांचा अब बड़े सुधार की दिशा में कदम बढ़ा रहा है। राजधानी की बढ़ती आबादी बढ़ते प्रशासनिक बोझ और बदलते शहरी ढांचे को देखते हुए दिल्ली कैबिनेट ने ऐतिहासिक फैसला लेते हुए जिलों की संख्या 11 से बढ़ाकर 13 कर दी है। सरकार का दावा है कि इस बदलाव से सरकारी कामकाज में तेजी आएगी और जनता को सेवाओं तक आसान पहुँच मिलेगी। नई जिला संरचना का सबसे बड़ा लाभ यह है कि अब जिलों की सीमाएं MCD के जोनों के अनुरूप होंगी। इससे पहले जिले और निगम जोनों की सीमाएं अलग होने के कारण आम लोगों को भ्रम होता था कि किसी काम की जिम्मेदारी किस विभाग की है। नए ढांचे से विभागों के बीच तालमेल बढ़ेगा प्रशासनिक कामकाज तेज होगा और नागरिकों को समय पर सेवाएं मिलेंगी।

    नए जिले और प्रशासनिक बदलाव

    पुरानी दिल्ली जिला अब ‘सदर जोन’ की जगह लेगी जिससे ऐतिहासिक और घनी आबादी वाले क्षेत्रों का प्रबंधन आसान होगा। ईस्ट और नॉर्थ ईस्ट जिलों का पुनर्गठन कर शाहदरा नॉर्थ और शाहदरा साउथ बनाए गए हैं। बड़े नॉर्थ दिल्ली जिले को सिविल लाइन्स और पुरानी दिल्ली में बांटा गया है। इसके अलावा नजफगढ़ को स्वतंत्र जिला घोषित किया गया है जो पहले साउथ वेस्ट दिल्ली का हिस्सा था। इस पुनर्गठन में जनसंख्या ट्रैफिक दबाव और प्रशासनिक कार्यभार को ध्यान में रखा गया है।

    जनता को मिलेगा सबसे बड़ा फायदा

    नई जिला व्यवस्था से लोगों को सरकारी सेवाओं के लिए लंबी दूरी तय नहीं करनी पड़ेगी। प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन लैंड रिकॉर्ड जाति/निवास/आय प्रमाणपत्र म्यूटेशन और शिकायत निवारण जैसी सेवाएं अब आसानी से नज़दीकी दफ्तरों से उपलब्ध होंगी। छोटे जिलों और मिनी सेक्रेटेरिएट के माध्यम से वन-स्टॉप सुविधा मिलेगी जिससे भीड़ कम होगी और काम तेजी से होगा।

    सर्विस डिलीवरी में सुधार और पारदर्शिता

    छोटे प्रशासनिक क्षेत्र और स्पष्ट जिम्मेदारियों से फाइलों का निपटारा तेज होगा भ्रष्टाचार पर रोक लगेगी और ऑनलाइन सेवाओं की दक्षता बढ़ेगी। नई संरचना में 33 सब-डिवीज़न बढ़कर 39 हो गए हैं जिससे लैंड रिकॉर्ड डिजिटाइजेशन और म्यूटेशन प्रक्रियाओं में तेजी आएगी। मिनी सेक्रेटेरिएट में सब-रजिस्ट्रार ऑफिस राजस्व रिकॉर्ड विभाग और पब्लिक सर्विस सेंटर शामिल होंगे।

    पुरानी उलझन खत्म प्रशासनिक जवाबदेही बढ़ी
    पहले विभागों और निगम जोनों की सीमाओं का मेल न होने से कई बार फाइलें कई दिनों तक अटकी रहती थीं। नए ढांचे में जिलों को MCD जोनों के अनुरूप जोड़कर अधिकार क्षेत्र स्पष्ट किए गए हैं। इसके परिणामस्वरूप विभागों के बीच तालमेल बढ़ा परियोजनाओं के अनुमोदन में तेजी आई और नागरिक समस्याओं का समाधान सरल हुआ।

    दिल्ली प्रशासन अब तेज पारदर्शी और जनता-केंद्रित

    जिलों की संख्या बढ़ाने से प्रशासनिक इकाइयाँ अधिक सटीक और प्रभावी हो गई हैं। सरकार का अनुमान है कि इससे सेवाएं समय पर मिलेंगी फाइलों का निपटारा तेज होगा और राजधानी का प्रशासन अधिक कुशल और जवाबदेह बनेगा। आने वाले वर्षों में यह सुधार दिल्ली को स्मार्ट गवर्नेंस मॉडल और आधुनिक प्रशासनिक ढांचे की दिशा में अग्रसर करेगा।

  • नए साल में MP के बिजली उपभोक्ताओं को लग सकता है बड़ा झटकाबिजली दरों में 10% तक बढ़ोतरी की योजना

    नए साल में MP के बिजली उपभोक्ताओं को लग सकता है बड़ा झटकाबिजली दरों में 10% तक बढ़ोतरी की योजना

    जबलपुर। मध्यप्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं के लिए नया वित्तीय वर्ष 2026-27 महंगा साबित हो सकता है। बिजली कंपनियों ने राज्य विद्युत नियामक आयोग को बिजली दरों में 10 प्रतिशत तक बढ़ोतरी का प्रस्ताव दिया हैजिसे मंजूरी मिलने पर उपभोक्ताओं को बिजली के बिलों में बढ़ोतरी का सामना करना पड़ सकता है। पावर मैनेजमेंट कंपनी ने विद्युत नियामक आयोग के पास टैरिफ पिटिशन दाखिल की हैजो अब सुनवाई के बाद तय करेगा कि दरों में कितनी वृद्धि की जाएगी।

    पावर कंपनी ने प्रस्ताव में करीब 42,000 करोड़ रुपये का घाटा बताया है और इस घाटे को कम करने के लिए दरों में वृद्धि की योजना बनाई है। विद्युत आयोग को यह पिटिशन 15 दिसंबर तक सार्वजनिक करने की संभावना हैऔर इसके बाद आम जनता से आपत्ति भी ली जाएगी। यदि इस पर कोई आपत्ति नहीं आतीतो आयोग इसकी मंजूरी दे सकता है।

    घाटे का आंकड़ा

    पावर मैनेजमेंट कंपनी के सीजीएम रेवेन्यु शैलेंद्र सक्सेना ने पुष्टि की कि आयोग को पिटिशन दी गई हैलेकिन उन्होंने फिलहाल यह खुलासा नहीं किया कि बढ़ोतरी का प्रस्ताव कितना प्रतिशत हो सकता है। हालांकिएक अधिकारी ने बताया कि प्रस्ताव में मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी करीब 18,712 करोड़ रुपये के घाटे में हैपूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी 16,378 करोड़ रुपये और पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी 7,285 करोड़ रुपये के घाटे में चल रही हैं। इन घाटों को पूरा करने के लिए बिजली दरों में बढ़ोतरी की योजना बनाई जा रही है।

    सम्भावित प्रभाव

    अगर यह प्रस्ताव लागू होता हैतो यह मध्यप्रदेश के लाखों बिजली उपभोक्ताओं के लिए भारी पड़ सकता है। खासतौर पर वे उपभोक्ता जो घरेलू उपयोग के लिए बिजली का खर्च उठाते हैंउन्हें इसके असर से जूझना पड़ेगा। इस प्रस्ताव से पहले ही बिजली दरों में मामूली वृद्धि हो चुकी हैऔर अब अगर दरें और बढ़ती हैं तो उपभोक्ताओं पर वित्तीय बोझ और बढ़ जाएगा।

    इसके बावजूदबिजली कंपनियों का कहना है कि बढ़ोतरी का मुख्य उद्देश्य कंपनियों के घाटे को कम करना और वित्तीय स्थिति को स्थिर बनाना है। हालांकिइससे जुड़ी असंतोष की स्थिति भी बन सकती हैऔर उपभोक्ताओं को इस बारे में अपनी आपत्तियां उठाने का मौका मिलेगा।

    मध्यप्रदेश में बिजली दरों में बढ़ोतरी की यह योजना कई उपभोक्ताओं के लिए नई चुनौतियां ला सकती है। खासकर सर्दियों के मौसम में जहां पहले से ही अन्य खर्चे बढ़ जाते हैंऐसे में बिजली दरों में वृद्धि के फैसले से आम लोगों के बजट पर और असर पड़ सकता है। फिलहालसभी की निगाहें इस पिटिशन पर हैंऔर यह देखना होगा कि आयोग इसके बाद क्या निर्णय लेता है।

  • जबलपुर के गांवों में मगरमच्छों की धूप सेंकने की घटना से मची दहशतवन विभाग की टीम की ढिलाई पर सवाल

    जबलपुर के गांवों में मगरमच्छों की धूप सेंकने की घटना से मची दहशतवन विभाग की टीम की ढिलाई पर सवाल


    जबलपुर । इन दिनों जबलपुर में पड़ रही कड़ाके की ठंड ने न केवल मानव जीवन को प्रभावित किया हैबल्कि वन्य प्राणियों के लिए भी समस्याएं पैदा कर दी हैं। जलचर प्राणीविशेष रूप से मगरमच्छठंड से राहत पाने के लिए धूप सेंकने की आदत बना रहे हैं। यह अद्भुत दृश्य जबलपुर जिले के परियट जलाशय से लगे गांवों में देखा जा रहा मटामरघानारिठौरीपिपरिया और आसपास की कालोनियों में मगरमच्छों का आना बढ़ गया हैजिससे ग्रामीणों में डर का माहौल बन गया है।

    परियट जलाशय मगरमच्छों के लिए एक प्राकृतिक निवास स्थान बन चुका है। इस क्षेत्र में लगभग 1000 मगरमच्छ रहते हैंऔर इनकी संख्या समय के साथ बढ़ी है। ये जलचरजो आमतौर पर जल में रहते हैंअब ठंड से बचने के लिए धूप में आराम करने निकल आते हैं। परियट नदी में मगरमच्छों की अधिकता के कारण वे शिकार की तलाश में और अपने निवास स्थान से बाहर भी भटकने लगे हैं। अब ये मगरमच्छ गांवों के नजदीक आकर मानव बस्तियों तक पहुंच रहे हैंजो लोगों के लिए एक बड़ा खतरा बन चुका है।

    इन मगरमच्छों ने पहले कुछ पालतू जानवरों पर हमले किए हैंजिनमें श्वान और मवेशी शामिल हैं। हालांकिअभी तक किसी मनुष्य पर हमला नहीं हुआ हैलेकिन स्थानीय लोग इस खतरे को लेकर बेहद चिंतित हैं। कई बार गांवों के सरपंचों ने वन विभाग से इस समस्या का समाधान निकालने के लिए अपील की हैलेकिन वन विभाग की टीम की तरफ से कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। वे केवल रेस्क्यू का आश्वासन देकर अपना काम निपटा लेते हैंजबकि समस्या लगातार बढ़ती जा रही है।

    वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि वे जल्द ही इस स्थिति से निपटने के लिए कदम उठाएंगेलेकिन अब तक इस पर कोई विशेष ध्यान नहीं दिया गया है। इस खतरनाक स्थिति में वन विभाग की ढिलाई पर सवाल उठने लगे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि अगर समय रहते इस समस्या का हल नहीं निकाला गयातो यह स्थिति और भी गंभीर हो सकती है।

    मगरमच्छों के बढ़ते खतरे को लेकर विशेषज्ञों का मानना है कि इंसानी दखल की वजह से इनका प्राकृतिक निवास क्षेत्र घटता जा रहा हैजिसके कारण वे रहवासी इलाकों में घुसने लगे हैं। इस समस्या का समाधान वन विभाग के समुचित और तत्काल प्रयासों में हैलेकिन सवाल यह उठता है कि क्या वन विभाग जल्द इस मुद्दे पर कोई ठोस कदम उठाएगा