स्थानीय लोग इस हादसे को लेकर गहरी शोक संवेदनाएं व्यक्त कर रहे हैं। इस दुर्घटना में जान गंवाने वाले दंपती और पिकअप चालक के परिवारों में शोक की लहर दौड़ गई है।
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नीमच से लौट रहे दंपती की सड़क दुर्घटना में मौत तीन लोग मारे गए
नीमच । राजस्थान के निंबाहेड़ा बायपास पर शुक्रवार रात को हुए एक दर्दनाक सड़क हादसे में नीमच जिले के एक दंपती सहित तीन लोगों की मौत हो गई। यह दुर्घटना नेशनल हाईवे 56 पर बडौली माधोसिंह मार्ग के चौराहे पर हुई जब एक मांगलिक कार्यक्रम से लौट रहे दंपती की कार पिकअप से टकराई और उसके बाद पीछे से आ रही थार ने उनकी गाड़ी को जोरदार टक्कर मार दी। इस हादसे में दोनों दंपती के सदस्यों और पिकअप चालक की मौके पर ही मौत हो गई।सभी मृतक नीमच जिले के सरवानिया महाराज क्षेत्र के निवासी थे। दुर्घटना का शिकार हुआ दंपती लखन मालू 40 वर्ष और उनकी पत्नी सविता डॉली मालू 36 वर्ष चित्तौड़गढ़ जिले में एक मांगलिक कार्यक्रम में शामिल होकर वापस लौट रहे थे। उनकी मारुति वेन नेशनल हाईवे पर बायपास पर एक खड़ी पिकअप से टकराई जो पंचर होने के कारण वहां रुकी हुई थी।इस दौरान एक थार जीप पीछे से तेजी से आई और वेन को टक्कर मार दी। टक्कर इतनी जोरदार थी कि वेन बुरी तरह पिचक गई और उसमें सवार दोनों दंपती की मौके पर ही मौत हो गई। इसके अलावा पिकअप चालक बसंतीलाल प्रजापत 30 वर्ष भी इस हादसे में अपनी जान गंवा बैठा। वह ग्राम भूनियाखेड़ी का निवासी था। पिकअप में सवार एक अन्य व्यक्ति हस्तीमल पामेचा को गंभीर चोटें आईं जिसे उपचार के लिए नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया है।निंबाहेड़ा पुलिस ने घटना के बाद मामले की जांच शुरू कर दी है। पुलिस अधिकारियों के अनुसार इस दुर्घटना में शामिल सभी वाहनों का सही तरीके से निरीक्षण किया जा रहा है और दुर्घटना के कारणों का पता लगाया जा रहा है।सदर थाना प्रभारी संजय शर्मा ने बताया कि दुर्घटना की सूचना मिलने के बाद पुलिस ने तत्काल घायलों को अस्पताल भेजा। मृतकों के शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है और दुर्घटनाग्रस्त वाहनों को हाईवे से हटवाकर यातायात को सुचारू किया गया। पुलिस ने कहा कि मामले की जांच जारी है और जल्द ही इसके कारणों का पता लगाया जाएगा।यह हादसा क्षेत्र में काफी चर्चा का विषय बना हुआ है क्योंकि यह हादसा उस समय हुआ जब लोग मांगलिक कार्यक्रम से लौट रहे थे और यह घटना उस समय हुई जब सड़क पर गाड़ी की स्थिति बिगड़ गई थी।
स्थानीय लोग इस हादसे को लेकर गहरी शोक संवेदनाएं व्यक्त कर रहे हैं। इस दुर्घटना में जान गंवाने वाले दंपती और पिकअप चालक के परिवारों में शोक की लहर दौड़ गई है।सड़क हादसों के बढ़ते मामलों को देखते हुए पुलिस और प्रशासन ने नेशनल हाईवे पर सड़क सुरक्षा उपायों को और मजबूत करने की आवश्यकता जताई है। इस हादसे ने एक बार फिर सड़क सुरक्षा के महत्व को उजागर किया है और लोगों से आग्रह किया गया है कि वे यात्रा के दौरान अपनी सुरक्षा का विशेष ध्यान रखें। -

अमरिंदर सिंह का बयान: कहा- भाजपा में मुझसे सलाह नहीं ली जाती, लेकिन कांग्रेस में लौटने का सवाल ही नहीं
नई दिल्ली । पंजाब(Punjab) के पूर्व मुख्यमंत्री (Chief Minister)और भारतीय जनता पार्टी(Bharatiya Janata Party) के नेता अमरिंदर सिंह(Amarinder Singh) ने शुक्रवार को बड़ा बयान दिया। भाजपा के कामकाज की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस के विपरीत, पार्टी उनसे परामर्श नहीं कर रही है। हालांकि, उन्होंने कांग्रेस में लौटने की संभावना को पूरी तरह खारिज किया।मीडिया को दिए इंटरव्यू में अमरिंदर सिंह ने कहा कि कांग्रेस छोड़ने के बाद उन्हें जिस तरह से मुख्यमंत्री पद से हटाया गया था, उससे वह अब भी आहत हैं, इसलिए कांग्रेस में शामिल होने का सवाल ही नहीं उठता। उन्होंने कहा कि भाजपा में सभी निर्णय दिल्ली में लिए जाते हैं और जमीनी नेताओं से परामर्श नहीं किया जाता। उन्होंने कहा, ‘मेरे पास 60 साल का राजनीतिक अनुभव है, लेकिन मैं खुद को उन पर थोप नहीं सकता।’
हालांकि, अमरिंदर सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि मोदी का पंजाब के लिए विशेष स्नेह है और वह राज्य के लिए कुछ भी करेंगे। नवजोत कौर सिद्धू के इस बयान पर कि पंजाब में 500 करोड़ रुपये का सूटकेस देने वाला मुख्यमंत्री बनता है, सिंह ने नवजोत सिंह सिद्धू और उनकी पत्नी को अस्थिर बताया और सिद्धू को राजनीति छोड़कर क्रिकेट कमेंट्री पर ध्यान केंद्रित करने की सलाह दी। सिंह ने कहा कि भाजपा पंजाब में तभी मजबूत हो सकती है जब वह शिरोमणि अकाली दल के साथ हाथ मिलाए। उन्होंने दावा किया कि दोनों दल अंततः एक साथ आएंगे, क्योंकि पंजाब में गठबंधन के बिना कोई सरकार नहीं बन सकती।
मुख्यमंत्री भगवंत मान पर तंज कसा
वर्तमान आम आदमी पार्टी सरकार पर निशाना साधते हुए पूर्व मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि पंजाब आतंकवाद के वर्षों के बाद सबसे खराब दौर से गुजर रहा है। अमरिंदर सिंह ने मुख्यमंत्री भगवंत मान पर तंज कसते हुए कहा कि वह केवल टीवी पर आते हैं और चुटकुले सुनाते हैं। सिंह ने आरोप लगाया कि मुफ्त की योजनाओं के कारण पंजाब भिखारी राज्य बन गया है। उन्होंने यह भी दावा किया कि मान केवल नाममात्र के मुखिया हैं, जबकि पंजाब के असली फैसले अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया ले रहे हैं। सिंह ने लोगों से स्थिरता के लिए भाजपा पर विचार करने का आग्रह किया, क्योंकि भारत की सुरक्षा पंजाब के हितों से जुड़ी हुई है। -

बगाल के मुर्शिदाबाद में बाबरी मस्जिद स्थल पर जुटी भीड़, सैकड़ों लोगों ने अदा की जुमे की नमाज
कोलकाता । पश्चिम बंगाल (West Bengal)के मुर्शिदाबाद (Murshidabad)जिले में प्रस्तावित बाबरी मस्जिद शैली वाली मस्जिद के स्थल पर सैकड़ों लोगों ने शुक्रवार की नमाज अदा की। निलंबित तृणमूल कांग्रेस विधायक हुमायूं कबीर (Humayun Kabir)ने 6 दिसंबर को इस मस्जिद की नींव रखी थी। यह तारीख वही है जब 1992 में अयोध्या(Ayodhya) की बाबरी मस्जिद को ढहाया गया था। आज सुबह से ही आसपास के गांवों से लोग खेतों के रास्ते इस स्थल की ओर आने लगे थे। नमाज के समय नजदीक आने पर आयोजकों ने लाउडसर्स के जरिए भीड़ को निर्देश दिए। तस्वीरों में दिख रहा है कि नमाजियों की लंबी-लंबी कतारें खेतों से होते हुए खुले मैदान तक पहुंच रही थीं।पहले से क्षेत्र में तनाव को देखते हुए भारी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी। पिछले हफ्ते तृणमूल कांग्रेस से निष्कासित किए गए हुमायूं कबीर भी नमाज में शामिल हुए। किसी अप्रिय घटना को रोकने के लिए पुलिस बल बढ़ा दिया गया था। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। आयोजकों ने करीब 1 हजार लोगों के लिए खाने की व्यवस्था की थी, लेकिन भीड़ उससे कहीं अधिक थी। पड़ोस के प्लासी से आए लोगों ने करीब डेढ़ क्विंटल चावल से खिचड़ी बनाई। खाना बनाने वाली कमेटी के एक सदस्य ने कहा, ‘हम ये सवाब के लिए कर रहे हैं। पता नहीं कितने लोग आएंगे, लेकिन उन्हें खिलाना बड़ा पुण्य है।’
राजनीतिक बयानबाजियां तेज
नींव रखे जाने के बाद से बाबरी मस्जिद की तर्ज पर बनने वाली इस मस्जिद के लिए भारी चंदा आ रहा है। स्थल पर रखे दान-पात्र तेजी से भरते दिखे और डिजिटल योगदान के लिए क्यूआर कोड भी लगाए गए थे। नींव समारोह ने तीखी राजनीतिक प्रतिक्रियाएं पैदा की थीं। भाजपा ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर सांप्रदायिक तुष्टिकरण का आरोप लगाया। तृणमूल कांग्रेस ने दावा किया कि यह सारा मामला भाजपा के इशारे पर अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले क्षेत्र को ध्रुवीकृत करने की साजिश है। हुमायूं कबीर ने कहा कि वे सिर्फ लोगों की मांग पर ऐसा कर रहे हैं। -

सेवा, शिक्षा और संवेदना की मिसाल: डॉ. रश्म-जो इलाज को सिर्फ पेशा नहीं, जिम्मेदारी मानती हैं
भोपाल आज के समय में जब चिकित्सा को अक्सर सिर्फ एक पेशे के तौर पर देखा जाता है, वहीं डॉ. रश्मि जैसी चिकित्सक उम्मीद की एक अलग तस्वीर पेश करती हैं। उन्होंने अपने ज्ञान, अनुभव और संवेदना से न सिर्फ मरीजों का इलाज किया, बल्कि चिकित्सा शिक्षा और सामाजिक जिम्मेदारी को भी समान महत्व दिया। डॉ. रश्मि ने बीआरडी मेडिकल कॉलेज, गोरखपुर से जनरल मेडिसिन में एमडी की डिग्री हासिल की है। इसके अलावा उन्होंने डायबिटीज में सर्टिफिकेट कोर्स भी किया, जिससे मेटाबॉलिक और लाइफस्टाइल डिजीज़ के क्षेत्र में उनकी विशेषज्ञता और मजबूत हुई।अपने करियर की शुरुआत से ही डॉ. रश्मि ने प्रतिष्ठित संस्थानों में सेवाएं दी हैं। उन्होंने एम्स भोपाल में तीन वर्षों तक सीनियर रेजिडेंट के रूप में कार्य किया। इसके बाद वे एलएन मेडिकल कॉलेज और पीएमएस भोपाल जैसे संस्थानों में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत रहीं। मेडिकल एजुकेशन के क्षेत्र में उन्हें पांच साल का टीचिंग अनुभव प्राप्त है, जहां उन्होंने सैकड़ों मेडिकल छात्रों को प्रशिक्षण दिया। वर्तमान में डॉ. रश्मि मेडिकल एजुकेशन और आईसीएमआर ICMR रिसर्च से सक्रिय रूप से जुड़ी हुई हैं। वे सिर्फ क्लीनिकल प्रैक्टिस तक सीमित नहीं हैं, बल्कि रिसर्च और अकादमिक गतिविधियों के जरिए चिकित्सा क्षेत्र में नए आयाम जोड़ने का प्रयास कर रही हैं।
प्रशासनिक जिम्मेदारियों में भी उनकी भूमिका अहम रही है। वे बेसिक लाइफ सपोर्ट BLS प्रोग्राम, नर्सिंग ट्रेनिंग सेशन TEM में फैकल्टी इंचार्ज के रूप में कार्य कर चुकी हैं। इन कार्यक्रमों के माध्यम से उन्होंने इमरजेंसी स्थितियों में त्वरित और सही उपचार के लिए मेडिकल व नर्सिंग स्टाफ को प्रशिक्षित किया। डॉ. रश्मि के प्रोफेशनल इंटरेस्ट में डायबिटीज, हाइपरटेंशन, मेटाबॉलिक सिंड्रोम, पेलिएटिव केयर, इमरजेंसी मेडिसिन और इमरजेंसी केयर इंटरवेंशन शामिल हैं। विशेष रूप से गंभीर और जरूरतमंद मरीजों के लिए उनका दृष्टिकोण बेहद मानवीय रहा है।
साथी डॉक्टरों के अनुसार, डॉ. रश्मि ने अब तक कई गरीब और असहाय मरीजों के इलाज का खर्च स्वयं उठाया है। इसके साथ ही वे मरीजों को अन्य संस्थाओं, सामाजिक संगठनों और सहायता समूहों के माध्यम से आर्थिक मदद दिलाने में भी सक्रिय भूमिका निभाती हैं। उनके लिए मरीज सिर्फ एक केस नहीं, बल्कि एक इंसान होता है।उनकी यही सोच उन्हें एक संवेदनशील चिकित्सक के रूप में अलग पहचान दिलाती है-जहां इलाज के साथ भरोसा, सहानुभूति और सहयोग भी उतना ही जरूरी माना जाता है। डॉ. रश्मि की यात्रा यह साबित करती है कि एक अच्छा डॉक्टर वही है जो ज्ञान के साथ करुणा भी रखे। शिक्षा रिसर्च और समाजसेवा का संतुलन उन्हें चिकित्सा क्षेत्र की प्रेरणादायक शख्सियत बनाता है।
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सुप्रीम कोर्ट का सख्त संदेश: याचिकाकर्ताओं और वकीलों को न्यायपालिका को बदनाम न करने की चेतावनी
नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)ने शुक्रवार को एक अर्जी पर नाराजगी जताते हुए याचिकाकर्ता (Petitioner)को फटकार लगाई और एक लाख रुपये का जुर्माना भी ठोक दिया। यह याचिका अल्पसंख्यक स्कूलों को शिक्षा के अधिकार अधिनियम के प्रावधानों (Provisions)के तहत छूट देने के सुप्रीम कोर्ट के पुराने आदेश के खिलाफ दायर की गई थी। कोर्ट ने कहा कि इस तरह की याचिका दायर करके न्यायपालिका को बदनाम न करें।जस्टिस बीवी नागरत्ना और आर महादेवन की पीठ यूनाइटेड वॉयस फॉर एजुकेशन फोरम एनजीओ द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिका में कहा गया था कि अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों को दी गई छूट असंवैधानिक है, क्योंकि यह उन्हें आरटीई दायित्वों से पूरी तरह से छूट देती है। पीठ ने कहा कि अगर वकील इस तरह की सलाह दे रहे हैं तो उन्हें भी दंडित करना होगा। कोर्ट ने जुर्माना लगाते हुए कहा कि सख्त संदेश देना जरूरी है। आप कानून के जानकार और पेशेवर हैं और आप अनुच्छेद 32 के तहत इस न्यायालय के फैसले को चुनौती देते हुए रिट याचिका दायर करते हैं? आप कोर्ट के महत्व को समझते नहीं हैं। 2014 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले में आरटीई एक्ट को आर्टिकल 30(1) के तहत अल्पसंख्यक स्कूलों पर लागू नहीं माना था।
इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उस याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया, जिसमें दावा किया गया था कि ‘म्यूचुअल फंड सही है’ जैसे लोकप्रिय विज्ञापन अभियान निवेशकों को गुमराह करते हैं। जस्टिस विक्रम नाथ और संदीप मेहता की पीठ इस साल सितंबर में बॉम्बे हाई कोर्ट के एक आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी। हाईकोर्ट ने उस जनहित याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया को निवेशक शिक्षा और जागरूकता कार्यक्रम चलाने के लिए दी गई छूट को रद्द करने का निर्देश देने की मांग की गई थी।
साथ ही, देश में सभी इमारतों को भूकंप रोधी बनाने और भूकंप की स्थिति से निपटने के लिए समाधान की मांग करने वाली याचिका शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है। याचिकाकर्ता ने पीठ को बताया कि पहले यह माना जाता था कि दिल्ली सबसे ज्यादा भूकंप संभावित क्षेत्र है, लेकिन नई रिपोर्ट में पता चला है कि देश का 75 प्रतिशत क्षेत्र भूकंप संभावित है। इस पर जज ने कहा तो क्या सभी लोगों को चांद पर रहने भेज दिया जाए? इस पर याचिकाकर्ता ने कहा कि वह भूकंप से कम नुकसान के उपाय अपनाने की बात लेकर कोर्ट पहुंचे हैं। देश में भूकंप के खतरे को ध्यान में रखते हुए भवन और दूसरे निर्माण होने चाहिए।
याचिकाकर्ता ने जापान में हाल ही में आए भूकंप का जिक्र किया। उन्होंने ऐसी स्थिति से निपटने के लिए वहां पर होने वाले विशेष किस्म के भवन निर्माण पर चर्चा करनी चाही, लेकिन पीठ ने उन्हें रोका। कोर्ट ने कहा कि मीडिया में कौन सी रिपोर्ट प्रकाशित हो रही है, उसके आधार पर कोर्ट में सुनवाई नहीं होती। यह विषय नीतिगत है।
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अल्पसंख्यकों से जुड़े मामले पर भड़कीं जस्टिस नागरत्ना, याचिकाकर्ता पर लगाया 1 लाख का जुर्माना
नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)ने शुक्रवार (12 दिसंबर) को उस रिट याचिकाकर्ता(Petitioner) को कड़़ी फटकार लगाई, जिसने अल्पसंख्यक(minority) विद्यालयों को शिक्षा के अधिकार अधिनियम के प्रावधानों के तहत छूट देने के शीर्ष न्यायालय के पूर्व के आदेश को चुनौती दी थी। जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने इस रिट पिटीशन को देश की न्यायपालिका को नीचा दिखाने और उसे ध्वस्त करे की एक कोशिश करार दिया और याचिकाकर्ता पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगा दिया।जस्टिस नागरत्ना ने सुनवाई के दौरान सख्त टिप्पणी की, “आप सुप्रीम कोर्ट के साथ ऐसा नहीं कर सकते। हम गुस्से में हैं। अगर आप ऐसे मामले दायर करना शुरू कर देंगे तो यह इस देश की पूरी न्याय प्रणाली के खिलाफ होगा। आपको अपने मामले की गंभीरता का पता नहीं है। हम खुद को 1 लाख रुपये के जुर्माने तक ही सीमित रख रहे हैं। ऐसे मामले दायर करके इस देश की न्यायपालिका को नीचा न दिखाएं।”
न्यायपालिका को बदनाम मत कीजिए
कोर्ट ने यह भी सवाल उठाया कि वकील सुप्रीम कोर्ट के अपने ही फैसलों के खिलाफ ऐसी याचिकाएं दायर करने की सलाह कैसे दे रहे हैं? याचिका दायर करने के लिए वकील को फटकार लगाते हुए पीठ ने कहा, ‘‘इस तरह के मामले दायर करके देश की न्यायपालिका को बदनाम मत कीजिए। यहां क्या हो रहा है? क्या वकील इस तरह की सलाह दे रहे हैं? हमें वकीलों को दंडित करना होगा।’’ पीठ ने कहा, “हम केवल एक लाख रुपये का जुर्माना ही लगा रहे हैं।’’आप देश की न्यायपालिका को ध्वस्त करना चाहते हैं
न्यायालय ने कहा, ‘‘आप कानून के जानकार लोग और पेशेवर हैं और आप अनुच्छेद 32 के तहत इस न्यायालय के फैसले को चुनौती देते हुए रिट याचिका दायर करते हैं? घोर दुरुपयोग। हम संयम बरत रहे हैं। हम अवमानना का आदेश जारी नहीं कर रहे हैं। आप इस देश की न्यायपालिका को ध्वस्त करना चाहते हैं।’’किस NGO ने दायर की थी याचिका?
उच्चतम न्यायालय गैर-सरकारी संगठन ‘यूनाइटेड वॉइस फॉर एजुकेशन फोरम’ द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें यह निर्देश देने का अनुरोध किया गया था कि अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों को दी गई छूट असंवैधानिक है क्योंकि यह उन्हें शिक्षा का अधिकार (आरटीई) अधिनियम के दायित्वों से पूर्ण रूप से छूट प्रदान करती है। न्यायालय ने 2014 में दिए फैसले में कहा था कि आरटीई अधिनियम अनुच्छेद 30(1) के तहत अल्पसंख्यक विद्यालयों पर लागू नहीं होता है, जो धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यकों को शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना और शासन का अधिकार प्रदान करता है। -

फर्स्ट एसी बोगी में दिखा चूहा, पूर्व विधायक ने मारकर वीडियो किया शेयर, मोदी सरकार पर साधा निशाना
नई दिल्ली । भाजपा (BJP)छोड़ राजद में शामिल हुए पीरपैंती (भागलपुर) के पूर्व विधायक ललन पासवान ने शुक्रवार को बांका इंटरसिटी (Banka Intercity)एक्सप्रेस ट्रेन में चूहे को मारकर अपना वीडियो शेयर किया। उन्होंने ट्रेनों में चूहे के आतंक और यात्रियों की परेशानी का जिक्र करते हुए रेलवे में मेंटेनेंस, (Maintenance)हाउसकीपिंग(Housekeeping) सहित अन्य काम के निजीकरण पर सवाल उठाया। ललन ने बताया कि वह गुरुवार की रात बांका इंटरसिटी से फर्स्ट एसी कोच में पटना से भागलपुर आ रहे थे। जब फर्स्ट एसी बोगी में इतने बड़े-बड़े चूहे यात्रियों को काट रहे हैं तो स्लीपर और सेकेंड और थर्ड एसी जैसी बोगियों की क्या स्थिति होगी, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।पूर्व विधायक ने बताया कि ट्रेन खुलने के बाद वह अपनी सीट पर सो रहे थे तो इसी दौरान एक घंटे तक चूहे के आतंक से परेशान रहे। चूहा चेहरे पर आ-जा रहा था। ट्रेनों में अव्वल दर्जे की बोगियों में हाउसकीपिंग की यह स्थिति है। ठेका लेने वाली प्राइवेट एजेंसियों की कोई निगरानी नहीं है। यात्री ट्रेनों में परेशान हैं। चूहा किसी का सामान काट रहा है तो किसी के शरीर पर कूद रहा है और काट रहा है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है।
उन्होंने आशंका जताई कि जब ये ट्रेनें यार्ड में खड़ी होती हैं तो इसके पीछे सांप और अन्य जीव भी बोगियों में आ सकते हैं। चूहा स्वयं कई बीमारियों का कारण है। रेलवे और केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार यात्रियों की इन परेशानियों पर संज्ञान ले। उन्होंने बताया कि वह एक बोनाफाइड यात्री के रूप में टिकट लेकर यात्रा कर रहे थे और उनका हक है कि सुरक्षित और सुलभ यात्रा रेलवे उपलब्ध कराए। इस बाबत मालदा रेल मंडल के पीआरओ रसराज माजी ने कहा कि बांका इंटरसिटी का मेंटनेंस दानापुर डिवीजन से होता है।
भाजपा ने टिकट काटा तो राजद में शामिल हुए थे
बीते विधानसभा चुनाव में पीरपैंती के सीटिंग विधायक ललन पासवान का अंतिम समय में भाजपा से टिकट कट गया। इससे नाराज ललन पहले तो राजद प्रत्याशी के चुनाव प्रचार में जुट गए फिर चुनाव के दौरान ही पटना में जाकर पूर्व सीएम राबड़ी देवी से आशीर्वाद लेकर राजद में शामिल हो गए। पाला बदलने के बाद वह भाजपा को लगातार निशाने पर ले रहे हैं। -

हुमायूं कबीर ने बाबरी मस्जिद निर्माण के लिए जुटाए 5 करोड़ रुपये और सोने के गहने
कोलकाता । पश्चिम बंगाल(West Bengal) की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee)की पार्टी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) विधायक हुमायूं कबीर(Humayun Kabir) मुर्शिदाबाद जिले में “बाबरी मस्जिद”(Babri Masjid) के अपने सपने को साकार करने के लिए देश-विदेश से भारी मात्रा में चंदा प्राप्त कर रहे हैं। 6 दिसंबर को बाबरी मस्जिद विध्वंस की 33वीं बरसी पर आधारशिला रखे जाने के बाद से, अब तक लगभग 5 करोड़ की राशि जुटाई जा चुकी है।एक रिपोर्ट के मुताबिक, हुमायूं कबीर ने बताया कि उन्हें एक ही व्यक्ति से 1 करोड़ का चंदा देने का वादा किया गया था, जो अभी तक प्राप्त नहीं हुआ है। वह पश्चिम बंगाल इस्लामिक फाउंडेशन ऑफ इंडिया (WBIFI) द्वारा विदेशी फंडिंग प्राप्त करने के लिए बैंकिंग प्रावधान स्थापित किए जाने के बाद विदेशों से और अधिक धन प्राप्त करने की उम्मीद कर रहे हैं।
उन्होंने बेहद आत्मविश्वास से कहा, “हमें कतर, सऊदी अरब, बांग्लादेश और इंग्लैंड सहित विदेशों से दान के लिए फोन आ रहे हैं।” पूर्व टीएमसी विधायक को न केवल बाबरी मस्जिद के अपने सपने पर भरोसा है, बल्कि आधारशिला समारोह में मिले भारी समर्थन के बाद अपनी नई राजनीतिक पारी पर भी पूरा भरोसा है।
23 बीघा भूमि पर बाबरी मस्जिद के निर्माण का प्रभारी डब्ल्यूबीआईएफआई की समिति के सदस्यों द्वारा प्रतिदिन शाम को दान बक्सों से जमा किए गए धन के ट्रंक गिने जाते हैं। गुरुवार को ही 23,01,495 की राशि के साथ एक सोने की अंगूठी, एक सोने की नथ और सोने की बालियां एकत्र की गईं।
पार्टी द्वारा निलंबित किए जाने के बावजूद, हुमायूं कबीर का राजनीति छोड़ने का कोई इरादा नहीं है। वास्तव में, वह बंगाल की राजनीति में एक बड़ी भूमिका निभाने को लेकर आश्वस्त हैं। उन्होंने दावा किया, “चुनाव के बाद मैं किंगमेकर बनूंगा। मेरे बिना कोई सरकार नहीं बना सकता।” भरतपुर से विधायक कबीर 17 दिसंबर को पश्चिम बंगाल विधानसभा में मौजूद रहेंगे, लेकिन उनका इस्तीफा देने का कोई इरादा नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया, “मुझे यह महीना खत्म कर लेने दीजिए, मैं इस्तीफे के बारे में जनवरी में सोचूंगा।”
वह 22 दिसंबर को अपनी नई पार्टी शुरू करने के लिए तैयार हैं, हालांकि उन्होंने अभी तक नाम का खुलासा नहीं किया है। कबीर असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी, एआईएमआईएम के साथ गठबंधन की उम्मीद कर रहे थे, जो सफल नहीं हो सका। वह मुर्शिदाबाद जिले में कांग्रेस और वाम मोर्चा के साथ सीट शेयरिंग का फॉर्मूला बनाना चाहते हैं, जिसकी घोषणा वह अपनी पार्टी के गठन के बाद करेंगे।
इस बीच, टीएमसी ने कबीर के ‘बाबरी मस्जिद’ एजेंडे से दूरी बना ली है। टीएमसी का कहना है कि यह पार्टी की समावेशी राजनीति की विचारधारा के अनुरूप नहीं है। आपको बता दें कि पश्चिम बंगाल में मुस्लिम समुदाय के लगभग 30 प्रतिशत मतदाता हैं, जबकि हिंदू अल्पसंख्यक समुदाय में शामिल मतुआ बंगाल में 17 प्रतिशत हैं। इनके वोट भाजपा और टीएमसी के बीच विभाजित हैं।
जिस दिन मुर्शिदाबाद में बाबरी मस्जिद की आधारशिला रखी गई थी, टीएमसी ने एकता दिवस का आयोजन किया था। इसके माध्यम से पार्टी ने सांप्रदायिक सद्भाव के लिए खड़े होने का स्पष्ट संदेश दिया।
टीएमसी ने मुर्शिदाबाद में आधारशिला समारोह से कुछ दिन पहले कबीर को दूसरी बार पार्टी से निष्कासित कर दिया था। कांग्रेस से टीएमसी में शामिल हुए कबीर ने सत्ताधारी सरकार के पहले कार्यकाल में जूनियर कैबिनेट मंत्री के रूप में कार्य किया था, इससे पहले उन्हें 2015 में पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए छह साल के लिए निष्कासित कर दिया गया था। इसके बाद वह 2018 में भाजपा में शामिल हो गए, लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में टीएमसी से चुनाव हार गए। 6 साल का निष्कासन पूरा होने के बाद कबीर टीएमसी में फिर से शामिल हो गए थे।
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भारत-चीन संबंधों में नई पहल, बिजनेस वीजा प्रक्रिया आसान बनाने उठाया ये बड़ा कदम
नई दिल्ली । भारत ने चीनी तकनीशियनों (Technicians)और पेशेवरों(Professionals) के लिए बिजनेस वीजा में लगने वाली लालफीताशाही (Red tape)को काफी हद तक खत्म कर दिया है। दो सरकारी अधिकारियों ने यह जानकारी दी। यह भारत-चीन (India-China)संबंधों को फिर से पटरी पर लाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। 2020 के बाद से चल रही वीजा संबंधी देरी के कारण भारतीय उद्योग को अरबों डॉलर का नुकसान उठाना पड़ा था।अधिकारियों के अनुसार, अब एक अतिरिक्त प्रशासनिक जांच की परत हटा दी गई है और बिजनेस वीजा की मंजूरी चार हफ्ते से भी कम समय में हो रही है। 2020 में लद्दाख सीमा विवाद के बाद भारत ने लगभग सभी चीनी नागरिकों के प्रवेश पर रोक लगा दी थी और बिजनेस वीजा की जांच गृह मंत्रालय तथा विदेश मंत्रालय के अलावा अन्य एजेंसियों तक विस्तारित कर दी थी।
एक अधिकारी ने बताया कि वीजा से जुड़ी सभी समस्याएं पूरी तरह हल कर दी गई हैं। हमने अतिरिक्त प्रशासनिक जांच को हटा दिया है और अब बिजनेस वीजा चार सप्ताह के अंदर जारी किए जा रहे हैं। विदेश मंत्रालय, गृह मंत्रालय, वाणिज्य मंत्रालय, प्रधानमंत्री कार्यालय तथा नीति आयोग की ओर से इस संबंध में कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
भारत की इस पहल पर चीन के विदेश मंत्रालय ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने कहा कि बीजिंग ने भारत की ओर से लोगों के आपसी आदान-प्रदान को सुगम बनाने के लिए सकारात्मक कदम को नोटिस किया है। उन्होंने कहा- चीन, भारत के साथ संवाद और परामर्श बनाए रखने के लिए तैयार है ताकि आपसी संपर्क को और आसान बनाया जा सके।
थिंक टैंक ऑब्जर्वर रिसर्च फोरम (ORF) के अनुमान के अनुसार, सख्त वीजा नियमों की वजह से पिछले चार साल में भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग को करीब 15 अरब डॉलर (लगभग 1.25 लाख करोड़ रुपये) का उत्पादन नुकसान हुआ। शाओमी जैसी बड़ी चीनी कंपनियों को तकनीशियनों की कमी का सामना करना पड़ा था। सौर ऊर्जा क्षेत्र भी कुशल चीनी श्रमिकों की कमी से प्रभावित रहा।
इस साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सात साल बाद पहली चीन यात्रा और राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात के बाद दोनों देशों ने 2020 के बाद पहली बार सीधी उड़ानें भी बहाल कर दी हैं। वीजा नियमों में यह ढील पूर्व कैबिनेट सचिव राजीव गौबा की अध्यक्षता वाली एक उच्चस्तरीय समिति की सिफारिशों पर आधारित है। यह समिति चीन से निवेश संबंधी कुछ अन्य प्रतिबंधों को भी हटाने पर विचार कर रही है, क्योंकि मौजूदा प्रतिबंध विदेशी निवेशकों का मनोबल गिरा रहे थे।
इंडियन सेल्युलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (ICEA) के अध्यक्ष पंकज मोहिंद्रू ने कहा- सीमा-क्षेत्र से लगे देशों के कुशल पेशेवरों के लिए वीजा प्रक्रिया तेज करने का सरकार का फैसला स्वागत योग्य है। यह सहयोगात्मक रुख को दर्शाता है और उद्योग की लंबे समय से चली आ रही मांग को स्वीकार करता है। यह बदलाव ऐसे समय आया है जब भारत मोबाइल फोन, कंपोनेंट्स और सब-असेंबली सहित कई क्षेत्रों में उत्पादन को बड़े पैमाने पर बढ़ा रहा है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारतीय सामानों पर 50% तक टैरिफ लगाने के बाद भारत ने अपनी कूटनीतिक गणना में बदलाव किया है। इस पृष्ठभूमि में चीन के साथ संबंधों को फिर से मजबूत करना और रूस के साथ रिश्ते गहरे करना भारत की नई रणनीति का हिस्सा है, साथ ही अमेरिका के साथ व्यापार समझौते पर बातचीत भी जारी है।
दूसरे सरकारी अधिकारी ने कहा- हम चीन संबंधी कुछ प्रतिबंधों को सावधानी से हटा रहे हैं, ताकि समग्र कारोबारी माहौल बेहतर हो और विदेशी निवेश को बढ़ावा मिले। हाल ही में भारत ने उपभोक्ता करों में कटौती और श्रम कानूनों में ढील देकर भी विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने की कोशिश की है।
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लॉ एंड ऑर्डर से लेकर रोजगार तक CM मोहन यादव का बड़ा बयान: कहा-मंत्री का भाई भी नहीं बचा मार्गदर्शन मिला तो मंत्रिमंडल बदलेगा
भोपाल /मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के कार्यकाल को 13 दिसंबर को दो साल पूरे हो रहे हैं। इस अवसर पर उन्होंने एक चर्चित अखबार के साथ से विशेष बातचीत में अपने दो साल के कार्यकाल की उपलब्धियों चुनौतियों और आने वाले तीन सालों के रोडमैप को विस्तार से रखा। बातचीत में लॉ एंड ऑर्डर नक्सलवाद रोजगार निवेश कृषि संकट मेट्रो प्रोजेक्ट और मंत्रिमंडल फेरबदल जैसे अहम मुद्दे केंद्र में रहे।कानून से ऊपर कोई नहीं मंत्री का भाई भी गिरफ्तार हुआa
लॉ एंड ऑर्डर पर पूछे गए सवाल पर मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कहा कि उनकी सरकार में कानून सबके लिए समान है।उन्होंने कहा अगर कोई गलत करेगा तो वह बचेगा नहीं। मंत्री का भाई भी कानून से ऊपर नहीं है उसे भी गिरफ्तार किया गया है। यही सुशासन है। CM के इस बयान को सख्त प्रशासनिक संदेश के तौर पर देखा जा रहा है।नक्सलवाद पर बड़ी उपलब्धि
मुख्यमंत्री ने नक्सलवाद के खिलाफ कार्रवाई को अपनी सरकार की बड़ी उपलब्धियों में गिनाया।उन्होंने कहा कि मंडला बालाघाट और डिंडौरी जैसे जिलों से नक्सलवाद लगभग खत्म हो चुका है।बीते एक साल में 10 नक्सलियों को ढेर किया गया और कई बार नक्सलियों ने सरेंडर किया। CM ने पूर्व कांग्रेस सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि पहले नक्सली खुलेआम हिंसा करते थे लेकिन अब हालात पूरी तरह बदल चुके हैं।
दिल्ली से सरकार चलने के आरोपों पर पलटवार
विपक्ष के इस आरोप पर कि मध्य प्रदेश सरकार दिल्ली से चलाई जा रही है मुख्यमंत्री ने कहा-हमें गर्व है कि प्रधानमंत्री गृह मंत्री और पार्टी नेतृत्व का मार्गदर्शन मिलता है। केंद्र और राज्य के अच्छे संबंधों से ही विकास तेज होता है।रोजगार पर फोकस: 60 हजार से ज्यादा नौकरियां रोजगार को बड़ी चुनौती मानते हुए CM ने बताया कि बीते दो सालों में 60 हजार से अधिक सरकारी पदों पर नियुक्तियां दी गई हैं।उन्होंने कहा- बिजली विभाग में 50 हजार पद, स्वास्थ्य विभाग में 42 हजार पद,पुलिस विभाग में 22500 से अधिक पद,मंजूर किए गए हैं। भविष्य में एक परीक्षा-एक भर्ती सिस्टम लागू करने की भी योजना है।पेपर लीक पर सख्ती
भर्ती परीक्षाओं में पेपर लीक के सवाल पर CM ने कहा कि उनकी सरकार के कार्यकाल में कोई बड़ा पेपर लीक नहीं हुआ। उन्होंने भरोसा दिलाया कि पारदर्शी और समयबद्ध परीक्षाएं सरकार की प्राथमिकता हैं।निवेश और इंडस्ट्रियल ग्रोथ
CM ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि निवेश सिर्फ कागजों में नहीं जमीन पर उतर रहा है।उन्होंने बताया कि 6 लाख करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट्स पर काम शुरू हो चुका है जिससे लाखों लोगों को रोजगार मिला है।सागर में खाद कारखाने और 30 हजार करोड़ के नए इंडस्ट्रियल पार्क का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि विकास अब हर क्षेत्र में दिख रहा है।कृषि और खाद संकट पर जवाब
कृषि आधारित वर्ष की घोषणा को लेकर CM ने कहा कि प्रदेश में खाद की कोई कमी नहीं है।उन्होंने माना कि कहीं-कहीं वितरण में दिक्कत आती है लेकिन अब SMS और होम डिलीवरी सिस्टम पर काम किया जा रहा है।भोपाल मेट्रो और मास्टर प्लान
भोपाल मेट्रो को लेकर CM ने कहा कि प्रधानमंत्री वीडियो संदेश के जरिए जुड़ेंगे और केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर की मौजूदगी में लोकार्पण होगा।भोपाल मास्टर प्लान पर उन्होंने कहा-25 साल का बैकलॉग है दो साल में सब नहीं होगा लेकिन समाधान जरूर निकलेगा।मंत्रिमंडल विस्तार पर क्या बोले?
मंत्रिमंडल विस्तार और फेरबदल के सवाल पर CM ने साफ कहा-जैसा पार्टी के पार्लियामेंट्री बोर्ड प्रधानमंत्री और राष्ट्रीय नेतृत्व का मार्गदर्शन मिलेगा वैसा ही करेंगे।सादगी का संदेश: सामूहिक विवाह में बेटे की शादी
CM ने अपने छोटे बेटे की शादी सामूहिक विवाह सम्मेलन में करने के फैसले को सामाजिक संदेश बताया।उन्होंने कहा-दिखावे की शादी समाज पर बोझ डालती है। बड़े लोग फिजूलखर्ची करेंगे तो गरीब कर्ज लेगा।उन्होंने अंतिम संस्कार और विवाह में अनावश्यक खर्च से बचने की अपील भी की। डॉ. मोहन यादव के इंटरव्यू से साफ है कि सरकार सख्त प्रशासन तेज विकास और सामाजिक सादगी को अपनी पहचान बनाना चाहती है। अब देखना यह होगा कि अगले तीन सालों में ये दावे जमीन पर कितने असरदार साबित होते हैं।