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  • स्टेज पर परफॉर्म कर रही कनिका कपूर पर फैन ने किया हमला, तुरंत संभाली प्रतिक्रिया

    स्टेज पर परफॉर्म कर रही कनिका कपूर पर फैन ने किया हमला, तुरंत संभाली प्रतिक्रिया


    नई दिल्ली /बॉलीवुड सिंगर कनिका कपूर के साथ मेगोंग फेस्टिवल में लाइव परफॉर्मेंस के दौरान एक अप्रत्याशित घटना हुई। वीडियो में देखा जा सकता है कि मंच पर गा रही कनिका के पास अचानक एक युवक दौड़कर आया और उनके साथ अटपटी हरकत करने की कोशिश की।

    सभी को चौंकाने वाले इस पल में कनिका ने संयम बनाए रखा और गाना जारी रखा। सुरक्षा कर्मियों ने तुरंत हस्तक्षेप किया और युवक को मंच से नीचे उतार दिया। इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर कलाकारों की सुरक्षा को लेकर गुस्सा और चिंता जताई जा रही है।

    यह घटना ऐसे समय हुई है जब कनिका कपूर ने हाल ही में बॉलीवुड में सिंगर्स की कमाई और रॉयल्टी को लेकर खुलासा किया था। उन्होंने बताया कि शुरुआती प्रोजेक्ट्स के लिए उन्हें कभी-कभी केवल 101 रुपये तक दिए गए। उनके अनुसार, भारत में सिंगर्स की आय का सबसे बड़ा स्रोत लाइव परफॉर्मेंस होता है, लेकिन सुरक्षा और पेंशन जैसी कोई व्यवस्था नहीं है।

    कनिका कपूर ने अपने करियर में कई सुपरहिट गाने दिए हैं जैसे ‘बेबी डॉल’ और ‘चिट्टियां कलाइयां’, और वे हमेशा कलाकारों के अधिकारों और भुगतान के मुद्दों पर मुखर रही हैं। इस घटना ने स्टेज सुरक्षा और कलाकारों की पेशेवर चुनौतियों पर फिर से सवाल खड़े कर दिए हैं।

  • चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 19 मार्च से मां दुर्गा की पूजा से मिलेगा जीवन में सुख और समृद्धि चैत्रनवरात्रि2026

    चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 19 मार्च से मां दुर्गा की पूजा से मिलेगा जीवन में सुख और समृद्धि चैत्रनवरात्रि2026



    नई दिल्‍ली ।
    हिंदू कैलेंडर के अनुसार चैत्र माह का अत्यधिक धार्मिक महत्व है। इसी माह से हिंदू नववर्ष की शुरुआत मानी जाती है। अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से जहां नववर्ष 1 जनवरी को आता है वहीं हिंदू नववर्ष चैत्र माह की शुक्ल प्रतिपदा से शुरू होता है। इसी दिन से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत भी होती है। यह एक प्रमुख धार्मिक पर्व है जिसमें मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। चैत्र नवरात्रि का आयोजन विशेष रूप से शांति समृद्धि और सुख-शांति की प्राप्ति के लिए किया जाता है। इस दौरान भक्त मां दुर्गा की उपासना के साथ-साथ व्रत भी रखते हैं ताकि उनका जीवन खुशहाल और समृद्ध हो सके।

    चैत्र नवरात्रि 2026: तिथि और अवधि

    चैत्र नवरात्रि 2026 का आरंभ 19 मार्च को होगा जो कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि से शुरू होता है। यह दिन विशेष रूप से कलश स्थापना के लिए महत्वपूर्ण होता है। इसके बाद नवरात्रि के नौ दिन मां दुर्गा की उपासना का सिलसिला चलता है। नवमी तिथि 27 मार्च को आएगी और इसी दिन राम नवमी का पर्व भी मनाया जाएगा। इस दिन विशेष रूप से राम भक्तों द्वारा श्रीराम के जन्मोत्सव की पूजा की जाती है। चैत्र नवरात्रि की समाप्ति 27 मार्च को होगी। इस दिन विशेष रूप से दिनभर देवी पूजा की जाती है और उपवासी भक्तों द्वारा व्रत का पारण किया जाता है।

    चैत्र नवरात्रि 2026: कलश स्थापना मुहूर्त

    चैत्र नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना की जाती है जिसे घटस्थापना भी कहा जाता है। इस दिन विशेष रूप से एक पवित्र मिट्टी के कलश को घर के पूजा स्थान पर स्थापित किया जाता है और फिर देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा शुरू होती है।

    19 मार्च 2026 को कलश स्थापना का मुहूर्त इस प्रकार है

    सुबह का मुहूर्त 06:00 AM – 06:45 AM
    दोपहर का मुहूर्त 11:30 AM – 12:15 PM
    सांयकाल का मुहूर्त 06:00 PM – 06:45 PM

    इन मुहूर्तों में से जो भी समय आपके लिए सुविधाजनक हो उस समय कलश स्थापना कीजिए। विशेष रूप से शुद्धि और पवित्रता का ध्यान रखें। पूजा के दौरान श्रद्धा और भक्ति के साथ देवी दुर्गा की उपासना करें और व्रत का संकल्प लें।

    देवी पूजा और विशेष अनुष्ठान

    चैत्र नवरात्रि के दौरान प्रत्येक दिन देवी दुर्गा के एक अलग रूप की पूजा की जाती है। इस प्रकार के अनुष्ठानों से मनुष्य को न केवल मानसिक शांति मिलती है बल्कि उसके जीवन में आने वाली समस्याओं का समाधान भी संभव होता है।

    प्रथम दिन 19 मार्च मां शैलपुत्री की पूजा होती है। दूसरे दिन 20 मार्च मां ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है। तीसरे दिन 21 मार्च मां चंद्रघंटा की पूजा होती है। चौथे दिन 22 मार्च मां कूष्मांडा की पूजा होती है पांचवे दिन 23 मार्च मां स्कंदमाता की पूजा होती है। छठे दिन 24 मार्च मां कात्यायनी की पूजा होती है। सातवे दिन 25 मार्च मां कालरात्रि की पूजा होती है। आठवे दिन 26 मार्च मां महागौरी की पूजा होती है नौवे दिन 27 मार्च मां सिद्धिदात्री की पूजा होती है साथ ही साथ राम नवमी का पर्व मनाया जाता है। इन नौ दिनों में व्रति पूजा और उपासना से भक्तों को मानसिक शारीरिक और आत्मिक शांति प्राप्त होती है।

    चैत्र नवरात्रि 2026 का आरंभ 19 मार्च से हो रहा है और इसके साथ ही हिंदू नववर्ष की शुरुआत भी होती है। यह समय देवी दुर्गा की उपासना व्रत और पूजा का होता है जिससे भक्त अपने जीवन में सुख शांति और समृद्धि की कामना करते हैं। कलश स्थापना के दौरान विशेष मुहूर्त का पालन करें और नवरात्रि के दौरान देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा कर अपने जीवन को सकारात्मक दिशा में ले जाएं। इस अवसर पर घर में मां दुर्गा का व्रत करना और उनकी पूजा करना निश्चित रूप से जीवन में सुख और शांति लेकर आता है।इस अवसर पर घर में मां दुर्गा का व्रत करना और उनकी पूजा करना निश्चित रूप से जीवन में सुख और शांति लेकर आता है।

  • टीम इंडिया पर ICC का एक्शन: स्लो ओवर रेट के कारण मैच फीस में कटौती

    टीम इंडिया पर ICC का एक्शन: स्लो ओवर रेट के कारण मैच फीस में कटौती

    नई दिल्ली । भारतीय क्रिकेट टीम ने साउथ अफ्रीका के खिलाफ 5 मैचों की वनडे सीरीज 2-1 से जीतकर शानदार प्रदर्शन किया। सीरीज का पहला मैच रांची में 17 रनों से भारत ने जीता, जबकि दूसरा मैच रायपुर में साउथ अफ्रीका ने 4 विकेट से जीत दर्ज की। निर्णायक मुकाबला विशाखापत्तनम में केएल राहुल की कप्तानी में भारत ने 9 विकेट से अपने नाम किया।

    लेकिन इस जीत के बावजूद टीम इंडिया पर ICC ने अक्शन लिया। रायपुर में खेले गए दूसरे वनडे में टीम का स्लो ओवर रेट (निर्धारित समय में ओवर पूरा न करना) मुद्दा बन गया। ICC के नियमों के अनुसार, प्रति ओवर 5% जुर्माना लगता है। भारत ने दो ओवर समय पर नहीं फेंके, इसलिए टीम के मैच फीस का 10% काटा गया।

    आईसीसी के एलीट पैनल ऑफ मैच रेफरी रिची रिचर्डसन ने इस सजा की पुष्टि की। टीम के कार्यवाहक कप्तान केएल राहुल ने गलती स्वीकार कर ली, इसलिए किसी औपचारिक सुनवाई की आवश्यकता नहीं पड़ी।

    रायपुर वनडे में भारत ने विराट कोहली (102) और ऋतुराज गायकवाड़ (105) की शतकीय पारियों की मदद से 358/5 का स्कोर बनाया था। बावजूद इसके मैच साउथ अफ्रीका ने एडेन मार्करम (110) की शानदार पारी के दम पर 4 विकेट से जीत लिया।

    अब टीम इंडिया साउथ अफ्रीका के खिलाफ 9 दिसंबर से 5 मैचों की टी20 सीरीज के लिए कटक रवाना होगी।

  • वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ जानें कैसे ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ जन्मा राष्ट्रभक्ति का यह प्रतीक

    वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ जानें कैसे ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ जन्मा राष्ट्रभक्ति का यह प्रतीक


    नई दिल्‍ली । भारत के स्वतंत्रता संग्राम में कुछ घटनाएं और तिथियां ऐसी हैंजो आज भी हमारे दिलों में अमिट यादें छोड़ जाती हैं। 7 नवंबर की तारीख भी ऐसी ही एक महत्वपूर्ण तिथि हैजब भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष में एक नया अध्याय जुड़ा। आज से 150 साल पहले भारत के राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम की रचना हुई थीजिसने देशवासियों में राष्ट्रीय एकता और संघर्ष की भावना को प्रगाढ़ किया। इस गीत ने स्वतंत्रता सेनानियों को प्रेरित किया और देश की आज़ादी की लड़ाई में एक नया जोश भर दिया।

    वंदे मातरम का जन्म
    वंदे मातरम की रचना बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने की थी। यह गीत उनकी काव्य-रचनाओं के संग्रह आनंदमठ 1882से लिया गया था। आनंदमठ उपन्यास के मध्य भाग मेंजहां बंगाल के संतरी और मठ के साधु अपनी मातृभूमि के लिए युद्ध करते हैंवहां वंदे मातरम की रचना ने भारतीयों के दिलों में देशभक्ति की एक नयी आग प्रज्वलित की। इस गीत के बोल न केवल देशवासियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेबल्कि उन्होंने पूरे भारत में ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ एक संगठित आंदोलन की दिशा दी। वंदे मातरम का शब्दार्थ माँ तुझे सलाम या भारत माता की जय से भी जुड़ा हैजो भारतीयों के लिए राष्ट्रीय गौरव और सम्मान का प्रतीक बन गया। इसे बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने अपनी मातृभूमि के प्रति श्रद्धा और प्यार से लिखाजिसे आज भी हर भारतीय गाता है।

    स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका

    जब यह गीत पहली बार भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के मैदान में गाया गयातो इसके प्रभाव से एक नया क्रांतिकारी जोश पैदा हुआ। इसे सबसे पहले 7 नवंबर 1905 को बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने कोलकाता में एक सभा में गाया थाजब बंगाल विभाजन का विरोध हो रहा था। यह गीत न केवल भारतीयों को एकजुट करता थाबल्कि ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ उनके दिलों में विद्रोह की भावना भी उत्पन्न करता था।

    इसके बाद1905 से लेकर 1947 तकवंदे मातरम को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रतीक के रूप में गाया गया और इसने भारतीयों को अपनी मातृभूमि के लिए संघर्ष करने की प्रेरणा दी। खासकरस्वाधीनता संग्राम में शामिल नेताओं ने इस गीत का उपयोग अपने भाषणों और आंदोलनों में किया। यह गीत महात्मा गांधीसुभाष चंद्र बोस और चंद्रशेखर आज़ाद जैसे महापुरुषों के आंदोलन का हिस्सा बन गया।

    वंदे मातरम का राष्ट्रीय गीत में रूपांतरण

    सभी भारतीयों के दिलों में गहरी जगह बनाने वाला वंदे मातरम गीत1950 में भारत के राष्ट्रीय गीत के रूप में मान्यता प्राप्त हुआ। यह गीत एक समय में भारत के स्वतंत्रता संग्राम का प्रतीक बन चुका थाऔर अब यह हमारे राष्ट्रीय गौरव का हिस्सा है। 8 दिसंबर 2023 कोवंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने के अवसर परसंसद में विशेष चर्चा का आयोजन किया जाएगाजिसकी शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे। इसके अगले दिन9 दिसंबर को राज्यसभा में भी इस पर विमर्श किया जाएगा।

    समाज में गहरी छाप

    वंदे मातरम के गीत का हर शब्द भारतीय समाज में एक अनूठा प्रभाव छोड़ता है। यह गीत आज भी न केवल स्वतंत्रता संग्राम की याद दिलाता हैबल्कि भारत की एकता और अखंडता का भी प्रतीक बन चुका है। आज भी विभिन्न राष्ट्रीय कार्यक्रमोंस्कूलों और कॉलेजों में इस गीत को सम्मान के साथ गाया जाता हैऔर यह भारतीयों के दिलों में अपने मातृभूमि के प्रति श्रद्धा और प्रेम को और गहरा करता है।

    वंदे मातरम न केवल एक गीत हैबल्कि यह भारत के स्वतंत्रता संग्राम का प्रेरणास्त्रोत भी बन गया। इसने भारतीयों को अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करने की प्रेरणा दी और एक सशक्तएकजुट राष्ट्र के निर्माण की दिशा में योगदान दिया। आजजब हम इस गीत को गाते हैंतो हम न केवल अपनी मातृभूमि के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हैंबल्कि उन स्वतंत्रता सेनानियों को भी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैंजिन्होंने इस देश को स्वतंत्रता दिलाने के लिए अपने प्राणों की आहुति दी।

  • जूते लाते हैं खतरनाक बैक्टीरिया और केमिकल्सजानें क्यों घर में नो शूज पॉलिसी जरूरी है

    जूते लाते हैं खतरनाक बैक्टीरिया और केमिकल्सजानें क्यों घर में नो शूज पॉलिसी जरूरी है

     
    नई दिल्‍ली ।
    हम अक्सर जूतों और चप्पलों को बिना सोचे-समझे घर के अंदर पहन लेते हैंयह सोचते हुए कि बस थोड़ी धूल-मिट्टी लगी होगी। लेकिन क्या आप जानते हैं कि जूते न केवल धूल मिट्टीबल्कि कई खतरनाक और अदृश्य तत्वों को भी घर में लेकर आते हैंजो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं? इस आदत के बारे में डॉक्टर सौरभ सेठी ने अपनी राय दी हैऔर उनके मुताबिकघर में नो शूज पॉलिसी अपनाना हमारी सेहत के लिए बहुत फायदेमंद हो सकता है।

    जूतों के साथ आते हैं खतरनाक तत्व

    जूते हमारे बाहर की दुनिया से होते हुए घर तक आते हैं। जब हम घर के बाहर चलते हैंतो हमारे जूतों में कीटनाशककेमिकल्सबैक्टीरियावायरसऔर यहां तक कि लेड जैसे हानिकारक तत्व लग जाते हैं। ये तत्व न केवल हमारी त्वचा के संपर्क में आते हैंबल्कि घर के फर्शकालीनऔर यहां तक कि बच्चों के खेलने के स्थानों पर भी पहुंच जाते हैं। डॉक्टर सौरभ के अनुसारइन टॉक्सिन्स का घर में प्रवेश करना स्वास्थ्य पर गंभीर असर डाल सकता है।

    बैक्टीरिया और वायरस का खतरा

    बाहर चलते समय जूते में कई बैक्टीरिया और वायरस भी जमा हो जाते हैंजिनका हम आमतौर पर अंदाजा नहीं लगा पाते। खासकर महामारी के दौर मेंइन बैक्टीरिया और वायरस का घर के अंदर आना संक्रमण के खतरे को बढ़ा सकता है। डॉक्टर सौरभ बताते हैं कि यदि जूतों को घर में लाया जाएतो यह वायरस और बैक्टीरिया आपके घर के वातावरण में घुल सकते हैंजो परिवार के सदस्यखासकर बच्चों और बुजुर्गों के लिए खतरे की बात हो सकती है।

    केमिकल्स और जहर

    इसके अलावाजूतों में अक्सर कई खतरनाक केमिकल्स भी होते हैंजो पेंटकागजया अन्य बाहरी पदार्थों से चिपक जाते हैं। ये केमिकल्स घर में प्रवेश करने पर वायुमंडल को प्रदूषित करते हैं और शरीर में अवशोषित होकर स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे सकते हैं। उदाहरण के लिएलेड leadजैसे भारी धातु के संपर्क में आना कई स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे सकता हैखासकर बच्चों में।

    बच्चों के लिए खतरा

    बच्चों का इम्यून सिस्टम वयस्कों की तुलना में कमजोर होता हैऔर वे जमीन पर खेलते हैंजहां पर जूतों से आए हुए बैक्टीरियावायरसऔर केमिकल्स मौजूद हो सकते हैं। यह बच्चों के स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव डाल सकता है और उन्हें विभिन्न तरह की एलर्जी और बीमारियों का शिकार बना सकता है। इसलिए डॉक्टर सौरभ सख्ती से कहते हैं कि बच्चों को इन खतरनाक तत्वों से बचाने के लिए घर में जूते पहनने की आदत को छोड़ना बहुत जरूरी है।

    घर में नो शूज पॉलिसीअपनाने के फायदे

    डॉक्टर सौरभ सेठी का मानना है कि घर में नो शूज पॉलिसी अपनाने से न केवल घर का वातावरण साफ रहता हैबल्कि यह परिवार के स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है। इसके अलावाजूतों को घर के बाहर छोड़ने से आपके घर का फर्श भी साफ रहता है और आपको अतिरिक्त सफाई का काम भी नहीं करना पड़ता। आप भी इस सरल आदत को अपना सकते हैंजो न सिर्फ आपके घर को साफ रखेगीबल्कि आपके परिवार की सेहत को भी सुनिश्चित करेगी।

    घर के प्रवेश द्वार पर जूते रखने के लिए एक विशेष जगह बनाएं और घर में प्रवेश करने से पहले जूते उतारने की आदत डालें। यह न केवल स्वास्थ्य के लिहाज से लाभकारी होगाबल्कि आपके घर को भी सुरक्षित और स्वच्छ बनाए रखेगा। इसलिएअगली बार जब आप घर के अंदर प्रवेश करेंतो यह याद रखें कि आपके जूतों में सिर्फ धूल या मिट्टी नहींबल्कि कई खतरनाक तत्व भी हो सकते हैंजिन्हें घर में नहीं लाना चाहिए।

  • RBI का बड़ा बयान: 50 पैसे समेत सभी सिक्के हैं वैध, अफवाहों पर न दें ध्यान..

    RBI का बड़ा बयान: 50 पैसे समेत सभी सिक्के हैं वैध, अफवाहों पर न दें ध्यान..

    नई दिल्ली। देश में नकली और असली नोटों के बारे में लोगों को जागरूक करने के बाद अब रिजर्व बैंक ऑफ RBI ने सिक्कों को लेकर भी अहम संदेश जारी किया है। आरबीआई ने लोगों से कहा है कि 50 पैसे और अन्य सभी सिक्कों के बारे में फैल रही अफवाहों पर ध्यान न दें और इन्हें बिना झिझक स्वीकार करें।

    आरबीआई के व्हाट्सऐप नंबर पर भेजे गए संदेश में बैंक ने बताया कि एक ही मूल्यवर्ग के सिक्कों के अलग-अलग डिजाइन हो सकते हैं और यह पूरी तरह से वैध हैं। रिजर्व बैंक ने स्पष्ट किया कि 50 पैसे 1 रुपये 2 रुपये 5 रुपये 10 रुपये और 20 रुपये के सभी सिक्के वैध मुद्रा हैं और लंबे समय तक चलन में रहते हैं।

    सिक्कों के बारे में भ्रमित होने वाले लोगों के लिए RBI ने अपील की है कि वे किसी भी तरह की अफवाह पर ध्यान न दें। बैंक ने कहा “जानकार बनिए सतर्क रहिए।”

    इस संदेश के माध्यम से आरबीआई ने यह भी स्पष्ट किया कि सिक्कों को अस्वीकार करना अनुचित है और सभी व्यापारियों दुकानदारों और आम लोगों को इन्हें स्वीकार करना चाहिए। इससे देश में मुद्रा का निर्बाध और सुरक्षित लेनदेन सुनिश्चित होगा।

    RBI की यह चेतावनी और मार्गदर्शन समय पर जारी की गई है ताकि लोगों में असली और नकली मुद्रा को पहचानने की जानकारी बनी रहे और किसी भी तरह की भ्रम की स्थिति न बने।

  • सलमान खान की आंखों में आंसूधर्मेंद्र को याद कर बोले- 'हमने सबसे कमाल का इंसान खो दिया'

    सलमान खान की आंखों में आंसूधर्मेंद्र को याद कर बोले- 'हमने सबसे कमाल का इंसान खो दिया'



    नई दिल्‍ली ।
    आज दिवंगत अभिनेता धर्मेंद्र का 90वां जन्मदिन हैऔर इस खास मौके पर उनकी यादों को संजीवनी देने वाले उनके चाहने वाले और करीबी लोग उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं। धर्मेंद्रजो भारतीय सिनेमा के एक महानायक के तौर पर जाने जाते हैंअब हमारे बीच नहीं हैंलेकिन उनकी फिल्मी धरोहर और व्यक्तित्व हमेशा लोगों के दिलों में जीवित रहेंगे। इस दिन धर्मेंद्र की याद में उनके परिवार और फैंस के साथ-साथ बॉलीवुड अभिनेता सलमान खान भी भावुक हो गए और अपनी भावनाओं का इजहार किया।

    धर्मेंद्र के निधन ने न सिर्फ उनके परिवार बल्कि उनके करीबी दोस्तों और सिनेमा जगत के कई लोगों को गहरे सदमे में डाला। सलमान खानजो धर्मेंद्र के बहुत करीबी थेउनके जाने को लेकर कई बार अपने दुख का इजहार कर चुके हैं। लेकिन हाल ही में बिग बॉस 19 के ग्रैंड फिनाले के दौरान सलमान ने एक बार फिर धर्मेंद्र को याद करते हुए अपनी भावनाओं को व्यक्त किया। मंच पर धर्मेंद्र का नाम लेते ही सलमान इतने भावुक हो गए कि उनकी आंखों में आंसू आ गए और वह सिसक पड़े। यह पल दर्शकों के लिए भी बहुत भावनात्मक थाक्योंकि सलमान ने खुलकर कहा कि “हमने सबसे कमाल का इंसान खो दिया है।

    सलमान ने धर्मेंद्र को एक बेहतरीन इंसान और एक प्रेरणा माना। उनके अनुसारधर्मेंद्र सिर्फ एक अभिनेता नहीं थेबल्कि वह एक शानदार इंसान थेजिन्होंने अपने जीवन में हमेशा अपने काम और रिश्तों को ईमानदारी और सच्चाई से निभाया। सलमान ने बताया कि धर्मेंद्र का जो योगदान सिनेमा जगत में रहावह अनमोल है और उनकी यादें हमेशा बनी रहेंगी।

    सलमान ने यह भी कहा कि धर्मेंद्र के साथ बिताए गए समय को वह हमेशा याद रखेंगे और उनका मार्गदर्शन उनके लिए हमेशा प्रेरणा का स्रोत रहेगा। धर्मेंद्र की हंसीउनकी सरलता और उनका सहज स्वभाव हमेशा सलमान के दिल में रहेगा। उन्होंने यह भी कहा कि फिल्म इंडस्ट्री में धर्मेंद्र की जो जगह हैवह कोई नहीं ले सकताऔर उनकी कमी सिनेमा की दुनिया में हमेशा खलेगी। धर्मेंद्र के निधन के बाद सलमान खान ने उनके योगदान को कई बार सराहा है और उन्हें एक आदर्श इंसान बताया।

    सलमान का यह इमोशनल पल यह दर्शाता है कि वह केवल अपने परिवार और फैंस के लिए नहींबल्कि फिल्म इंडस्ट्री में अपने गुरु की तरह धर्मेंद्र को मानते थे। धर्मेंद्र के जाने से बॉलीवुड ने एक महान अभिनेता और एक सच्चे इंसान को खो दिया हैलेकिन उनके योगदान और उनकी यादें हमेशा उनके फैंस और चाहने वालों के दिलों में जीवित रहेंगी। धर्मेंद्र के प्रति सलमान का यह श्रद्धांजलि भावुक और दिल छूने वाला थाऔर यह दिखाता है कि बॉलीवुड में रिश्तों की असल अहमियत क्या होती है।
  • Saphala Ekadashi 2025: सफला एकादशी पर करें ये पावन उपाय, खुल जाएंगे धन-संपत्ति और सफलता के द्वार!

    Saphala Ekadashi 2025: सफला एकादशी पर करें ये पावन उपाय, खुल जाएंगे धन-संपत्ति और सफलता के द्वार!


    हिंदू धर्म । में वर्ष भर आने वाली एकादशियों में से सफला एकादशी को विशेष रूप से सौभाग्य, धन-संपन्नता और मनोकामना पूर्ति की एकादशी माना गया है। मान्यता है कि इस दिन किए गए उपाय व्यक्ति को कुबेर जी की कृपा, नौकरी–व्यवसाय में सफलता और जीवन में रुके हुए कामों को गति प्रदान करते हैं।

    पंचांग के अनुसार, वर्ष 2025 में सफला एकादशी का व्रत सोमवार, 15 दिसंबर को पड़ेगा।
    यह तिथि भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी दोनों को प्रसन्न करने का शुभ अवसर मानी जाती है।

    सफला एकादशी 2025: धन-संपत्ति के लिए सबसे प्रभावी उपाय
    1. गन्ने के रस से अभिषेक

    उपाय:
    इस दिन भगवान विष्णु का गन्ने के रस से अभिषेक करें।

    लाभ:
    बुध ग्रह मजबूत होता है, व्यापार में तरक्की, नौकरी में उन्नति और आर्थिक स्थिति शीघ्र सुधरती है।

    2. एकाक्षी नारियल और हल्दी का चमत्कारी उपाय

    उपाय:

    भगवान विष्णु को एकाक्षी नारियल अर्पित करें।

    पूजा में हल्दी की गांठ, चने की दाल और गुड़ चढ़ाएं।

    पूजा के बाद नारियल और हल्दी की गांठ को लाल कपड़े में बांधकर तिजोरी या धन स्थान पर रखें।

    लाभ:
    घर में स्थायी धन-समृद्धि का वास होता है और माता लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

    3. पीपल वृक्ष की पूजा और दीपदान

    उपाय:

    सुबह पीपल के पेड़ की जड़ में दूध और जल अर्पित करें।

    शाम को सरसों के तेल का दीपक जलाकर पीपल वृक्ष के नीचे रखें।

    इसके बाद 11 बार परिक्रमा करें।

    लाभ:
    पितृदोष व कालसर्प दोष से राहत मिलती है, जीवन की बाधाएँ दूर होती हैं और धन लाभ के योग बनते हैं।

    4. दक्षिणावर्ती शंख से अभिषेक

    उपाय:

    दक्षिणावर्ती शंख को पीतल के पात्र में रखें।

    उसमें गंगाजल और केसर मिलाकर भगवान विष्णु का अभिषेक करें।

    अभिषेक के बाद शंख को पूजा स्थल पर रख दें।

    लाभ:
    मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं और हर क्षेत्र में सफलता मिलने लगती है।

    5. तुलसी दल का विशेष प्रयोग

    उपाय:

    7 या 21 तुलसी दल लें।

    उन पर हल्दी लगाकर भगवान विष्णु को अर्पित करें।

    पूजा के बाद तुलसी दल को अपने पर्स या तिजोरी में रखें।

    लाभ:
    जीवन में सुख-शांति बढ़ती है और घर में धन-धान्य की कभी कमी नहीं होती।

    सफला एकादशी पर दान का विशेष पुण्य
    1. अन्न दान

    गरीबों को चावल, दाल, गेहूं आदि देना अत्यंत शुभ माना गया है। इससे घर में अन्न की बरकत बनी रहती है।

    2. गर्म कपड़ों का दान

    पौष माह में विशेष रूप से गर्म वस्त्र दान करना उत्तम फलदायी है।

    3. फल का दान

    भगवान विष्णु को फल अर्पित करने के बाद उन्हीं फलों का दान करने से पुण्य कई गुना बढ़ जाता है।

    15 दिसंबर 2025 को आने वाली सफला एकादशी धन वृद्धि, सफलता और शुभ फलों का मार्ग खोलने वाली तिथि है। सही विधि से पूजा और इन उपायों के पालन से भक्तों पर भगवान विष्णु व माता लक्ष्मी का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।

  • कंथलूर: केरल की गोद में छिपा ‘कश्मीर’, जहाँ पहाड़, सेब के बगीचे और 60 साल पुरानी परंपराएँ आज भी ज़िंदा हैं

    कंथलूर: केरल की गोद में छिपा ‘कश्मीर’, जहाँ पहाड़, सेब के बगीचे और 60 साल पुरानी परंपराएँ आज भी ज़िंदा हैं

    अगर आपको लगता है कि आपने केरल के तमाम हिल स्टेशन देख लिए हैं, तो एक बार कंथलूर ज़रूर जाएँ। मुन्नार से लगभग 50 किलोमीटर दूर स्थित यह शांत, खूबसूरत और रहस्यमय गाँव अपनी ठंडी जलवायु, सेब के बगीचों, चंदन के जंगलों और दशकों से चली आ रही अनोखी बार्टर प्रणाली के कारण ‘केरल का कश्मीर’ कहलाता है। खासकर सर्दियों में तो इसका नज़ारा किसी स्वर्ग से कम नहीं लगता।

    जब कंथलूर की ठंड जादू बिखेरती है

    करीब 1,500 मीटर की ऊँचाई पर बसा यह इलाका दक्षिण भारत के उन चुनिंदा स्थानों में है, जहाँ सर्दियों में तापमान काफी गिर जाता है।
    दिसंबर से फरवरी के बीच-

    सुबह-सुबह पहाड़ियों पर चांदी-सी ओस,

    हवा में धुंध की हल्की चादर,

    और चारों ओर फैली ठंडक

    इस जगह को बिल्कुल कश्मीर जैसा एहसास देती है। सर्दियों की छुट्टियाँ बिताने के लिए यह एक परफेक्ट हिल स्टेशन माना जाता है।

    1962 से अब तक-कंथलूर में अब भी चलता है वस्तु-विनिमय (बार्टर सिस्टम)

    कंथलूर की सबसे अनोखी पहचान है यहाँ की 60 साल पुरानी बार्टर परंपरा, जो आज भी वैसी ही चलती है जैसी 1962 में शुरू हुई थी।

    गाँव की एक विशेष दुकान में लोग अपना उगाया हुआ सामान-
    जैसे लहसुन, सरसों, अदरक, बीन्स, धनिया-
    लाकर देते हैं और बदले में उन्हें चावल, दाल और रोज़मर्रा का समान दिया जाता है।

    करीब 160 परिवार इसी प्रणाली पर निर्भर हैं। डिजिटल युग में भी यह परंपरा गाँव की आत्मनिर्भरता और आपसी भरोसे की मिसाल पेश करती है।

    12 साल में एक बार नीले रंग में रंग जाता है पूरा कंथलूर

    कंथलूर का एक और अद्भुत आकर्षण है-नीलकुरिंजी फूल।
    यह फूल हर 12 साल में खिलता है और खिलने के बाद पूरी घाटी नीले रंग की चादर से ढक जाती है।

    यह दुर्लभ दृश्य इतनी भीड़ खींचता है कि देश-विदेश से पर्यटक इसे देखने आते हैं।
    2018 में आखिरी बार नीलकुरिंजी खिले थे, इसलिए अगला मौका 2030 में मिलेगा।

    एक समय पर स्थानीय जनजातियाँ अपनी उम्र भी नीलकुरिंजी के खिलने के चक्र से गिनती थीं!

    क्यों कहा जाता है कंथलूर को ‘केरल का कश्मीर’

    क्योंकि पूरे केरल में सेब की खेती सिर्फ यहीं होती है।
    ठंडी जलवायु और अनोखी मिट्टी यहाँ सेब को खास स्वाद देती है।

    इसके अलावा यहाँ-

    स्ट्रॉबेरी

    संतरा

    आड़ू

    और कई तरह के फल

    बड़े पैमाने पर उगाए जाते हैं।
    पर्यटक बागों में जाकर खुद पेड़ों से फल तोड़ने का आनंद भी ले सकते हैं।

    चंदन के जंगल और ‘लिक्विड गोल्ड’ की महक

    कंथलूर और इसके पास स्थित मरयूर क्षेत्र चंदन के प्राकृतिक जंगलों के लिए प्रसिद्ध है।
    यहाँ के चंदन के पेड़ों की सुरक्षा सरकार करती है।

    चंदन का तेल, जिसे लोग लिक्विड गोल्ड कहते हैं, इन जंगलों की पहचान है।
    यहाँ की हवा में फैली चंदन की खुशबू माहौल को दिव्य बना देती है।

    कंथलूर में घूमने लायक प्रमुख जगहें

    चिन्नार वाइल्डलाइफ सेंचुरी – ट्रैकिंग, वाइल्डलाइफ और झरनों का रोमांच

    अनामुडी शोला नेशनल पार्क – घने जंगलों और क्लाउड फॉरेस्ट का अनुभव

    मुनियारा डोलमेंस – लगभग 3000 ईसा पूर्व के विशाल पत्थर कक्ष

    ऑर्गेनिक फार्म और फल बगीचे – सेब, स्ट्रॉबेरी, संतरा तोड़ने का अनोखा अनुभव

    क्योर मठ – चंदन के पेड़ों के बीच शांति का अद्भुत एहसास

    कंथलूर जाने का सबसे अच्छा समय

    सितंबर से मार्च
    खासकर दिसंबर–जनवरी में यहाँ की ठंड दक्षिण भारत में कहीं और नहीं मिलती।

    कैसे पहुँचें?

    सबसे नजदीकी एयरपोर्ट: कोचीन इंटरनेशनल एयरपोर्ट

    नजदीकी रेलवे स्टेशन: अलुवा और थ्रिशूर

    वहाँ से टैक्सी या बस से कंथलूर पहुँचा जा सकता है।

    अगर आप भीड़भाड़ से दूर प्रकृति की गोद में एक शांत, ठंडी, अनोखी और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध जगह की तलाश में हैं, तो कंथलूर आपके सफर की सबसे यादगार मंज़िल बन सकती है।

  • शाकिब अल हसन ने किया चौंकाने वाला यू-टर्न: तीनों फॉर्मेट में खेलकर लेना चाहते फेयरवेल सीरीज

    शाकिब अल हसन ने किया चौंकाने वाला यू-टर्न: तीनों फॉर्मेट में खेलकर लेना चाहते फेयरवेल सीरीज


    नई दिल्ली। बांग्लादेश के पूर्व कप्तान और ऑलराउंडर शाकिब अल हसन ने इंटरनेशनल क्रिकेट से संन्यास पर अपने पहले के फैसले को पलटते हुए तीनों फॉर्मेट-ओडीआई, टेस्ट और टी20 इंटरनेशनल-में खेलने की इच्छा जताई है। शाकिब चाहते हैं कि वे अपने करियर की अंतिम सीरीज बांग्लादेश में घरेलू दर्शकों के सामने खेलकर विदाई लें।

    रिटायरमेंट से वापसी का कारण

    शाकिब ने पिछले साल अक्टूबर में भारत के खिलाफ कानपुर टेस्ट खेला था। इसके बाद उन्होंने टेस्ट और टी20 फॉर्मेट से संन्यास की घोषणा की थी, जबकि वनडे इंटरनेशनल खेलते रहने की इच्छा जताई थी। बाद में विवाद और कानूनी मुद्दों के कारण वह टीम में वापसी नहीं कर पाए।

    हाल ही में बियर्ड बिफोर विकेट पॉडकास्ट में मोईन अली से बातचीत के दौरान शाकिब ने स्पष्ट किया कि उन्होंने तीनों फॉर्मेट से आधिकारिक रूप से संन्यास नहीं लिया है। उन्होंने कहा:

    “मेरी इच्छा है कि मैं बांग्लादेश लौटकर ओडीआई, टेस्ट और टी20 इंटरनेशनल की पूरी सीरीज खेलूं और इसके बाद संन्यास लूँ। मैं इसे किसी भी क्रम में खेल सकता हूँ, लेकिन पूरी सीरीज खेलकर ही विदाई लेना चाहता हूँ।”

    बांग्लादेश लौटने की चुनौती

    शाकिब के लिए बांग्लादेश लौटना आसान नहीं है। बांग्लादेश क्रिकेट बोर्ड (BCB) ने पहले ही स्पष्ट किया है कि वे किसी भी तरह की सुरक्षा गारंटी नहीं दे सकते। पिछले साल शाकिब घरेलू मैदान पर साउथ अफ्रीका के खिलाफ फेयरवेल टेस्ट खेलना चाहते थे, लेकिन सुरक्षा चिंताओं और गिरफ्तारी के डर के कारण उन्होंने जोखिम नहीं लिया।

    साथ ही शाकिब ने कहा कि वे फिट रहकर चयन के लिए उपलब्ध रहना चाहते हैं और घरेलू दर्शकों के सामने ही अपने करियर को सम्मानजनक रूप से समाप्त करना चाहते हैं।

    शाकिब का करियर: शानदार ऑलराउंड रिकॉर्ड

    38 वर्षीय शाकिब अल हसन ने बांग्लादेश के लिए बेहतरीन प्रदर्शन किया है:

    टेस्ट: 71 मैच, 4609 रन (औसत 37.78), 246 विकेट

    वनडे: 247 मैच, 7570 रन, 317 विकेट

    टी20 इंटरनेशनल: 129 मैच, 2551 रन, 149 विकेट

    आईपीएल: 71 मैच, 793 रन, 63 विकेट

    उनकी बल्लेबाजी और गेंदबाजी की क्षमताओं ने उन्हें बांग्लादेश के सबसे बड़े ऑलराउंडरों में शामिल किया है।

    शाकिब की यह वापसी और अंतिम सीरीज की योजना क्रिकेट प्रशंसकों के लिए खासा रोमांचक बन सकती है, लेकिन सुरक्षा और राजनीतिक परिस्थितियों के कारण उनके देश लौटने में अभी भी अनिश्चितता बनी हुई है।