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  • दिल्ली में जिलों की संख्या 11 से बढ़कर 13: प्रशासनिक कामकाज होगा तेज, पारदर्शी और जनता-केंद्रित

    दिल्ली में जिलों की संख्या 11 से बढ़कर 13: प्रशासनिक कामकाज होगा तेज, पारदर्शी और जनता-केंद्रित

    नई दिल्ली में शासन-प्रशासन का ढांचा अब बड़े सुधार की दिशा में कदम बढ़ा रहा है। राजधानी की बढ़ती आबादी बढ़ते प्रशासनिक बोझ और बदलते शहरी ढांचे को देखते हुए दिल्ली कैबिनेट ने ऐतिहासिक फैसला लेते हुए जिलों की संख्या 11 से बढ़ाकर 13 कर दी है। सरकार का दावा है कि इस बदलाव से सरकारी कामकाज में तेजी आएगी और जनता को सेवाओं तक आसान पहुँच मिलेगी। नई जिला संरचना का सबसे बड़ा लाभ यह है कि अब जिलों की सीमाएं MCD के जोनों के अनुरूप होंगी। इससे पहले जिले और निगम जोनों की सीमाएं अलग होने के कारण आम लोगों को भ्रम होता था कि किसी काम की जिम्मेदारी किस विभाग की है। नए ढांचे से विभागों के बीच तालमेल बढ़ेगा प्रशासनिक कामकाज तेज होगा और नागरिकों को समय पर सेवाएं मिलेंगी।

    नए जिले और प्रशासनिक बदलाव

    पुरानी दिल्ली जिला अब ‘सदर जोन’ की जगह लेगी जिससे ऐतिहासिक और घनी आबादी वाले क्षेत्रों का प्रबंधन आसान होगा। ईस्ट और नॉर्थ ईस्ट जिलों का पुनर्गठन कर शाहदरा नॉर्थ और शाहदरा साउथ बनाए गए हैं। बड़े नॉर्थ दिल्ली जिले को सिविल लाइन्स और पुरानी दिल्ली में बांटा गया है। इसके अलावा नजफगढ़ को स्वतंत्र जिला घोषित किया गया है जो पहले साउथ वेस्ट दिल्ली का हिस्सा था। इस पुनर्गठन में जनसंख्या ट्रैफिक दबाव और प्रशासनिक कार्यभार को ध्यान में रखा गया है।

    जनता को मिलेगा सबसे बड़ा फायदा

    नई जिला व्यवस्था से लोगों को सरकारी सेवाओं के लिए लंबी दूरी तय नहीं करनी पड़ेगी। प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन लैंड रिकॉर्ड जाति/निवास/आय प्रमाणपत्र म्यूटेशन और शिकायत निवारण जैसी सेवाएं अब आसानी से नज़दीकी दफ्तरों से उपलब्ध होंगी। छोटे जिलों और मिनी सेक्रेटेरिएट के माध्यम से वन-स्टॉप सुविधा मिलेगी जिससे भीड़ कम होगी और काम तेजी से होगा।

    सर्विस डिलीवरी में सुधार और पारदर्शिता

    छोटे प्रशासनिक क्षेत्र और स्पष्ट जिम्मेदारियों से फाइलों का निपटारा तेज होगा भ्रष्टाचार पर रोक लगेगी और ऑनलाइन सेवाओं की दक्षता बढ़ेगी। नई संरचना में 33 सब-डिवीज़न बढ़कर 39 हो गए हैं जिससे लैंड रिकॉर्ड डिजिटाइजेशन और म्यूटेशन प्रक्रियाओं में तेजी आएगी। मिनी सेक्रेटेरिएट में सब-रजिस्ट्रार ऑफिस राजस्व रिकॉर्ड विभाग और पब्लिक सर्विस सेंटर शामिल होंगे।

    पुरानी उलझन खत्म प्रशासनिक जवाबदेही बढ़ी
    पहले विभागों और निगम जोनों की सीमाओं का मेल न होने से कई बार फाइलें कई दिनों तक अटकी रहती थीं। नए ढांचे में जिलों को MCD जोनों के अनुरूप जोड़कर अधिकार क्षेत्र स्पष्ट किए गए हैं। इसके परिणामस्वरूप विभागों के बीच तालमेल बढ़ा परियोजनाओं के अनुमोदन में तेजी आई और नागरिक समस्याओं का समाधान सरल हुआ।

    दिल्ली प्रशासन अब तेज पारदर्शी और जनता-केंद्रित

    जिलों की संख्या बढ़ाने से प्रशासनिक इकाइयाँ अधिक सटीक और प्रभावी हो गई हैं। सरकार का अनुमान है कि इससे सेवाएं समय पर मिलेंगी फाइलों का निपटारा तेज होगा और राजधानी का प्रशासन अधिक कुशल और जवाबदेह बनेगा। आने वाले वर्षों में यह सुधार दिल्ली को स्मार्ट गवर्नेंस मॉडल और आधुनिक प्रशासनिक ढांचे की दिशा में अग्रसर करेगा।

  • नए साल में MP के बिजली उपभोक्ताओं को लग सकता है बड़ा झटकाबिजली दरों में 10% तक बढ़ोतरी की योजना

    नए साल में MP के बिजली उपभोक्ताओं को लग सकता है बड़ा झटकाबिजली दरों में 10% तक बढ़ोतरी की योजना

    जबलपुर। मध्यप्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं के लिए नया वित्तीय वर्ष 2026-27 महंगा साबित हो सकता है। बिजली कंपनियों ने राज्य विद्युत नियामक आयोग को बिजली दरों में 10 प्रतिशत तक बढ़ोतरी का प्रस्ताव दिया हैजिसे मंजूरी मिलने पर उपभोक्ताओं को बिजली के बिलों में बढ़ोतरी का सामना करना पड़ सकता है। पावर मैनेजमेंट कंपनी ने विद्युत नियामक आयोग के पास टैरिफ पिटिशन दाखिल की हैजो अब सुनवाई के बाद तय करेगा कि दरों में कितनी वृद्धि की जाएगी।

    पावर कंपनी ने प्रस्ताव में करीब 42,000 करोड़ रुपये का घाटा बताया है और इस घाटे को कम करने के लिए दरों में वृद्धि की योजना बनाई है। विद्युत आयोग को यह पिटिशन 15 दिसंबर तक सार्वजनिक करने की संभावना हैऔर इसके बाद आम जनता से आपत्ति भी ली जाएगी। यदि इस पर कोई आपत्ति नहीं आतीतो आयोग इसकी मंजूरी दे सकता है।

    घाटे का आंकड़ा

    पावर मैनेजमेंट कंपनी के सीजीएम रेवेन्यु शैलेंद्र सक्सेना ने पुष्टि की कि आयोग को पिटिशन दी गई हैलेकिन उन्होंने फिलहाल यह खुलासा नहीं किया कि बढ़ोतरी का प्रस्ताव कितना प्रतिशत हो सकता है। हालांकिएक अधिकारी ने बताया कि प्रस्ताव में मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी करीब 18,712 करोड़ रुपये के घाटे में हैपूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी 16,378 करोड़ रुपये और पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी 7,285 करोड़ रुपये के घाटे में चल रही हैं। इन घाटों को पूरा करने के लिए बिजली दरों में बढ़ोतरी की योजना बनाई जा रही है।

    सम्भावित प्रभाव

    अगर यह प्रस्ताव लागू होता हैतो यह मध्यप्रदेश के लाखों बिजली उपभोक्ताओं के लिए भारी पड़ सकता है। खासतौर पर वे उपभोक्ता जो घरेलू उपयोग के लिए बिजली का खर्च उठाते हैंउन्हें इसके असर से जूझना पड़ेगा। इस प्रस्ताव से पहले ही बिजली दरों में मामूली वृद्धि हो चुकी हैऔर अब अगर दरें और बढ़ती हैं तो उपभोक्ताओं पर वित्तीय बोझ और बढ़ जाएगा।

    इसके बावजूदबिजली कंपनियों का कहना है कि बढ़ोतरी का मुख्य उद्देश्य कंपनियों के घाटे को कम करना और वित्तीय स्थिति को स्थिर बनाना है। हालांकिइससे जुड़ी असंतोष की स्थिति भी बन सकती हैऔर उपभोक्ताओं को इस बारे में अपनी आपत्तियां उठाने का मौका मिलेगा।

    मध्यप्रदेश में बिजली दरों में बढ़ोतरी की यह योजना कई उपभोक्ताओं के लिए नई चुनौतियां ला सकती है। खासकर सर्दियों के मौसम में जहां पहले से ही अन्य खर्चे बढ़ जाते हैंऐसे में बिजली दरों में वृद्धि के फैसले से आम लोगों के बजट पर और असर पड़ सकता है। फिलहालसभी की निगाहें इस पिटिशन पर हैंऔर यह देखना होगा कि आयोग इसके बाद क्या निर्णय लेता है।

  • जबलपुर के गांवों में मगरमच्छों की धूप सेंकने की घटना से मची दहशतवन विभाग की टीम की ढिलाई पर सवाल

    जबलपुर के गांवों में मगरमच्छों की धूप सेंकने की घटना से मची दहशतवन विभाग की टीम की ढिलाई पर सवाल


    जबलपुर । इन दिनों जबलपुर में पड़ रही कड़ाके की ठंड ने न केवल मानव जीवन को प्रभावित किया हैबल्कि वन्य प्राणियों के लिए भी समस्याएं पैदा कर दी हैं। जलचर प्राणीविशेष रूप से मगरमच्छठंड से राहत पाने के लिए धूप सेंकने की आदत बना रहे हैं। यह अद्भुत दृश्य जबलपुर जिले के परियट जलाशय से लगे गांवों में देखा जा रहा मटामरघानारिठौरीपिपरिया और आसपास की कालोनियों में मगरमच्छों का आना बढ़ गया हैजिससे ग्रामीणों में डर का माहौल बन गया है।

    परियट जलाशय मगरमच्छों के लिए एक प्राकृतिक निवास स्थान बन चुका है। इस क्षेत्र में लगभग 1000 मगरमच्छ रहते हैंऔर इनकी संख्या समय के साथ बढ़ी है। ये जलचरजो आमतौर पर जल में रहते हैंअब ठंड से बचने के लिए धूप में आराम करने निकल आते हैं। परियट नदी में मगरमच्छों की अधिकता के कारण वे शिकार की तलाश में और अपने निवास स्थान से बाहर भी भटकने लगे हैं। अब ये मगरमच्छ गांवों के नजदीक आकर मानव बस्तियों तक पहुंच रहे हैंजो लोगों के लिए एक बड़ा खतरा बन चुका है।

    इन मगरमच्छों ने पहले कुछ पालतू जानवरों पर हमले किए हैंजिनमें श्वान और मवेशी शामिल हैं। हालांकिअभी तक किसी मनुष्य पर हमला नहीं हुआ हैलेकिन स्थानीय लोग इस खतरे को लेकर बेहद चिंतित हैं। कई बार गांवों के सरपंचों ने वन विभाग से इस समस्या का समाधान निकालने के लिए अपील की हैलेकिन वन विभाग की टीम की तरफ से कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। वे केवल रेस्क्यू का आश्वासन देकर अपना काम निपटा लेते हैंजबकि समस्या लगातार बढ़ती जा रही है।

    वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि वे जल्द ही इस स्थिति से निपटने के लिए कदम उठाएंगेलेकिन अब तक इस पर कोई विशेष ध्यान नहीं दिया गया है। इस खतरनाक स्थिति में वन विभाग की ढिलाई पर सवाल उठने लगे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि अगर समय रहते इस समस्या का हल नहीं निकाला गयातो यह स्थिति और भी गंभीर हो सकती है।

    मगरमच्छों के बढ़ते खतरे को लेकर विशेषज्ञों का मानना है कि इंसानी दखल की वजह से इनका प्राकृतिक निवास क्षेत्र घटता जा रहा हैजिसके कारण वे रहवासी इलाकों में घुसने लगे हैं। इस समस्या का समाधान वन विभाग के समुचित और तत्काल प्रयासों में हैलेकिन सवाल यह उठता है कि क्या वन विभाग जल्द इस मुद्दे पर कोई ठोस कदम उठाएगा

  • रोहिणी आचार्य के बयान पर राजनीति और समाज में हलचल, बेटियों की सुरक्षा पर जोर

    रोहिणी आचार्य के बयान पर राजनीति और समाज में हलचल, बेटियों की सुरक्षा पर जोर


    नई दिल्ली। लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य द्वारा हाल ही में दिए गए एक बयान ने बिहार की राजनीति और समाज में नई बहस छेड़ दी है। रोहिणी ने सोशल मीडिया पर लिखा कि “हर बेटी का यह अधिकार है कि उसका मायका सुरक्षित और भरोसेमंद स्थान हो, जहां वह बिना डर, अपराधबोध या शर्म के वापस आ सके”। इस बयान में उन्होंने बिहार में बेटियों के अधिकार और परिवारों में सुरक्षा की अहमियत को उजागर किया, जो समाज में महिला सुरक्षा और सम्मान को लेकर एक महत्वपूर्ण सवाल खड़ा करता है।

    शांभवी चौधरी का बयान: बेटियों का सम्मान सर्वोपरि
    रोहिणी के बयान पर शांभवी चौधरी, जो लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) सांसद और जेडीयू नेता अशोक चौधरी की बेटी हैं, ने प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “यह किसी भी परिवार का निजी मामला हो सकता है, लेकिन बेटियों का सम्मान सर्वोपरि है।” शांभवी ने आगे कहा, “बेटों को जो अधिकार मिलते हैं, वही अधिकार बेटियों को भी मिलना चाहिए।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि यह सिर्फ एक राजनीतिक मुद्दा नहीं, बल्कि समाज की एक बड़ी चुनौती है। शांभवी ने यह भी व्यक्त किया कि उन्हें खुशी है कि लालू यादव के परिवार के लोग भी अब राज्य सरकार से सुरक्षा की उम्मीद कर रहे हैं।

    सरकार की प्रतिक्रिया: महिला सुरक्षा पर संजीदगी
    इस बयान पर जेडीयू सांसद संजय झा ने कहा, “नीतीश कुमार हमेशा महिलाओं की सुरक्षा को लेकर संवेदनशील रहे हैं। अगर रोहिणी ने अपनी चिंता जाहिर की है, तो सरकार इसे गंभीरता से संज्ञान में लेगी।” उन्होंने कहा कि बिहार सरकार की सक्रियता इस मामले में स्पष्ट है और “जनता देख रही है कि राजद की राजनीति कितनी खोखली हो चुकी है”।

    मायके की सुरक्षा और बेटियों के अधिकार की अहमियत
    इस पूरे घटनाक्रम ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया है कि बेटियों का सम्मान और उनका मायका सुरक्षित होना किसी भी समाज की मजबूती और परिवार की प्रतिष्ठा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। बिहार में इस मुद्दे पर चल रही बहस सामाजिक चेतना और राजनीतिक जिम्मेदारी दोनों को उजागर करती है, जिससे महिला सुरक्षा और उनके अधिकारों को लेकर राज्य सरकार की जिम्मेदारी भी स्पष्ट होती है।

  • भारत में लॉन्च हुई डायबिटीज की दवा ओज़ेम्पिक: जानें कीमत और फायदे

    भारत में लॉन्च हुई डायबिटीज की दवा ओज़ेम्पिक: जानें कीमत और फायदे


    नई दिल्ली। डेनमार्क की प्रमुख दवा कंपनी नोवो नॉर्डिस्क ने भारत में अपनी बहुप्रतीक्षित दवा ओज़ेम्पिक (Ozempic) को आधिकारिक तौर पर लॉन्च कर दिया है। यह दवा टाइप 2 डायबिटीज के मरीजों के लिए एक महत्वपूर्ण उपचार विकल्प बन सकती है। ओज़ेम्पिक को 2017 में अमेरिकी खाद्य और औषधि प्रशासन (FDA) द्वारा अनुमोदित किया गया था और तब से यह दुनिया भर में सबसे ज्यादा बिकने वाली दवाओं में से एक बन गई है। भारत में इसकी कीमत 0.25 मिलीग्राम की खुराक के लिए ₹2,200 प्रति सप्ताह रखी गई है। वहीं, 0.5 मिलीग्राम और 1 मिलीग्राम की खुराक के लिए कीमत ₹10,170 और ₹11,175 प्रति माह होगी।

    यह दवा सेमाग्लूटाइड (Semaglutide) नामक सक्रिय घटक से बनती है, जो शरीर में प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले GLP-1 हार्मोन की तरह काम करता है। यह हार्मोन शरीर को यह संकेत भेजता है कि पेट भरा हुआ है, जिससे भूख कम लगती है और व्यक्ति कम कैलोरी का सेवन करता है। इसके अतिरिक्त, ओज़ेम्पिक का असर पेट की पाचन क्रिया को धीमा करने पर भी पड़ता है, जिससे व्यक्ति लंबे समय तक भरा हुआ महसूस करता है और बार-बार खाने से बचता है। इसके कारण यह दवा वजन घटाने में भी प्रभावी साबित हो रही है, जिससे यह डायबिटीज के मरीजों के अलावा अन्य लोगों के बीच भी लोकप्रिय हो रही है।

    भारत में सीडीएससीओ (केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन) ने अक्टूबर 2023 में ओज़ेम्पिक को टाइप 2 डायबिटीज के इलाज के लिए मंजूरी दी थी। यह दवा अब ग्लाइसेमिक नियंत्रण में सुधार करने के साथ-साथ उन मरीजों में हृदय संबंधी समस्याओं के जोखिम को भी कम करने में मदद करती है, जिन्हें पहले से हृदय रोग है। यह दवा खासतौर पर डाइट और एक्सरसाइज के साथ मिलकर काम करती है और मरीजों के रक्त शर्करा को नियंत्रित करने में मदद करती है।

    हालांकि ओज़ेम्पिक की कीमतें कुछ उच्च हैं, लेकिन यह एक कारगर उपचार विकल्प हो सकती है। फिर भी, किसी भी नई दवा का उपयोग करने से पहले, मरीजों को अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लेनी चाहिए, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यह उनके लिए सही है और उन्हें इसके किसी साइड इफेक्ट का सामना नहीं करना पड़ेगा।

  • ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी 2’ में बड़ा ट्विस्ट: 6 साल का लीप, नए चेहरे की एंट्री और रोमांचक मोड़

    ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी 2’ में बड़ा ट्विस्ट: 6 साल का लीप, नए चेहरे की एंट्री और रोमांचक मोड़


    नई दिल्ली। स्टार प्लस का पॉपुलर शो ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी 2’ अब नए मोड़ और ट्विस्ट के साथ दर्शकों के सामने आने वाला है। शो में 6 साल का लीप लिया गया है और इसके साथ ही एक नए किरदार की एंट्री होने वाली है, जिससे सीरियल में कई दिलचस्प बदलाव देखने को मिल सकते हैं।

    संदीप बसवान की शो में वापसी
    रिपोर्ट्स के मुताबिक, शो में संदीप बसवान की एंट्री की संभावना है। संदीप पहले सीजन का हिस्सा रह चुके थे और उनके सीजन 2 में लौटने से दर्शक बेहद उत्साहित हैं। वे शो में साहिल वीरानी के किरदार में दिखाई दे सकते हैं, जिससे शो में नए ट्विस्ट और ड्रामा का समावेश होगा। हालांकि, इस बारे में मेकर्स या संदीप की तरफ से कोई आधिकारिक कंफर्मेशन अभी तक नहीं आया है।

    लीप के बाद अंगद और वृंदा के पेरेंटहुड की कहानी
    6 साल के लीप के बाद, शो में अंगद और वृंदा का पेरेंटहुड दिखाया जाएगा। इसके तहत उनके दो बच्चे होने की खबरें सामने आई हैं। इस नए दौर में शो की कहानी और भी दिलचस्प हो जाएगी। वहीं, मिहिर और तुलसी के बीच दूरी भी बढ़ सकती है। नए प्रोमो में दिखाया गया है कि तुलसी अब अंगद और वृंदा के साथ चॉल में रह रही हैं, जो फैंस के लिए एक नया और रोमांचक ट्विस्ट लेकर आ सकता है।

    तुलसी के सामने आया मिहिर और नोयोना का सच
    फिलहाल के ट्रैक के अनुसार, तुलसी के सामने मिहिर और नोयोना का सच आ चुका है। यह सच जानने के बाद तुलसी बुरी तरह टूट जाती है और घर से कहीं चली जाती है। मिहिर उसे ढूंढने की कोशिश करता है, जबकि नोयोना खुश होती है कि अब तुलसी को समझ में आ गया है कि मिहिर और उसके बीच क्या हुआ था।

    ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी 2’ में नए किरदारों की एंट्री और 6 साल के लीप के बाद कहानी में कई दिलचस्प मोड़ देखने को मिलेंगे। दर्शकों को अब शो में रोमांच, ड्रामा और पारिवारिक भावनाओं का एक नया अनुभव मिलेगा। शो के फैंस के लिए यह एक नई शुरुआत साबित हो सकती है।

  • मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने स्व. गोपीनाथ मुंडे की जयंती पर किया नमन

    मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने स्व. गोपीनाथ मुंडे की जयंती पर किया नमन


    मध्य प्रदेश / मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने महाराष्ट्र के पूर्व उप मुख्यमंत्री और पूर्व केंद्रीय मंत्री स्व. गोपीनाथ मुंडे की जयंती पर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी। मुख्यमंत्री ने कहा कि स्व. मुंडे का जीवन देशभक्ति और समाजसेवा की मिसाल है, जिसने गरीब और वंचित वर्ग के कल्याण के लिए अपने संपूर्ण जीवन को समर्पित किया। डॉ. यादव ने कहा कि स्व. गोपीनाथ मुंडे ने हमेशा नए भारत के निर्माण के लिए काम किया और युवाओं को राष्ट्रसेवा की प्रेरणा दी। उनका सरल जीवन, ईमानदार व्यक्तित्व और समाज के कमजोर वर्ग के लिए किए गए प्रयास सदैव याद किए जाएंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि उनके आदर्श और नीति-निर्देश आने वाली पीढ़ियों के लिए मार्गदर्शक बनेंगे।

    स्व. मुंडे महाराष्ट्र के समाज और राजनीति में एक प्रभावशाली व्यक्तित्व थे। उन्होंने गरीब और किसानों के हितों की आवाज़ उठाई और उनकी बेहतरी के लिए कई सामाजिक और आर्थिक योजनाओं की शुरुआत की। उनके कार्य और जीवनशैली ने यह साबित किया कि सच्ची सेवा और समर्पण से समाज में सकारात्मक बदलाव लाया जा सकता है।मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने यह भी कहा कि स्व. मुंडे की जयंती पर उनके योगदान को याद करना केवल श्रद्धांजलि नहीं,बल्कि उनके आदर्शों को अपनाकर समाज में सुधार और विकास लाने का अवसर भी है। उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे स्व. मुंडे के जीवन से प्रेरणा लेकर देश और समाज के लिए निरंतर प्रयास करें।

    इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा, स्व. गोपीनाथ मुंडे का संकल्प और उनकी निष्ठा हम सभी के लिए मार्गदर्शन का स्रोत हैं। उनका जीवन यह सिखाता है कि सच्ची सेवा और समर्पण से समाज के कमजोर वर्गों के जीवन में वास्तविक परिवर्तन लाया जा सकता है। डॉ. यादव ने अंत में कहा कि स्व. मुंडे के योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा और उनकी सोच को आगे बढ़ाने के लिए सरकार और समाज मिलकर प्रयास करेंगे।

  • इंडिगो ऑपरेशन संकट: DGCA ने 4 निरीक्षकों को सस्पेंड किया, एयरलाइन पर कड़ी निगरानी शुरू

    इंडिगो ऑपरेशन संकट: DGCA ने 4 निरीक्षकों को सस्पेंड किया, एयरलाइन पर कड़ी निगरानी शुरू


    नई दिल्ली। इंडिगो एयरलाइन में बढ़ती अव्यवस्था और लगातार उड़ान रद्द होने के बाद नागर विमानन महानिदेशालय (DGCA) ने बड़ा कदम उठाते हुए चार फ्लाइट ऑपरेशन इंस्पेक्टरों को तत्काल सस्पेंड कर दिया है। इन अधिकारियों पर सुरक्षा मानकों और परिचालन नियमों का उल्लंघन करने का आरोप है। खासकर 5 दिसंबर को एक ही दिन में इंडिगो ने 1,600 से ज्यादा फ्लाइट रद्द की थीं, जिससे हजारों यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ा और एयरलाइन के परिचालन में गंभीर संकट आ गया।

    सुरक्षा मानकों की अनदेखी, DGCA ने कड़ी कार्रवाई की
    DGCA के अधिकारियों ने बताया कि जिन चार निरीक्षकों को सस्पेंड किया गया है, वे सुरक्षा और परिचालन नियमों के पालन को सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार थे। जांच में यह सामने आया कि इंडिगो ने पायलट और क्रू मेंबर्स की ड्यूटी टाइम लिमिट का पालन नहीं किया, जिसके कारण उड़ान सेवाएं बाधित हुईं और यात्रियों को भारी असुविधा हुई। इसके साथ ही टूरिज्म सेक्टर को भी करोड़ों का नुकसान हुआ।

    मुख्यालय से सख्त निगरानी की शुरुआत
    इंडिगो में आई इस परिचालन संकट के बाद DGCA ने एयरलाइन के मुख्यालय से रियल-टाइम निगरानी शुरू कर दी है। अधिकारियों को हर दिन विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश दिया गया है, ताकि उड़ान संचालन, रिफंड प्रक्रिया, मुआवजे की स्थिति और यात्रियों की शिकायतों का सही समय पर निवारण किया जा सके। इस कदम का उद्देश्य यात्रियों को होने वाली असुविधा को कम करना और एयरलाइन को नियमों के तहत सुरक्षित और समयबद्ध संचालन सुनिश्चित करना है।

    सीईओ को DGCA के सामने पेश होने का आदेश
    इस संकट के बीच DGCA ने इंडिगो के सीईओ, पीटर एल्बर्स को शुक्रवार को तलब किया है। इसका उद्देश्य एयरलाइन के संचालन में आई गड़बड़ियों की जड़ तक पहुंचना और जिम्मेदारी तय करना है। DGCA ने इंडिगो में उत्पन्न समस्याओं के समाधान के लिए एक चार सदस्यीय पैनल भी गठित किया है, जो उच्च स्तर पर जांच करेगा और सुधारात्मक कदम सुझाएगा।

    देशभर में तेज़ निरीक्षण, 24 घंटे में रिपोर्ट की मांग
    इंडिगो के संचालन में आए संकट के बाद DGCA ने देशभर के 11 प्रमुख घरेलू हवाई अड्डों पर निरीक्षण शुरू किया है। इन अधिकारियों को अगले 2-3 दिनों में अपनी रिपोर्ट DGCA मुख्यालय में सौंपनी होगी। साथ ही, इंडिगो के कॉरपोरेट कार्यालय में भी कड़ी निगरानी रखी जा रही है, ताकि रद्द उड़ानों के रिफंड, समय पर उड़ान संचालन और यात्रियों को मुआवजे की प्रक्रिया को सख्ती से सुनिश्चित किया जा सके।

    स्थिति अब सुधार की ओर, लेकिन DGCA की निगरानी जारी
    इंडिगो की उड़ान सेवाओं में 5 दिसंबर के बाद भारी व्यवधान आया था, लेकिन अब एयरलाइन का कहना है कि स्थिति धीरे-धीरे सामान्य हो रही है। हालांकि, DGCA ने एयरलाइन पर कड़ी निगरानी बनाए रखी है और सुनिश्चित किया है कि आगे से ऐसे परिचालन संकट न आएं।

  • मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने जूनियर्स हॉकी विश्व कप-2025 में कांस्य पदक जीतने पर टीम को दी बधाई

    मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने जूनियर्स हॉकी विश्व कप-2025 में कांस्य पदक जीतने पर टीम को दी बधाई

     
    मध्य प्रदेश /मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने एफ.आई.एच. हॉकी पुरुष जूनियर्स विश्व कप-2025 में भारतीय जूनियर हॉकी टीम द्वारा कांस्य पदक जीतने पर टीम को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं दी हैं। यह उपलब्धि न केवल भारतीय हॉकी के लिए गौरवपूर्ण है बल्कि युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत भी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस उपलब्धि ने दिखा दिया है कि समर्पण अनुशासन और निरंतर प्रयास से कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। मुख्यमंत्री ने खिलाड़ियों और कोचिंग स्टाफ के उत्कृष्ट प्रदर्शन की सराहना करते हुए कहा -यह अभूतपूर्व उपलब्धि हमारे युवा खिलाड़ियों की मेहनत संघर्ष और टीम भावना का परिणाम है। जूनियर्स टीम ने हर मुकाबले में अपने कौशल और धैर्य का लोहा मनवाया और विश्व कप में कांस्य पदक जीतकर इतिहास रच दिया।-

    उन्होंने कहा कि यह पदक केवल एक जीत नहीं है बल्कि यह भविष्य के लिए नई प्रेरणा और उम्मीद लेकर आता है। मुख्यमंत्री ने खिलाड़ियों से आग्रह किया कि वे इसी उत्साह और मेहनत के साथ आगे बढ़ें और भारतीय हॉकी को विश्व स्तर पर और ऊँचाइयों तक पहुँचाएँ। उन्होंने कहा कि सरकार इस तरह की उपलब्धियों को बढ़ावा देने के लिए खिलाड़ियों के लिए बेहतर प्रशिक्षण सुविधाएँ और अंतरराष्ट्रीय अनुभव सुनिश्चित करने में लगातार प्रयास कर रही है।एफ.आई.एच. जूनियर्स विश्व कप-2025 में भारतीय टीम ने कठिन मुकाबलों के बाद कांस्य पदक अपने नाम किया। टीम ने सेमीफाइनल में चुनौतीपूर्ण मैचों का सामना किया और हार के बावजूद अपने आत्मविश्वास और सामूहिक रणनीति से कांस्य पदक जीतने में सफलता हासिल की। इस उपलब्धि ने खिलाड़ियों की कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प को प्रदर्शित किया।

    मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने टीम के प्रत्येक सदस्य का नाम लेते हुए उनके योगदान की सराहना की और कहा कि उनके खेल में अनुशासन और समर्पण ने ही टीम को इस सफलता तक पहुँचाया। उन्होंने कहा कि यह जीत भारतीय हॉकी के उज्जवल भविष्य की ओर संकेत करती है और आने वाले वर्षों में देश की हॉकी को और मजबूत बनाने में मदद करेगी। डॉ. यादव ने कहा कि सरकार खेलों को प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न प्रशिक्षण केंद्र और अकादमिक कार्यक्रम संचालित कर रही है। इसके तहत खिलाड़ियों को उच्च गुणवत्ता वाले कोचिंग आधुनिक प्रशिक्षण उपकरण और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लेने के अवसर दिए जाते हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि आने वाले वर्षों में और अधिक युवा खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रोशन करेंगे।

    मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि इस सफलता ने न केवल खिलाड़ियों का मनोबल बढ़ाया है बल्कि पूरे देश में खेलों के प्रति उत्साह और विश्वास को भी बढ़ाया है। उन्होंने टीम के कोच और सपोर्ट स्टाफ को उनके समर्पण के लिए धन्यवाद दिया जिन्होंने खिलाड़ियों को हर स्थिति में मार्गदर्शन और प्रेरणा दी। डॉ. यादव ने खिलाड़ियों से कहाआपकी यह जीत आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनेगी। यह दिखाती है कि मेहनत धैर्य और टीम भावना के साथ किसी भी चुनौती का सामना किया जा सकता है। हमें आप पर गर्व है और हम आपके उज्जवल भविष्य की कामना करते हैं।-इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर हॉकी और अन्य खेलों के विकास के लिए निरंतर प्रयास करने की प्रतिबद्धता जताई। उन्होंने कहा कि युवा खिलाड़ियों की सफलता केवल व्यक्तिगत नहीं बल्कि पूरे देश की उपलब्धि है और इसे राष्ट्रीय गौरव के रूप में देखा जाना चाहिए।

  • राज्यपाल श्री पटेल ने की जनमन अभियान की समीक्षा, दवा वितरण और बिजली आपूर्ति पर दिए निर्देश

    राज्यपाल श्री पटेल ने की जनमन अभियान की समीक्षा, दवा वितरण और बिजली आपूर्ति पर दिए निर्देश

    मध्य प्रदेश /राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने कहा है कि मोबाइल मेडिकल यूनिट द्वारा वितरित किए जाने वाली दवा की मात्रा मोबाइल यूनिट रूट चार्ट के अनुसार की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि रोगी को दवा की आवश्यकता और मेडिकल यूनिट के पुन: आगमन की अवधि की गणना के अनुसार दवा का वितरण होना चाहिए, जिससे यूनिट के दोबारा आने तक रोगी के पास दवा की उपलब्धता बनी रहे। राज्यपाल श्री पटेल शुक्रवार को लोक भवन में जनजातीय प्रकोष्ठ की पीएम जनमन योजना की समीक्षा बैठक में जनजातीय कार्य विभाग के अधिकारियों से चर्चा कर रहे थे। इस अवसर पर जनजातीय प्रकोष्ठ के अध्यक्ष श्री दीपक खांडेकर एवं अन्य सदस्य भी मौजूद थे।

    राज्यपाल श्री पटेल ने कहा कि जनमन योजना के तहत हितग्राहियों को मिले आवास में विद्युत कनेक्शन की उपलब्धता सुनिश्चित की जानी चाहिए। आवास वार विद्युत कनेक्शनों की उपलब्धता की जानकारी संकलित कर, जिन घरों में विद्युत कनेक्शन नहीं है, उनको चिह्नित किया जाए। विद्युत कनेक्शन कराने की व्यवस्था की जाए। राज्यपाल श्री पटेल को बताया गया कि लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा जनमन योजना अंतर्गत संचालित मोबाइल मेडिकल यूनिट द्वारा 9 लाख 52 हजार से अधिक रोगियों का पंजीकरण किया गया है। इनमें 4 लाख 75 हजार 375 पी.व्ही.टी.जी. हितग्राही और 4 लाख 76 हजार 647 अन्य हितग्राही शामिल हैं। यूनिट द्वारा 95 हजार 360 सिकल सेल और 15 हजार 811 की टी.बी. स्क्रीनिंग की गई। 7 लाख से अधिक रोगियों की डायग्नोस्टिक जाँच भी की है।

    बैठक में बताया गया है कि पीएम जनमन योजना, प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महा अभियान वर्ष 2023-24 से 2025-26 तक प्रदेश के 24 जिलों में संचालित है। योजना के तहत पी.व्ही.टी.जी. की 6 हजार से अधिक बसाहटों के 13 लाख 43 हजार से अधिक पी.व्ही.टी.जी. आबादी को लाभान्वित किया जा रहा है। अभियान के अंतर्गतहितग्राही मूलक सात योजनाओं आधार कार्ड, जनधन बैंक खाता, आयुष्मान भारत, जाति प्रमाण पत्र, किसान क्रेडिटकार्ड,पीएम किसान सम्मान निधि और राशन कार्ड में सैचुरेशन की स्थिति है। कुल 1 लाख 30 हजार 521 प्रधानमंत्री आवास पूर्ण हो गए है। मध्यप्रदेश जल निगम द्वारा वर्तमान में 147 समूह जल प्रदाय योजनाओं का संचालन किया जा रहा है।पीएम जनमन कार्यक्रम के अंतर्गत 48 समूह जल प्रदाय योजनाओं में से अनूपपुर एवं बालाघाट जिले की योजनाओं का कार्य पूर्ण कर लिया गया है।

    संचालन एवं संधारण के शेष कार्यों को समय सीमा में पूर्ण कर लिया जायेगा। दतिया, कटनी, सिवनी एवं उमरिया जिले की 6 योजनाओं के कार्य लगभग पूर्ण हो चुके है। शेष कार्य समय सीमा में पूर्ण किये जाने के कार्य प्रगतिरत है। बैठक में हर घर नल से जल, बहुउद्देशीय केन्द्र, आंगनवाड़ी निर्माण, छात्रावास, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क, हर घर बिजली, हर घर बिजली-ऑफ ग्रिड, वनधन विकास केन्द्र और मोबाइल नेटवर्क कार्यों की प्रगति की जानकारी दी है। इस अवसर पर राज्यपाल के प्रमुख सचिव डॉ. नवनीत मोहन कोठारी, प्रमुख सचिव जनजातीय कार्य विभाग श्री गुलशन बामरा, आयुक्त एवं संचालक, जनजातीय क्षेत्रीय विकास योजना श्री सतेन्द्र सिंह राज्यपाल के अपर सचिव श्री उमाशंकर भार्गव एवं अन्य अधिकारी उपस्थित थे।